पिछला भाग पढ़े:- खेल-खेल में बेटी को चोदा-1
जैसा मेरी बेटी नम्रता ने सुबह कहा था, वो 2 बजे घर वापस आई। मुझे संभलने का मौक़ा नहीं मिला। मैं बिल्कुल नंगा था। मुझे नंगा देख कर वो नाराज़ नहीं हुई। मुस्कुराते हुए मेरी गोद में बैठ लंड को पकड़ कर दबाया। मेरे गालों और होंठों को चूमने के बाद बोली, “पापा, मैं यह देख कर बहुत खुश हूं कि मेरे पापा का बल्ला बेटी की चूत में शॉट मारने के लिए तैयार है। मुझे मेरे बेड पर ले चलिए। हम वहीं चुदाई का खेल खेलेंगे।”
जब बेटी खुद पापा से चुदवाने को तैयार थी, तो फिर मुझे क्यों कोई परेशानी होती? मैंने उसे अपनी बाहों पर उठाया और उसके रुम में ले गया। 2 मिनट के रास्ते में उसने ब्लाउज़ के सारा बटन खोल दोनों पल्लों को फैला दिया। मैं बार-बार चूचियों को चूसते हुए उसे उसके रुम में ले गया। बेड के पास जाकर उसे बेड पर फेंका। वो नाराज़ नहीं हुई। अपने स्कर्ट और ब्लाउज़ को बाहर निकाल बेड से नीचे फेंका। अब मेरी बेटी भी मेरी तरह नंगी थी।
सुबह की तरह वो अपने दोनों हाथ की अंगुलियों से झांट को अलग कर चूत की पत्तियों को फैला कर बोली, “खेलने के लिए बल्ला और क्रीज़ दोनों तैयार है। आपको और जो करना है बाद में करना, जो पूछना है बाद में पूछना, पहले पूरी ताक़त से शॉट मारो।”
कुतिया बहुत गर्म थी। मैं तो सुबह से ही बेटी की चूत में लंड पेलने के लिए तड़प रहा था। मैं बेटी के उपर आया और उसकी टांगों के बीच अपने को पोजिशन किया। बेटी ने खुद लंड को अपनी चूत के छेद पर दबाया। ज़ोर से बोली,
“पापा, पूरी ताक़त से शॉट मारो।”
मैंने अपनी चूतड़ को उपर उठाया, और बेटी का एक कंधा और एक चूची को पकड़ कर खूब ज़ोर से धक्का मारा।
“बाप रे, मर गई, रुको मत। जब तक पूरा बल्ला अंदर नहीं घुसता है पेलते रहो।”
मैं भी बेटी को चोदने के नशे में पेलता रहा, धक्का मारता रहा। लड़की का मुलायम बदन सूखी लकड़ी जैसा कड़क हो गया। उसकी आंखें से आंसुओं की धार निकल रही थी। ना मैं रुका ना ही उसने रुकने कहा। पांचवें धक्का में मुझे महसूस हुआ कि मेरा लंड चूत के अंदर की झिल्ली को फाड़ कर अंदर घुस रहा है।
“रुको मत जैसा धक्का मार रहे हो मारते रहो।”
मैंने नीचे देखा और मैं अंदर ही अंदर बहुत खुश हुआ। नम्रता की हरकतों को देख कर मुझे विश्वास हो गया था कि मेरी बेटी खुल कर चुदवा रही है लेकिन मैं ग़लत था। नम्रता कुंवारी थी। उसका पापा यानी मैं ही अपनी बेटी की पहला आदमी था। चूत से ख़ून निकल रहा था। उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन उसकी प्यारे चेहरे और आंखों में मुस्कुराहट भी थी। मैंने ना धक्के की स्पीड ही कम की, ना ही ताक़त।
हमारी चुदाई चलती रही। कुछ देर के बाद नम्रता मस्ती भरी आवाज़ निकालने लगी। कुछ और धक्के खाने के बाद उसके चूतड़ मेरे हर धक्का पर उपर-नीचे होने लगे।नम्रता का बदन फिर मुलायम हो गया। मैं तो उसकी चूचियों को, दूसरे अंगों को सहला रहा था, दबा रहा था। नम्रता के दोनों हाथ भी मेरे पीठ और चूतड़ पर फिसल रहे थे।
कितना समय गुजरा मालूम नहीं, अचानक बेटी ने मुझे अपने दोनों हाथों और टांगो से ख़ूब ज़ोर से बांधा। डेढ़-दो मिनट वैसे ही रही फिर बिल्कुल पस्त होकर लंबी लंबी सांसें लेने लगी। मैं धक्का लगाता रहा और 2-3 मिनट बाद लंड ने बेटी की चूत को रस से भर दिया। हम दोनों ने एक-दूसरे को पागलों जैसा चूमा।
पहले बेटी ने कहा, “पापा, आपने पहले ही मैच में डबल सेंचुरी मार दी। मैंने जितना सोचा था आप ने मुझे उससे ज़्यादा खुश किया है।”
मैंने बेटी के होंठों और दोनों चूचियों को चूम कर कहा,
“और बेटी, सुबह से मैं यह समझ रहा था कि मेरी बेटी कई लोगों से चुदवा चुकी है। रानी बेटी, तुम तो मुझे हर चीज़ से ज़्यादा पसंद हो ही, तुम्हारी पतली, गर्म और रसीली क्रीज़ मुझे बहुत ही ज़्यादा, सबसे ज़्यादा पसंद आई। तुमने अपने पापा को बहुत खुश किया है, बोलो रानी क्या चाहिए ?”
मेरी बात सुन उसने मुझे अपने उपर से उतारा और मेरे उपर आ कर बोली, “मैं जब भी जहां भी शॉट लगाने बोलूं आपको शॉट मारना होगा। मुझे चोदना होगा।”
मैंने उसे अपनी बांहों में ख़ूब ज़ोर से बांध कर कहा, “मेरी नई रानी का हर हुक्म सर आंखों पर”।
हमने फिर कुछ देर चुम्मा-चाटी की। मैंने उससे पूछा कि होटल से खा कर आई है या कुछ खायेगी भी। उसने जवाब दिया, “नहीं पापा, करिश्मा रेस्टोरेन्ट में बढ़िया खाना खाकर आई हूं। हमारी एक सहेली गरिमा ने अपनी जन्मदिवस की पार्टी दी थी। पार्टी के बाद कई लड़कियां अपने-अपने प्रेमी के साथ बग़ल के संगम होटल मे चुदवाने गई।”
मैंने बेटी की चूत को मसलते हुए पूछा, “रानी बिटिया, तुमसे ज़्यादा खूबसूरत तो शायद पूरे कॉलेज में कोई नहीं होगी। तेरे चाहने वाले तो बहुत हैं, कोई प्रेमी नहीं है?”
नम्रता अपनी चूत से मेरे लंड को और चूचियों से मेरी छाती को रगड़ते हुए बोली, “एक लड़का बहुत खुशामद कर रहा था कि मैं भी उसके साथ होटल चलूं। पापा, हमारे क्लास में 27 लड़कियां है। 5-6 को छोड़ कर बाक़ी सभी किसी ना किसी से चुदवाती है। कई लड़कियां आपसे बड़ी उम्र के प्रोफ़ेसर से भी चुदवाती है। मेरा भी एक प्रेमी है।
मैं पिछले कई महीनों से उसे इशारा कर रही हूं। कई बार उसके बदन से अपनी चूचियों को रगड़ा। कई बार उसे अपनी जांघें भी दिखाई। लेकिन उस हरामी के अपनी खूबसूरत पत्नी को चोदने से फ़ुर्सत ही नहीं मिलती है।
इसलिए आज सुबह-सुबह उसके सामने रंडी-पना किया और मेरे अकेले प्रेमी ने मुझे चोद ही लिया। पापा, मैं चाहती थी कि मेरी पहली चुदाई ज़िंदगी भर याद रहे। आपने बहुत ही बढ़िया चोदा। शायद इससे बढ़िया कोई और नहीं चोद पाता। मुझे आपके बल्ले का शॉर्ट बहुत पसंद आया है, मुझे और चाहिए।”
किसी भी बाप के लिए इससे ज़्यादा ख़ुशी की बात क्या हो सकती है कि उसकी बेटी उससे ही अपनी सील तुड़वाये और खुद दोबारा चोदने के लिए के बोले। बेटी को चोद कर मैं बहुत ही ज़्यादा खुश था। मैंने दोनों हाथों को नम्रता की पीठ के नीचे किया और कस कर दबाया।
“आह पापा, ऐसी जोड़ीदार पकड़ के लिए कब से तरस रही थी।”
बेटी ने कहा तो मैंने उसे जबाब दिया, “बिटिया रानी, अपना पहला मैच तुम जैसा चाहती थी मैंने खेला। अब दूसरी इनिंग मुझे अपने तरीक़े से खेलने दे।”
बेटी भी मुझे अपने बाहों में बांध कर दबाने की कोशिश करते हुए बोली, “पापा, ये बेटी नम्रता आपकी कुतिया है आप जैसा चाहते हो करो।”
लड़की ने अपने आपको मुझे समर्पित कर दिया था। मैंने उसे बग़ल में लिटाया और खुद उसके बग़ल में बैठ गया। नम्रता ने झट से लंड पकड़ लिया।
“बहुत ही प्यारा लंड है, किरण को भी बहुत पसंद आयेगा।”
मैं बेटी की सहेली किरण के भी चोदना चाहता था, लेकिन दोनों हाथों से उसकी कड़क चूचियों को मसलते हुए कहा, “किरण जब आयेगी तुम्हारे सामने ही उसे चोदूंगा। लेकिन अभी हम दोनों के बीच कोई और नहीं आयेगी।” चूचियों को मसलना छोड़ दोनों हाथों से उसके बदन को सहलाने लगा।
मैं 5 फ़ीट 11 इंच लंबा हूं। मेरी पत्नी की लंबाई 5 फ़ीट 5 इंच है, जब कि नम्रता अपनी मां से एक डेढ़ इंच ज़्यादा लंबी थी। मेरा बेटा विनोद मुझसे एक इंच ज़्यादा लंबा था। वे पिछले 6 महिने से अमेरिका में एम.बी.ए. की पढ़ाई कर रहा था। वो भी बहुत ख़ूबसूरत और आकर्षक डील-डौल का आदमी था।
नम्रता भी अपनी मां जैसी ही खुबसूरत थी। दोनों का गुलाबीपन लिए हुआ गोरा रंग सभी को आकर्षित करता था। उस समय नम्रता की वजन 52-53 किलो का ही था। बड़ी-बड़ी काली आंखें, छोटे और पतले होंठ बहुत ही प्यारे लगते थे। गालों और होंठों को सहलाते हुए मेरे हाथ उसकी चूचियों पर आया।
चूचियां बहुत ही कड़क थी, गोलाई 34 इंच की होगी। मैं चूचियों को प्यार से सहला रहा था। बेटी ने लंड को कस कर दबाया और बोली, “बहुत कोशिश करती हूं लेकिन कुछ बहनचोद इतने हरामी है कि चूचियों को दबा ही देते हैं।”
मैंने दोनों घुंडियो ( निपल्लस) को चूस कर कहा, “बिटिया, चूचियों को दबाना साधारण बात है। मैंने अपने घर की सभी लड़कियों और औरतों की चूचियों को एक बार नहीं कई बार दबाया है। तुम जब सेई रहती हो, तब तुम्हारी चूचियों को भी कई बार दबाया है।”
बेटी ने और ज़ोर से लंड को दबाया, “एक नंबर के मादरचोद, बहनचोद तो हो ही दुनिया का सबसे हरामी बेटीचोद भी हो। अभी जो कर रहे हो वो कर लो फिर तुम्हें एक मज़ेदार बात बताऊंगी।”
मुझे बहुत बढ़िया लगा जब बेटी ने मुझे आप कहना छोड़ तुम कहना शुरू किया। मैंने कहा, “बिटिया रानी, मैं जो भी हूं आज से अभी से तेरा कुत्ता हूं और तू मेरी प्यारी कुतिया।”
बेटी ने तुरंत जवाब दिया, “अगर मेरा कुत्ता हो और मुझे अपनी कुतिया समझते हो तो जैसे कुत्ता अपनी कुतिया को खुश करता है तुम भी वैसा ही करो।”
मेरी बेटी पूरी तरह से चुदासी थी। मैंने बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूसा। उसके बाद आगे से, पीछे से उसके अंग-अंग को जीभ से चाटा। ऐसा लग रहा था जैसे कि नम्रता नहा कर आई हो। पूरा बदन गीला हो गया था। मैं बेड से नीचे उतर कर उसके दोनों पैरों को पकड़ कर खींचा। उसके चूतड़ बेड के किनारे आ गए। मैंने बेटी के घुटनों को अपने कंधे पर रखा। एक हाथ से चूत को ज़ोर से मसलते हुए बोला, “मेरी प्यारी कुतिया, बग़ल के शीशे में देख कि तेरा कुत्ता रोड के कुत्ता के जैसा अपनी कुतिया की चूत चाटता है या उससे बढ़िया।”
बेटी के रुम के ड्रेसिंग टेबल के मिरर में हम क्या कर रहे थे साफ़-साफ़ दिख रहा था। मैंने क्लिट को दांतों से दबाया,
“आह पापा बहुत बढ़िया”
“कुतिया, अब से पापा नहीं कुत्ता बोल।”
इतना बोल मैं क्लिट को चूसने लगा और एक हाथ की अंगुलियों से चूत की फांक को रगड़ने लगा। मेरा दूसरा हाथ चूचियों पर ही फिसलता रहा। क्लिट को चूसने के बाद झांटों को अलग कर 5-7 मिनट चूत को बढ़िया से चाटा।
उसके बाद जीभ को चूत में जितना घुसा सकता था घुसाया और चूत के अंदर इधर-उधर घुमाया। नम्रता के चेहरे पर बेचैनी और चुदासी-पना साफ़ दिखाई पड़ रहा था।
“पापा, परेशान क्यों कर रहे हो बल्ला क्रीज़ के अंदर पेलो। बहुत खुजली होने लगी है।”
बेटी चोदने के लिए बार-बार बोलने लगी, लेकिन मैं उसे और चुदासी बनाना चाहता था। जीभ बाहर निकाल कर अपनी नाक अंदर घुसाया और लंबी-लंबी सांसें लेने और छोड़ने लगा। उसका पूरा बदन ऐसी मछली के जैसा छटपटाने लगा, जिसे पानी से बाहर निकाल दिया गया हो। छटपटाने के साथ नम्रता सांप के जैसा फुफकार मारने लगी। कुछ देर वैसा करने के बाद नाक को चूत से बाहर निकाल कर चूत की पत्तियों को होंठों के बीच लेकर चूसने और चबाने लगा।
कुछ देर तो उसने बर्दाश्त किया और फिर चिल्ला कर बोली, “हरामी बेटीचोद, जैसे कुत्ता अपनी कुतिया को पेलता है वैसा ही अगर तुमने अपना बल्ला मेरी चूत में नहीं पेला, तो ऐसे ही बाहर चली जाउंगी और जो भी कुत्ता मिलेगा उसी से चुदवा लूंगी। जल्दी से पेल मादरचोद।”
“तु अभी मेरी बेटी जैसी लेटी है कुतिया बनेगी तब ना पेलूंगा।”
मेरा बोलना ख़त्म हुआ और नम्रता ने झट से कुतिया का पोज लिया। मैंने ज़ोर से चार बार दोनों चूतड़ों पर चांटा मारा और लंड को चूत पर दबाया। मैंने कहा कि उसकी चूतड़ बहुत ही मस्त थे, गांड मारने में बहुत मज़ा आयेगा।
बेटी ने तुरंत जवाब दिया, “कोई कुतिया गांड नहीं मरवाती है, बेटी की गांड में बल्ला पेलना है तो वो मौक़ा भी दूंगी। अभी कुतिया की गर्मी को ठंडा कर। जल्दी पेल कुत्ते।”
मैंने ज़ोर का धक्का मारा और लंड एक बार फिर बेटी की चूत को चीरते हुए हर धक्का पर अंदर घुसता गया। धक्के पर धक्का मारते हुए मैंने कहा, “कुतिया, तू भी रोड पर चुदाई करवाती हुई कुतिया जैसा माथा सीधा उपर रख और शीशे में देख कि कुत्ते का लंड तेरी चूत में कैसे अंदर-बाहर हो रहा है।”
“पापा, बहुत ही बढ़िया लग रहा है, बहुत मज़ा आ रहा है। तुम इतना बढिया शॉट मारते हो फिर तेरी बड़ी कुतिया, तेरी पत्नी उस हाथी राघव और अपने बेटे से भी छोटे लड़के से क्यों मरवाती है?“
मुझे 2 घंटा पहले ही मालूम हुआ कि मेरी पत्नी दूसरे से चुदवाती है लेकिन मेरी बेटी को अपनी मां के रंडी-पन की खबर पहले से ही थी। मैं और ज़ोर-ज़ोर से धक्का मारते हुए बेटी को 2 घंटे बाद ही दूसरी बार चोदता रहा।
अगला भाग पढ़े:- खेल-खेल में बेटी को चोदा-3