शीला की जवानी-6

जवान शीला मस्त चुदाई करवाती थी – पूरा साथ देती थी। तीन घंटे की चुदाई के बाद शीला ऊपर चली गयी और मुझे नींद आ गयी।

शाम के छः बजे मोबाइल की घंटी बजी तो मेरी नींद खुली। ज्योति का फोन था,”जीते क्या हुआ, इतना थक गया? लगता है बराबर की टक्कर दी है लड़की ने। चल फ्रेश हो जा मैं शीला के हाथ से चाय भिजवा रहीं हूं।”

मैंने सोचा शीला गई नहीं अभी तक? कहीं रात को यहीं रुकने का प्रोग्राम तो नहीं? फिर सोचा खैर अगर ऐसा प्रोग्राम बन भी गया तो मैं क्या कर सकता था – और फिर चिंता भी किस बात की? मैंने सोचा- देखा जाएगा। मेरे पास मेरा वो ब्रह्मास्त्र तो था ही – मेरा दो सौ रुपये वाला कंडोम – बड़ी-बड़ी चुदाईयां करने वाला, चूतों के छक्के छुड़ाने वाला।

मैं बाथरूम में घुस गया। नहा कर कपड़े बदले और सामने का दरवाजा खोल कर ड्राईंग रूम में बैठ गया।

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