पिछला भाग पढ़े:- चित्रा और मैं-10
सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मम्मी पापा की बात सुन कर मुझे पता चला कि चित्रा वापस आने वाली थी। फिर मम्मी ने मुझसे इस बारे में बात की। उन्होंने ये भी बताया कि पड़ोसन आंटी जाने वाली थी। अब आगे-
ये कह कर मम्मी दोपहर के खाने का इंतेज़ाम करने चौके की ओर चली गयी। कुछ और तो करना था, नहीं तो मैं भी अपने कमरे में चला गया। मुझसे ज़्यादा खुश तो पैंट के अंदर मुन्ने मियां थे, और दिमाग में दो बातें घूम रही थी। पहली तो यह कि पड़ोसन जा रही थी, क्योंकि यह सुन कर तो तसल्ली हुई कि चित्रा और मेरी मस्ती में किसी की दखलंदाजी नहीं होगी।
पड़ोसन आंटी की चूत चूसने और चोदने की याद तो आयी, लेकिन उस याद ने मेरे लौड़े को कोई ख़ास लम्बी-चौड़ी हलचल नहीं दी। दिमाग में तो चित्रा के होते हुए किसी दूसरे के लिए कहां जगह थी? हां यह ज़रूर है कि अगर चित्रा ही किसी को शामिल करने में दिलचस्पी दिखाए या चाहे, जैसे कि जब पड़ोस वाली आंटी ने खाने पर बुलाया था, तब तो मज़ा भी खूब आता है।
ख़ास खबर तो चित्रा वाली ही थी, और दिमाग में एक सवाल उठा – क्या चित्रा की चूत और चूचियों में भी हमारे यहां आने के बारे में सोच कर सुरसुराहट इतनी होती होगी, कि वह भी चूत में उंगली करने को मजबूर हो जाए? जैसे मैंने चित्रा के आने की बात सुन कर दो बार मुट्ठ मार ली थी, और अभी तक लौड़ा चाहे पूरा खड़ा ना हो, डबल साइज का मोटा और लंबा मगर थोड़ा सॉफ्ट तो बना हुआ था ही। कमीने ने मम्मी को नहाते हुए नंगा देखने पर मुझे मजबूर कर दिया था।
मन में आया कि चित्रा से पूछूंगा तो ज़रूर कि उसकी चूत गीली हुई अगर तो कितनी बार और क्या सोच कर मास्टरबेट किया था। और ये भी पूछूंगा कि अगर कुछ ताक-झांक भी की तो कहां, कैसे, और किस-किस को नंगा देखा? हम दोनों ही पक्के ताक-झांक करने वालों में है। और एक-दूसरे के सामने नंगा रहने में बेहद सेक्सुअली उत्तेजित फील तो करते ही थे।
फिर ये सोच कर स्माइल आ गयी कि एसा 200% हुआ होगा, और मुझे बताये बिना उससे तो रहा ही नहीं जाएगा। चित्रा भी क्या गज़ब की छुपी रुस्तम और बोल्ड लड़की है और मैं भी कितना लकी हूं। तभी बैल बजी तो मम्मी ने दरवाज़ा खोला। दरवाज़े पर ही मां कुछ बात करके अंदर आयी और मुझे पुकारा।
मम्मी मुझसे बोली: पड़ोसन का सब सामान तो पैक करने के लिए तैयार है। बस एक बाथरूम की दीवार पर लगा पंखा उतरने से रह गया। और वो रिक्वेस्ट कर रही है कि मैं वहां जा कर उसकी मदद कर दूं पंखा उतारने में। मैंने पूछा कि कब जाना चाहिए, तो मां बोली “अभी चला जा, लंच में तो एक-डेढ़ घंटा है, और एक पंखे के लिए कह रही है, पर जब तू होगा तो मुझे मालूम है कि और कई काम उसे याद आ जायेंगे। जा रही है तो हम लोगों के बारे में अच्छी यादें तो लेकर जाएगी ना। कर देना और किसी काम के लिए कहे तो।”
मेरी तो लाटरी लग गयी, खुद मम्मी मुझे एक-दो घंटे के लिए पड़ोसन के पास भेज रही थी, यह कह कर कि जो काम वो बोले, कर देना। ऊपर वाला देता है तो छप्पर फाड़ कर। अभी पड़ोसन, और शायद अगले हफ्ते से पूरे ग्रेजुएशन के लिए चित्रा। आज शाम को तो ज़रूर मंदिर में माथा टेकना बनता था! फ़ौरन अपने कमरे में जाकर पैंट और जांघिया उतारा, ढीली घर का काम करने के लिए पहनने वाली निक्कर पहनी, और पहुंच गया आंटी के दरवाज़े पर।
घंटी बजाने के अगले सेकंड में ही पड़ोसन आंटी ने दरवाज़ा खोला, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर अपने ड्राइंग रूम में खींच लिया। सबसे पहले जो मुझे चमका, वो था कि आंटी एक हल्की सी नाइटी पहने थी, और लगता था जैसे उसके नीचे ब्रा, पैंटी वगैरा कुछ नहीं है। दूसरा ये कि एक सोफे के अलावा सब सामान पैक हो चूका था, बस एक छोटा पंखा ज़मीन पर रखा था, और उसके नट-बोल्ट सब उसके पास ही पड़े थे।
मुझे पंखे की तरफ देखते हुए आंटी बोली, “तुझे पंखा उतारने थोड़े ही बुलाया है। वो तो सिर्फ तेरी मां को कहा था, जिससे उसने तुझे मेरे पास भेज दिया।” और ये कह कर आंटी मुझसे लिपट गयी, और फिर मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर मुझे एक लंबा सा किस्स दे दिया। मुझे तो पहले से ही पता था कि आंटी को तो सिर्फ मेरे लंड से खेलने की और अपनी चूत खूब चुसवाने की चाह थी, चले जाने से पहले। इसीलिए ही तो मैं ढीली निक्कर बिना जांघिये के पहन कर आया था।
“ले उतार मेरी नाइटी, पंखा नहीं, ये उतरवाने और चूचियां और चूत चुसवाने, और तेरे लंड को चूस कर उससे चुदना है मुझे तो बस,” कहते हुए मेरी हाफ-पैंट उतार कर लौड़ा हाथों में ले लिया। तन के खड़ा लंड देख कर नाइटी उसने अपने आप ही उतार दी, तो एक-दम नंगी हो गयी मेरे सामने। अपने चूचों को हाथों से उठाया, निप्पल दोनों पास-पास लाकर दोनों एक साथ मुझे चूसने को दे दिए।
मैं दोनों चूचियां चूसते हुए एक हाथ से आंटी का एक चूतड़ सहलाने लगा, और दूसरे हाथ से उसकी चूत, जिसकी घनी झांटे चूत के शहद से गीली और चिपचिपी पहले से ही थी। उस चूत में कभी पूरा हाथ फेरता, कभी उसके छेद में अंगूठा घुसा कर पूरी चूत हाथ में ले लेता था। आंटी को तो इतना मज़ा आ रहा था कि उसने अपनी आँखें बंद की हुई थी। मेरा लौड़ा और बॉल्स दोनों हाथों से भींचे हुए थे, और एक टांग उठा कर अपना पैर सोफे पे रख लिया था, जिससे चूत खूब खुल गयी थी।
कोई देखता तो उसे क्या सीन नज़र आता? एक अधेड़-सी 32-34 बरस की नंगी औरत दोनों हाथों से 19 बरस के नंगे लड़के का तना हुआ लौड़ा भींचे हुए, अपनी चूचियां चुसवाने, चूतड़ सहलवाने, और जांघें चौड़ी करके पूरी खुली चूत में उंगली करवाने में मस्त ही नहीं, मदहोश सी मशगूल थी। इतनी जैसे चाहती हो कि ये खेल कभी रुके ही नहीं।
इधर आंटी इतनी मस्त थी कि उसके चूतड़ खुलते-तनते और अपने आप अनायास ही धीरे-धीरे आगे-पीछे होते (जैसे चोदते टाइम होते हैं)। आंटी को लहराते हुए महसूस करके मैंने चूचियों से मुंह हटा लिया तो आंटी ने चूत थोड़ी और खोली और आगे बढ़ा दी। उसके हाथ अब मेरे लौड़े को भींच नहीं रहे थे, बल्कि टोपे की खाल को आगे-पीछे कर रहे थे। उसकी चूत और चूतड़ों के आगे-पीछे होने के साथ ताल-मेल में। इतने में आंटी के मुंह से ममम हहह की आवाज़ के साथ एक लम्बी सांस बाहर आयी।
उसकी जांघें और पेट थिरके, और चूत ने थोड़ा और पानी छोड़ा। उसके चेहरे पर एक कांस्टेंट मुस्कान थी पूरी तरह से संतुष्टी की। आँखें खोल कर पहले तो मुझे जबरदस्त झप्पी दी। फिर मुझे सोफे पर बिठा कर मेरे सामने ज़मीन पर घुटने टेक कर बैठ गयी। एक हाथ मेरी बॉल्स के नीचे घुसा कर बॉल्स को सहलाना शुरू कर दिया, और दूसरे हाथ से लंड को पकड़ कर चूसने लगी। उसके मुंह में गरमाई एसी थी जैसी चूत में होती है। तो में तो उसका मुंह चोद ही तो रहा था!
अब एक लड़का आखिर अपने आप को, या ये कहूं कि एक एवरेज लौंडा आखिर कितना मज़ा बर्दाश्त कर सकता है? झड़ गया ना जाने कब उसके मुंह में, और तब उसने बाहर निकाला, टोपे से फोरस्किन को प्यार से नीचे सरकाया, और लास्ट बूंद जो थोड़ी सी लौड़े के मुंह पर चमक रही थी उसको लम्बी जीभ से चाट लिया।
इसके आगे इस सेक्सी कहानी में क्या हुआ, अगले पार्ट में पढ़िएगा।