पिछला भाग पढ़े:- खेल-खेल में बेटी को चोदा-4
मेरी पत्नी किसी दूसरे रुम में अपने से आधे उम्र के आदमी के साथ मस्ती मार रही थी, और मैं अपनी बेटी के बेड पर एक साथ उसे और उसकी सबसे खास सहेली के साथ मस्ती मार रहा था। नम्रता को एक बार चोद लिया था। अपनी सहेली की चूत से निकले लंड को किरण बहुत ही प्यार से चुभलाते हुए चूस रही थी। मैं अपनी बेटी की नंगी जवानी को सहलाते हुए अपनी और संध्या की दोस्ती की कहानी सुना रहा था।
“मैं इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर में था। संध्या की शादी के क़रीब 4 साल बाद वो मुझे एक दुकान में मिल गई। और जैसा रोड पर कुत्ता और कुतिया चूदाई शुरू कर देते हैं, हम दोनों भी दूकान में ही एक दूसरे से चिपक कर चुम्मा-चाटी करने लगे। उसने मुझसे अपने घर चलने की ज़िद की। मैं उसके घर गया और 5 मिनट के अंदर हम चुदाई करने लगे। लंबी चुदाई हुई।
चुदाई के समय मैंने उससे कहा कि अपने पति को तलाक देदे, और मुझसे शादी कर ले। मैं होस्टल वापस आना चाहता था, लेकिन उसने रोक लिया। कुछ देर बाद उसका पति विमल घर आया। मैं उसे पहली बार ही देख रहा था। विमल एक हैंडसम आदमी था। संध्या ने हमारा परिचय करवाया और यह भी कहा कि वो विमल को छोड़ कर मुझसे शादी करेगी।”
नम्रता ने कमेंट किया, “साली कितनी बदज़ात औरत है विमल ने आपको बहुत गाली दी होगी?”
किरण मेरा लंड बहुत ही प्यार से चूस रही थी। मैंने उसे डिस्टर्ब नहीं किया। बेटी की चूत को मसलते हुए दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसा। मैंने जवाब दिया,
“नहीं मेरी प्यारी कुतिया। पत्नी की बात सुन कर विमल संध्या का दोनों पांव पकड़ कर बोला कि अगर वो उसे छोड़ देगी तो सारी दुनिया को खबर हो जायेगी कि वो नामर्द था। अपनी पत्नी को नहीं चोद पाता था।
उसने मेरे सामने कहा कि पहले जैसा ही संध्या जब भी जिससे चाहे चुदवाती रहे वो कभी मना नहीं करेगा। संध्या ने जवाब दिया कि उसने तीन आदमियों के साथ होटल में चुदवाया लेकिन उसे बढ़िया नहीं लगा। संध्या ने अपने पति से कहा कि अगर वो नरेन को यानी मुझे घर में आकर रहने दे, चोदने दें, तभी वो विमल के साथ रह सकती थी। और बेटी, संध्या का पति तुरंत मान गया।
उस रात मैं संध्या के साथ ही रहा और विमल ने रात भर हमारी चुदाई देखी। संध्या को दोबारा चोदना शुरू किया तो अब तक चोद रहा हूं। किरण, बहुत चूस लिया तुमने अब बल्ले को देखने दें कि तेरी क्रीज़ बढ़िया है या तेरी सहेली की।”
किरण ने लंड बाहर ढेला और नम्रता के बग़ल में लेट गई। मैंने उससे पूछा कि सीधा शॉट मारना शुरु करुं कि मैदान को और चिकना कर दूं? किरण ने कुछ जवाब नहीं दिया। उसने लंड पकड़ कर अपनी चूत पर दबाया।
“रानी, ऐसा बल्ला मारुंगा कि ज़िंदगी भर मेरे साथ की चूदाई नहीं भूलोगी।”
बोलना ख़त्म हुआ और जैसा अपनी बेटी के साथ किया था धक्के पर धक्का मारने लगा। हर धक्के पर किरण के चेहरे की रंगत बदलने लगी। गोरा चेहरा सफ़ेद पर गया। लड़की का बदन लकड़ी जैसा टाईट होने लगा। किरण ने दांतो से अपने होंठों को दबा लिया। फिर भी उसके आंखों में आंसू की बूंदें छलकने लगी। मैं दोनों हाथों से दोनों चूचियों को दबाये हुए लगातार धक्का लगा रहा था।
सिर्फ़ किरण की चूचियां ही मेरी बेटी की चूचियों से बड़ी नहीं थी उसका पूरा बदन ज़्यादा गदराया हुआ था। किरण की चूत में चार धक्का ही मारा था कि मेरी आंखों के सामने किरण की मां दीप्ति का चेहरा और गदराया हुआ बदन आ गया। किरण की मां को याद करते हुए अगला धक्का और भी ज़ोर से मारा,
“मां मर गई, चूत फट गई, अंकल निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है।”
किरण भी मेरी बेटी जैसी कुंवारी थी। 30 साल की चूदाई की जिंदगी में यह पहला मौक़ा था जब मुझे एक ही दिन में 2 कुंवारी लड़कियों को चोदने का मौक़ा मिल रहा था। नम्रता ने अपनी सहेली को कंसोल किया,
“रानी, जो दर्द होना था वो हो गया। अब बस मज़ा ही है। तेरी झिल्ली फट गई है। अब तू भी मेरे जैसे अपने पापा से चुदवा सकती है।”
मैंने गिन कर तीन और धक्के मारे, और लंड की पूरी लंबाई किरण की चूत में ग़ायब हो गई। मैं लंड को अंदर दबाये रख धक्का मारना बंद किया और उसके गालों और होंठों को चूमते हुए दोनों हाथों से किरण के बदन को सहलाने लगा।
“मैं पेशाब कर के आती हूं।” बोल कर नम्रता अटैच्ड बाथरूम में घुस गई। मैंने होंठों को एक बार और चूम कर कहा, “रानी, अपनी सहेली से मत कहना। दोपहर में उसे चोदा, नम्रता भी तुम्हारे जैसी ही कुंवारी थी। लेकिन रानी, तुम्हें चोदने में दो मज़ा आ रहा है वो मज़ा नम्रता के साथ नहीं आया था। मैं तुम्हारे साथ अकेले रहना चाहता हूं।”
किरण अब नॉरमल होने लगी थी। अपने चूतड़ो को उपर उचकाते हुए बोली, “अंकल, जो क़सम ले लो, मैं आपको बहुत पसंद करती हूं, बहुत प्यार करती हूं आपसे। सुबह मैंने मज़ाक़ में नहीं कहा था मैं सच में आपसे ही शादी करना चाहती हूं। मैं भी आपके साथ अकेले रहना चाहती हूं। रात में पॉसिबल नहीं है। आप जिस दिन बोलिए मैं दिन भर आपके साथ रहूंगी। कुतिया नंगी ही रुम से बाहर चली गई है। आंटी देखेंगी तो क्या बोलेगी?”
मैं धीरे धीरे धक्का लगाते हुए बोला, “अणिमा अपने किसी यार से चुदवा रही है। अगर उसने नम्रता को नंगा देखा तो साली ज़रूर बेटी को भी अपने यार से चुदवा देगी।”
मेरी बात सुन किरण बहुत खुश हुई। मुझे बार-बार चूमा और बोली, “कुतिया अब रात भर बाहर रहे तो बढ़िया है।”
हम बहुत प्यार से एक-दूसरे को सहलाते हुए चुदाई करते रहे। मैं तो नहीं झड़ा लेकिन किरण पस्त हो गई। मुझे अपने उपर ले अलग कर दिया। मैं उसके बग़ल में लेट गया। किरण अपनी चूत के रस से लथ-पथ लंड को सहलाते हुए बोली, “हमारी क्लास की बहुत सी लड़कियों ने चुदवाया है। चुदवाती है, लेकिन सब ने कहा कि उनका मर्द 15-20 मिनट से ज़्यादा नहीं चोद सकता है। नम्रता ने जब कहा कि पहली बार तुमने 35 मिनट चोदा और दूसरी बार 45 मिनट तो मुझे विश्वास नहीं हुआ। मुझसे पहले तुमने अपनी बेटी को फिर 45 मिनट चोदा और मुझे शायद एक घंटा। तुम कभी झड़ते नहीं? “
हमने थोड़ी देर बात की और उसके बाद जैसा नम्रता के साथ किया था, किरण को आगे से, पीछे से उसके अंग-अंग को चाटा और उसके बाद चूत को अपने तरीक़े से खूब चूसा और चाटा। जब वो भी बार-बार चोदने की ज़िद करने लगी, तब मैंने किरण को फिर सीधा मिशिनरी पोज़ में चोदा। हमारी 45 मिनट की चूदाई हो गई तब क़रीब 2 घंटा बाद नम्रता कमरे में वापस आई।
हमारे बग़ल में बैठ ज़ोर से बोली, “मां की पसंद कितनी घटिया है। एक तरफ़ तो हाथी जैसे राघव से चुदवाती है और दूसरी तरफ़ विनोद भैया से भी कम उम्र के लड़के से चुदवा रही है। ना तो साले की पर्सनालिटी ही बढ़िया है, ना ही लंड। लंड 6 इंच से बड़ा नहीं होगा और अपने इस कुत्ते के लंड से पतला है। मैंने हरामियों की चुदाई देखी। दोनों बार साला 15-20 मिनट में झड गया और साली उस नामर्द को उकसा रही है कि मुझे पटाये, मुझे चोदे।”
मैं समझ नहीं पा रहा था कि मेरी बेटी सच कह रही थी या जैसा किरण ने सोचा, नम्रता ने भी अशोक से चुदवा लिया था। किरण सहेली थी, उसमें हिम्मत भी थी। चुदाई करवाते हुए वो बोली,
“एक बात तो पक्की है कि आंटी हमारे जैसा खूबसूरत दिखने वाले मर्द को नहीं, बढ़िया चोदने वाले को ही पसंद करती है। राघव और ये अशोक भी ज़रूर बढ़िया चोदता होगा, तभी उनके जैसी परी से भी हसीन औरत वैसे मर्दों से चुदवा रही है। इतनी देर वहां थी, तो एक बार चुदवा लेती तो तुझे खुद पता चल जाता। अशोक बढ़िया चोदता तो हम तीनों ही उससे चुदवाते।”
नम्रता ने झुंझलाते हुए जवाब दिया, “अभी भी मां के साथ है, जाकर चुदवा ले। पापा, आज तुमने तीन बार चोद लिया है, अब दम नहीं है। कल होटल में दुबारा लूंगी।”
नम्रता दूसरी तरफ़ करवट लेकर लेट गई। नम्रता की बात सुन कर मुझे कोई संदेह नहीं रह गया। मेरी बेटी ने एक ही दिन में 2 आदमियों से चुदवा लिया था। मैंने और ज़ोर से धक्का मार कर किरण को विंक किया।
उसने भी मुस्कुराते हुए नॉड किया। यह सोच कर कि मां ने अपनी बेटी को अपने यार से चुदवाया मैं बेहद एक्साइट हो गया और 8-10 ज़ोरदार धक्के मारने के बाद मैं चूत के अंदर ही झड़ने लगा। किरण ने मुस्कुराते हुए लंबी सांस ली। “जान बची!”
हम दोनों ने पागलों जैसा एक-दूसरे को चूमा, सहलाया, दबाया। किरण ने लंड को दबाते हुए कहा,
“इतना बढ़िया लंड और आपके जैसी चुदाई करने के बाद या तो कोई रंडी ही दूसरे से चुदवायेगी, या फिर ऐसी औरत जिसे नये-नये लंड से खेलने का शौक़ है। साली ज़रूर अपनी मां के यार से चुदवा कर आई है। इसे भी नये-नये लंड से खेलने का शौक़ है। देखिएगा आंटी अपनी बेटी को अपने दूसरे यारों से भी तुतलायेगी। मुझे लगता है कि ये कल आपसे चुदवाने होटल भी नहीं आयेगी। लेकिन मुझे आपका ये बल्ला और आपका प्यार रोज़ चाहिए।”
किरण फिर लंड को चूसने चाटने लगा। मैंने नम्रता के चूतड़ों को दबाया लेकिन वो गहरी नींद में थी। मुझे इसका थोड़ा भी दुख नहीं था कि मेरी बेटी ने दूसरे से चुदवाया। मैंने खुद प्रेम से कहा था कि वो मेरी बेटी को पटा कर चोदे।
किरण ने उस रात तीसरी बार लंड चूसा।मानना पड़ा कि लड़की मर्द को खुश करना जानती थी। मैंने आधे घंटे के क़रीब उसे लंड चूसने दिया। फिर मैंने उसे उसी तरह से कुतिया के पोज में किया जैसा नम्रता को किया था। किरण को भी मैंने अपने होंठों, अंगुलियों, नाक और जीभ से पूरा ओरल मस्ती दिया। किरण ज़ोर-ज़ोर से मस्ती की आवाज़ निकाल रही थी, लेकिन मेरी बेटी के उपर कोई असर नहीं।
वो गहरी नींद में थी। मैंने बहुत देर तक ओरल मस्ती मारी और फिर कुतिया बनी किरण को खुब प्यार से, आराम से चोदा। ये तीसरी राउंड की चूदाई क़रीब डेढ़ घंटा चली। सबसे बढ़िया बात यह हुई कि इस बार हम दोनों साथ झडे, साथ ठंडे हुए।
घर-बार, प्यार की बात करते हुए मैं सहलाता रहा। तीन बार की लंबी चुदाई के बात कोई भी थक जाती। किरण भी सो गई। लेकिन मेरी आंखों में नींद नहीं थी। मैं यह सोच-सोच कर बहुत बेचैन हो रहा था कि मेरी बेटी ने अपनी मां के सामने मां के यार से चुदवाया। लैपटॉप तब भी बेड पर ही रहा था। मुझे वो पेनड्राईव भी दिखाई दिया।
लैपटॉप को मैंने अपनी गोदी में लिया। इंटर दबाया और स्क्रीन ऑन हो गया। मैंने सर्च किया और पत्नी के फ़ोन से जो विडियो प्रेम ने कॉपी किया था वो तुरंत मिल गया। प्रेम ने विडियो का नाम “सुंदरी अणिमा” लिखा था। उस फ़ोल्डर के अलावा प्रेम ने चार और विडियो डाला था। मुझे इन विडियो में नहीं अणिमा के फ़ोल्डर में इनटेरेस्ट था।
उस विडियो को क्लिक किया तो कई और सब-फ़ोल्डर खुल गये। सारे सब-फ़ोल्डर डेट वाइज़ ही थे। पहला विडियो 7 साल पहले का था और आख़िरी विडियो 27 वां विडियो उसी दिन का था। एक-एक कर मैंने सभी विडियो को खोलकर 2-3 मिनट देखा। सारे 27 विडियो अणिमा का 27 अलग-अलग आदमियों के साथ सेक्स यानी चुदाई का विडियो था। सभी में सिर्फ़ एक औरत अणिमा अकेले मर्द के साथ चुदाई करवा रही थी या खुद ही अपने यार को चोद रही थी। जिस 27 आदमियों के साथ अणिमा का विडियो था उस में से मैं सिर्फ राघव को ही जानता था।
फ़ोल्डर में सबसे पुराना विडियो 7 साल पुराना था। मैं मुस्कुराया। उससे पहले के मोबाइल फ़ोन में विडियो लेने का कोई ऑप्शन ही नहीं था। जब औरत फ़ोन में चुदाई का लाईव विडियो रख सकती है तो उसने ज़रूर ही अपने पुराने यार के साथ सकी नंगी फ़ोटो रखी होगी। लेकिन कहां?
इन सभी विडियो में एक कॉमन बात थी। सभी विडियो हमारे इसी घर के थे। मैंने फिर से सभी विडियो को देखा। सिर्फ चार विडियो में चुदाई सोफ़ा पर हुई थी। बाक़ी सारे विडियो हमारे मास्टर किंग साईज़ बेड पर ही लिए गये थे। एक बात और, 27 विडियो में बैंक के एक डाईरेक्टर जावेरी के साथ कोई विडियो नहीं था।
मैंने अंदाज़ा लगाया कि अणिमा का प्रेमी जब घर आता है वो तभी विडियो बनाती है। शायद उसके पार्टनर को मालूम ना हो कि औरत चुदाई को रिकॉर्ड कर रही थी।
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