ससुर का तगड़ा लंड-3

पिछला भाग पढ़े:- ससुर का तगड़ा लंड-2

अपनी xxx हिंदी चुदाई कहानी के अगले पार्ट में मैं अदिति आप सब का स्वागत करती हूं। अगर आपने इस कहानी का पिछला पार्ट अभी तक नहीं पढ़ा है, तो पहले उसको जरूर पढ़ें।

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था कि मेरे ससुर जी हमारी कामवाली प्रीति के साथ रोमांस शुरू कर चुके थे, और मैं बाहर से उन दोनों को देख रही थी। फिर ससुर जी ने प्रीति की जबरदस्त चुदाई की, और उनकी चुदाई देख कर मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। अब आगे बढ़ते है-

ससुर जी ने जो प्रीति की जबरदस्त चुदाई की, उसको देख कर मैं फैंसला कर चुकी थी, कि अब मैं अपनी चूत की प्यास भी ससुर जी से ही बुझवाऊंगी। लेकिन अब मुझे ये सोचना था, कि ये सब होगा कैसे। फिर मैं घर से बाहर चली गई, और थोड़ी देर बाद वापस आके दरवाजा खटखटाया। प्रीति ने दरवाजा खोला, और ससुर जी हॉल में बैठे हुए थे। वो दोनों ऐसे दिखा रहे थे, जैसे कुछ हुआ ही ना हो।

फिर अगले दिन से मैंने अपने ससुर को बोतल में उतारना शुरू किया। मैं कुछ भी परोसते हुए जान-बूझ कर उनके सामने झुकती, और उनको अपने बूब्स दिखाती। उनके सामने मैं अपनी गांड मटका-मटका कर चलती। कुछ दिनों में मैंने देखा कि ससुर जी की भी नज़र मेरे जिस्म पर रहने लगी थी। अब मैं समझ गई थी, कि लोहा गरम हो चुका था, बस मुझे हथौड़ा मारना था।

फिर मैंने एक प्लान बनाया। मैंने कैफे में जाके एक फर्जी रोल नंबर निकलवाया, ताकि मैं घर पर ये बोल सकूं कि मैंने जॉब के लिए फॉर्म भरा था, और उसका एग्जाम देने जाना है। मैंने ये बात तब घर पर बताई जब मेरे पति घर पर नहीं थे। मैंने ये भी कहा कि परीक्षा सुबह 7 बजे थी, और लोकेशन भी दूर की बताई, ताकि वहां एक दिन पहले जाना पड़े।

अब मेरे पति तो घर पर थे नहीं, तो सासू मां ने ससुर जी को मेरे साथ जाने के लिए कहा। यहां मेरा तीर बिल्कुल निशाने पर लग गया। अब मैं और ससुर जी जाने वाले थे, और एक रात होटल में रुक कर अगली सुबह मैं परीक्षा में बैठने वाली थी। वो अलग बात थी, कि कोई परीक्षा थी ही नहीं। मुझे तो बस अपने ससुर के लंड से चुदना था।

फिर हम अपने सफर पर निकल पड़े। हम गाड़ी से गए थे। सफर के दौरान मैंने लेगिंग्स और शर्ट पहना। लेगिंग्स मेरी टाइट थी, और शर्ट में से भी मेरे बूब्स उभरे हुए निखर के दिख रहे थे। गला डीप था, तो क्लीवेज भी दिख रही थी। ससुर जी ने पैंट और शर्ट पहनी थी।

रास्ते में मैंने देखा कि ससुर जी का ध्यान बार-बार मेरे उभरे हुए बूब्स और मेरी लेगिंग्स में कसी हुई जांघों पर जा रहा था। अपने लिए  उनकी ये हवस भरी नज़र मुझे अच्छी लग रही थी। मैं बार-बार उनको अपनी सेक्सी क्लीवेज भी दिखा रही थी। ससुर जी का खड़ा हुआ लंड मुझे उनकी पैंट के ऊपर से दिखाई दे रहा था।

फिर हम होटल पहुंच गए। मैंने उसके मैनेजर को पहले से पैसे देके बोल रखा था, कि वो हमे कैसे भी करके एक ही कमरा दे, और वो भी सिंगल बेड वाला। तो पहले ससुर जी ने उसको 2 कमरों के लिए कहा।

उसने कहा: सर हमारे सारे रूम बुक है। एक ही रूम बचा है।

ससुर जी: चलिए एक रूम दे दीजिए लेकिन हमें 2 बेड चाहिए।

मैनेजर: माफ कीजिए सर, लेकिन सिंगल बेड वाला कमरा ही है।

अब कोई चारा नहीं था, तो ससुर जी ने वो कमरा ले लिया। फिर हम कमरे में गए, और नहा कर फ्रेश हो गए। मैं जान-बूझ कर एक सेक्सी ट्रांसपेरेंट नाइटी लेके गई थी, जिसमें वो मेरे जिस्म को अच्छे से देख सके। जैसे ही मैं बाथरूम से बाहर आई, ससुर जी मुझे देख कर हैरान हो गए। लेकिन मैं जान कर भी अंजान बनी रही।

उसके बाद हमने डिनर मंगाया, और साथ बैठ कर डिनर किया। मेरी नाइटी आगे से बांधने वाली थी, तो मैं जान-बूझ कर ससुर जी को अपने बूब्स दिखा रही थी। वो मुझे ऐसे देख रहे थे, जैसे मुझे खा जाएंगे। फिर डिनर के बाद हम सोने की तैयारी करने लगे। ससुर जी बोले: बेटा मैं सोफे पर सो जाता हूं।

मैं: क्यों ससुर जी ये बेड इतना भी छोटा नहीं है, कि हम दोनों इस पर ना सो सके। आप यहीं आ जाएं।

वो मेरा बात मान गए, और मेरे साथ सोने बेड पर आ गए। 10-15 मिनट की बातों के बाद हमनें एक-दूसरे की विपरीत साइड में करवट लेली। कुछ देर बाद मैंने अपना काम शुरू किया। मैं जान-बूझ कर पीछे हुई, और ससुर जी के शरीर के साथ अपना बदन लगाने लगी। मैं ऐसा दिखा रही थी, के मैं ये सब नींद में कर रही थी।

पहले तो ससुर जी ने मुझे हल्के से आवाज दी, कि मैं थोड़ी आगे हो जाऊं। पर मैंने अनसुना कर दिया। फिर वो उठे, और उन्होंने मेरे चेहरे को देखा। उन्हें लगा मैं सो चुकी थी। ये देख कर वो मेरी तरफ मुंह करके लेट गए। अब हम दोनों का मुंह एक ही साइड पर था, मतलब वो मेरे पीछे थे।

फिर वो धीरे से थोड़ा आगे हुए, और मेरे पीछे चिपक गए। मुझे उनका खड़ा हुआ सख्त लंड अपनी गांड पर महसूस होने लगा। उनके लंड को महसूस करके मेरी चूत में करेंट सा दौड़ने लगा। जब मैंने कोई हरकत नहीं की, तो ससुर जी को यकीन हो गया, कि मैं सोई हुई थी। फिर उन्होंने आगे बढ़ने की सोची।

ससुर ने धीरे से अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया, और उसको सहलाने लगे। उनका हाथ लगते ही मेरा दिल किया, कि मैं दुबक कर उनके लंड पर चढ़ जाऊं, पर मैं ऐसा नहीं कर सकती थी। मुझे ऐसा दिखाना था कि जो भी हुआ, उसकी शुरुआत उनकी तरफ से हुई, ताकि कल को सारी बात मेरे सर पर ना आ जाए।

जांघ पर हाथ फेरते हुए ससुर जी अपना हाथ मेरी गांड पर ले आए, और उसको सहलाने लगी। मुझे गर्मी चढ़ रही थी। एक तो मुझे अपनी गांड पर ससुर जी का लंड चुभ रहा था। दूसरा उनका हाथ मेरी गांड को सहला रहा था। मेरी चूत गीली होनी शुरू हो चुकी थी। फिर मैंने भी अपनी तरफ से कुछ किया।

मैंने क्या किया, और आगे क्या हुआ, ये आपको इस कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। अगर आपको ये हिंदी अन्तर्वासना सेक्स कहानी पढ़ कर मजा आ रहा हो, तो कमेंट करके जरूर बताएं।