करनाल में आख़री रात
जैसे ही सरोज ने कहा, “हम तीनों में से जिस भी घोड़ी के ऊपर सवार नहीं होगा दीपक उसी पर चढ़ जाएगा। ये लौंडे दीपक संतोष राकेश की तरह एक एक घंटा थोड़े ही चुदाई कर सकते हैं। नए लौंडे है झड़ेंगे भी जल्दी जल्दी”।
“सरोज भी कभी कभी कमाल की बात करती है” ,सरोज की इस बात से हमारी हंसी छूट गयी।
साढ़े दस बज चुके थे दीपक को तो अब तक आ जाना चाहिए था। नए नवेले लंड लेने को हम बेताब थीं। तभी जीप की आवाज सुनाई दी I
“लगता है आ गए हमारे चोदू ”। सरोज हंसी।
दीपक आ गया, पीछे पीछे आ गए तीनो लौंडे। देख़ने में तो ठीक थे, सुन्दर, मध्यम लम्बाई के मगर दुबले पतले – हट्टे कट्टे तो नहीं ही थे। बालों के स्टाइल वही कालेज के फुकरों वाले – साइड से बिलकुल छोटे, ऊपर से लम्बे। महंगे ब्रांडेड कपड़ों और जूतों से लग ही रहा था की अमीर घरानों से हैं।
आ कर खड़े हो गए और हमें घूरने लगे। दीपक बाथ रूम में फ्रेश होने चला गया।
सब चुप थे। सरोज ही बोली, “तुम आये हो चुदाई करने” ?
कुछ देर चुप रहने के बाद तीनों ने हां में सर हिला दिए, बोले कुछ नहीं।
सरोज ही बोली, “लंड कैसे हैं दिखाओ”।
“लड़के परेशान। उनकी तो बोलती ही बंद हो गई”।
तब तक दीपक भी आ गया, “ये मोंटू है, ये सन्नी और ये बंटी है “। “नामों से हमे क्या लेना देना था, हमने तो एक दिन की चुदाई की मस्ती करनी थी”।
“दीपक ये तो शर्मा ही बहुत रहे हैं, चुदाई कैसे करेंगे ” ? रजनी बोली।
“नए हैं इस लिए शर्मा रहे हैं। मुझे तो हमेशा कहते थे भैया हमे भी चूत दिलवाओ हमे भी चुदाई करनी है “। तीनो एक दुसरे की तरफ देखने लगे, मगर हमसे नजरें चुरा रहे थे।
दीपक बोला, “हम लोगों को ही पहल करनी पड़ेगी”, कह कर दीपक ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और लंड हिलाते हिलाते हमें बोला, “आप लोग भी कुछ ऊपर नीचे आगे पीछे खोल कर चूत और गांड के गुलाबी छेदों के जलवे दिखाओ इनको, तभी खुलेंगे ये – तभी शर्म हटेगी इनकी और लंड खड़े होंगे “।
फिर से सरोज ने ही पहल की और नंगी हो गयी। “तीनों – मोंटू , बंटी और सन्नी के मुंह खुले रह गए”।
तीनों आखें फाड़ फाड़ कर सरोज के गदराय गठीले शरीर को देख रहे थे। तनी हुई चूचिया, मोटे चूतड़ सफाचट चूत। एक बाल नहीं चूत पर। “बस एक लाइन दिखाई दे रही थी जिसके अंदर स्वर्ग छिपा था”।
हमने भी कपडे उतार दिए। वो तीनों बुत की तरह खड़े थे।
दीपक बोला, “आगे आओ सालो भोसड़ी वालो, ऐसे ही मुंह खोल कर खड़े रहोगे कि चूत गांड में लंड भी डालोगे “I
एक एक कर के तीनों ने कपड़े उतार दिए और नंगे हो गए ।
हिचकिचाहट के मारे हमारी फुद्धियां देख कर भी उनके लंड ही खड़े नहीं हुए थे। हमने उनको अपने पास बुलाया और उनके लंड पकड़ लिए।
बस लंड पकड़ने भर कि देर थी कि उनके लंड खड़े होने शुरू हो गए। तीनो देखने में तो लड़के ही लगते थे मगर लंड उनके अच्छे खासे लौड़े बन चुके थे – मोटे ताजे और लम्बे। चुदाई का मजा आने वाला था।
जो जो लड़का जिसके सामने था, उसने उसीका लंड चूसना शुरू कर दिया। लंड सख्त हो गए। मेरे और रजनी वाले लड़कों के लंडों का सुपाड़ा सामने था, मगर सरोज वाले लड़के बंटी का सुपाड़ा चमड़ी से ढका हुआ था। सरोज ने चमड़ी पीछे करने कि कोशिश की मगर चमड़ी टाइट थी, सुपाड़े से पीछे नहीं गयी।
सरोज ने पूछा , “तूने अभी चुदाई नहीं की” ?
बंटी घबराहट में बोला, “की है दीदी”। सरोज जोर हंसी ,”अबे चुदाई करने आया है की राखी बंधवाने “?
बंटी एक दम सम्भला, “की है जी “।
सरोज बोली, “तेरे सुपाड़े की चमड़ी पीछे नहीं जाती तो चुदाई के वक़्त परेशानी नहीं होती ” ?
बंटी चुप्प रहा। सरोज ही बोली और बड़े ही ज्ञान की बातें बताई ,” देख मुन्ना, कई लड़कों में ये समस्या होती है। इस में कोइ बुराई नहीं, ये कोई बीमारी नहीं। मगर कई बार अगर जोश एकदम से लंड झटके के साथ चूत के अंदर डालने की कोशिश की और चूत अगर ज़्यादा चुदी ना हुई – और टाइट हुई – तो सुपाड़े के नीचे की नस जो सुपाड़े की चमड़ी के साथ जुडी होती है कट जाती है और खून निकलने लगता है। अगर कभी ऐसा हो जाये तो घबराना मत – बस नस को दबा देना, एकदम खून बंद हो जाएगा। फिर डाक्टर के पास चले जाना “।
बंटी हैरान परेशान सा दिख रहा था। उसका तो लंड ही बैठ गया था।
सरोज ने उसकी परेशानी दूर करने की कोशिश की ,”मुट्ठ मारता है ” ?
बंटी चुप्प – सरोज बोली,”तुझ से ही पूछ रही हूं, मुट्ठ मारता है “?
अब सब इस बातचीत को सुन रहे थे। बंटी ने कहा “मारता हूं जी”।
“तो मुट्ठ मारते वक़्त भी ये चमड़ी ऐसे ही रहती है, सुपाडे के ऊपर ” ?
“जी”, लड़का अब दूसरे लड़कों की तरफ देखने लगा।ये बात तो उनको भी पता ही थी। तीनो इक्क्ठे ही तो मुट्ठ ही मारते थे।
“देख अब से जब भी मुट्ठ मारने का मन हो तो बैठे लंड में ही चमड़ी पीछे कर लेना। जब लंड खड़ा हो जायेगा तो चमड़ी पीछे ही रह जाएगी। मुट्ठ मारने का मजा भी बहुत आएगा”।
सरोज बोली, “ये तो हो गयी आगे की बात, आज का तेरा इंतजाम मैं कर देती हूं “। सरोज ने दीपक की और देख कर कहा, ” दीपक वो जैल क्रीम देना, लगता है बंटी से चुदवाने के लिए गांड में तो क्रीम लगानी ही पड़ेगी चूत में भी लगानी पड़ेगी”।
चलो सामने आओ हमारे। हम तीनों ने उनकी लंड अपने अपने मुंह में ले लिए। सरोज ने बंटी का मैंने मोनू का और रजनी ने सन्नी का। हमने उनके लंड चूसने शुरू कर दिए। उनके चूतड़ हिलने शुरू हो। थोड़ा थोड़ा आगे पीछे होने लगे।
लंड पूरे खड़े हो चुके थे। लड़के हल्के थे मगर लंड अच्छे खासे मोटे और छः सात इंच लम्बे थे। सरोज के सामने वाले लड़के बंटी का लंड तो कुछ ज़्यादा ही लम्बा था।
दस मिनट की चुसाई हुई थी की सन्नी बोला, मेरा छूटने वाला है। बंटी बोला मेरा भी।
सरोज ने बंटी का लंड मुंह से निकाल कर कहा, “थोड़ा रोक के रख, इतनी जल्दी झड़ेगा क्या ? शादी बाद बीवी की चुदाई के वक़्त इतनी जल्दी झड़ गया तो तेरी बीवी तुझे छोड़ तेरे बाप के साथ चुदाई करेगी। बंटी हंस पड़ा। बाकी भी हंस पड़े “।
हंसी तो हमारे भी छूट रही थी पर लंड मुंह में थे।
“ये सरोज भी क्या चीज़ है”।
सरोज ने फिर कहा, “अभी तुमने हमारे मुंह में ही अपना सफ़ेद माल निकलना है। हमे भी पता तो चले की तुम हमारे चूत और गांड में अपनी रबड़ी डालने के लायक हो भी की नहीं “।
ये कह कर सरोज फिर बंटी का लंड चूसने लगी। लड़कों के मुंह से आवाज़ें आनी शुरू हो गयी आआह…..आआह….आआह…..आआह…..आआह….अऔ….अऔच…आ….आररर….घररर….घररर…घररररर ओओओ….अअअअअह…..अअअअअह….आह….आह और थोड़ी ही देर बाद एक लम्बी आआआआह के साथ ही तीनों एक के बाद एक झड़ गए।
कम से कम तीस चालीस सेकण्ड तक उनके लंड से मलाई निकलती रही।
हम लोगों के तो मुंह ही भर गए थे। हमने उनके चूतड़ कस के पकड़े हुए थे जिससे जब तक हम न वो चाहें लंड हमारे मुंह से ना निकल पाएं I
थोड़ी देर ऐसे ही खड़े रहने बाद उनके लंड बैठ गए।
उनके मुंह से निकलने के वक़्त गर्म लेसदार मलाई बाहर ना निकल जाए इस लिए हमने अपने होंठ भींच लिए और उनको पीछे कर के उनके लंड बाहर निकल दिए।
तीनो हमारे और देख रहे थे की हम उनकी रबड़ी मलाई का क्या करती हैं।
हम तीनो ने उनके लंड से निकला हल्का नमकीन गर्म पानी गले नीचे उतार दिया। “मजा ही आ गया – ये भी अजीब ही मजा था। लड़कियों को लंड की मलाई भी पीनी चाहिए – अगर रोज़ नहीं तो कभी कभी तो पीनी ही चाहिए “।
सरोज ने फिर उनको बुलाया और लंड चूसने लगी। हमने भी सरोज की तरह बाकी दोनों सन्नी और मोनू के लंड चूसने शुरू कर दिए।
जब हम चूस चूस कर मुहं में मलाई लेकर – पीकर फारिग हो गयी तो दीपक ने क्रीम सरोज के हाथ में दे दी। “ये लो सरोज तुमने मंगवाई थी “।
सरोज ने दीपक के हाथ से क्रीम ली साथ ही दीपक का लंड भी मुंह में ले लिया। खूब चूसने के बाद ही मुहं से दीपक का लंड निकाला।
क्रीम रख कर सरोज ने बंटी का लंड चूसना शुरू कर दिया और बोली, “टेंशन मत ले बंटी, बढ़िया चुदाई करेगा तू आज “।
इतना कहने भर से ही बंटी का लंड फिर से फनफनाने हो गया।
” बोली थी ना मैं की सरोज बहुत समझदार है “।
अब हम भी मोनू और सन्नी के लंड चूसने लगीं। तगड़े लम्बे मोटे लंड थे। अब चुदाई कैसी करते हैं ये देखने वाली बात थी।
सरोज ने बंटी का लंड पूरा खड़ा कर दिया था, “चल आ जा बंटी, कैसे चोदेगा, ऊपर लेट कर, पीछे से या नीचे लेटेगा और मैं बैठूं तेरे लंड के ऊपर और ऊपर से चुदाई करूं”। बंटी ने कोइ जवाब नहीं दिया।
सरोज ने बंटी को पकड़ा, बेड की तरफ ले गयी और किनारे पर घुटनों और कुहनियों के बल उकड़ू हो कर चूतड़ पीछे कर के बैठ गयी – सब से उत्तेजित करने वाली पोज़िशन होती है ये। इसी लिए सरोज ऐसे बैठी थी। “बंटी चूस मेरी फुद्दी को “।
बंटी ने चूत की फांकें खोली और सरोज की चूत के छेद को चाटने लगा। बीच बीच में वो चूतड़ों को खोल कर गांड का छेद भी चाट रहा था। ये सीन देख कर मोनू और सन्नी भी उत्तेजित हो गए और हमारा मन भी चूत और गांड चटवाने का करने लगा। हम भी सरोज के साथ वैसे ही उकड़ू हो कर बैठ गयीं। सन्नी और मोनू हमारी चूत और गांड चाटने लगे – बड़ी जोर जोर से चाट रहे I
“साले गांडू इतनी जोर जोर से चूत गांड चूस चाट रहे थे की डर लगा कहीं दांत ही ना मार दें चूत या चूतड़ों पर “।
मेरी चाटने वाला शायद सन्नी था, बहुत तेजी से चूत और गांड चूस रहा था। जोर जोर की सपड़ सपड़ की आवाज आरही थी। बिलकुल आपे से बाहर हो गया लगता था। शायद कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। वो खड़ा हुआ और मेरी चूत में लंड डाल कर जोर जोर से धक्के लगाने लगा – इतनी जोर जोर से की मैं हैरान हो रही थी। पांच ही मिनट में वो झड़ गया। लेकिन उसके लंड में से इतना अधिक वीर्य निकला की कम से कम आधे मिनट तक वो पानी ही छोड़ता रहा।
“अभी कुछ देर पहले इतनी ही गर्म नमकीन मलाई मेरे मुंह में छोड़ी थी” I
झड़ने के बाद सन्नी ने मेरी चूत में लंड निकाला और सोफे पर बैठ गया। सन्नी गया और दीपक आ गया और एक झटके के साथ मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया – अंदर तक।
“एक घोड़ी खाली हुई थी, घोड़ी का सवार अभी अभी नीचे उतरा था”।