भाई-बहन की वासना-2

पिछला भाग पढ़े:- भाई-बहन की वासना-1

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम प्रितंका गुप्ता है। मैं अपनी सेक्स कहानी का अगला पार्ट लेके हाजिर हूं। मेरी कहानी के पिछले पार्ट को आप सब ने बहुत प्यार दिया। उसके लिए मैं आप सब की बहुत आभारी हूं। जिन लोगों ने भी अभी तक पिछला पार्ट नहीं पढ़ा है, तो पहले उसको जरूर पढ़ें।

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा कि कैसे मैंने अपने छोटे भाई दीपक को अपनी गांड घूरते देखा। फिर जब मैंने उसकी तरफ अपने बूब्स किए, तो वो उनको भी घूरने लगा। उसके बाद जब मैंने उसको मेरी पैंटी लेके मुठ मारते देखा, तो मुझसे भी रुका नहीं गया, और मैंने भी बाथरूम में जा कर अपने चूत का पानी नाली में बहा दिया। अब आगे बढ़ते है-

चूत का पानी गिरा कर मेरी चूत शांत हो गई। मैंने अपने मन में सोचा कि अगर सिर्फ भाई को मेरे नाम की मुठ मारते देख कर मुझे फिंगरिंग में इतना मजा आया, तो अगर उसी भाई का लंड मेरी इस टाइट चूत में जाएगा, तो कितना मजा आएगा। ये सोच कर मैंने अपने भाई से चुदने का फैसला किया।

मैंने ये भी सोचा कि अगर मैंने पहला की, तो वो हमेशा मेरे से ऊपर रहेगा, और मुझे झुक कर रहना पड़ेगा। इसलिए मैंने सोचा कि मैं उसको सिड्यूस करूंगी। इसके लिए मैं उसको अपना सेक्सी बदन दिखा-दिखा कर तड़पाऊंगी। और जब वो मुझे चोदने के लिए मुझसे भीख मांगेगा, तो मैं उस पर दया दिखा कर उसको मेरी चूत चोदने का मौका दूंगी।

इससे मेरे दो फायदे हो जाएंगे। एक तो मेरा भाई मेरा गुलाम बन जाएगा, और हमेशा मेरे इशारों पर चलेगा। और दूसरा, मुझे घर में ही अपनी चूत शांत करने वाला लंड मिल जाएगा।

फिर मैंने उसी पल से भाई को सिड्यूस करने का अपना अभियान शुरू कर दिया। मैंने अपनी चूत पर लगे पानी को साफ किया, और कमरे में वापस चली गई। अब तक मेरा भाई भी मूठ मार चुका था। फिर मैं बेड पर बाल खोल कर बैठ गई। मैंने अपना एक बालों पर लगने वाला पिन लिया, और उसको जान-बूझ कर नीचे गिरा दिया। मैंने उसको ऐसे गिराया, ताकि वो बेड के नीचे चला जाए।

मेरा भाई हम सब का लाडला है। उसको अक्सर जब मैं कोई काम कहती हूं, तो वो मना ही करता है। इसलिए पहले मैंने उसको बोला पिन उठा कर देने को। लेकिन उसने मुझे मना कर दिया। वो अपना मोबाइल चलाने में मस्त था। फिर मैं बेड से उतरी, और नीचे घुटनों के बल बैठ गई। मैंने अपने हाथ जमीन पर रखे, और बिल्कुल नीचे झुक गई।

इससे मेरी गांड बिल्कुल बाहर निकल आई, और बहुत बड़ी दिखने लगी। मेरी गांड बिल्कुल दीपक के सामने थी। मैंने नज़र चुरा कर दीपक की तरफ देखा। उसकी नजर मेरी गांड पर ही थी। अब मैं चाहती थी कि वो मेरी गांड को छुए। मैं सोचने लगी कि ऐसा कैसे होगा। तभी मेरे दिमाग में एक तरकीब आई।

मैंने अपना हाथ कंधे तक बेड के नीचे घुसेड़ दिया, और पिन को हाथ में लेके झूठ-मूठ का बोली-

मैं: आह! मैं फंस गई दीपक आह मेरा कंधा! मदद करो दीपक, मुझे बाहर खींचो।

मेरी ये बात सुन कर दीपक बौखला कर उठा। वो बोला-

दीपक: क्या हुआ दीदी? मैं कैसे मदद करूं आपकी?

मैं: अरे पागल, मुझे पीछे से पकड़, और पीछे खींच, ताकि मेरी ये बाजू बाहर निकले। जल्दी कर दर्द हो रहा है।

फिर दीपक मेरे पीछे आ गया, और मुझे हल्के से कमर से पकड़ा। तो मैं उसको बोली-

मैं: अरे खींचना है मुझे, जरा जोर से पकड़।

उसने ऐसा ही किया। अब मेरे भाई के दोनों हाथ मेरी कमर पर थे, और पीछे से उसका खड़ा हुआ लंड मेरी गांड पर फील हो रहा था। जिस तरह से मुझे अपनी गांड पर लंड फील हो रहा था, उसी तरह उसको भी मेरी गांड की सॉफ्टनेस फील हो रही होगी। मैं जान-बूझ कर गांड इधर-उधर हिला रही थी, ताकि उसके लंड को गांड पर घिस सकूं।

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने अपना हाथ बेड के नीचे से निकाल लिया। अब मैं जान-बूझ कर दर्द होने का नाटक करने लगी। तभी दीपक ने मुझसे पूछा-

दीपक: क्या हुआ दीदी, ज्यादा दर्द है क्या?

मैं: हां दीपक, कंधा मुड़ गया है मेरा।

दीपक: मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूं?

मैं: तू ऐसा कर मेरा प्यार भाई बन के थोड़ी मालिश कर दे मेरे कंधे की। कर देगा?

दीपक: हां दीदी, जरूर।

उसकी हां सुन कर मैं खुश हो गई, क्योंकि इससे मैं उसको ये बता सकती थी, कि मेरे नंगे बदन का टच कैसा फील होता है। फिर मैंने उससे कहा-

मैं: जा जाके किचेन से सरसों का तेल ले आ।

वो किचेन में गया, और एक कटोरी में सरसों का तेल ले आया। फिर मैं बेड पर बैठ गई, और उसको मेरे पीछे आने को कहां। जैसे कि मैंने आपको पहले ही बताया है, कि मैंने खुली टीशर्ट पहनी थी, तो उसका गला भी काफी खुला था।

मैंने टीशर्ट के गले को एक साइड से पकड़ा, और खींच कर उसको कंधे तक ले गई, और अपनी बाजू पर टिका दिया। इस तरह से मेरी गर्दन से लेके कंधे तक की पूरी जगह नंगी हो गई। मेरी क्लीवेज का कुछ हिस्सा भी दिखाई दे रहा था, और बगल वाली साइड जो बूब का उभार होता है, वो भी दिख रहा था। फिर मैंने दीपक से कहा-

मैं: चल दीपक, अब इस सारी जगह पर तेल लगा, और दबा दे अच्छे से।

मैं अपने भाई की शकल उस वक्त देख नहीं सकती थी, क्योंकि वो मेरे पीछे था। लेकिन मुझे ये यकीन था, कि जो नजारा मैंने उसको दिखाया था, उसको देख कर उसका लंड पूरा टाइट हो गया होगा।

फिर उसने कटोरी में से तेल हाथ में लिया, और उसको मेरे कंधे पर लगाने लगा। भाई का हाथ लगते ही मेरे बदन में करेंट सा दौड़ गया। यकीनन उसका भी मेरे जैसा हाल ही हो रहा होगा। जब वो तेल मलने लगा, और कंधे को दबाने लगा, तो मैं जान-बूझ कर दर्द का बहाना करते हुए आह आह करने लगी।

इसके आगे इस सेक्स कहानी में और क्या हुआ, वो आपको आने वाले पार्ट्स में पता चलेगा। अगर आपको यहां तक की कहानी पढ़ कर मजा आया हो, तो [email protected] पर अपनी फीडबैक शेयर करे।