पिछला भाग पढ़े:- सौतेले बेटे ने की मां की चुदाई-2
मैं सलमा अपनी अन्तर्वासना हिंदी सेक्स कहानी का अगला पार्ट लेके आ गई हूं। उम्मीद है आपने पिछले पार्ट्स पढ़ लिए होंगे। अगर अभी तक नहीं पढ़े है, तो पहले उनको जरूर पढ़ें।
पिछले पार्ट में मैंने आपको बताया था कि मुझे अपने सौतेले बेटे की गंदी हरकत बिल्कुल अच्छी नहीं लगी, और मैंने अपने शौहर को बताना चाहा। लेकिन उनका जवाब सुन कर मैंने उनको कुछ ना बताने का फैसला लिया। फिर जब मेरे बेटे जावेद ने मुझे अपना लंड महसूस कराया, तो मेरे दिमाग में उसके लंड के खयाल आने लगे। फिर मैंने बहाव के साथ चलने का फैसला किया। अब आगे-
अगले दिन सुबह सुबह मुझे फोन आया। मेरे अब्बू ने बताया कि मेरी अम्मी की तबियत ठीक नहीं थी। मेरे अम्मी अब्बू दूसरे शहर में रहते है। पहले इसी शहर में रहते थे, लेकिन अब्बू की नौकरी की वजह से उनको दूसरे शहर जाना पड़ा।
पिछले पार्ट में मैंने आपको बताया था कि मुझे अपने सौतेले बेटे की गंदी हरकत बिल्कुल अच्छी नहीं लगी, और मैंने अपने शौहर को बताना चाहा। लेकिन उनका जवाब सुन कर मैंने उनको कुछ ना बताने का फैसला लिया। फिर जब मेरे बेटे जावेद ने मुझे अपना लंड महसूस कराया, तो मेरे दिमाग में उसके लंड के खयाल आने लगे। फिर मैंने बहाव के साथ चलने का फैसला किया। अब आगे-
अगले दिन सुबह सुबह मुझे फोन आया। मेरे अब्बू ने बताया कि मेरी अम्मी की तबियत ठीक नहीं थी। मेरे अम्मी अब्बू दूसरे शहर में रहते है। पहले इसी शहर में रहते थे, लेकिन अब्बू की नौकरी की वजह से उनको दूसरे शहर जाना पड़ा।
फिर मैंने अब्दुल को ये बात बताई और कहा कि हमें उनसे मिलने जाना चाहिए। अब्दुल ने कहा कि उनको बहुत काम था, तो मैं जावेद को साथ ले जाऊं। तभी उन्होंने जावेद को आवाज दी, और उसको मेरे साथ जाने के लिए कहा। फिर मैंने थोड़ा सामान लिया 2-3 का और तैयार हो गई। मेरा एक छोटा सा ही बैग था। तभी जावेद आया। उसका बैग भी छोटा सा ही था।
फिर अब्दुल ने हमें गाड़ी से बस स्टैंड छोड़ दिया। वहां सामने से बस जा ही रही थी, इसलिए हम जल्दी से गाड़ी से निकल कर बस में चढ़ गए। बस में चढ़ तो गए, लेकिन उसमें बहुत भीड़ थी। बैठने के लिए सीट नहीं थी, तो कंडक्टर ने हमारा सामान रखवा दिया, और हमें कुछ देर खड़े रह कर इंतेज़ार करने को कहा।
फिर हम पीछे जा कर खड़े हो गए। मैं आगे खड़ी थी, और जावेद मेरे पीछे था। मेरे आगे और भी लोग आ चुके थे। फिर बस चल पड़ी, और हमारा सफर शुरू हो गया। ये सफर 2 घंटे का था। मैंने सलवार-कमीज पहना हुआ था।
कुछ देर तक हम ऐसे ही चुप-चाप खड़े रहे। फिर जावेद की तरफ से कुछ हरकत हुई। वो मेरे पीछे आके चिपक गया, और उसने ऐसा दिखाया कि पीछे से उसको दबाव पड़ रहा था लोगों का। लेकिन मैं तो पहले से तय कर चुकी थी कि अगर उसने मुझे चोदने की कोशिश की, तो मैं पीछे नहीं हटूंगी।
मुझे अपनी गांड पर जावेद का लंड महसूस होने लगा, जो कि धीरे-धीरे बड़ा और सख्त हो रहा था। वो धीरे-धीरे अपने लंड को मेरी गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया। मैं अंजान बन कर वैसे ही खड़ी रही। बीच-बीच में मैं भी जान-बूझ कर पीछे की तरफ हो कर अपनी गांड को उसके लंड पर दबा देती।
धीरे-धीरे बस में भीड़ बढ़ती गई, और उसकी हरकतें तेज होने लगी। उसने जब देखा कि उसके लंड दबाने पर मैंने उसको कुछ नहीं कहा, तो इससे उसकी हिम्मत बढ़ गई। अब भीड़ बढ़ने के बहाने से उसने पहले अपना एक, और फिर दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख लिए। जब मैंने कुछ नहीं कहा, तो वो धीरे-धीरे अपने हाथ मेरे कंधों पर फेरने लगा।
अब अगर किसी भी औरत को कोई भी दिक्कत हो, तो वो मर्द के इतना करने पर जरूर उसको मना करेगी, या दूर हटाएगी। लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। जावेद भी कोई दूध पीता बच्चा तो था नहीं, जो मेरे कुछ ना कहने पर ये ना समझे कि मेरी तरफ से उसको हरी झंडी मिल चुकी थी।
जैसे ही उसको ये विश्वास हो गया कि मुझे कोई दिक्कत नहीं थी, तो वो अपने हाथ मेरी कमर पर ले आया। इससे मेरे रोंगटे खड़े हो गए। अब मेरे बेटे के हाथ मेरी कमर पर थे, और उसका कसा हुआ सख्त लंड मेरी गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था। इससे उत्तेजना तो होनी ही थी मुझे।
फिर वो अपने हाथ कमर से सकते हुए मेरे पेट पर ले आया। एक तरह से अब मैं उसकी बाहों में ही थी, लेकिन मैंने उफ्फ तक नहीं कहा।मुझे गर्मी चढ़नी शुरू हो गई थी। फिर जावेद ने हल्के हाथों से मेरे चूचों को छुआ। इससे मेरी सिसकी निकल गई, लेकिन भीड़ की वजह से उसकी आवाज जावेद तक नहीं पहुंची।
फिर उसने अपने दोनों हाथ मेरे चूचों पर रख लिए, और उन्हें दबाने लगा। मैं मदहोश होने लगी। मुझे ये भी डर था कि कोई देख ना ले। लेकिन भीड़ इतनी थी, कि किसी को ख़ाख पता नहीं चलना था। तभी उसने अपना मुंह मेरे कान के पास किया, और उस पर अपनी जीभ फेर दी। उसके ऐसा करते ही मेरी चूत में खलबली मच गई। फिर उसने मुझे गर्दन की नंगी जगह पर एक किस्स कर दी।
अब हम दोनों की तरफ से इरादे बिल्कुल साफ थे। वो मुझे चोदना चाहता था ये मुझे यकीन हो चुका था। और मुझे उससे चुदने में कोई दिक्कत नहीं थी, ये उसको यकीन हो चुका था। बस मुंह से कुबूल करना बाकी रह गया था, लेकिन ऐसे नाजायज रिश्तों में मुंह से बोलने की कोई जरूरत भी नहीं होती।
फिर जावेद ने अपने हाथ दोबारा मेरे पेट में रखे। मैंने भी अपनी गांड उसके लंड पर अच्छे से दबा दी। फिर जावेद ने एक हाथ पेट पर ही रखा, और दूसरे हाथ को नीचे लेके जाने लगा। मैं समझ चुकी थी कि वो अब मेरी चूत के साथ कुछ करने वाला था।
हाथ नीचे ले जा कर उसने मेरे कमीज के अंदर डाल लिया, और मेरे नंगे पेट पर रख दिया। फिर उसने अपनी उंगली मेरी नाभि के इर्द-गिर्द घुमाई। किसी असंतुष्ट औरत को जब इस तरह से किसी जवान मर्द का स्पर्श मिलता है, तो वो पानी-पानी हो जाती है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हो रहा था।
फिर जावेद अपना हाथ नीचे सरकाने लगा। मैं सलवार का नाड़ा ज्यादा कस कर नहीं बांधती, तो जब वो हाथ अंदर लेके जाने लगा, तो आसानी से चला गया। उसका हाथ अंदर जाते ही मैं पूरी कांप गई। फिर वो अपना हाथ मेरी पैंटी पर ले गया, और मेरी चूत तक पहुंच गया। मेरे बदन में तो जैसे करेंट दौड़ गया। मेरी पैंटी गीली हुई पड़ी थी चूत के पानी से। उसने हाथ वहां पर रखा, और चूत को मसलने लगा।
अब तो मैं पागल ही हो गई। मेरी चूत इतनी गरम हो चुकी थी, कि उसने अपना पानी छोड़ दिया। मुझे अब बड़ी शर्म आने लगी, कि जावेद क्या सोच रहा होगा।
इसके आगे इस मां-बेटा सेक्स कहानी में क्या-क्या हुआ, वो आपको आने वाले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक की कहानी पढ़ कर आपको मजा आया के नहीं, ये आप authorcrazyfor@gmail.com पर मेल करके बता सकते है।