करनाल – दूसरा दिन
खेत और डेयरी घूम कर हम वापस आ गए। दीपक हमे छोड़ कर वापस खेतों में चला गया। “अब दीपक और संतोष शाम को ही आने वाले थे”।
सरोज ने सारा काम निबटा दिया था। रात के खाने के बाद चुदाई ही होनी थी।
मैंने सरोज से पूछा, “सरोज आज का कैसा प्रोग्राम बना है ” ?
सरोज बोली, “आभा जीजी, रजनी कह रही थी आज वो दीपक के पास नहीं जाएगी क्यों की कल रात की राकेश चुदाई से उनकी गांड थोड़ी दुःख रही है। मुझे दिखाई थी रजनी जीजी ने गांड। थोड़ी तो सूजी हुई है, लाल भी है। मैंने क्रीम लगा दी थी कल तक चुदाई के लिए तैयार हो जाएगी। आज संतोष को रजनी की चूत मारने देते हैं। वैसे भी संतोष को गांड चुदाई में कोइ दिलचस्पी नही। दीपक दोनों छेद रगड़ता है। आज आप चली जाना दीपक के पास”।
सरोज ने बात जारी रखी, “कल और शायद परसों भी संतोष फिर खेत वाले घर पर ही रुकेगा। दो गायों की और दो भैंसों ब्याहने (बच्चा देने वाली) हैं , क्या पता रात को ही बया जाएं – बच्चा दे दें। कल राकेश को आने के लिए फोन कर दूंगी। आभा जीजी आप राकेश के साथ गांड चुदाई के मजे ले लेना। अगर संतोष ने परसो भी डेयरी पर रुकना हुआ तो दीपक को बोलेंगे अपने दोस्तों को बुला ले। फिर सब मिल कर ग्रुप में चुदाई कवायेंगे “।
रजनी ने तो पूरी प्लानिंग ही बना रक्खी थी।
मैंने कहा, “चलो ठीक हैं मैं दीपक के पास चली जाऊंगी। रजनी संतोष से चुदवायेगी और मैं दीपक से, तो तुम क्या करोगी ? तुम भी दीपक के पास आ जाना हम तीनो, मैं तुम और दीपक चुदाई का खेल खेलेंगे “।
सरोज बोली ,”नहीं आभा जीजी, जब संतोष घर पर होता है तो मैं दीपक से नहीं चुदवाती “।
मैंने यों ही पूछ लिया, क्या संतोष को तुम्हारी और दीपक की चुदाई के बारे में मालूम नहीं ? तुम तो कह रही थी संतोष को तुम्हारी और राकेश की गांड चुदाई के बारे में मालूम है, मगर उसे कोइ एतराज़ नहीं “।
बात वो नहीं है आभा जीजी। मुझे नहीं मालूम की मेरी और दीपक की चुदाई के बारे में संतोष को मालूम है या नहीं। मगर मालूम होना एक बात है, एक दुसरे के सामने चुदाई करना दूसरी बात है”।
“एक बात और बताऊं जीजी” ? सरोज रजनी की तरफ देख कर बोली, “जब तक दीपक नहीं आया था, बाबू जी तो तब भी ज्यादातर खेतों पर ही रहते थे, तब बीबी जी की चूत पानी छोड़ती थी या गांड चुदवाने की तलब लगती थी तो बीबी जी की प्यास संतोष और राकेश ही बुझाते थे। मगर राकेश बीबी जी की गांड उस दिन चोदता था जिस दिन संतोष घर पर नहीं होता था। दीपक के आने के बाद से संतोष या राकेश ने बीबी जी को नहीं चोदा “।
मैं और रजनी दोनों हैरान हुई।
इस घर में चुदाई का पूरा खेल चल रहा था। “इस घर में हर मर्द घर की हर को औरत को चोदता था, मगर सब कुछ पूरी ईमानदारी और असूलों के साथ”।
रजनी ने पुछा, “और अगर दीपक कहीं बाहर गया और बाबू जी घर पर न हुए तो ” ?
“तो बीबी जी मुझे बताएंगी की उनकी चुदवाने की इच्छा है। अगर चूत चुदवाई करवानी हो तो संतोष और अगर गांड चुदवाने की इच्छा हो राकेश। मगर जब संतोष या राकेश कोई एक बीबी जी को चोद रहा हो तो दूसरा घर पर नहीं रुकता “।
रजनी बोली, “मेरी माँ तो पूरी चुदक्क्ड़ है “।
सरोज बोली, “ऐसा मत बोलो जीजी। चूत और लंड भगवान ने दिए हैं मजे लेने और मजे देने के लिए। अब अगर बाबू जी बीबी जी की चुदाई का ध्यान नहीं रखते तो बीबी जी क्या करें ? इधर उधर मुंह मारने से तो अच्छा है घर की बात घर में ही रहे। चुदाई भी होती रहे और बात बाहर भी न जाये”।
मैंने सोचा बात तो सरोज ठीक ही कह रही है। मैं और रजनी भी तो पंकज और कुणाल से ही चुदवाती है, इधर उधर लंड की तलाश में नहीं भटकती। मैंने रजनी को कहा, “रजनी बात तो सरोज ठीक ही कह रही है। हम दोनों भी तो पंकज और कुणाल के साथ यही करती हैं। और यही करने यहां करनाल आयी हैं “।
अब रजनी कुछ सहज हुई और सरोज से पूछा, अच्छा सरोज ये बताओ क्या तुम भी वहां होती हो जब राकेश या संतोष माँ की चूत या गांड मारते हैं ” ?
सरोज ने कहा, “नहीं नहीं जीजी, आखिर तो वो मालकिन ही हैं। चुदाई के वक़्त मेरा वहां रहना कुछ ठीक नहीं लगता “।
“पर सरोज, मां को ये तो पता ही होता है की तुम संतोष या राकेश के मां को चोदने की बात जानती हो। आखिर को संतोष या राकेश से चुदवाने के लिए मां कहती तो तुमसे ही है – फिर तुमसे कैसी शर्म “।
“बात शर्म की नहीं जीजी, लिहाज की है। ऐसे तो बीबी जी का कभी जब मन हो मुझ से चूत और गांड भी चुसवाती हैं “।
“कमाल है ” ?
रजनी ने पूछा, “फिर तो मां भी तुम्हारी गांड और चूत भी चूसती होंगी “।
सरोज बोली, “नहीं जीजी, उन्होंने कभी मेरी चूसने की इच्छा नहीं जताई और मैंने भी नहीं कहा “। फिर कुछ सोच कर बोली, “हाँ एक बार उन्होंने मेरी गांड चाटी थी और एक बार ही चूत चूसी थी “।
रजनी ने पूछा, “एक बार गांड, एक बार चूत – ये क्या बात हुई ” ?
“बात दरअसल ये है जीजी की एक दिन संतोष थोड़ा जल्दी आ गया। दीपक उन दिनों यहां नहीं था। संतोष की इच्छा मुझे चोदने की हो गई। दो चार बार उसने मेरी चूचिया दबाई, होंठ चूसे, चूत में उंगली की, और मेरी चूत भी पानी छोड़ गयी और मैं बिस्तर पर लेट गयी। संतोष ने मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरी चूत ऊंची की और मेरी चुदाई शरू कर दी। मैं झड़ने ही वाली थी और संतोष भी ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था, तभी बीबी जी की आवाज सुनाई दी – सरोज “।
वो मुझे बुला रही थी – शायद कुछ काम था। उन्हें नहीं मालूम था की उस दिन संतोष जल्दी आ गया है और मुझे चोद रहा है “।
सरोज ने बात जारी रखी, “अब जीजी हम दोनों – मैं और संतोष – दोनों का पानी छूटने वाला था। अब आपको तो मालूम ही है की ऐसे में चुदाई बीच में नहीं छोड़ी जाती। हमारे ध्क्के चालू रहे और थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए “।
सरोज ने रजनी को बताते हुए कहा, “रजनी जीजी आप तो जानती ही हो की संतोष कितना पानी छोड़ता है – चूत ही भर जाती है “।
“ये सुन कर तो मेरी चूत ही खुजलाने लगी”।
सरोज कह रही थी, “बीबी जी की आवाज अब नहीं आ रही थी”।
“जल्दी जल्दी चुदाई खत्म करके मैं सलवार पहन कर बीबी जी के कमरे की तरफ भागी – चूत भी नहीं साफ़ की। चूत चिप चिप कर रही थी। संतोष के लंड का पानी टांगों पर भी बह रहा था। बीबी जी के कमरे में गयी तो बीबी जी ने पूछा,” संतोष आ गया है क्या ” ?
मेरी आवाज बड़ी मुश्किल से निकली, “हां बीबी जी”।
बीबी जी कुछ पल के लिए रुकी फिर पूछा ,”चुदाई कर रहा था क्या ” ?
मैं चुप रही।
बीबी जी बोली, “अरी शर्मा क्यों रही है – चोद रहा था तो चोद रहा था। मर्द तो औरतों को चोदते ही हैं। इधर आ मेरे पास “।
बीबी जी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने पास बिठा लिया और मेरी सलवार का नाडा खोलने लगी, ” दिखा जरा अपनी चूत”।
“मैंने कुछ नहीं किया – ना कुछ बोली ना बीबी जी को रोका”।
बीबी जी ने मेरी सलवार का नाड़ा खोला और मुझे लिटा कर मेरी टांगें चौड़ी कर दी। पक्का है की मेरी चूत और आस पास संतोष का लेसदार सफ़ेद पानी लगा हुआ होगा। बीबी जी ने हाथ मेरी चूत पर मला और लेसदार पानी चाट लिया। फिर बिना कुछ बोले मेरी चूत चाटने लगी। चाटते चाटते बीबी जी गरम हो गयी और बोली, “सरोज जा दरवाजा बंद करदे और इधर आ कर मेरा पानी छुड़वा “।
मैंने दरवाजा बंद किया और बीबी जी की चूत चाटने लगी। बीच बीच में उंगली भी कर रही थी और गांड भी चाट रही थी। ये सब मैं तब तक करती रही जब तक बीबी जी का पानी नहीं छूट गया। फिर बीबी जी की चूत का पूरा पानी साफ़ करके मैं उठ गयी।
बीबी जी ने कहा,”मजा आ गया सरोज,जा तू जा कर चूत साफ़ करले, मैं भी अपनी चूत साफ़ कर लेती हूँ – वैसे तो चाट चाट कर तूने हे साफ़ कर ही दी है”।
रजनी ने पूछा, “ये तो हो गयी चूत की चुसाई, अब मां तुम्हारी गांड कब चाटी ये भी बता दो “।
सरोज ने बताया, “ऐसे ही एक दिन शाम को राकेश से गांड चुदवा रही थी तो बीबी जी को मुझसे कुछ काम आया, और मैं मिली नहीं। एक बार उन्होंने मुझे आवाज लगाई फिर ऐसा लगा की वो जो कुछ भी काम था उन्होने खुद ही कर लिया। मगर मैं तो नहीं रुक सकते थी। जैसे ही राकेश ने मेरी गांड के अंदर अपना गर्मागर्म लेसदार पानी छोड़ा, मैं उठ गयी और अपनी गांड को कस कर बंद कर लिया जिससे बीर्य बाहर न बह जाए और बीबी जी को मेरी गांड चुदाई का पता ना चल जाए “। मैंने सोचा था बीबी जी का काम कर लूं फिर बाथ रूम में जा कर जोर लगा कर गांड से सारा लेसदार पानी निकल लूंगी और धुलाई कर लूंगी।
जैसे ही मैं बीबी के कमरे मैं पहंची, बीबी जी जूस पी रही थी – “जूस लाने के ही लिए बुलाया होगा “।
मुझे देखते ही पूछा, “राकेश आया हुआ है ” ?
“जी बीबी जी “। मैंने जवाब दिया। बीबी जी हंसी,”तब तो पक्का तेरी गांड चोद रहा होगा। गांड चोदने का बहुत शौक़ीन है – चोदता भी बहुत बढ़िया है। रगड़ रगड़ कर चोदता है “।
मैं चुप रही, “बोलती भी तो क्या बोलती “।
बीबी जी बोली, “अच्छा दिखा मुझे अपनी गांड, देखूं क्या हालत बनाई है तेरी नाजुक गांड की “।
“मैं भी बिस्तर पर उकडू हो कर कुहनियों और घुटनों के बल लेट गयी और चूतड़ ऊपर उठा दिए”।
बीबी जी ने मेरे दोनों तरफ के चूतड़ों को बाहर की तरफ किया जिससे गांड का छेद दिखाई दे सके।
“सरोज ये गांड भींच क्यों रखी है – बंद क्यों कर रखी है ? क्या राकेश की मलाई अंदर ही है ? खोल अपनी गांड को – ढीला कर इसको “।
“अब राकेश का वीर्य तो मेरी गांड के अंदर ही था”। मैंने गांड ढीली छोड़ दी। सारा लेसदार सफ़ेद पानी गांड में से निकल कर नीचे चूत की तरफ धीरे धीरे बहने लगा।
बीबी जी ने झट से इस लेसीले सफ़ेद पानी को चाटना शुरू किया। एक एक बून्द चाट कई बीबी जी और फिर बोली ,”कितना पानी छोड़ता है राकेश – पूरा एक कप “। और फिर मेरी गांड पर एक धप्प मार कर बोली, “चल उठ, गांड चाट मेरी, फड़कने लग गयी है “।
रजनी बोली, “बड़ी ही सेक्सी है मेरी मां। किसी को घर में छोड़ा भी है इसने” ?
अब ये नहीं पता की रजनी ख़ुशी से बोली थी या गुस्से से।
सरोज ने फिर कहा, “देखो जीजी, बीबी जी की एक बात की तो मैं भी कायल हूं। जब चुदाई कवाओ तो पूरी बेशर्मी से करवाओ – पूरा मजा लो और पूरा मजा दो”।
सरोज ने बात जारी रक्खी ,”ये तो संतोष और राकेश भी मानते हैं की बीबी जी से अच्छी चूत और गांड चुदाई कोइ नहीं करवा सकता – मैं भी नहीं “।
रजनी ही बोली, “ऐसा भी क्या करती है मेरे चुदक्क्ड़ मां ।
सरोज ने जवाब दिया, “जीजी एक दिन सतोष मेरी चुदाई कर रहा था। पता नहीं क्या हुआ, मेरी चूत मारते मारते बोला, ”चुदाई तो बीबी करवाती हैं”।
मैं हैरान हुई की ये चोद तो मुझे रहा है बात बीबी जी की कर रहा है।
मैंने पूछा, “ऐसा क्या करती हैं बीबी जी “चूत चुदवाने के लिए लेटना ही तो होता है – ज्यादा ज्यादा चूत ऊपर उठने के लिए कमर के नीचे तकिया रख देना है और टांगें चौड़ी कर देनी हैं जिससे चूत की फांकें खुल जाएं और चूत का छेद सामने आ जाये “।
सरोज ने अपनी बात जारी रक्खी ,”जीजी जो संतोष ने मुझे बताया सच ही उससे पहले मैंने नहीं किया था – मगर अब जब चुदाई होती है तो करने की कोशिश करती हूं “।
अब मैने पूछा, “ऐसा क्या करती हैं वो “।
रजनी ने भी मेरी हां में हां मिलाई, “सही बोल रही हो आभा, ऐसा भी क्या करती होगी मां जब चूत और गांड चुदवाती होगी “।
सरोज बोली, “आभा जीजी यही सवाल मैंने भी संतोष से किया था ”।
संतोष ने बताया की जब लंड बीबी जी के अंदर चला जाता है तो वो ऊपर वाले की कमर के पीछे हाथ डाल उसे जकड़ लेती हैं और नीचे से ऐसे चूतड़ घूमती हैं और ऊपर नीचे करती हैं की चोदने वाला पागल हो जाता है और दुगने जोश के साथ चुदाई करने लग जाता है।
यही बीबी जी गांड चुदाई के समय करती हैं। जैसे लंड अंदर गया की चूतड़ों को आगे पीछे करना शुरू कर देती है। जब लंड बहार निकलता है तो चूतड़ आगे करती हैं और जब लंड अंदर जाता है तो चूतड़ पीछे लंड की तरफ करती हैं । इस तरह लंड और टट्टे दुगनी स्पीड से चूतड़ों पर टकराते हैं, और जोर की आवाज आती है — फट्ट फट्ट फट्ट … पट्ट पट्ट पट्ट “।
मैंने सरोज से पूछा, “सरोज तुम करती हो ऐसे चूत चुदाई के समय चूतड़ घुमाना और गांड चुदाई के समय चूतड़ आगे पीछे करना “।
सरोज ने जवाब दिया, “आभा जीजी चुदाई के वक़्त चूतड़ घुमाने और आगे पीछे करने की कोशिश तो करती हूं – पर जीजी पता नहीं बीबी जी जैसा कर पाती हूं की नहीं “।
रजनी बोली, “आज जब मैं संतोष सी चूत चुदाई करवाउंगी तो मैं भी ऐसा ही करूंगी – तुम देख कर बताना सरोज कैसा कर रही हूं “।
मैंने भी कहा,” मैं भी आज रात दीपक से चूत और गांड चुदाई के समय ये करूंगी।