अंकिता और मेरी कामवासना-1

यह कहानी एक सत्य कहानी है, जो एक प्यार भरी कहानी है। यह कहानी महिलाओं को एक नए रोमांच से भर देगी, वहीं पढ़ने वाले पुरुषों के लिंग में तनाव ला देगी।

अंकिता-

अंकिता मेरी परिचित थी, बहुत समय से वो मेरे पास सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए पढ़ने आती थी। उसकी उम्र 23 साल थी। उसका बॉडी शेप एक-दम परफैक्ट था। उसके बूब्स माध्यम आकर के गोल आकर के थे। कमर पर मांस भरा था, और पीछे का हिस्सा अनुपात के हिसाब से बाहर निकला हुआ था।

शक्ल से अंकिता कुछ खास नहीं थी, उसके चेहरे पर, खुरदुरापन था और शरीर का रंग सांवलेपन से हल्का सा ज्यादा था। कुल मिला कर शक्ल सूरत से अंकिता में ऐसा कोई विशेष आकर्षण नहीं था, कि पहली नज़र में देखने पर कोई उसे दोबारा पलट कर देखें, सिवाय उसके जिसने अंकिता के शरीर की बनावट और कसावट पर ध्यान लगाया हो। वो एक बदसूरत शक्ल की लड़की मेरी नज़रों में वो कोई कामुकता देवी से कम नहीं थी।

मैं, मनीष 27 साल का था। मेरे शरीर का आकर माध्यम था। शक्ल से भी अच्छा दिखने वाला और रंग में भी गोरा। मैं सरकारी नौकरी की तैयारी करवाता था। मेरा चयन बहुत जगह हो चुका था, और मैं सरकारी नौकरी में था। तो कुछ दोस्त, आसपास के परिचित मेरे पास अक्सर पढ़ने आ जाया करते थे। अंकिता भी उनमें से एक ही थी।

अंकिता मेरे पास बहुत समय देती थी। उसके घर पर भी मेरे लिए अटूट विश्वास था, तो आने-जाने और देर तक रुकने में उसके परिवार को कोई आपत्ति ना थी। उनका भी मानना था कि अगर अंकिता का चयन हो जाए, तो उसके रंग-रूप शक्ल-सूरत को कोई भी दरकिनार कर देगा, और उसे एक अच्छा जीवनसाथी मिल जाएगा।

अंकिता साल दो साल से मेरे पास आने लगी थी, तो हम एक-दूसरे के बारे में काफी कुछ जानते थे। जैसे अंकिता का लंबे समय से कोई आशिक नहीं था। ना ही कोई उसे लाइन मारता, ना किसी ने उसे प्रपोज किया था। उसके जीवन में केवल एक ही लड़का आया था, जिसने कुछ महीनों तक उसका उपयोग किया, और जब मन भर गया तो उसे छोड़ दिया। जबकि अंकिता उसके प्यार में पागल हो रही थी। वो भी चाहती थी कि कोई उसका आशिक हो जिसके साथ वो फिल्म जाए, डिनर जाए, घूमे-फिरे मौज करे, पर उसकी शक्ल-सूरत रंग-रूप!

मैंने बहुत बार अंकिता को ये समझाया कि ये सब डकोचले ही होते है, पहले अपनी तैयारियां कर, कहीं अच्छी जगह चयनित हो जा, तो सब कुछ मिल जाएगा, जो-जो वो चाहती थी।

अन्दर से तो मैं भी कुछ और ही था। मुझे बहुत शौक था पोर्न देखने का और अलग-अलग साइट्स पर लड़के-लड़कियों से चैट करने का, गंदी से गंदी बातें करने का। ऐसे ही एक दिन कुछ वीडियो देखते हुए (जिसमें काला आदमी और सफेद लड़की सेक्स कर रहे थे), मैंने कुछ वीडियो खोजे ( जिसमें बदसूरत लड़की और गोरा आदमी था), और वो वीडियो देख कर जाने क्यों अंकिता की शक्ल मेरे सामने आ गई, और मेरा उसके लिए आकर्षण बढ़ गया।

धीरे-धीरे मुझे इस ही तरह की पोर्न देखने का शौक छाने लगा, जिसमें अब मैं अंकिता की ही कल्पना करने लगा और अंकिता मुझे अच्छी लगने लगी। एक दिन पढ़ते-पढ़ाते कुछ सात बज गए, तो मैंने अंकिता से साथ में डिनर करने चलने को कहा। थोड़े से ना-नुकुर के बाद वो मान गई।

उस दिन मैं उसे एक बहुत ही अच्छे रेस्टोरेंट में ले गया, जहां केवल कपल ही आते थे। अगले पूरे महीने ही, तकरीबन शुरू में दो-तीन दिन छोड़ कर, फिर रोज ही मैं अंकिता को बाहर ले जाने लगा। इस तरह से अंकिता के दिल में मेरे लिए कुछ भावनाएं आने लगी थी। अक्सर अब वो शॉपिंग से लेकर बाहर के काम भी मेरे ही साथ करने लगी।

उसके चेहरे की उदासी मिट गई और इस खुशनुमा माहौल का नतीजा ये हुआ कि अंकिता का चयन भी एक बैंक में हो गया। यही खुशखबरी की मिठाई लेकर अंकिता मेरे घर आई और उस दिन मेरे घर कोई नहीं था। अंकिता मेरे सामने सोफे पर बैठी थी। थोड़ी सी इधर-उधर की बातों के बाद अंकिता उठ कर आई और मेरे पांव पड़ कर बोली-

अंकिता: आपकी ही मेहनत का नतीजा है, जो मेरा चयन इतने अच्छे बैंक में हुआ है।

मैंने अंकिता को अपने पांव पड़ने से रोकते हुए उसके कंधे पकड़ पर उठाया, और उसके चयन का श्रेय उसे ही देते हुए कहा-

मैं: अब तो तुम मुझे भूल ही जाओगी। नए शहर, नई जगह, नई नौकरी, इन सब में खो ही जाओगी।

अंकिता की आंखों में आंसू आ गए। अचानक वो मुझसे गले लिपट गई और बोली: मैं आपको कभी नहीं भूल सकती। मुझे माफ करना पर मैं आपसे प्यार करने लगी हूं। मैं आपको बहुत पसंद करती हूं। (मैं भी यही चाहता था कि अंकिता खुद मुझे प्रपोज करें, मेरा दांव सही बैठा। )

मैंने भी अंकिता को अपनी बाहों में लिया और उससे कहा: अंकिता मैं तो खुद तुम्हारे प्यार में डूब चुका हूं। अच्छा हुआ तुमने खुद ये बात कह दी, वरना मुझमें तो इतनी हिम्मत भी नहीं थी।

अंकिता और मैं बेहद प्यार से एक-दूसरे की बाहों में लिपटे थे। मैंने अंकिता के सर पर हाथ फेरा और उसकी आंखों में आंखे डाल कर एक बार फिर उससे कहा-

मैं: आई  लव यू अंकिता, आई लव यू सो मच!

अंकिता ने भी कामुकता भरी मुस्कान के साथ मुझे आई  लव यू टू कहा।

वो बोली: मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं।

अब मैंने अपने होठों को अंकिता के होठों की तरफ बढ़ाया, और उसके होठों को चूसते हुए उसे प्यार करने लगा। अंकिता भी मेरे होठों को अपने होठों में लेकर चूस रही थी। धीरे-धीरे हम दोनों एक-दूसरे के होठ चूम रहे थे, चूस रहे थे। मैंने अपनी जेब से एक मेलोडी निकाली, और उसे अंकिता के मुंह में डाल दिया। कुछ पल अंकिता उस टॉफी का स्वाद लेने लगी। हम तब भी एक-दूसरे को चूम रहे थे। मैंने अपने होठों को दूर करते हुए अंकिता से कहा-

मैं: अकेले-अकेले ही मुंह मीठा करोगी, मुझे नहीं दोगी टॉफी?

मेरी बात सुन कर अंकिता रोमांस से भर उठी। उसने मेरे होठों पर अपने होठ रखे, और चूमते हुए अपने मुंह से मेरे मुंह ने टॉफी डाल दी। अब हम टॉफी को एक-दूसरे के मुंह ने डालते हुए एक-दूसरे को चूमने लगे, चाटने लगे। मैंने फिर से दूसरी टॉफी निकाली, और फिर से वहीं सिलसिला शुरू हुआ। कभी टॉफी मेरे तो कभी अंकिता के मुंह में।

करीब आठ बज चुके थे, और हमें एक-दूसरे की बाहों में, होठों से होठ चिपकाए आधे घंटे से ज्यादा हो चुका था। हम दोनों एक-दूसरे को किस करने में इतने लीन थे, कि अंकिता का फोन बजने लगा। यह कॉल उसके घर से आया था।

इसके आगे इस सेक्स कहानी में क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक की कहानी की फीडबैक आप हमें [email protected] या [email protected] पर मेल कर सकते हैं।

अगला भाग पढ़े:- अंकिता और मेरी कामवासना-2

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