सहेली के मंगेतर के लंड की ताकत-2

पिछला भाग पढ़े:- सहेली के मंगेतर के लंड की ताकत-1

हिंदी सेक्स कहानी में आपका स्वागत है। उम्मीद है आपने पिछला पार्ट पढ़ लिया होगा। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा दीपा और कमल रोल-प्ले करके सेक्स कर रहे थे। जब उनकी चुदाई पूरी हुई, तो कमल कुछ सोच रहा था। दीपा के पूछने पर उसने कहा कि वो संतुष्ट महसूस नहीं कर रहा था, जिससे दीपा हैरान हो गई। अब आगे-

दीपा: मैंने खौफ खाते हुए कहा, “क्या मतलब? तुम्हारा मन नहीं भरा अब तक। अब अगर कुछ भी किया तुमने तो मैं ज़िंदा नहीं बचूंगी।” कमल‌ बोला, “मेरी जान है तू, तुम्हे कुछ होने नहीं दूंगा। बस आज मुझे शांत कर दे।” मैं बोली, “तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। अब बस करो, मुझे तो तुम पूरी ज़िंदगी चोदने ही वाले हो। मैं कहीं भागे थोड़े जा रही हूं? बस अब मुझे कस के पकड़ो और सो जाओ।” कमल बोला, “तुम बहुत थक गई हो लगता है। एक काम करते हैं, नहाने चलते हैं। गर्म पानी से नहा कर फ्रेश हो जाएंगे तो नींद भी अच्छी आएगी।”

दीपा: मुझे ये बात ठीक लगी। मैंने बिस्तर पर से उठने की कोशिश की लेकिन बेरहम चुदाई के कारण मुझसे उठा नहीं गया। कमल मुझे सहारा देकर बाथरूम तक ले गया। वहां उसने मुझे एक टेबल पर बिठाया और गीजर चला कर मुझ पर गर्म पानी डालने लगा। गर्म पानी की बौछार मुझ पर गिरते ही मुझे अच्छा लगने लगा।

दीपा: फिर कमल ने साबुन उठाया और मेरे शरीर पर मलने लगा। मेरे कंधे, मेरी पीठ, मेरी कमर, मेरी जांघें, मेरे पैर सब जगह मल कर उसने मेरे बूब्स पर साबुन मलना शूरू किया। मुझे उसके इरादों पर शक तो हुआ, पर यह सोच कर आश्चर्य भी हुआ कि दो-दो बार लगातार चुदाई के बाद भी कमल में इतनी हवस कैसे बची थी? मैं बोली, “ये सब क्या कर रहे हो? थके नहीं क्या अब तक?” कमल बोला, “थकूंगा क्यों? अभी तक हमने किया ही क्या है?”

दीपा: मैं गुस्से से उसे देखने लगी तो बोला, “अब तक तो कॉलेज के दिनों के दो दोस्त चुदाई कर रहे थे। अब दो मंगेतर अपना प्यार वाला खेल खेलेंगे।” अब तक उसने मेरे शरीर से साबुन हटा दिया था। मेरे जवाब की परवाह किये बगैर उसने मुझे दोनों हाथ पकड़ कर खड़ा किया और टेबल, जिस पर मैं बैठी थी, उसके बगल में दीवार के सहारे खड़ा कर दिया। मैं जान चुकी थी कि मेरा कोई बस चलने वाला नहीं था, तो मैंने भी हथियार डाल दिये, और अपनी बाहों को कमल के गले मे डाल कर अगले पल का इंतज़ार करने लगी।

दीपा: मुझे लगा था कि कमल अब मेरे बूब्स मसलने लगेगा, पर उसने ऐसा कुछ नहीं किया। बल्कि धीरे से अपना चेहरा मेरे पास लाया और मेरे माथे को चूम लिया। मैं अभी-अभी दो बार चुदी थी, बहुत देर से कमल के साथ बाथरूम में नंगी ही थी, पर फिर भी ना जाने क्यों, कमल की इस हरकत से मुझे गुलाबी शर्म का अहसास हुआ। मैंने नज़रें झुक ली। फिर कमल ने प्यार से मेरी आंखों को चूमा, और फिर आंखों के नीचे। धीरे-धीरे मेरे सारे चेहरे पर चुम्बन करने के बाद कमल ने अपने होंठ मेरे होंठ पे रख दिये, और अब हम दोनों की प्यार भरी स्मूचिंग शुरू हुई।

दीपा: कमल और मेरी ज़ुबान एक-दूसरे से मिलने लगी और लड़ने लगी। लगातार चुदाई के बाद मेरा खड़ा रह पाना मुश्किल था, लेकिन कमल ने मुझे कस के कमर से पकड़ के रखा था। उसका सीना मेरे बूब्स को दबा रहा था। मेरे निप्पल कड़क हो चुके थे, और कमल के सीने से घिस-घिस कर मदहोशी बढ़ा रहे थे। लेकिन अब दर्द और थकान के कारण मुझे होने वाली चुदाई को जल्दी खत्म करना था।

दीपा: कमल अब तीसरी बार मे जल्दी नहीं झड़ता, इसीलिए मैंने सोचा उसके लंड हिला कर थोड़ा तैयार कर दूं। जैसे ही मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को पकड़ा, तो मैं चौंक गयी, उसका लंड पहली दो चुदाई से भी ज़्यादा कड़क हो चुका था। मैंने जल्दी-जल्दी उसकी मुठ मारना शुरू किया।

दीपा: शायद मेरी ये चाल कमल समझ गया, इसीलिए पांच मिनट बाद उसने मुझे स्मूच करना छोड़ दिया, और अपने घुटनों पर नीचे बैठ गया। अब मेरी चूत बिल्कुल उसके चेहरे के सामने थी। उसने एक हाथ से मेरा दाया पैर उठा कर टेबल पर रख दिया, जिससे मेरी चूत थोड़ा खुल गयी। एक तो कमल का प्यार, और दूसरा वासना भरा माहौल, इन दोनों की वजह से मेरी चूत से रस फिर से बहने लगा था, और उसकी खुशबू से कमल में नया जोश भर गया था।

दीपा: उसने दोनो हाथों से मेरे चूत्तड़ों को पकड़ा और अपनी जीभ से चूत की फांको को चूमने लगा। धीरे से अपनी जीभ मेरे छेद में अंदर डालने लगा। इससे थोड़ा सुकून भी मिला। कमल जितना हो सके अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर घुसाने की कोशिश कर रहा था। चूत के अंदर-बाहर और फांको के ऊपर से नीचे तक लपलपाती जीभ अब खुमारी बढ़ा रही थी।

दीपा: मैं अपना दर्द भूल गयी और मस्ताने लगी। कुछ देर बाद कमल खड़ा हुआ और मुझे बोला, “अब मैं खड़े-खड़े तुम्हे चोदता हूं।” मेरा एक पैर टेबल पर था और दूसरा पैर जमीन पर थोड़ा फैला कर मैं खड़ी थी। कमल मेरे करीब आया और घुटनों से थोड़ा झुका। फिर उसने लंड को मेरी चूत पर टिकाया, पर धक्का नहीं दिया। बल्कि थोड़ा और झुक के मेरे निप्पल्स चूसने लगा। मेरी बेताबी इतनी थी कि मैं कमर से थोड़ा आगे बढ़के लंड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी।

दीपा: कमल ने मेरी इच्छा को समझा और खुद भी धक्का देकर अपना लंड घुसाने की कोशिश करने लगा। हमने खड़े-खड़े पहले कभी चुदाई नहीं की थी, तो हमें ठीक से करने में दिक्कत आ रही थी। लंड ठीक से अंदर जा नहीं पा रहा था।

दीपा: हमने थोड़ा आगे-पीछे होकर, थोड़ा पैरों को फैला कर सही पोज़ लेने की कोशिश की। कुछ देर बाद मैंने एक पैर को और ऊपर उठा कर कमल की कमर से लपेट लिया और दूसरे पैर की उंगलियों पर खड़ी होकर ऊंची हुई। दोनों हाथों को उसके गले से लपेट कर कस के पकड़ लिया ताकि संतुलन बना सकूं। कमल भी मेरी टांगों के बीचो-बीच आकर खड़ा हो गया। अपने घुटने थोड़े मोड़ कर सही पोजीशन बना कर उसने एक धक्का दिया। इस बार लंड काफी अंदर तक गया। हम दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुराये। जैसे कोई बड़ी जीत हासिल हुई हो।

दीपा: कमल ने अब आगे-पीछे हो कर मुझे चोदना शुरू कर दिया। खड़े-खड़े चुदाई के एक अलग ही सुख की अनुभूति मुझे हो रही थी। कमल के हर एक धक्के से मैं थोड़ा ऊपर की ओर उछलती तो मेरे स्तन भी ऊपर-नीचे गेंदों की तरह उछल रहे थे। कमल मेरे उछलते स्तन देख कर और भी जोश में आ गया और अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ाने लगा।

दीपा: अब मेरी हालत खराब हो रही थी पर मैं रुकना नहीं चाहती थी। मैं एक पैर पर और वो भी पैरों की उंगलियों पर खड़ी थी, जिससे मेरे पैरों में दर्द शुरू होने लगा था। पर मैं फिर भी चाहती थी कि ये चुदाई चलती रहे। दर्द को थोड़ा भुलाने के लिए मैंने आगे बढ़ के कमल के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें चूसने लगी। कमल ने अपनी जीभ मेरे मुंह मे घुसा दी और मैं भी बड़े चाव से उसकी जीभ को चूसने लगी।

दीपा: कमल नीचे से मुझे चोद रहा था। ऊपर हमारी चुम्मा-चाटी चल रही थी, और कमल का एक हाथ कभी मेरे बूब्स दबा रहा था, कभी मेरी पीठ पर फिरा रहा था, तो कभी मेरे चूत्तड़ों के खेल रहा था। अब हम दोनों फिर से झड़ने वाले थे। मेरी सिसकारियां तेज़ हो गई। वैसे तो घर में कोई था नहीं, लेकिन अगर कोई बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा होता तो हमारी आवाज़ें ज़रूर सुन सकता। कमल भी रह रह कर उन्ह-उन्ह की आवाज़ निकाल कर अपनी मदहोशी की स्थिति बयान कर रहा था। कमल बोला, “जान, मेरा निकलने वाला है। मैं चाहता हूं फिर से तुम्हारे अंदर ही निकल दूं।” मैं बोली, “हां बेबी, अंदर ही आ जाओ। मैं भी होने वाली हूं।”

दीपा: कुछ ही सेकंड बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ा और साथ ही साथ मेरे अंदर की ताकत भी जैसे मेरी चूत से बह कर निकल गयी। मैंने अपना पूरा शरीर कमल पर ढीला छोड़ दिया। पर कमल का अभी बाकी था, तो उसने मुझे इसी तरह पकड़ कर खड़ा रखा और चुदाई जारी रखी। एक-दो मिनट के बाद मैंने कुछ गर्म सा अपनी चूत के अंदर महसूस किया, तो मैं समझ गयी कि कमल भी अब झड़ चुका था।

इसके बाद इस चुदाई कहानी में क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगा।