करनाल में पहला दिन
थोड़ी देर चुदने के बाद सरोज हँसते हुए बोली “बस करो राकेश अब जीजी को चोदो, अगर थोड़ी देर तुम ऐसे ही मेरी गांड मारते रहे तो मैं पूरी चुदाई करवा के ही हटूंगी और जीजी के लिए कुछ नहीं बचेगा “।
राकेश ने लंड बाहर निकIल लिया और खड़ा हो गया।
सरोज बोली, “आओ जीजी”।
मुझे डर भी लग रहा था मगर गांड चुदवाने के मजे का ख्याल डर पर हावी था।
अब मैं घोड़ी बन कर, चूतड़ पीछे कर के खड़ी हो गयी। सरोज मेरे चूतड़ों पर हाथ फेर रही थी। तभी मुझे लगा की कोइ मेरी गांड के छेद को चूस रहा है। सरोज ही होगी मैंने सोचा। मैंने सर घुमा कर देखा सरोज ही थी।
सरोज ने मेरी गांड की थोड़ी चूमा चाटी करने के बाद गांड के छेद पर जैल लगानी शुरू की। उंगली गांड के अंदर करके भी जैल लगाई। काफी सारी जैल लगाने के बाद मुझे लगा की राकेश ने मेरी गांड के छेद पर अपना लंड रख दिया था।
अजीब सी अनुभूति थी। सोच रही थी आगे क्या होगा। गांड तो मैं दीपक से भी मरवा चुकी थी और पंकज और कुणाल से भी, मगर राकेश के मोटे लंड के कारण थोड़ा डर लग रहा था।
राकेश ने लंड का सुपाड़ा अंदर किया। दर्द तो हुई, मगर सह ली मैंने।
फिर वही सब दुबारा हुआ जो सरोज के साथ हुआ था। तीन चार बार आधा सुपाड़ा अंदर करने के बाद राकेश ने पूरा सुपाड़ा अंदर कर दिया और रुक गया। फिर पांच सात बार ऐसे ही करता रहा और फिर लंड बाहर निकल लिया। सरोज ने गांड के अंदर बाहर फिर जैल लगाई।
“मैं समझ गयी की अब पूरा अंदर जाने वाला है”।
सरोज आगे आ कर मेरे सामने अपनी टांगें चौड़ी करके चूट खोल कर लेट गयी और मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिय।
मुझे समझ नहीं आया की सरोज ने ऐसा क्यों किया – मगर जैसे ही राकेश ने लंड पूरा अंदर किया दर्द के मारे मेरी चीख निकले को हुई। सरोज ने मेरा मुंह अपनी चूत में घुसेड़ लिया और मेरी चीख सरोज की चूत में दबी ही रह गयी।
राकेश रुका, लंड बाहर निकल कर मेरी गांड के अंदर तक जैल लगाई और लंड एक दम से पूरा अंदर डाल दिया।
इस बार दर्द थोड़ी कम हुई। लंड ने अपनी जगह बना ली थी।
राकेश थोड़ा रुका और फिर वही किया – लंड बाहर निकल कर जैल लगाई और लंड अंदर कर दिया। तीन चार बार यही करने बाद उसने चुदाई शुरू कर दी।
गांड का छेद अब मुलायम हो गया था और लंड का अभ्यस्त हो गया था।
मुझे गांड चुदाई का मजा आने लगा।
सरोज ने भी मेरा सर छोड़ दिया।
मैं सरोज की चूत चाटने लगी। सरोज समझ गयी की लड़की को अब दर्द नहीं हो रहा गांड चुदवाने का मजा आ रहा है ।
दस मिनट की चुदाई के बाद राकेश झड़ने को हो गया। मेरी भी चूत खुजला रही थी। सरोज ने ही मुझ से पुछा, “जीजी चूत में डाले राकेश ” ?
मैंने कहा, “हां सरोज, गांड में थोड़ा दर्द सा भी हो रहा है और चूत भी लंड मांग रही है “।
सरोज बोली, “राकेश कर दो जीजी की चूत को ठंडा “।
राकेश ने लंड गांड में से निकल कर एक ही बार में चूत के अंदर कर दिया और सीधी रगड़ाई चालू कर दी।
मैं तो गरम ही थी, सात आठ मिनट की चुदाई के बाद मेरा पानी छूट गया। राकेश ने भी एक लम्बी हुंकार के साथ गर्म वीर्य मेरी चूत में डाल दिया – “इतना ज़्यादा मजा आया आभा की बता नहीं सकती”।
चुदाई पूरी होने के बाद मैं उठ गयी कपड़े उठाये और चलने लगी। सरोज बोली, “जीजी आप चलो मुझे राकेश से बात करनी है”।
“मैं समझ गयी की सरोज अब पूरी गांड चुदवायेगी, और वैसे भी सरोज ने सोना तो वहीं था राकेश के साथ “।
मैंने सोचा, “रजनी की गांड चुदाई तो मस्त थी। मैं तो राकेश से अपनी गांड चुदवाई का सोचने लग गयी” ।
रजनी ने मुझ से पूछा, “अच्छा आभा अब तू बता, तेरी चुदाई दीपक के साथ कैसी रही ” ?
मैंने बताया “बहुत ही बढ़िया। और जो दीपक के लंड का सुपाड़ा बिलकुल वैसा ही मस्त है जैसा तूने बताया था। मजा ही आ गया “।
रजनी ने पूछा, “गांड चुदवाई क्या ” ?
मैंने जवाब दिया, “गांड ही ज्यादा चुदवाई “।
रजनी बोली, “दिखा जरा अपनी गांड, देखें क्या कह रही है ”
मैं उल्टी हो कर उकडू हो कर लेट गयी और गांड उठा दी। रजनी ने चूतड़ खोल कर गांड को देखा और बोली, “थोड़ी लाल है। मेरी तो लगता है थोड़ी सूजी हुई है। जरा देख के बता क्या हाल है मेरी गांड का”।
अब रजनी उकडू हो कर उलटा लेट गयी और गांड उठा दी। अब मैंने उसके चूतड़ खोले,गांड का छेद लाल भी था और थोड़ा सी सूजन भी थी। मैं उसकी गांड चाटने लगी।
“आह बड़ा आराम मिल रहा है। थोड़ा और चाट आभा। क्या सूजी हुई है ” ?
मैं बोली “ज्यादा तो नहीं, पर थोड़ी सी सूजन है। लाल भी हुई पड़ी है “। और फिर मैं रजनी की गांड चाटने लगी।
रजनी सिसकारियां लेने लगी। लग रहा था उसे बड़ा ही आराम मिल रहा है। मैं उसकी गांड चाटती रही जब तक रजनी ने मुझे कहा नहीं की बस करूं।
मैं भी उसकी बगल में ही लेट गयी , “रजनी अब कल ” ?
रजनी बोली, “आभा कल राकेश तो चला जाएगा मगर संतोष आ जाएगा। दीपक से इतनी जल्दी गांड चुदवाने की मेरी हिम्मत नहीं और वह गांड चोदे बिना मानेगा नहीं। कल तुम चली जाना उसके पास, मैं संतोष से चूत चुदाई करवाऊंगी। संतोष को गांड में कोइ दिलचस्पी नहीं । कल ही आगे का प्रोग्राम भी बना लेंगे “।
“ठीक है” और मैंने उठ कर लाइट बंद कर दी।
“मैं खुश हो गयी। मेरे मन की मुराद पूरी होने वाली थी – दीपक का फूला हुआ सुपाड़ा चूत और गांड में लेने की। अब इसके बाद राकेश का मोटा लंड ही गांड में लेना बचेगा जिसने रजनी की गांड सुजा दी।
दीपक के दोस्तों के साथ ग्रुप चुदाई भी ठीक थी लेकिन उसमें कोइ बहुत ख़ास बात हो ऐसा नहीं लगता था – अब अगर किसी लड़के का लंड ही कुछ अलग तरह का हो तो बात अलग है “।
करनाल में दूसरा दिन
दुसरे दिन सब देर से ही उठे। नाश्ता अदि करके सरोज बोली ,”अब जो होगा रात को ही होगा। एक काम करो दीपक को बोलो खेतों में ले जाए। डेरी फार्म भी देख लेना – एक पोल्ट्री फार्म भी है। दिन कट जाएगा “।
रजनी बोली, “सरोज तुम भी चलो हमारे साथ “।
“नहीं मैं दिन में सारा काम निबटा लूंगी “, और फिर धीरे से बोली,”रात का प्रोग्राम जल्दी शुरू करदेंगे “। सब हंस दिए।
दीपक ने जीप निकली और हम खेतों की और चल पड़े।
खेत ज्यादा दूरी पर नहीं थे। आधे घंटे में हम वहां पहुंच गए। वहीं संतोष से भी मुलाक़ात हो गयी।
बढ़िया हट्टा कट्टा था राकेश जैसा। “रजनी ने बस यही बताया था की चूत चुदाई अच्छी करता है “।
हम थोड़ा खेतों में घूमीं। फिर डेरी फार्म देखने गयीं। बहुत बड़ा डेरी फार्म था। सौ से ज्यादा गाये भैसें थी। एक तरफ पशुओं का बाड़ा था, जहां पशु बांधे जाते थे। दूसरी तरफ शायद छोटा सा पशु हस्प्ताल सा था। वहीं बहुत बड़े साइज़ के दो सांड थे और दो भैंसों के झोटे थे। दीपक ने बताया इनका काम केवल गाये या भैंसें, जब गरम हो जाती हैं, यानि उनको चुदाई की इच्छा होती है तो यहाँ लाया जाता है। ये सांड और झोटे उनकी चुदाई करके उनको प्रेगनेंट कर देते हैं “।
“यहाँ भी चूत और चुदाई हमारा पीछा नहीं छोड़ रही थी “।
रजनी ने पूछा मगर पता कैसे लगता है की किस गाये या भैंस को लंड चाहिए। हमारी तो चूत पानी छोड़ने लग जाती है और हम बोल देती हैं की हमे लंड चाहिए “।
दीपक बोला, “इनकी चूत भी पानी छोड़ती है। आओ दिखाता हूं।
दीपक हमें बाड़े में ले गया। एक गाये एक तरफ अलग बंधी थी। उसके पीछे से लेसदार कुछ निकल रहा था और वो बार बार जोर जोर से आवाज कर रही थी। दीपक ने बताया की “ये देखो इसकी चूत से लेसदार पानी निकल रहा है। मतलब इसको लंड चाहिए। जोर जोर से आवाज करके ये यही कह रही है – मुझे लंड चाहिए , मुझे लंड चाहिए “।
“तो अब क्या करोगे” ? मैंने पूछा।
दीपक ने कहा, “इसको आज ही उधर सांडों के पास ले जाएंगे। और एक बात,अगर आज ना लेकर गाये तो सांड इनकी आवाज सुन कर पागल हो जायेंगे “।
“कब लेकर जाओगे” ? रजनी ने पुछा।
दीपक हंसा,” क्यों क्या तुमने इनकी चुदाई देखनी है ? मेरा ख्याल है संतोष आज ही बोलेगा लेजाने के लिए। बहुत पानी छोड़ रही है ये और आवाज भी बहुत कर रही है “।
तभी संतोष भी आ गया, साथ एक आदमी भी था। उन्होंने गाये को खोला और सांडों वाले बाड़े की तरफ लेजाने लगा।
गाये को एक खूंटे से बांधने के बाद वो आदमी एक सांड को ले आया। “अच्छी खासी बड़ी गाये उस विशालकाय सांड के सामने छोटी से लग रही थी “।
गाये ने आवाज निकलने बंद कर दी और चुपचाप खड़ी हो गयी। सांड आया और उसकी चूत सूंघने लगा।सूंघत सूंघते वो सर ऊपर की तरफ कर अजीब तरीके से मुंह खोल लेता था।
“दीपक ने बताया ये सूंघ कर जानना चाहता ही क्या ये सच में ही लंड चाहती है। अगर इसकी चूत में वो ख़ास खुशबू हुई तो ये कुछ देर चूत चाटेगा और फिर चुदाई करेगा “।
मैंने पूछा, “कितना वक़्त लगेगा ” ?
दीपक फिर हंसा, “कुछ कह नहीं सकते। एक काम करो मैं कुर्सियां मंगवा देता हूं। बैठ जाओ और नजारा देखो, करना क्या है तुमने। मैं तब तक संतोष से पूछ लेता हूं की कुछ चाहिए तो नहीं शहर से ” ?
आईडिया ठीक था, हमने करना भी क्या था। चुदाई ही तो करवाने आईं थीं हम यहां – अब जानवर की चुदाई देखती भी चलतीं हैं।
हम बैठ गयी। सांड अब गाये की चूत चाट रहा था। गाये का पेशाब निकल गया, या उसने पेशाब कर दिया – सांड ने पेशाब भी चाट लिया।
मैंने रजनी से कहा, “रजनी, ये जानवर भी तो चुदाई से पहले हमारे मर्दों के जैसे ही काम करते हैं चूत चाटना, मूत चाटना “।
रजनी हंस दी। “मुझे तो लग रहा था ये मेरी ही चूत चाट रहा है “।
कुछ ही देर में वो विशालकाय सांड उस गाये के ऊपर चढ़ गया। चढ़ कर रुका। तभी उसकी नीचे की लटकती खाल में से बहुत ही लम्बा गुलाबी रंग का नोकदार लंड निकला – दो ढाई फुट से कम लम्बा क्या होगा – सांड ने एक लम्बा धक्का लगाया और पूरे क पूरा लंड गाये की चूत के अंदर था। सांड कुछ और रुका और बड़े बड़े चार पांच धक्के लगाए और ढीले लंड के साथ नीचे उतर गया। लंड वापस खाल के अंदर चला गया। गाये की चूत में से कुछ लेसदार सा पानी निकला – “शायद सांड का वीर्य होगा “। गाये ने ढेर सारा मूत किया और खड़ी हो गयी – शायद दुबारा चुदवाने के लिए।
“हम लड़कियाँ भी तो यही कुछ करती हैं “।
रजनी बोली, “आभा क्या होता अगर मर्दों का भी ऐसा हे नुकीला लंड होता “।
तभी दीपक आ गया, “अब चलें ? चलो तुम्हें पोल्ट्री फार्म भी घुमा देता हूँ ”।
मैं हंस कर बोली, “क्या वहां भी चुदाई देखने को मिलेगी ” ?
सब हंस दिए।