पिछला भाग पढ़े:- पड़ोसी भाभी संग पहली चुदाई-3
फ्रेंड्स, मैं विक्रम सिंह एक बार पुनः अपनी भाभी की चुदाई कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूं।
भाभी की मम्मी मुझे घर छोड़ने के लिए अपने साथ गांव ले गई। घर जाते ही आंटी की बहु आरती ने हमें नाश्ता दिया, और अपने खेतों पर चली गयी। आंटी और मैंने थोड़ा आराम करके चुदाई करी।
सुदा आंटी: विक्रम मेरी बहु के पीरियड कल ख़तम हो जायेंगे। तब तक तुम उसको पाटने की कोशिश करना।
मैं: आंटी कुछ गड़बड़ ना हो जाये।
आंटी: कुछ नहीं होगा में। मेरा बेटा नाईट ड्यूटी करता है। वो दिन में सोयेगा। और घर में तुम और आरती रहोगे। आराम से उससे बातें करना। वैसे भी जवान लड़का और लड़की अकेले बात करते रहे हों, तो सेटिंग आराम से हो जाती है।
कुछ दिन मैं आरती भाभी से बात करता रोज। फिर हम लोग काफी खुल गए थे, और मैं उनसे डबल मीनिंग में भी बात करता।
मैं: आरती भाभी आपसे एक बात पूछूं? अभी तक अपने बच्चा क्यों नहीं करा?
भाभी रोने लगी।
मैं: भाभी चुप हो जाईये, वरना आपके पति उठ जायेंगे। अगर आप चुप नहीं होंगी, तो मैं कल की बस पकड़ कर चला जाऊंगा।
आरती: नहीं विक्रम, तुम जब से आये हो मुझे अच्छा लगता है। क्योंकि मेरे पति दिन में सोते है और रात में ड्यूटी करते है। जिसकी वजह से वो मुझे टाइम नहीं दे पाते। कभी भी मेरे दिल की बात नहीं पूछी उन्होंने। लेकिन तुमने मेरे दिल में अपनी जगह बना ली है। जो भी लड़की तुमसे शादी करेगी, वो बहुत किस्मत वाली होगी, और मेरे बच्चा पता नहीं होगा या नहीं।
मैं (आरती का हाथ पकड़ कर): क्या मैं तुम्हारे बच्चे का बाप बन सकता हूं?
आरती: विक्रम ये गलत है। अगर मेरी सास को पता चल गया तो मेरा इस घर में रहना मुश्किल हो जायेगा।
मैं: आरती भाभी आप इतना बताईए, क्या मैं आपको पसंद हूं? और आप बच्चे के लिए मान जाईए। मुझे अच्छा नहीं लगता कोई आपको कुछ भी बोले बच्चे के लिए। मैं वादा करता हूं उसके बाद मैं कभी आपसे सेक्स नहीं करूंगा।
आरती भाभी: मुझे बच्चा चाहिये। लेकिन ये सब गलत नहीं होगा?
मैं: आप आरती भाभी ये बताईए आपके पीरियड कब ख़तम हुए?
आरती भाभी: 1 हफ्ता हुआ है।
मैं: ये तो बहुत अच्छा समय है। आप ऐसा करना कि आज रात जब आपके पति काम पर जाये, तो आप मेरे लिए एक दुल्हन की तरह तैयार रहना। आज हमारी सुहागरात है। आज मेरी पत्नी आप और मैं आपका पति।
आरती भाभी: लेकिन मेरी सास तो होगी घर पर।
मैं: मैं सब संभाल लूंगा। आप बस अपने रूम में तैयार हो जाना।
रात में सुधा आंटी ने पूछा: विक्रम बेटा कोई बात बनी क्या?
मैं: आंटी आज रात बन जायेगी शायद। आप बस उठना मत अगर कोई चीख आये तो। आज रात से आरती भाभी की सेवा मैं करूंगा।
हम सब ने खाना खाया, और आरती भाभी अपने पति के जाने के बाद नहाने चली गयी। सुधा आंटी बाहर वाले रूम में सो रही थी। मैं चुप-चाप भाभी के कमरे में घुस गया। मैंने देखा भाभी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी, और अपने बिस्तर पर बैठी हुई थी घूंघट करके।
मैं उसके पास गया। मैंने देखा उन्होंने पैरों में रंग लगा रखा था, और अपने पूरे गहने पहने हुए थे। मुझे ऐसा लग रह था, जैसे कि सच में मेरी सुहागरात थी। बिलकुल दोस्तों एक दुल्हन बनी हुई बैठी थी।
मैं (आरती भाभी का घूंघट उठाया): भाभी आपकी आँखों का काजल और आपकी ये लिपस्टिक मुझे पागल कर रही है। आपकी ये साड़ी बहुत प्यारी है।
मैंने भाभी के माथे पर और गालों पर चूमना शुरू कर दिया, और धीरे-धीरे उनके होंठों की लिपस्टिक सारी चाट गया। फिर उनकी साड़ी उतार दी। अब वो मेरे साथ बिस्तर पर थी। उनका पेटीकोट ऊपर उठा हुआ था। उनके लाल पेटीकोट में काली पैंटी दिख रही थी। फिर मैंने उनका ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया, और अपना पजामा और टीशर्ट भी। अब आरती भाभी और मैं दोनों ही नंगे थे। मैंने भाभी की काली ब्रा-पैंटी भी उतार दी, और उनके बूब्स चूसने लगा, और उनकी चूत में उंगली करने लगा।
मैं: आरती भाभी आपके बूब्स और चूत इतनी टाइट कैसे है? आप तो शादी-शुदा हो। फिर भी लड़की की तरह है आपके अंग।
आरती भाभी: विक्रम क्योंकि मेरे पति ने मुझे वो सुख नहीं दिया जो हर औरत चाहती है। वो हमेशा मुझे आधे में छोड़ देते है, और 2 महीने में 1 या 2 बार सेक्स करते है।
मैं भाभी के बूब्स को धीरे-धीरे मसल रह था, और उनकी चूत में उंगली कर रहा था, जिससे भाभी की चूत गीली हो गयी थी। फिर भाभी ने मेरा लंड हाथ में लिया, और बोली-
भाभी: विक्रम में में मर जाउंगी। तुम्हारा तो बहुत मोटा है। ये तो मेरी चूत फाड़ देगा।
मैंने भाभी के मुंह पर अपना लंड रख दिया, और भाभी अपनी जीभ से मेरे लंड के सुपाड़े को चाटने लगी। मैं भी भाभी की चूत को अपनी जीभ से चाट रह था, और उनका नमकीन पानी पी रहा था।
आरती भाभी: विक्रम अब बर्दाश्त नहीं हो रहा। मेरी चूत में अपना मोटा लंड डाल दो।
मैंने फिर अपना लंड उनकी चूत पर रखा। वो अंदर नहीं जा रहा था।
भाभी ने मुझे पीछे धक्का दे दिया और कहा: विक्रम बहुत दर्द हो रहा है, थोड़ा तेल लगा लो।
मैंने थोड़ा सरसों का तेल लगाया। फिर लंड उनकी चूत पर रखा, और उनकी पैंटी उनके मुंह में डाल दी। मुझे पता था उनसे बरदाश्त नहीं होगा, और मैं धीरे-धीरे अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा। इससे 15 मिनट बाद आराम से लंड जाने लगा, जिसका मजा भाभी ले रही थी।
भाभी: विक्रम धीरे-धीरे करना, वरना मैं मर जाउंगी। आपका लंड मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा है।
मैंने: अगर आप बोलो तो रहने दूं?
आरती भाभी: विक्रम नहीं, तुम चुदाई करते रहे। बहुत अच्छा लगा रहा है, और दर्द भी बहुत हो रहा है। ऐसा दर्द आज तक पति नहीं दे पाया।
आरती भाभी की चुदाई करते हुए हमारी जांघें आपस में चप-चप कर रही थी।
भाभी: विक्रम थोड़ा धीरे करो, वरना मेरी सास उठ जायगी, और विक्रम मैं आने वाली हूं।
मैंने और तेज चुदाई शुर कर दी, जिससे भाभी ने मुझे गीला कर दिया। मैंने भी भाभी की चूत में अपने शुक्राणु भर दिए। कुछ देर बाद हमने फिर चुदाई करी। फिर मैं रात के 3 बजे उनके रूम से बाहर आ गया।
सुबह सुधा आंटी और मैं चाय पीने बैठे थे। आरती भाभी चाय लेकर आयी, और उनकी चाल बदली हुई थी।
आंटी: आरती क्या हुआ, ऐसे क्यों चल रही हो?
आरती भाभी: कुछ नहीं मम्मी, थोड़ी पैर में मोच आ गयी है।
उनके जाने के बाद आंटी बोली: विक्रम तुमने तो एक ही रात में आरती की चाल बदल दी। 10 या 15 दिनों में क्या होगा इसका?
आगे की चुदाई कहानी अगले पार्ट में।
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