एक अजनबी हसीना से मुलाकात-2

पिछला भाग पढ़े:- एक अजनबी हसीना से मुलाकात-1

दोस्तों अपनी सेक्स कहानी का अगला पार्ट लेके आया हूं। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, कि मुझे शराब के ठेके पर एक महिला मिली, जिससे मेरी थोड़ी जान-पहचान हो गई। फिर हमने साथ में शराब पी, और उसके बाद मैं उसे उसके घर छोड़ने गया। वहां हमारा रोमांस शुरू हो गया, लेकिन तभी मुझे मेरी बीवी का कॉल आ गया। अब आगे बढ़ते है-

मैंने फ़ोन कट किया, और सोफे से उठ कर खड़ा हो गया।

मैंने स्मिता से कहा: मैं शादी-शुदा हूं। दो बच्चे भी है। ये सही नहीं है, मुझे जाना चाहिए।

वो बोली: अगर रुक सकते हो तो आज रात रुक जाओ। तुम चाहोगे तो हम कुछ नहीं करेंगे। मुझे तुम्हारे साथ बैठने से एक सुकून सा मिला। तुम रुकोगे तो मैं बस तुम्हारे पास बैठ के ही सुकून पा लूंगी। मैं तुमसे वादा करती हूं कि हमारी इस दोस्ती से तुम्हारे वैवाहिक जीवन में कभी किसी तरह की अड़चन नहीं आने दूंगी। देख लो अगर रुक सको तो। मैं फ़ोर्स नहीं करुंगी।

जब वो ये सब सोफे से बैठे हुए कह रही थी, तो मुझे अपने कॉलेज के दिनों के प्यार की याद आ गयी। जब वो लड़की मुझे छोड़ कर जा रही थी, तो मैं भी कुछ इसी तरह असहाय सा ऐसी ही बातें उससे कह रहा था। लेकिन वो नहीं रुकी और चली गयी।

मैंने अपना फ़ोन निकाला, और अपनी बीवी को बताया: मैं घर से दूर हूं। अगर एक-दो घंटे में फ्री हो गया तो घर आ जाऊंगा। वरना अपने दोस्त के घर पे रुकूंगा, और सुबह ही आऊंगा।

फोन काटने के बाद मैंने स्मिता को उठाया, और अपनी बाहों में लेके उसके माथे पे किस्स किया। वो मेरी आँखों में ऐसे देख रही थी जैसे थैंक्स कह रही हो। उसकी इस सादगी से कुछ पुराने पल जाग उठे। कुछ पुराने अरमान कोतुहल करने लगे। वो ज़ख्म जो अब से 15 साल पहले दिल टूटने से मुझे मिले थे, ऐसा लग रहा था मानों उन पर मरहम सा लग गया हो। वो टीस, वो पीड़ा मानो ख़त्म सी हो गयी हो। इस एहसास को मैं कितना भी शब्दों में लिखने की कोशिश करूं, पर शायद लिख ही नहीं पाऊंगा कभी।

मेरे अंदर ये जो कुछ चल रहा था। इस पूरे वक़्त स्मिता मुझ से लिपट कर मेरी आँखों में ही देख रही थी। उसकी आँखें नम हो चलीं थी, और मुझे उस पर प्यार आ रहा था। पीछे दीवार पर लटकी घड़ी में मैंने टाइम देखा तो रात के दस बज चुके थे। नशा भी थोड़ा कम हो गया था। सीन थोड़ा ज़्यादा इमोशनल हो गया था।

मैंने हल्का होने के लिए स्मिता के होंठ के पास होंठ ले जाकर धीरे से कहा: खाना नहीं खिलाओगी मैडम?

उसके चेहरे पे एक मुस्कान आई। उसने मेरे गाल पे किस्स कर के अलग हटते हुए कहा: बताओ क्या खाओगे? अपने हाथों से खिलाऊंगी।

मैंने याद दिलाया कि खाना हमने आर्डर किया हुआ था। वो फिर हंस दी और अपने कमरे में चली गयी। मैंने फ़ोन निकाला खाने वाले को कॉल करने के लिए। कॉल से पहले ही दरवाज़े की घंटी बज गयी।
मैंने दरवाज़ा खोला तो खाना आ चुका था। मैंने खाना लिया, दरवाज़ा ठीक से बंद किया, और सोफे पर बैठ के टी.वी. चला लिया। स्मिता अपने रूम से आयी तो चेंज करके आयी। वो एक स्लीवलेस मैक्सी पहने हुए थी जिसका गला थोड़ा बड़ा था। उसकी चूचियां गले से बाहर निकलने के लिए तैयार थी। मैं उसकी तरफ देख रहा था।

तभी उसने कहा: ये सही रहेगी मैक्सी? या कुछ और पहन कर आऊं तुम्हारी पसंद का?

मेरे मुंह से निकल गया: कुछ भी पहन लो, थोड़ी देर में उतारनी ही तो है।

वो अच्छा कह कर मेरे पास आके सोफे पर बैठ गयी। खाना मैंने सिर्फ स्मिता के लिए मंगाया था। मुझे नहीं लगा था कि हम साथ में खाना खाएंगे। स्मिता ने खाना खोल कर एक ही प्लेट में लगाया।

मैंने उस से पूछा: मेरी प्लेट?

उसने कहा: तुम्हारी ही है।

मैंने कहा: तुम नहीं खाओगी?

वो बोली: एक में से ही खा लेंगे।

मैंने कहा: यार मुझे भूख लगी है, खाना और मंगवा लेते हैं।

उसने कहा: तुम ये खाओ। मैं कुछ और बना दूंगी। अब डिस्टर्बेंस नहीं चाहिए।

मैंने खाना शुरू किया। स्मिता भी खा रही थी, और बार-बार मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी। थोड़ी देर में स्मिता ने चावल का कंटेनर उठाया प्लेट में और डालने के लिए।

मैंने कहा: मेरा हो गया। तुम अपने हिसाब से ही डालना।

स्मिता मेरी तरफ देखे जा रही थी।

मैंने इशारे से पूछा: क्या?

वो बोली: मेरा पेट ऐसे नहीं भरेगा। मुझे तुम्हारे मुंह में से खाना है।

कहते हुए उसने चम्मच मेरी तरफ बढ़ाई। अब स्मिता ने एक पैर मेरे पैरों के बीच में करके, मेरे बाल सर के पीछे से पकड़ के सर थोड़ा पीछे किया। उसके होंठ मेरे होंठों के पास आए, और उसने जीभ से मेरे होंठो को चाटा। फिर मेरे मुंह में जीभ घुसा कर उसने चावल खाए।

जब तक चावल का एक-एक दाना मेरे मुंह से उसने नहीं खाया, तब तक वो मेरे होंठ और जीभ चूसती ही रही। इसी तरह से करीब तीन-चार बार उसने चावल खाये।

और फिर बोली: खाना तो हो गया, स्वीट डिश नहीं खिलाओगे?

मैं सिर्फ मुस्कुराया। वो फिर पास आयी, और मेरे गालों से चूमते हुए मेरी गर्दन पर चूमने लगी। चूम क्या रही थी, चाट रही थी। उसके चाटने से मेरी उत्तेजना असीम आनंद की और अग्रसर हो रही थी। वो सरकती हुई मेरी कमीज खोलती हुई, चाटते हुए नीचे की तरफ जा रही थी। वो ऊपर मेरे पेट, छाती, सब जगह चूम रही थी, चाट रही थी, काट रही थी, और नीचे से एक हाथ से मेरे लंड को प्यार से सहला रही थी।

एक अरसे के बाद मुझे इस तरह के सेक्स का आनंद प्राप्त हो रहा था। शादी के बाद कुछ समय तो मैंने और मेरी बीवी ने दबा के हर तरह से सेक्स किया था। लेकिन जैसे बच्चे हुए, तो सेक्स कम हो गया, और मेरी बीवी की रूचि भी कम हो गयी।
मेरी बीवी को शुरू से ही लंड चाटने में मज़ा कम ही आता था। बड़े बेमन से चूसती थी। चूस-चूस कर स्पर्म तो कभी निकाला ही नहीं। बच्चे होने के बाद एक तो जल्दी-जल्दी करो, तो बस 5 से 10 मिनट का फोरप्ले और फिर धक्कम पेल। गांड तो मेरी बीवी ने कभी मरवाई ही नहीं। बहुत दिनों के बाद आज इस फोरप्ले से मैं सम्पूर्ण उत्तेजना महसूस कर रहा था। मुझे लग रहा था मैं ऐसे ही नहीं झड़ जाऊं।

मैं एन्जॉय कर रहा था, और स्मिता अब मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को काट रही थी, और चूस रही थी। उसने मेरी पैंट खोलनी चाही, तो मैंने कहा-

मैं: सब यहीं पर करेंगी, या बैडरूम में चलेंगे?

उसने कहा: अभी यहीं करने दो। जब चूत मारने का नंबर आएगा, तब देखेंगे सोफे पे ही करना है या बेड पे। अभी बस एन्जॉय करो और मुझे भी करने दो।

स्मिता ने अब मेरी पैंट खोल दी, और एक हाथ मेरे अंडरवियर में घुसा के पकड़ के लंड सहलाने लगी। अंडरवियर के ऊपर से उसका मुंह अपना कमाल दिखा रहा था। वो चाट रही थी, और काट रही थी। मैंने मज़े लेते हुए एक हाथ से स्मिता की मैक्सी ऊपर खींचनी चाही, पर उसने मेरा हाथ हटा दिया और बोली-

स्मिता: चुप रहो, कुछ मत करो। बस एन्जॉय करो ।

अब स्मिता ने मेरी पैंट खींच के निकाल दी, और मेरे पैरों के बीच में बैठ कर मेरी जांघों पर चूमना और चूसना शुरू कर दिया। उसका एक हाथ नीचे से मेरे अंडरवियर के अंदर घुस कर मेरे लंड को सहला रहा था, और वो अपनी जीभ और होठों से मेरी जांघें चाट रही थी।

धीरे-धीरे वो ऊपर आने लगी और इस बार उसने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया। पहले उसने मेरे लंड पर बहुत सारी किस्स करी। ‌फिर टट्टों के पास से पीछे की तरफ से चाटना और काटना शुरू किया। मुझे हर पल ऐसे लग रहा था कि मेरा अब झड़ा अब झड़ा।

मेरी हालत देख कर उसे मज़ा आ रहा था, और वो चूसे जा रही थी। बीच में मेरी तरफ देखती, मुस्कुराती, और फिर चूसने लगती। अब उसने मेरे लंड का टोपे पर अपनी जीभ फिराई, और फिर इस तरह चूसा कि आनंद आ गया।

स्मिता ने मेरा लंड अब मुंह में ले लिया था। लेकिन पूरा लंड उसके मुंह में जाना मुमकिन नहीं था। जितना हो सकता था उतना वो अंदर ले रही थी। करीब 6-7 इंच उसके मुंह में चला जाता था। अब वो चूस रही थी, और हाथ से आगे-पीछे कर रही रही थी। करीब 15 मिनट की चुसाई से मेरे लंड की नसें खड़ी होने लगी।

मैंने उसकी तरफ देखा। उसने मुझे सोफे पर खड़े होने को कहा। मैं सोफे पर ऊपर था, और स्मिता नीचे खड़ी होकर मेरा लंड चूस रही थी। अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था, तो मैंने धीरे-धीरे उसके मुंह में लंड आगे-पीछे करना शुरू कर दिया।

स्मिता ने दो उंगलियां मेरे लंड की जड़ में ऐसे रखी, जैसे कोई रबड़ जा छल्ला हो। अब मैं तेज़ी से मुख चोदन करने लगा। उसके बाल पकड़ कर मैं उसका मुंह चोद रहा था। और वो एक हाथ से लंड पर छल्ला बना कर, और दूसरे हाथ से मेरी जांघ सहला कर मुझे उत्तेजित कर रही थी।

फिर वो पल आया कि सब बांध टूट गए। मेरा लंड पिचकारी मारते हुए स्पर्म स्मिता के मूंह में भर रहा था। उसने और टाइट पकड़ के खुद भी मुंह आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। जब तक मेरी आखरी बूंद नहीं झड़ गयी, तब तक वो हिलाती रही चूसती रही।

अब हम दोनों, सोफे पे लेट गए। इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। कहानी की फीडबैक जरूर दें।