आत्माराम की बीवी और बेटी बनी रंडियां-1

नमस्कार दोस्तों, आज मैं आपके सामने लेके आया हूं, “तारक मेहता का उल्टा चश्मा” के किरदारों पर आधारित एक हिंदी सेक्स कहानी। आशा करता हूं कि कहानी पढ़ कर आप सब को मजा आएगा। तो चलिए शुरू करते है अपनी हॉट कहानी।

आत्माराम भिड़े को तो आप सब जानते ही होंगे। और उसकी बीवी माधवी और सोनू भिड़े को ना जानते हो, ये तो नामुमकिन है। आत्माराम के घर की दोनों औरतें एक-दम सेक्सी जिस्म की मालकिन है। गोकुलधाम में ऐसा कोई भी मर्द नहीं है, जिसने इन दोनों के बारे में सोच कर कभी मुठ ना मारी हो। और शादी-शुदा मर्द तो अपनी बीवियों को चोदते हुए इनके बारे में सोचते है।

भिड़े एक नया काम शुरू करने जा रहा था, जिसके लिए उसने बैंक से बहुत बड़ा कर्जा ले लिया था। ये कर्जा उसने अपने घर के काग़ज़ गिरवी करके लिया था। लेकिन उसको कहां पता था कि ये कर्जा उसके लिए मुसीबतों का पहाड़ बन जाएगा। कर्जा तो उसने ले लिया, लेकिन उसका बिजनेस नहीं चला। ऊपर से दुकान जो उसने खोली थी, वहां चोरी हो गई।

अब बैंक को लोन की किश्त चुकाने तक के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। बैंक वालो ने काफी इंतेज़ार किया, लेकिन नियमों के मुताबिक आखिरकार उसके घर पर कब्जा कर लिया। अब भिड़े और उसके घर की दोनों औरतें सड़क पर आ गए। अब उनके पास सिर छुपाने के लिए छत तक नहीं थी।तभी दया को इस बात का पता चला, तो वो जेठालाल को लेके उन लोगों के पास गई और बोली-

दया: भिड़े भाई, माधवी भाभी, आप लोग हमारे घर चलिए। हम लोग एक परिवार है। जब तक आपका रहने का कोई इंतेज़ाम नहीं हो जाता, तब तक आप हमारे घर में रहिए।

जेठालाल भिड़े को पसंद नहीं करता था, तो वो उसको अपने घर में नहीं रहने देना चाहता था। लेकिन जब उसकी नज़र माधवी और सोनू के सेक्सी जिस्मों पर पड़ी, तो उसने कोई आना-कानी नहीं की। अब भिड़े परिवार के तानों सदस्य अपना सामान ले कर जेठालाल के घर में आ गए। दया ने उनको दो कमरे दिए, जिसमें एक में भिड़े और उसकी बीवी रहने वाले थे, और दूसरे में सोनू।

फिर ऐसे ही 2-3 बीत गए। भिड़े रोज बाहर जा कर अपने लिए नौकरी की तलाश करता, लेकिन उसको नौकरी नहीं मिल रही थी। उधर फ्री की रोटियां तोड़ रही माधवी को लगा कि और कुछ नहीं तो कम से कम वो जेठालाल के घर का काम तो कर ही सकती थी। यहीं सोच कर वो दया के पास गई और बोली-

माधवी: भाभी मैं सारा दिन बेकार बैठी रहती हूं। आप मुझे घर के काम दे दिया करो, मैं वो कर दिया करूंगी। इसके बदले में जो पैसे कामवाली को आप देते हो, वहीं मुझे दे देना।

दया: अरे पागल है तू। तुझे मैं अपने घर की कामवाली रखूंगी?

माधवी: भाभी अभी वक्त बुरा है। अभी हमें पैसे की जरूरत है। तो इसके लिए मैं कुछ भी काम करने को तैयार हूं। फ्री में लेना ऐसे अच्छा नहीं लगता।

दया: चल मुझे तेरे आत्मसम्मान को ठेस नहीं पहुँचानी, तो हम ऐसे ही कर लेते है जैसा तू बोल रही है।

तभी से माधवी जेठालाल के घर की नौकरानी बन गई। हालांकि दया उसको नौकरानी नहीं समझती थी, लेकिन थी वो अब उसकी नौकरानी ही। अब माधवी उनके घर के सारे काम करने लग गई जो एक नौकरानी करती है। उधर भिड़े को भी नौकरी लग गई, तो वो भी काम पर जाने लगा।

फिर एक दिन कुछ अलग हुआ। रविवार का दिन था, और जेठालाल सोफा पर बैठ कर चाय पी रहा था, और अखबार पढ़ रहा था। तभी माधवी कमरे में पोछा लगाने आई। माधवी ने पजामी-सूट पहना हुआ था, और दुपट्टा इसलिए नहीं लिया था क्योंकि वो साफ-सफाई का काम कर रही थी।

फिर माधवी फर्श पर बैठ गई, और पोछा लगाने लगी। तभी जेठालाल की नज़र माधवी पर पड़ी, जिसके चूचे नीचे बैठने की वजह से उसके शर्ट के गले से बाहर आने की कोशिश कर रहे थे। बड़ा ही कामुक दृश्य था। उसकी क्लीवेज बहुत बड़ी और गहरी बन रही थी। ये दृश्य देख कर जेठा के मुंह में पानी आ गया। उसका दिल किया कि अभी माधवी को पकड़ कर चोद डाले।

इसी इरादे से जेठालाल खड़ा हुआ, और माधवी के पास जाके खड़ा हो गया। उसको पास आके खड़ा हुआ देख नीचे फर्श पर बैठी माधवी ने सिर ऊपर उठाया, और बोली-

माधवी: क्या हुआ जेठालाल भाई, आप ऐसे क्यों खड़े हो गए यहां?

तभी जेठालाल भी नीचे बैठा, और बोला: माधवी भाभी आप से कुछ बात करनी थी।

माधवी: हां बोलिए जेठालाल भाई, कुछ गलती हो गई क्या मुझसे?

जेठालाल: नहीं, कोई गलती नहीं हुई। मैं तो बस कह रहा था कि अगर तुम मेरे साथ कुछ अच्छे पल गुजारने के लिए मान जाओ, तो कैसा रहेगा?

माधवी को जेठालाल की बात समझ में नहीं आई, और वो बोली: जेठा भाई, आप क्या कह रहे हो, मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा। साफ-साफ कहिए ना?

तभी जेठालाल ने अपना हाथ उठाया, और माधवी के चूचे पर हाथ रख कर बोला-

जेठालाल: भाभी मैं आपको चोदना चाहता हूं। अगर आप तैयार है तो…

ये सुन कर माधवी हैरान हो गई, और खड़ी हो गई। उसको खड़े होते देख, जेठालाल भी उसके साथ ही खड़ा हो गया। तभी माधवी गुस्से से बोली-

माधवी: देखिए जेठा भाई, मैं कोई ऐसी-वैसी औरत नहीं हूं। मैं एक अच्छे और संस्कारी परिवार से हूं। अगर मैं और मेरा परिवार आपके घर में ना रह रहे होते, तो मैं अभी आपको दिन में तारे दिखा देती।

ये बोल कर माधवी वहां से जाने लगती है। तभी जेठालाल माधवी का हाथ पकड़ कर उसको खींचता है, और अपनी बाहों में भर कर कहता है-

जेठालाल: मान जाओ ना माधवी भाभी। मजा आयेगा तुमको भी और मुझे भी। और वैसे ये जो तुम तारे दिखाने की बात कर रही हो, वो पहले करती तो मैं मान भी लेता। लेकिन अब तुम्हारा सच ये है कि तुम मेरे घर की नौकरानी हो।

ये कह कर जेठा उसके होंठों पर अपने होंठ चिपका कर उसके होंठ चूसने लगता है। तभी माधवी उसको धक्का देके दूर करती है, और वहां से जाने लगती है।

इसके आगे इस कामवाली सेक्स कहानी में क्या होता है, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। अपने विचार कमेंट करके जरूर साँझे करें।

अगला भाग पढ़े:- आत्माराम की बीवी और बेटी बनी रंडियां-2