पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-10
नसरीन की माहवारी बंद हो गयी थी। उस रात असलम का अपनी अम्मी की गांड चोदने का मन हो गया। असलम दुकान से आते वक़्त गांड चुदाई वाली पिक्चर की कैसेट ले आया। दोनों मां बेटा लेटे-लेटे पिक्चर देख रहे थे। असलम अपनी अम्मी नसरीन की चूत सहला रहा था और नसरीन असलम के खड़े सख्त हुए पड़े लंड पर हाथ फेर रही थी। तभी फिल्म में गांड चुदाई वाला सीन आ गया।
नसरीन बता रही थी, “रोज की तरह खाना खा कर रात को मैं कमरे में चली गयी और कैसेट चला दी, और बिस्तर पर लेट गयी।”
“लगभग पंद्रह मिनट के बाद असलम भी आ गया, नंगा, जैसे अक्सर रात को आया करता था। आ कर असलम मेरे पास ही लेट गया। असलम का लंड तो खड़ा ही था। फिल्म में चूत चुदाई का सीन चल रहा था।”
“जल्दी ही सीन बदला और गांड चुदाई वाला सीन आ गया। जैसे ही गांड चुदाई वाला सीन आया असलम ने मेरा हाथ अपने लंड पर दबा दिया और बोला, “वो देखो अम्मी क्या पीछे से क्या मस्त चुदवा रही है लड़की।”
“सख्त हुए पड़े लंड को हाथ में लेते ही मेरी चूत गीली होने लगी और मेरी गांड में झनझनाहट होने लगी। मेरा मन असलम का लंड मुंह में लेने का होने लगा।”
“कुछ देर ऐसे तो मैं असलम का लंड हाथ में पकड़ कर दबाती रही, फिर मैंने असलम से कहा, “असलम चल चुसवा जरा अपना लंड।”
“असलम एक-दम से उठ कर फर्श पर खड़ा हो गया। मुझ से ज्यादा असलम को लंड चुसवाने की उतावली रहती थी। मैं बेड के किनारे पर बैठ गयी और असलम का लंड मुंह में ले लिया।”
“फिल्म में गांड चुदाई का वही सीन चल रहा था। दो लड़कियां थी और दो ही लड़के थे। बारी-बारी दोनों लड़के लड़कियों की गांड चोद रहे थे।”
“तभी असलम ने अपना लंड मेरे मुंह से निकाला और मुझे खड़ा कर के मुझे घुमा कर मुझे बाहों में ले लिया। मेरे चूतड़ असलम की तरफ थे और असलम का मोटा खड़ा लंड मेरे चूतड़ों की दरार में ऊपर-नीचे हो रहा था। चूत तो मेरी गीली ही थी। असलम का लंड मेरे चूतड़ों पर ऊपर-नीचे होने से मेरी गांड में भी झनझनाहट होने लगी। असलम ने पीछे से हाथ डाल कर मेरे मम्मे पकड़ लिए और दबाने लगा।”
“असलम चूचियां दबाते हुए मेरे कान में बोला, “अम्मी बताईये, डलवाएंगी आज गांड में?”
“मैंने जरा सा सर घुमा कर कहा, “क्या बात है असलम बहुत ज्यादा मन हो रहा है क्या गांड चोदने का?”
“असलम जल्दी से बोला, “हो तो रहा है अम्मी, आज से नहीं कई दिनों से हो रहा है। बस आपसे कह ही नहीं पाया।”
“फिर असलम कुछ रुक कर बोला, “अगर आपको नहीं चुदवानी तो रहने देते हैं।”
“असलम से गांड चुदवाने में मुझे कोइ दिक्कत नहीं थी। मैं जानती थी कि जिस तरह की चूत चुदाई असलम के साथ शुरू हो चुकी है, गांड चुदाई होना तो बस वक़्त की बात थी – कभी भी हो सकती थी।”
“बशीर और जमाल की साथ भी तो यही हुआ था। उनके साथ भी तो चूत चुदाई होते-होते गांड चुदाई हो गयी थी।”
“असलम मेरे मम्मे दबाता जा रहा था। बीच-बीच में असलम मेरे मम्मों के निपल मसल देता और साथ ही अपना खूंटे जैसा लंड मेरे चूतड़ों पर रगड़ रहा था। मेरा अपना मन भी गांड चुदाई का होने लग गया, बस मुझे डर था तो बस ये कि असलम का इतना मोटा लंड बिना दर्द किये गांड में जाएगा कैसे।”
“मैंने असलम से कह दिया, “नहीं असलम ऐसी बात नहीं। अगर तेरा मन गांड चोदने का हो रहा है तो मेरी तरफ से ना नहीं है। चल आजा।”
“मेरी इस बात पास असलम खुश हो गया। मैं हंसते हुए बोली, “हां मगर असलम गांड चोदने के बाद चूत का पानी भी निकालना पड़ेगा।”
“मेरा इतना कहते ही असलम के लंड ने एक बार झटका लिया और असलम ने मेरे मम्मे जोर से दबा दिए। गांड चुदाई के ख्याल ने असलम को मस्त कर दिया था”।
“मैंने असलम की तरफ देखते हुए कहा, “बता असलम कैसे करेगा? कैसे लेटूं? सीधा या घुटनों और कुहनियों के बल उल्टा लेटूं जैसे वो फिल्म वाली लड़की लेटी हुई है।”
“असलम ने मुझे पीछे से हल्का सा धक्का दिया बेड के किनारे पर झुका दिया और बोला, “अम्मी बेड के किनारे पर उल्टा लेट जाईये, पीछे से ही पूरा मजा आएगा, आपको भी और मुझे भी।”
“मैं बेड के किनारे पर घुटनों और कुहनियों के बल उल्टा लेट गयी।”
“असलम मेरे पीछे खड़ा हो गया। असलम ने मेरे चूतड़ फैला दिए और चूतड़ों का छेद चाटने लगा।”
“मैं सोच रहे थी ये सारे मर्द एक से ही होते हैं। असलम भी तो वो सब कुछ कर रहा है जो बशीर और जमाल किया करते थे।”
“कुछ देर चूतड़ों का छेद चाटने के बाद असलम उठा और बोला, “अम्मी आप ऐसे ही रहना, मैं क्रीम लेकर आता हूं।”
“क्रीम? अब तो मेरे मन में शक की जरा सी भी गुंजाइश नहीं थे कि असलम लड़कों की गांड चुदाई करता है।”
“एक मिनट में असलम क्रीम की ट्यूब ले आया और मेरे चूतड़ फैला कर छेद पर क्रीम लगाने लगा।असलम गांड में धीरे-धीरे उंगली अंदर बाहर करके गांड के अंदर भी क्रीम लगा रहा था।”
“जैसे ही असलम मेरी गांड की अंदर उंगली करता, मेरी सिसकारी निकल जाती, “आआह असलम, बड़ा मजा आ रहा है।”
“मेरी सिसकारी सुन कर असलम बार-बार उंगली अंदर-बाहर करने लगा। असलम क्रीम से सनी उंगली गांड की छेद के अंदर डालते-डालते बोलता भी जा रहा था, “ये लो अम्मी और लो। अम्मी आपकी गांड का छेद बड़ा टाइट है, उंगली को ही टाइट लग रहा है, मेरा लंड डालने के लिए अच्छे से मुलायम करना पड़ेगा।”
“वैसे भी अम्मी। गांड का छेद आठ-दस बार चुदवाने के बाद ही खुलना शुरू होता है।”
“मैंने जरा सा सर घुमा कर हंसते हुए असलम से पूछा, ” क्या बात है असलम, बहुत बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है। लगता है तू तो खूब गांड चुदाई करता है?”
“असलम ने कोइ जवाब नहीं दिया और छेद पर क्रीम मलता रहा।”
“पहले असलम ने एक उंगली गांड के छेद में डाली फिर धीरे-धीरे दो उंगलियां अंदर डाल दी। असलम कुछ देर दो उंगलियां ही गांड में अंदर-बाहर करता रहा। मेरी गांड का छेद अब मुलायम और चिकना हो चुका था।”
“जब असलम लगा कि क्रीम अपना काम कर चुकी है तो एक आख़री बार असलम ने ढेर सारी क्रीम आपने लंड पर भी लगाई और मेरे चूतड़ फैला कर लंड का सुपाड़ा छेद के ऊपर टिका दिया। असलम ने मेरी कमर पकड़ी और धीरे-धीरे करके थोड़ा-थोड़ा लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छेद के अंदर धकेलने लगा।”
“असलम जरा सी भी उतावली नहीं कर रहा था। कुछ ही कोशिशों के बाद असलम ने आपने मोटे लंड का सुपाड़ा गांड के अंदर बिठा दिया।”
“सुपाड़ा अंदर जाते ही मुझे दर्द तो हुआ, मगर इतना भी नहीं कि सहा ही ना जा सके। दर्द की साथ-साथ गांड का छेद थोड़ा खुलने के कारण मजा भी आया।”
“असलम बोला, “अम्मी ठीक हो?”
“मैंने जवाब दिया, “ठीक तो है, मगर हल्का सा दर्द भी हो रहा है।”
“असलम ने लंड की सुपाड़े को थोड़ा आगे पीछे किया और बोला, “अभी ठीक हो जाएगा अम्मी। शुरू-शुरू में ऐसा होता है। ये कहते हुए असलम ने थोड़ा और लंड और अंदर धकेल दिया।”
“असलम की लंड थोड़ा और अंदर करने पर मुझे फिर से दर्द हुआ, मगर इस बार थोड़ा ज्यादा। मैंने हाथ पीछे करके असलम को रोकने की कोशिश की।”
“असलम ने लंड बाहर निकाल लिया और मैंने चैन की सांस ली।”
“असलम का लंड जमाल के लंड से मोटा था, दर्द कुछ ज्यादा ही हुआ था और अभी तो आधा लंड भी अंदर नहीं गया था।”
“असलम ने मेरी गांड और अपने लंड पर दुबारा से क्रीम लगाई और लंड गांड के छेद पर रख दिया, और वैसे ही धीरे-धीरे लंड को गांड के अंदर करने लगा। ढेर सारी क्रीम की कारण लंड फिसल कर आधा गांड के अंदर बैठ चुका था।”
“असलम अब रुक गया और आधा लंड ही अंदर-बाहर करने लगा। एक माहिर गांड चोदने वाले की तरह असलम बीच-बीच में लंड पर और गांड में क्रीम भी लगा देता था। चार-पांच मिनट ये सब करने के बाद असलम रुक गया।”
“मैंने सोचा असलम इस बार भी थोड़ा सा ही अंदर डालेगा और अगर मुझे दर्द होगा तो रुक जाएगा।”
“मगर ऐसा नहीं हुआ।”
“आधा लंड तो गांड के अंदर ही था। असलम थोड़ा सा रुका। मैं अभी सोच ही रही थी कि अब आगे क्या होगा कि असलम मुझे मेरी कमर से कस कर पकड़ा और एक ही झटके से पूरा लंड मेरी गांड के अंदर बिठा दिया।”
“मेरे मुंह से जोरदार चीख निकली, “असलम मर गयी मैं। बहुत दर्द हो रहा है। निकाल ले अपना लंड। तेरा लंड मेरी गांड फाड़ देगा असलम।”
“निकालना तो दूर, असलम ने गांड में “उन्ह आह… आह उन्ह उन्ह ले अम्मी… ले… आह… की आवाजों के साथ जबरदस्त धक्के लगाने शुरू कर दिए। नया-नया जवान हुआ असलम कहां रुकने वाला था, वो और भी जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। जिस तरह असलम मुझे कमर से पकड़ कर पागलों की तरह मेरी गांड चोद रहा था, मैं हिल ही नहीं पा रही थी।
“मैं समझ गयी असलम गांड चुदाई में बशीर और जमाल से इक्कीस ही था उन्नीस नहीं।”
“असलम की इस तरह पागलपन वाली गांड चुदाई से मुझे उस वक़्त मुझे असलम पर बड़ा गुस्सा आ रहा था। असलम को कम से कम इतना तो लिहाज करना ही चाहिए था कि वो अपनी अम्मी की गांड चोद रहा था किसी रंडी की नहीं।”
“पांच-सात मिनट की गांड के रगड़ाई के बाद पता नहीं क्या हुआ। मेरी गांड सुन्न हो गयी। दर्द का एहसास खत्म हो गया। असलम उन्ह उन्ह आह आह अम्मी अम्मी की आवाजों के साथ गांड चोद रहा था। इधर मेरी चूत गरम हो रही थी।”
“जवान असलम का चुदाई का दम कमाल का था। असलम ने जिस तरह रगड़े लगाए उनसे तो मेरी चूत ही गर्म हो चुकी थी। मुझे चूत में कुछ चाहिए था।”
“पेन का कवर मेरे सामने ही था। मैंने कवर उठाया और अपने चूत में डालने लगी।”
असलम ये देख कर बोला, “छोड़ दो अम्मी इस प्लास्टिक के ढक्कन को। गांड चोदने के बाद मैं आपकी चूत का भी पानी निकालूंगा – बस मुझे एक बार गांड में लंड का पानी छुड़ाने दो। बड़ा मजा आ रहा है। बड़ी ही टाइट है आपकी गांड, बड़े रगड़े लग रहे हैं लंड पर।”
“असलम ने धक्के जारी रक्खे। साथ ही जारी रक्खी अपनी मस्त कर देने वाली आवाजें , “आह… क्या गांड है आपकी टाइट… पूरा गया आपके अंदर। जकड़ लिया आपने मेरे लंड को आआह अम्मी आह।”
“तभी मेरी चूत झनझनाने लगी। मुझे भी मजा आने लगा, “आआह असलम लगा, और जोर से लगा, आआह असलम, मेरे असलम निकलने वाला है तेरी अम्मी की चूत का पानी। आअह असलम लगा रगड़े। आआह… हां ऐसे ही रगड़ मेरा बेटा।
“असलम मेरी गांड चोद रहा था लेकिन मजा मुझे चूत में आ रहा था। मेरी चूत आपने आप ही पानी छोड़ गयी। मुझे मजा आ गया और मैं ढीली हो गयी।”
“असलम ने ये देखा तो बोला, “क्या हुआ अम्मी? लगता है आपका तो चूत का पानी छूट गया। चलिए कोइ बात नहीं। ऐसे ही लेटी रहिये मेरा मजा भी बस निकलने ही वाला है। उसके बाद मैं लंड चूत में डाल कर आपको दुबारा मजा देता हूं।”
“असलम इस तरह से मर्दों वाली बातें कर रहा था मानो चुदाई उसके लिए कोइ नयी चीज नहीं थी।”
“इतना बोल कर असलम ने मोटे लंड के लम्बे-लम्बे धक्के मेरी गांड में लगाने शुरू कर दिए। फिर लम्बी आआआह के साथ असलम का लंड गांड में पानी छोड़ गया।”
“असलम के लंड का पानी मुझे अपनी गांड में महसूस हो रहा था। “जैसे ही असलम के लंड का गर्म पानी मेरी गांड में निकला मुझे जन्नत का सा मजा आया और मेरी गांड का दर्द और मेरा गुस्सा सब खत्म हो गए?”असलम का लंड बैठने लग गया। असलम ने लंड निकाला और मेरी गांड में से असलम का पानी निकल कर मेरी चूत की तरफ बहने लगा।”
“असलम की ताबड़-तोड़ गांड चुदाई ने तो जैसे मन की मुराद पूरी कर दी थी।”
“असलम एक तौलिया लाया और मेरी गांड पोंछी और लंड चूतड़ों पर रगड़ने लगा।”
“जल्दी ही असलम का लंड फिर खड़ा हो गया। असलम घुटने मोड़ कर जरा सा नीचे हुआ, मेरे चूतड़ थोड़े से ऊपर उठा कर चूत का छेद अपने लंड के सामने किया और एक ही बार में लंड मेरी गीली हुई पडी चूत में बिठा दिया।”
“असलम ने वैसे ही मेरी कमर पकड़ जैसी मेरे गांड चोदते हुए पकड़ी थी, और मेरी चूत चोदनी शुरू कर दी। बीच-बीच में असलम मेरी गांड में भी उंगली कर देता था।”
“गांड चोदने के बाद तो असलम दुगने जोश के साथ चूत चुदाई कर रहा था। पंद्रह बीस मिनट की चुदाई में मजा आ गया। असलम ने एक जोरदार सिसकारी ली, “आआह अम्मी निकल गया फिर से। आज तो मजा ही आ गया।”
“इस बार मेरी चूत और असलम के लंड का पानी इकट्ठे निकला। मैं और असलम इकट्ठे झड़े।”
“असलम ने लंड चूत में से निकाल लिया और वहीं बिस्तर पर लेट गया। मैं भी सीधी हुई और असलम के पास ही लेट गयी।”
“बहुत बुरी तरह गांड चोदी थी असलम ने मेरी। पता नहीं क्या हाल बनाया था मेरी गांड के छेद का। मुझे असलम से इस तरह की रगड़ा पच्ची वाली गांड चुदाई के उम्मीद नहीं थी। मैं सोच रही थी आखिर को असलम था तो वो मेरा बेटा ही, इस तरह क्यों गांड चुदाई की उसने मेरी। मेरे कहने ऊपर वो रुका क्यों नहीं?”
“पिक्चर शायद थोड़ी सी बाकी थी। अब लड़का-लड़की को पीछे से चोद रहा था। मैंने असलम को कहा, “असलम तुम रुके क्यों नहीं जब मैंने कहा था। पता है मुझे कितना दर्द हो रहा था।”
असलम ने करवट ली और मेरी चूत को सहलाते हुए पूरी ढिठाई के साथ बोला, “अम्मी एक बात बताओ, जब अब्बू ने शादी के बाद आपको पहली बार चोदा था तो दर्द हुआ था कि नहीं। आपकी चूत सील टूटी थी कि नहीं, खून निकला था कि नहीं?”
मैंने कहा “हां दर्द भी हुआ था सील भी टूटी थी और खून भी निकला था।”
“असलम मेरी चूत को उसी तरह सहलाते हुए बोला, “तो अम्मी क्या अब्बू ने आपकी चुदाई बंद कर दी थी?”
“मैं चुप हो गयी I मुझे जवाब मिल गया था। ये सब बोलते-बोलते और टीवी पर पीछे से लड़की की चुदाई देख कर असलम का फिर खड़ा हो गया।”
“असलम ने आव देखा ना ताव। मुझे बोला चलिए अम्मी फिर वैसे ही उल्टा लेट जाईये। उस लड़के की तरह आपकी चूत में लंड डालूंगा।”
“मैंने कहा असलम थोड़ा तो रुक जा, मैं कहीं जा तो नहीं रही। थोड़ा आराम करले।”
“असलम ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया, “अम्मी आप इसे देखिये। रुकने वाला लग रहा है ये आपको?” असलम का लंड की सीधा खड़ा था। मैंने लंड पकड़ा, लकड़ी की तरह सख्त हुआ पड़ा था।”
“अब मुझे समझ आया बीस इक्कीस साल के लड़के की चुदाई क्या होती। लंड देख कर मेरी चूत ने भी फर्र से पानी छोड़ दिया जैसे कह रही हो आने दो अपने बेटे के लंड को अंदर।”
अगला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-12