मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 4 – दूसरा दिन बुधवार, रूबी की चुदाई के किस्से
चुदाई के वक़्त जब मर्द ऊपर लेटता है या जब बाहों में भींचता है, कमर को पकड़ कर धक्के लगाता है उसका भी तो अपना मजा है”।
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चुदाई के वक़्त जब मर्द ऊपर लेटता है या जब बाहों में भींचता है, कमर को पकड़ कर धक्के लगाता है उसका भी तो अपना मजा है”।
अगर एक औरत की चुदाई हो रही हो और वो भी एक उन्नीस बीस साल कि तंदरुस्त लड़की कि मौज़ूदगी में तो क्या उसका मन चुदाई का नहीं करेगा?
मेरे में अब क्या रखा है बाल बच्चे वाली 36 साल की औरत हो गयी हूं। चूत भी ढीली हो गयी होगी। ये रितु अभी कुंवारी है कड़क है। कसी हुई चूत होगी इसकी।
रूबी हमेशा मेरे जेहन में रही। अक्सर किसी भी लड़की को चोदते वक़्त मैं रूबी के साथ चुदाई के बारे में ही सोचता – जो नहीं हो पायी थी।
जब सरोज की गांड का छेद मुलायम हो गया तो सरोज ऊपर से उठ गयी और बंटी से बोली, “चल अब पीछे से गांड मार, अब चला जाएगा अंदर I
“थोड़ा रोक के रख, इतनी जल्दी झड़ेगा क्या ? शादी बाद बीवी की चुदाई के वक़्त इतनी जल्दी झड़ गया तो तेरी बीवी तुझे छोड़ तेरे बाप के साथ चुदाई करेगी”।
थोड़ा दम ले कर संतोष ने बड़े ही प्यार से लंड मेरी फुद्दी से बाहर निकला। लेसदार मलाई से भरी चूत में से लंड फिसल कर बाहर निकल गया और आवाज आयी — बलप्प।
संतोष ने मुझे गोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया। मैं संतोष का मोटा लंड अपनी चूत में महसूस करने के लिए बेचैन हो रही थी।
गाड़ी ने आज लम्बा सफर तै करना था इस लिए इधर उधर की चूसा चुसाई ऊंगलीबाजी में वक़्त नहीं बर्बाद किया जा सकता था.
आज घर में तीन गायें थी और एक सांड। गायों ने एक दूसरी की फुद्दी गांड चाट चाट कर तस्सली कर ली थी I पर अगर सांड मस्ती में आ गया तो?