भाई की शादी में मां और मामी की चुदाई-2

पिछला भाग पढ़े:- भाई की शादी में मां और मामी की चुदाई-1

नमस्कार दोस्तों, मैं अपनी हिंदी चुदाई कहानी का अगला पार्ट लेके आ गया हूं। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि क्योंकि मेरी मां ने मुझे कभी प्यार नहीं दिया, तो मैं उससे नफरत करने लगा। फिर मुझे मामी से पता चला कि मेरे भाई की शादी हो रही थी। फिर मैंने घर वापस आ कर मामी की चुदाई की। अब आगे-

मामी की चुदाई करने के बाद मैं बाहर आ गया। मैं अपने रूम में जाने को था, तभी मेरी नजर सौम्या पर पड़ी। वो साड़ी पहन के माल बनकर घूम रही थी। उसे देख के उत्तेजना और बढ़ गई। मन तो किया कि वहीं चोद दूं उसको, लेकिन मुझे याद आया कि मैं तो उससे नाराज था।

सौम्या ने मुझे देखा तो मुझे बुलाया: रोहित इधर आना।

मैं पागल अभी जो उससे इतना गुस्सा था, उसके कहने पर सौम्या के पास चला गया, शायद उसको अच्छे से देखने के लिए‌।

सौम्या ने मुझे बोला: रोहित मेरे हाथों में मेंहदी लगी है। तुम दरवाजा खोल दो मेरे रूम का।

मैंने रूम का डोर ओपन कर दिया। सौम्या अंदर चली गई, और डोर क्लोज करने को बोल के बेड पर लेट गई। मुझे फिर से सौम्या का रुड बिहेवियर याद आ गया।फिर से मुझे सौम्या पर गुस्सा आने लगा था।

मैं गुस्से में रूम में जाकर सो गया। सुबह-सुबह सपने में सौम्या आई और सपने में सौम्या को मैं चोद रहा था। नींद में ही मैं झड़ गया, लेकिन जब मैं उठा, तो सोच कर कि काश ये सच होता तो इतना मजा आया होता‌।

अगले दिन पूरे दिन मैं सौम्या को चेज करता रहा। उसको देख-देख के उसको चोदने के सपने बुनता रहा। रात को रेखा ने फिर मैसेज करके बुला लिया। मैं रूम में गया तो देखा कि मामा भी रूम में थे। मैं डर गया लेकिन देखा तो मामा सो रहे थे।

मैंने बोला रेखा को: तुम्हारे पति के सामने कैसे करेंगे ये सब?

वो बोली: पागल की तरह मैसेज सिर्फ देख के आने को किसने बोला था? मैंने मैसेज किया था कि मैं तुम्हारे रूम में आ जाऊं क्या, कोई नहीं हो तो रूम में।

मैंने बोला: अच्छा, तो ऐसा बोलो ना। चलो मैं पहले जाता हूं, तुम थोड़ी देर में आ जाना।

रेखा: मैसेज करना, ओके?

मैं बाहर आ गया। रूम में जाने को था तभी देखा कि सौम्या कुछ लंगड़ाते हुए चलने की कोशिश कर रही थी। मैं गुस्से में था तो मैं सौम्या से बचना चाहता था। लेकिन सौम्या ने आवाज लगा दी मुझे, तो मुझे जाना पड़ा।

सौम्या ने बोला: मेरे पांव में थोड़ी चोट लग गई है। मुझे गोद में उठा के बेड पर लेटा दे रोहित।

मन तो कर रहा था कि बोल दूं अपने फेवरेट सन से करवा लो सब। मैं क्यों करूं? लेकिन जैसे ही गोद में उठाने का नाम आया, तो मैंने तुरंत मौका मार लिया। सौम्या को गोद में उठा कर मैं सौम्या के पूरे एक-दम फूल से शरीर को फील करने लगा। बेड के पास ले जाके मैंने अपनी ही धुन में बोल दिया (मुंह से निकल गया)-

मैं: सौम्या डार्लिंग, किस साइड लेटोगी? आई मीन लेफ्ट ओर राइट!

सौम्या ने तुरंत बोला: कौन डार्लिंग हा, कौन डार्लिंग? मां हूं तेरी मैं। बिल्कुल बदतमीज हो गया है।

मैंने गुस्से में सौम्या को बेड पर पटकते हुए बोला: तुम्हारा फेवरेट बेटा होता तो कोई प्राब्लम नहीं होती। वो तो तुम्हारे गालों को किस भी कर लेता है अपनी बाहों में भर के। वो भी तो बेटा ही है।

सौम्या: उसकी बात अलग है।

मैं: उसकी बात अलग है। मैं सौतेला हूं क्या तुम्हारा?

सौम्या: वो अगर गलत काम करेगा, तो तू भी उसके जैसा बनेगा क्या?

मैं: मुझे नहीं पता कुछ भी। मैं जा रहा हूं। उसको ही बुला लेना।

ये बोल के मैं निकल आया। फिर रूम में जाके रेखा को मैसेज किया तो मैसेज सीन ही नहीं हुए‌। रेखा सो गई थी शायद इतनी देर में। मैं भी सो गया। अगले दिन शादी थी पास के ही मंडप में सब लोग शाम को ही मंडप पहुंच गए। मैं रात के गुस्से की वजह से गया नहीं।

घर पर कभी-कभी कोई आ जाता एक दो-मिनट को किसी काम से, फिर चला जाता। रात गहराते के साथ लोगों का आना-जाना लगभग बंद हो गया। 11 बजे के करीब सौम्या किसी काम से घर आई। कुछ खोजने आई थी। वो सामान मिलते ही जाने को थी, कि मेरे रूम की लाइट जली देख के कुछ बड़बड़ाती हुई आई “ये लड़का भी ना ऐसे ही लाइट जली छोड़ गया।”

लेकिन मुझे देख के बोली: तू क्या कर रहा है यहां? शादी में नहीं गया?

मैं बोला: नहीं।

सौम्या थोड़ा जल्दी में थी तो चलने के लिए मुड़ी और बोली, “तेरा तो ऐसा ही रहता है। तुझसे क्या बहस करूं मैं? पता नहीं किस घड़ी पर पैदा हो गया। हमेशा जरा-जरा सी बात का बतंगड़ बनाए फिरता है।”

मुझे गुस्सा तो आ ही रहा था। मैं गुस्से में उठा, और सौम्या को पकड़ के बेड पर खींच के बिठा लिया और बोला-

मैं: मैं बात का बतंगड़ बनाता हूं? और तुम्हारे लिए कोई बात हुई ही नहीं आज तक। आज तक तुमने उसे मुझसे बहुत ज्यादा प्यार दिया। मेरी क्या गलती थी कि मैं तुम्हारी मर्जी के बिना पैदा हुआ? बस इतना ही ना? साला आज तक तुम्हारे प्यार को तरसता आया हूं मैं। आज भी मैं चाहता हूं कि‌ तुम्हारा प्यार मुझे मिले। क्या ये गलती है मेरी?

सौम्या: तू प्यार के लायक था ही नहीं मेरे। कभी भी नहीं होगा मेरे प्यार के लायक

“बहन को लौड़ी…” मेरे मुंह से गाली निकल गई। मेरे सब्र का बांध टूट गया था इसीलिए। और साथ ही मैंने सौम्या को बेड पर धकेल दिया। अब मैं गुस्से में सौम्या को गाली देने के साथ-साथ उसको कंट्रोल करने लगा। साली रंडी, कुतिया कहीं की, मैं तेरे प्यार के काबिल नहीं हूं। तू है ही क्या?

सौम्या बोली: मुझे गाली देगा तू? देख तेरे बाप को बोलूंगी। फिर देखना कैसे लट्ठ फेरता है तुझ पे।

मैं इस बात पे और गुस्से में आ गया। मैंने ये बोलते हुए कि, “मुझे पिटवाएगी तू, चल साली कुतिया।” ऐसा बोलते हुए मैंने सौम्या के कपड़े उतारने शुरू कर दिए। अब सौम्या पूरी नंगी मेरे नीचे थी दोस्तों।

मैंने सौम्या की टांगों को थोड़ा जोर लगा कर खोला। क्योंकि सौम्या अपनी टांगों को भींच रही थी। लेकिन मैंने एक झटके में सौम्या के अंदर अपना आधे से ज्यादा लिंग डाल दिया। सौम्या को बहुत सालों से सेक्स करने नहीं मिला था, तो उसको थोड़ा दर्द हुआ। सौम्या कराह उठी आह, और दर्द से बिलबिला उठी। लेकिन मैं रुकने कहां वाला था।

मैंने सौम्या को थोड़ा और अपनी तरफ खींच कर चोदना स्टार्ट कर दिया। सौम्या भी बहुत दिनों से प्यासी थी। पहले-पहले तो सौम्या ने मेरा विरोध किया, लेकिन 10-12 मिनट बाद उसको मजा आने लगा। अब सौम्या भी मेरा साथ देने लगी थी, और अपनी गांड को मेरे झटकों की डायरेक्शन से अपोजिट झटके देकर मजे लेने लगी थी‌।

अब मैंने सौम्या के कान के पास में चूमना स्टार्ट कर दिया। सौम्या और ज्यादा उत्तेजित होने लगी।‌ मैंने सौम्या से बोला “आई एम सॉरी मम्मी। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था” और मैंने अपना लिंग बाहर निकाल लिया। मैं सौम्या को टेस्ट कर रह था कि अब सौम्या क्या करेगी?

सौम्या ने गुस्से में मेरा लिंग पकड़ कर अपनी योनि पर लगाया और बोली: भोंसड़ी के, इसी भोंसड़ी से निकला है तू। अब इसकी प्यास बुझा। नहीं तो मैं सब को बोल दूंगी।

मैं तो टेस्ट कर रहा था उसे। मैंने दोबारा से सौम्या की भरपूर चुदाई स्टार्ट कर दी। इस बार पहले से ज्यादा तेज-तेज झटकों के साथ और इस बार तो 8 इंच पूरा-पूरा घुसा दिया था। साथ ही सौम्या की गांड पर बीच-बीच में थप्पड़ भी मारता रहता था

पूरा कमरा सिसकियों, तेज सांसों, और ठप-ठप की आवाजों से भर गया। लगभग आधा घंटा सौम्या ने मेरे तूफानी थपेड़ों की टक्कर झेली, फिर वो झड़ गई। अब सौम्या निढाल हो गई थी। मैंने पूछा कि अब मैं कैसे करूं, तो सौम्या ने कनिंग स्माइल के साथ बोला कि, “मुझे नहीं पता, अभी मुझे मंडप में जाना है। बाद में देखते हैं।”

मैं सौम्या का मतलब समझ गया। फार सौम्या ने दूसरे कपड़े पहने, और मंडप चली गई। पहले तो मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था कि सौम्या ने किसी को बता नहीं दिया हो। लेकिन जब मैं हिम्मत करके मंडप में गया, तो सब नॉर्मल था। ये देख कर दिल को तसल्ली हो गई

अब अगले दिन फिर सौम्या के रूम में मैं बिल्कुल सुबह ही पीछे खिड़की से घुस गया। सौम्या सो कर भी नहीं उठी थी। मैंने सौम्या को उठाया तो सौम्या ने पूछा,‌ “क्या है?” मैंने इशारे से बोला, और सौम्या भी मान गई

हमने सुबह 9 बजे तक 2 बार सेक्स किया। अब मेरा गुस्सा भी सौम्या से खतम हो गया था, और सौम्या की रूडनेस भी।

अब तो हम जब चाहे तब मौका मिलते ही चुदाई कर लेते है। रेखा का क्या हुआ वो बाद में किसी और दिन बताऊंगा। मां की चुदाई की मेरी कहानी पर कमेंट ज़रूर करें।

 

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