चित्रा और मैं-11

पिछला भाग पढ़े:- चित्रा और मैं-10

सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मम्मी पापा की बात सुन कर मुझे पता चला कि चित्रा वापस आने वाली थी। फिर मम्मी ने मुझसे इस बारे में बात की। उन्होंने ये भी बताया कि पड़ोसन आंटी जाने वाली थी। अब आगे-

ये कह कर मम्मी दोपहर के खाने का इंतेज़ाम करने चौके की ओर चली गयी। कुछ और तो करना था, नहीं तो मैं भी अपने कमरे में चला गया। मुझसे ज़्यादा खुश तो पैंट के अंदर मुन्ने मियां थे, और दिमाग में दो बातें घूम रही थी। पहली तो यह कि पड़ोसन जा रही थी, क्योंकि यह सुन कर तो तसल्ली हुई कि चित्रा और मेरी मस्ती में किसी की दखलंदाजी नहीं होगी।

पड़ोसन आंटी की चूत चूसने और चोदने की याद तो आयी, लेकिन उस याद ने मेरे लौड़े को कोई ख़ास लम्बी-चौड़ी हलचल नहीं दी। दिमाग में तो चित्रा के होते हुए किसी दूसरे के लिए कहां जगह थी? हां यह ज़रूर है कि अगर चित्रा ही किसी को शामिल करने में दिलचस्पी दिखाए या चाहे, जैसे कि जब पड़ोस वाली आंटी ने खाने पर बुलाया था, तब तो मज़ा भी खूब आता है।

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