पिछला भाग पढ़े:- सौतेले बेटे ने की मां की चुदाई-1
मैं सलमा अपनी हिंदी सेक्स कहानी का अगला पार्ट लेके आई हूं। अगर आप लोगों ने पिछला पार्ट नहीं पढ़ा है, तो उसको ज़रूर पढ़ लें। तभी आपको कहानी अच्छे से समझ में आएगी।
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे मेरी शादी एक रंडवे से हो गई। उसका एक बेटा भी था जिसने मुझे कभी मां नहीं माना। फिर एक दिन मैंने उसी बेटे को अपने बाथरूम के बाहर खड़े देखा, जब मैं नहा रही थी। और वो मेरे सामने मुझे तोलिए में देख कर मुठ मार कर चला गया। अब आगे-
बेटे की इस हरकत को देख कर मेरे मन में बहुत सी चीजें आने लगी। फिर आखिरकार मैंने सोचा कि अगर अभी अब्दुल को बता दूंगी, तो उसकी दोबारा हिम्मत नहीं होगी ऐसा करने की। ये सोच कर मैं अब्दुल को बताने गई। वो अभी भी सो रहे थे। फिर मैंने उनको आवाज दी-
मैं: अब्दुल, ज़रा सुनिए तो?
अब्दुल: अरे सुबह-सुबह नींद से क्यों जगा रही हो? क्या आफत आन पड़ी है?
मैं: मुझे आप से जावेद (मेरा सौतेला बेटा) के बारे में कुछ बात करनी है, आज उसने बड़ी जलील हरकत की है।
मेरे शौहर को अपनी नींद से बहुत प्यार है। अगर कोई भी उनको नींद से जगाए तो वो चिढ़ जाते है। उस दिन मैंने भी वहीं गलती की, कि उनको नींद से जगा कर ये बात बोल दी। इस पर उन्होंने जवाब दिया-
अब्दुल: जलील हरकतें तो तुमने भी की है, लेकिन मैंने तुम्हें माफ कर दिया। तुम भी उसको माफ कर दो।
उनका ये जवाब सुन कर मैं समझ गई थी कि उनका इशारा किस हरकत की तरफ था। मुझे ये पता था कि क्योंकि मैंने उनको नींद से जगाया था, इसलिए उन्होंने ऐसा बोला था। लेकिन फिर भी मुझे इस बात का इल्म था, कि गलती तो मैंने की थी, और ये बात हमेशा मेरे खिलाफ इस्तेमाल की जा सकती थी।
फिर मैं वहां से वापस आ गई, और उनके जागने का इंतेज़ार करने लगी। अब मुझे इस बात पर भी शक था कि वो मेरी बात अगर सुन भी लेंगे, तो क्या मानेंगे? कहीं बात उल्टा मुझ पर ही ना आ जाए। कहीं जावेद उल्टा मेरे पर ही ना बात डाल दे सारी कि मैं ही उस पर डोरे डाल रही थी। क्योंकि एक बार मुझसे गलती हुई थी, तो शौहर को ये बात मानने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। मैं सोचती रही, और आखिरकार इस नतीजे पर पहुंची, कि मैं अब्दुल को कुछ भी नहीं बताऊंगी, और आज हुए कांड को नादानी में की गई गलती समझ कर भूल जाऊंगी।
फिर कुछ दिन ऐसे ही निकल गए। मुझे लगा कि सब ठीक हो गया, और जावेद का वो आखिरी बार था, लेकिन ऐसा नहीं था। एक सुबह मैं रसोई में नाश्ता बना रही थी। तभी जावेद आ कर नाश्ते की टेबल पर बैठ गया। उसको बैठा देख कर मैं उसको गरम-गरम नाश्ता देने गई, और उसकी प्लेट में परोसने लगा।
मैंने देखा, कि जब मैं उसको नाश्ता परोस रही थी, तब झुकने की वजह से जो मेरे चूचे दिख रहे थे, उसकी नज़र उन चूचों पर थी। ये देख कर मैंने जल्दी से उसकी प्लेट में नाश्ता परोसा, और फिर रसोई में वापस चली गई। मुझे ये समझ नहीं आ रहा था कि ये सब वो पहले से कर रहा था, या अभी शुरू हुआ था? हो सकता है कि वो पहले से कर रहा हो, और मैंने ध्यान ना दिया हो। ये भी हो सकता है कि उस दिन के वाक़िए के बाद उसकी हिम्मत बढ़ गई हो, तो वो ऐसे सरे आम मुझे देख रहा था। तो इस बात का जवाब मेरे पास नहीं था।
नाश्ता खत्म करके अक्सर जावेद अपनी थाली खुद किचेन में रखता था धोने के लिए। आज भी उसने ऐसा ही किया। लेकिन आज उसने एक और हरकत की। थाली रखने के बाद वो मेरे पीछे आया, और चिपक गया। मुझे समझ नहीं आया कि वो क्या करने की कोशिश कर रहा था? फिर उसने अपने हाथ ऊपर उठाए, और ऊपर वाले केबिन से कुछ निकालने लगा।
नीचे से वो पूरा मेरे पीछे चिपका हुआ था, और मुझे अजीब सा लग रहा था। तभी मुझे अपनी गांड पर कुछ सख्त का महसूस हुआ। कुछ ही सेकंड्स में मैं ये समझ गई कि जो चीज मुझे महसूस हो रही थी, वो कुछ और नहीं, बल्कि मेरे बेटे का लंड था। ये जान कर मैं हैरान हो गई। मैं साइड हटना चाहती थी, लेकिन मेरे पास कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि मैं हिल भी नहीं पा रही थी। फिर मैंने हार कर पूछ लिया-
मैं: जावेद तुम क्या ढूंढ रहे हो?
जावेद ऊपर से बिस्कुट का डिब्बा निकाल कर अपने आप से ही बोला: मिल गया!
असल में अपने आप को बोलना तो एक नाटक था, वो मुझे ही बताना चाहता था, क्योंकि मैंने अभी उससे पूछा था। लेकिन सीधे-सीधे बात नहीं करता था वो। फिर वो वहां से चला गया। उस सारा दिन मैं सोचती रही कि जावेद ये सब क्यों कर रहा था? क्या वो मुझ पर गंदी नज़र रखता था? धीरे-धीरे ये सोच फीकी पड़ गई, और दिमाग में ये चलने लगा, कि उसका लंड कितना सख्त और बड़ा लग रहा था।
दोस्तों मैं शादी के बाद कभी संतुष्ट नहीं हुई थी। और जब लड़की की शादी हो जाती है, खास कर हम जैसी मिडल क्लास लड़कियों की, तो उनकी सारी उम्मीदें उनके शौहर से ही होती है, कि वो उनको हर सुख देंगे। फिर चाहे वो वित्तीय सुख हो, संतान का सुख हो, या जिस्मानी सुख हो। मैंने उस दिन तक सिर्फ अपने पति का ही लंड देखा था, और उससे चुदी थी। लेकिन आज जब मैंने जावेद का लंड महसूस किया अपनी गांड पर, तो वो मुझे उत्तेजित कर दिया। क्योंकि मेरे पति का लंड छोटा है उससे।
अब मेरे दिमाग में उसके लंड के खयाल ही चल रहे थे। तभी मैंने सोचा कि जावेद के बारे में मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए, क्योंकि वो मेरा बेटा था। लेकिन फिर मेरे दिमाग में आया कि वो कौन सा मेरा सगा बेटा था। और वैसे भी वो तो मेरे साथ कुछ करने की फिराक में ही लगा था, तो मुझे मदर इंडिया बन कर भी क्या लेना था?
खयालों की इस उलझन में आखिरकार मैंने फैसला किया कि मैं बहाव के साथ चलूंगी, और पहले देखूंगी कि जावेद किस हद तक जाएगा। क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि मैं उसके लंड के चक्कर में अपना बसा बसाया घर उजाड़ दूं।
दोस्तों आज की कहानी यहीं तक, अगले पार्ट में पढ़िएगा की इसके आगे क्या हुआ। कहानी की फीडबैक आप authorcrazyfor@gmail.com पर दे सकते है।