मेरी चुदक्कड़ मामी और सेक्सी ममेरी बहन-8 (अंतिम भाग )

पिछला भाग पढ़े:- मेरी चुदक्कड़ मामी और सेक्सी ममेरी बहन-7

मान्या ने नारंग के ऑफिस के जो किस्से मुझे बताये, वो मुझे भी हैरान कर देने वाले थे। नारंग से चुदाई के बाद मान्या जब नेहा के ऑफिस में पहुंची तो वहां उसके साथ जो हुआ वो हैरान करने वाला था। नेहा मैम ने मान्या की चूत चूसनी शुरू कर दी। अभी ये चुसाई चल ही रही थी, कि रश्मि मैम भी वहां पहुंच गयी।

मान्या बता रही थी, “अब रश्मी मैम ने अपने कपड़े उतारे और मेरी चूत चूसने लगी। उधर नारंग सर लंड हिला रहे थे। नेहा मैम और रश्मि मैम की चुसाई से मेरी चूत तो फिर गरम हो गयी। मेरे चूतड़ हिलने लगे।”

“ये देख कर रश्मि मैम जोर-जोर से मेरी चूत चाटने लगी। जल्दी ही मेरे मुंह से सिसकारी निकली, “आआह मैम निकला मेरा।” मेरे चूतड़ जोर से घूमे, और मेरी चूत पानी छोड़ गयी।”

“कुछ देर में जब मेरा मजा उतरा तो नेहा मैम आयी और बेड पर लेट कर अपने चूत खोल दी और बोली, “आओ मान्या इधर आओ। सर का तो बढ़िया चूसा तुमने, अब जरा अपनी जुबान का जादू हमें भी तो दिखाओ।”

“मैं क्या करती? मैं नेहा मैम की चूत चूसने लगी। रश्मि मैम सोफे पर बैठी टीवी स्क्रीन की तरफ देख रहे थी और अपनी चूत का दाना रगड़ रही थी। दस मिनट की चुसाई के बाद नेहा मैम की चूत पानी छोड़ गयी। नेहा मैम उठी तो रश्मि मैम आ गयी। मैंने चूस-चूस कर रश्मि मैम की चूत का पानी छुड़ाया।”

“पहले नारंग सर, फिर नेहा मैम और अब रश्मि मैम। इतनी चुसाई के बाद तो मेरा मुंह ही दुखने लग गया। मैंने मन ही मन सोचा यही है मेरे बोल्ड होने का नतीजा? तब मैं सोचने लगी कि मम्मी का भी कहीं यही हाल तो नहीं किया इन्होने?”

“सच में किशोर, मैं सोच रही थी कि ये एडवर्टाइज़िंग एजेंसी है या चुदाई खाना। जिस तरह उस दिन चुदाई चुसाई चटाई हो रही थी सच में ये तो चुदाई का अड्डा ही लग रहा था।”

“जब चुसाई से दोनों फारिग हो गयीं तो दोनों ने कपड़े पहन लिए। नेहा मैम बोली, “मस्त बोल्ड हो तुम मान्या। बिल्कुल अपनी मॉम के तरह। बहुत तरक्की करोगी, बहुत आगे जाओगी। चलो कपड़े पहन लो। मेरी नजर टीवी स्क्रीन पर गयी तो देखा नारंग सर लंड हाथ में पकड़ कर मुट्ठ मार रहे थे।”

“ये देख कर नेहा मैम रश्मि मैम से बोली, “रश्मि जाओ जा कर जरा सर की मदद करो।”

“रश्मि ने जल्दी जल्दी कपड़े पहने और बाहर निकल कर सर के ऑफिस के तरफ चल पड़ी। आधे मिनट के बाद टीवी स्क्रीन पर रश्मि दिखाई दी। पहुंचते ही रश्मि ने अपने कपड़े उतार दिए और सर के सामने बैठ कर सर का लंड मुंह में ले लिया। इसके साथ स्क्रीन से पिक्चर हट गयी। या तो नारंग सर ने सीसीटीवी बंद किया होगा या नेहा मैम ने बंद किया होगा।”

मान्या ने सारी बात बताने के बाद कहा, ” किशोर मुझे कुछ अटपटा सा लग रहा था। मैं सोच रही थी कि अगर सर मुझे एक बार चोद ही चुके हैं और नेहा मैम और रश्मी मैम मेरे साथ ये सब कर चुकी हैं तो दुबारा ये सब करने से इन्हें कौन रोकेगा। क्या फिर दुबारा मेरी ऐसी ही चुदाई चुसाई होगी?”

“ये मुझे बाद में पता चला कि नारंग सर किसी भी मॉडल को कम्पनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट होने का बाद नहीं चोदते।”

“कपड़े पहन कर मैं बोली, “चलती हूं मैम। नेहा मैम ने “बाय मान्या” कहा, जैसे कुछ हुआ ही ना हो।”

बाहर निकली तो रश्मि मैम अभी भी अपनी सीट पर नहीं थी। नारंग सर रगड़ रहे होंगे रश्मि मैम को। मैं बाहर का दरवाजा खोलने ही वाली थी कि नेहा मैम अपने ऑफिस से निकली और नारंग सर के ऑफिस में चली गयी। कोइ शक नहीं नेहा मैम भी चुदने के लिए ही अंदर गयी होगी। मैंने मन ही मन बस इतना ही कहा, “हद्द ही है ये तो।”

मान्या इतना बोल कर चुप हो गयी।

जो कुछ मान्या ने मुझे बताया ये तो मुझे भी मालूम नहीं था। मैंने कई मॉडलों को चोदा था लेकिन किसी ने भी ये बातें मुझे नहीं बताई थी। ये मुझे भी नहीं पता था कि नेहा और नारंग के ऑफिस सीसीटीवी से जुड़े हैं। इसका मतलब तो ये हुआ मामी की चुदाई के मजे नेहा और रश्मि ने भी लिए होंगे। और क्या मामी के साथ मेरी चुदाई भी इन सब ने देखे होगी? कई सवाल मेरे मन में उठ रहे थे।

अब तक तो मैं नारंग को केवल नंबर का लम्पट, बेशरम, हरामज़ादा और लौंडियाबाज इंसान समझता था, मगर अब मुझे समझ आया के वो साला एक नंबर का मादरचोद भी है।

मैंने मान्या को कहा ,”मान्य सौरभ से पूछ लूं एक बार आ रहा है कि नहीं आ रहा? नहीं आ रहा तो चलें। एक दिन के हिसाब से तो बहुत हो गयी चुदाई।”

मैंने सौरभ को फोन लगाया। सौरभ ने कहा ,”यार अब तो नहीं आ पाऊंगा। तुम्हारा कैसा चल रहा है? मैंने कहा “मेरी और मान्या की दो बार चुदाई हो चुकी है। अगर तू नहीं आ रहा तो फिर हम चलते है। मैं मान्या को इसके घर ड्राप कर दूंगा।”

सौरभ बोला, “अभी तो तीन ही बजे हैं। मान्या तो ऑफिस मे काम बोल कर आयी है, मतलब पांच बजे तक रुक सकती है। गांड चोद ले। लंड पर बैठ कर मस्त गांड चुदवाती है। एक बार बैठ गयी ना तेरे लंड पर, तो दिन मे तारे दिखा देगी, जन्नत की सैर करवा देगी तुझे।”

जैसे ही मैंने फोन बंद किया, मान्या ने पूछा, “क्या कहा किशोर उसने? आ रहा है?”

मैंने जो भी सौरभ ने कहा था, मान्या को बता दिया। मान्या बोली, “ऐसा बोला सौरभ? तो फिर क्या ख्याल है? चोदनी है गांड?”

मैंने भी कहा ,”तू बता, तूने चुदवानी है गांड?”

मान्या हंस कर बोली, “हां चुदवानी है गांड, आजा।”

मैंने कहा, “पर मान्या क्रीम तो है नहीं।”

मान्या बोली, “देख यहीं किसी दराज में पड़ी होगी। यहां तो हर तीसरे दिन गांड चुदाई होती है। नहीं होगी तो कोई बात नहीं, थूक से काम चला लेंगे। थोड़ी रगड़ाई ही तो ज्यादा होगी।”

मैंने भी सोचा मां बेटी के विचार कितने मेल खाते हैं। मामी भी यही बोलती है। मैंने इधर उधर ढूंढा, मगर क्रीम नहीं मिली।

तब तक मान्या उल्टी हो कर लेट चुकी थी। मान्य बोली, “क्या हुआ, नहीं मिली? चल छोड़ आजा पहले गांड चाट थोड़ी। फिर करते हैं आगे का काम। और मान्या ने चूतड़ खोल दिए।”

हल्का भूरा गुलाबी पन लिए हुए छोटा सा बंद गांड का छेद सामने था। मैंने सोचा इस गांड मे जाएगा मोटा लंड? मगर फिर सोचा सौरभ का भी तो जाता ही है, और तब तो ये गांड चुदी भी नहीं हुई थी। और मैं मान्या की गांड का छेद चाटने लगा। मैंने चूतड़ों को बाहर की तरफ खींचा। गांड का छेद थोड़ा सा खुल गया। छेद के अंदर का गुलाब के फूल जैसा गुलाबी नजारा सामने था। मेरा तो दिल कर रहा था उठूं और डाल ही दूं इसमें अपना लंड।

मैंने अपनी उंगली पर थूक लगायी, और छेद मे पूरी उंगली घुसेड़ दी।

मान्या जरा सी हिली और बोली, “किशोर मजा आ गया, बढ़िया गांड चुदाई करेगा तू आज।” कुछ देर मैं ऐसे ही मान्या की गांड का छेद चूसता चाटता रहा। फिर मान्या बोली, “चल बस कर, इधर आ लंड चूसूं तेरा।”

मैं और मान्या दोनों उठ गए। मान्या ने मेरा लंड मुंह मे लिया और चूसने लगी। दस मिनट के गांड और लंड चुसाई के बाद मान्या बोली, “चलो किशोर अब आगे का काम करते हैं। क्या बोला था सौरभ? एक बार बैठ गयी ना तेरे लंड पर तो दिन मे तारे दिखा देगी, जन्नत की सैर करवा देगी।”

फिर हंसते हुए बोली, “चल आजा फिर लेट जा अपने इस खम्बे के साथ। अब मैं तुझे जन्नत की सैर करवाती हूं।”

फिर मान्या ने अपने चूतड़ खोल दिए और बोली “किशोर लगा इसमें जितना थूक लगा सकता है उंगली से अंदर भी लगा दे।” मैंने खूब थूक लगाया मान्या की गांड के छेद पर।

मान्या जल्दी से उठी और ढेर सारा थूक मेरे लंड पर गिरा कर मला और मेरे लंड पर बैठने लगी। लंड जा नहीं रहा था। मान्या को भी दर्द हो रहा था। आह किशोर जा नहीं रहा।

फिर मान्या रुकी, थोड़ा और अंदर डाला। लंड अपनी जगह बनाता जा रहा था। मान्या धीरे-धीरे लंड अंदर लेती जा रही थी। पंद्रह मिनट की कोशिशों के बाद लंड अंदर बैठ गया। मान्या बोली, “लंड ने अपनी जगह बना ली है। मैं लंड बाहर निकाल रही हूं। एक बार और थूक लगा कर चुदाई शुरू करते हैं।”

मान्या ने लंड बाहर निकाल लिया। मैंने खूब थूक मान्या की गांड के छेद पर लगाया। मान्या ने फिर मेरे लंड पर थूक गिराया। लंड को अपनी गांड के छेद पर रक्खा और एक ही बार मे अंदर तक बिठा दिया और साथ ही चिल्लाई, “आअह किशोर, दुःख तो रहा है लेकिन मेरी गांड मे आग लगी हुई है।”

ये बोल कर उसने मेरे लंड पर ऊपर-नीचे होना शुरू कर दिया। गांड का छेद अब खुल चुका था, मगर रगड़े बहुत लग रहे थे। जैसे किसी लड़की की पहली चूत चुदाई में लगते हैं। मगर मान्या थी की लंड पर उछल कूद जारी रक्खे हुए थी। मैं सोच रहा था कमाल की बहादुर है मान्या, कम से कम चुदाई के मामले में तो बहादुर ही है।

गांड चुदाई के साथ मान्या अपनी चूत मे उंगली करने लगी। मान्या के चूट खूब पानी छोड़ रही थी। चूत का पानी मेरे लंड के आस-पास भी गिर रहा था।

मान्या ने मेरा लंड गांड मे से निकाला, और चूत में डाल कर अपने लेसदार नमकीन पानी से चिकना किया और झटके से गांड लंड पर रख कर लंड के ऊपर बैठ गयी। चूत के लेसदार पानी से चिकना हुआ लंड फिसल कर गांड में चला गया।

मान्या बोली , “आह अब ठीक है।” लगता था क्रीम की कमी पूरी हो रही थी।

पता नही कितनी देर मान्या ऐसी ही मेरे लंड पर उठक बैठक करती रही। अब मान्या जोर-जोर से चूत का दाना रगड़ रही थी। मान्या बोली, “किशोर तू कहां तक पहुंचा? मेरी तो चूत का पानी झड़ने वाला है।”

मैंने कहा, “अभी तो नहीं झडूंगा, पर मजा आने लग गया है।” मान्या ने कहा, “तो ठीक है किशोर, मैं तेरा लंड चूत में लेकर झड़ जाऊं, फिर दुबारा लंड गांड में ले लूंगी।”

कह कर मान्या ने मेरा लंड अपनी चूत में डाल लिया और जोर-जोर से ऊपर-नीचे होने लगी। अभी दस धक्के भी नहीं लगे होंगे की मान्या की सिसकारी निकाल गयी आअह किशोर आआह, गई आअह्ह्ह किशोर, आआह। और एक लम्बी सिसकारी के साथ ही मान्या झड़ गयी। खूब पानी छोड़ा मान्या की चूत ने।

चूत का पानी झड़ने का बाद मान्या ने लंड वापस गांड में ले लिया, और लंड पर छलांगें लगाने लगी।

मेरा भी निकलने वाला था। मैं बोलने लग गया, “मान्या अब मत रुकना, मान्या मेरी जान, मान्या आअह… निकला मेरा, निकाल गया, मान्या मेरी मान्या, आअह… आआह… आअह गया निकल गया मान्या आअह। और मेरे लंड से ढेर सारा पानी निकल कर मान्य की गांड में चला गया।

चूत और गांड चुदाई के बाद हम ऐसे ही बेड पर लेटे रहे। पांच बजने में अभी वक़्त था। मान्या मामी को ‘ऑफिस जा रही हूं’ का बोल कर आयी थी। इसका मतलब था साढ़े पांच के बाद ही घर पहुंचना था।

मैंने लेटे लेटे ही पूछा, “मान्य तुझे मालूम है मामी को नारंग सर ने चोदा है?” मान्या ने जवाब देने का बजाए मुझसे पूछा ,”क्या तुझे मालूम है?”

मैंने कहा “हां मान्या मुझे मालूम हैं चुदाई के मामले में मैं नेहा मैम और रश्मी की ही तरह नारंग सर का राजदार हूं। नारंग सर के ऑफिस के अंदर होने वाली लगभग हर चुदाई की मुझे खबर रहती है।”

मान्या कुछ देर चुप रही फिर बोली, “किशोर जिस दिन नारंग सर ने मुझे चोदा था, तो पहली चुदाई के बाद उन्होंने मुझसे मेरी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा था, “मान्या क्या मस्त चुदवाती हो तुम, बिल्कुल अपनी मम्मी के तरह, मजा आ गया।”

“किशोर एक बार तो मैं हैरान हुई, मगर मम्मी के लच्छन कोई छुपे तो हैं नहीं। जैसे सेक्सी ड्रेस डाल कर वो गयी थी उसे नारंग सर से चुदना ही चुदना था। किशोर, अब तो मैं ये भी जानती हूं की नारंग सर मम्मी की उम्र की औरतें ही ज्यादा पसंद आती हैं। नेहा मैम, रश्मि मैम, ये सब सर से चुदाई करवाती हैं।”

मान्या ने मेरा लंड हाथ में पकड़ा और बोली, “किशोर तू भी तो चोदता है मम्मी को।”

कुछ बोलने ही वाला थी कि मान्या बोली, “किशोर तू ठीक करता है। मम्मी ने तो अपनी चूत की आग बुझवानी ही है तेरे से, नहीं तो किसी और से बुझवायेगी। तेरे चोदने से कम से कम घर की बात घर में तो रहेगी।”

मान्या की इस बात पर मेरी हंसी छूट गयी। मान्या ने पूछा, “क्या हुआ किशोर तू इस बात पर हंसा क्यों?”

मैंने मान्या को कहा, “मान्या, मामी जिस फिटनेस सेंटर में फिटनेस इंस्ट्रक्टर है, वो सेंटर बहुत टॉप का सेंटर है और बहुत महंगा भी। सेंटर के क्लाइंट भी अमीरों के बिगड़े शहजादे हैं। मान्या तूने कभी मामी के कपड़े देखे जो वो सेंटर में पहन कर जाती है? आधे तो मम्मे दिखाई पड़ते हैं। मक्खियों की तरह पीछे पड़े रहते हैं वो अमीर नवाब मामी के। अभी भी जवाब चाहिए कि मामी बाहर चुदाई नहीं करवाती?”

मान्या कुछ सोच में पड़ गयी। फिर मान्या कुछ रुक कर बोली, “अच्छा किशोर एक बात बता, तूने मम्मी को सबसे पहले कब और कैसे चोदा?”

मैंने नारंग के ऑफिस का सारा किस्सा सुना दिया कि कैसे एक बार मामी को चोदने के बाद नारंग ने मुझे मामी को चोदने के लिए भेज दिया था।

मान्या के मुंह से इतना ही निकला, “कमाल है ये नारंग तो!” ये पहली बार था कि मान्य ने नारंग को सर नहीं बोला था।

मान्या ने फिर पूछा, “किशोर तुझे पता था कि अगर मैं नारंग की कम्पनी में मॉडल बनती हूं तो मेरी इस तरह चुदाई होगी?”

मैंने कहा “मालूम था मान्या। याद कर मैंने कई बार तुझे और मामी को संकेत दिया था की इस लाइन में क्या कुछ हो सकता है। मगर तुम और मामी मेरी बात कहा सुन रहे थे।” यह कह कर मैं चुप हो गया।

मान्या बोली, “छोड़ो किशोर, मजे लो मामी और मुझे चोदने के। ऑफिस की किसी और लड़की पर मन आ जाए तो बताना, चुदवा दूंगी। मैं, तुम, सौरभ, आशीष, और वो लड़की ग्रुप सेक्स करेंगे। बदल-बदल कर चुदाई का मजा ही अलग होता है। मजा आ जाएगा।”

मैं सोच रहा था कहां से कहां पहुंच गयी है ये मेरी ममेरी बहन मान्य खट्टर।

मान्य ने पूछा, “अच्छा किशोर नारंग सर अब नहीं बुलाएंगे मुझे दुबारा चुदाई के लिए?

मैंने हंस कर पूछा, “क्या बात है मान्या, फिर से चुदवानी है क्या नारंग सर से?

मान्या बोली, “वो बात नहीं किशोर। अब तो बाहर भी कई हैं चूत का पानी निकलने वाले। सौरभ है, आशीष है, और अब तो तू भी है। ये तो मैं ऐसे ही पूछ रही थी।”

मैंने भी जवाब दिया, “मान्या, नारंग सर का एक असूल है कि ऑफिस में काम करने वाली लड़की को नहीं चोदते, कम से कम ऑफिस में तो नहीं। तुम्हें भी जब चोदा था तब तक तुम इस कम्पनी की मॉडल नहीं बनी थी, केवल सेलेक्ट हुई थी।”

बात करते-करते मान्या मेरा लंड सहलाती जा रही थी। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।

मान्या बोली, “किशोर तेरा तो फिर खड़ा हो गया। चल आजा एक बार और कर दे चुदाई, फिर चलें घर। आज का दिन मजेदार निकला।”

उस दिन मैंने मान्या एक बार फिर चोदा, लिटा कर चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर। मजा आ गया।

अब चुदाई का सिलसिला चल चुका था। मामी और मान्या मुझ से खूब चुदाई करवाती थी। कई बार अब मैं, मान्या, सौरभ, आशीष, और सुरभी भी गेस्ट हाउस में ग्रुप चुदाई के मजे ले चुके थे। कभी-कभी श्रुति, निशा, और रोज़ी भी आ जाती थीं।

बस कभी-कभी हर्ष मामा का ध्यान आता तो बड़ा बुरा लगता था। मामा ऐसे थे नहीं कि कहीं बहार चुदाई कर सकते। उनकी बीवी, मेरी मामी को औरों से ही चुदने से फुर्सत नहीं थी। मामा बेचारा ना तीन में था तेरह में था। पता नहीं मामा मुट्ठ भी मरता होगा या नहीं।

बाकी जिंदगी मेरी बढ़िया चल रही थी।

समाप्त

अगली कहानी, “अजब गांडू की गजब कहानी” जल्दी ही।

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