पिछला भाग पढ़े:- चालू दिव्या भाभी-1
नमस्कार दोस्तों, मैं Thor अपनी हिंदी सेक्स कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाजिर हूं। उम्मीद है आपने पिछला पार्ट पढ़ लिया होगा। जिन लोगों ने भी अभी तक पिछला पार्ट नहीं पढ़ा है, वो कृपया उसको जरूर पढ़ें।
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि पूजा नाम की लड़की के साथ करण नाम के लड़के का नैन-मटक्का शुरू हुआ। फिर उनकी शादी तय हो गई। उस दिन पहली बार करण ने पूजा की भाभी दिव्या को देखा, और उसका दीवाना हो गया। फिर एक दिन दिव्या भाभी करण को एक मॉल में मिली। करण अपने दोस्त को झूठ बोल कर दिव्या भाभी के साथ कॉफी पीने बैठ गया। वहां उन दोनों की बातें शुरू हुई, और दोनों एक-दूसरे से शरारती बातें करने लगे। अब आगे की कहानी, करण की जुबानी-
मैं: क्यों भाभी, भाई साहब आपको मजे नहीं देते?
ये सुन कर दिव्या भाभी चुप हो गई। लेकिन मैंने उनसे दोबारा से पूछा-
मैं: बताईए ना भाभी?
दिव्या भाभी: करण शादी के बाद कुछ सालों तक तो मर्द को अपनी औरत की तरफ बहुत आकर्षण होता है, और उसकी चुदाई करने में मजा भी आता है। लेकिन फिर वो औरत उसके लिए फीकी हो जाती है। इसलिए उन दोनों के बीच का रोमांस कम हो जाता है, या खत्म हो जाता है। इससे औरत को भी मजा मिलना बंद हो जाता है। मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ है।
मैं: भाभी आपने मर्दों का तो बता दिया। लेकिन औरतों का नहीं बताया, कि वो क्या महसूस करती है?
दिव्या भाभी: औरतों के 2 तरह के हालात होते है। एक, जो शादी के बाद अपने पति की चुदाई से संतुष्ट होती है। और दूसरी, जो संतुष्ट नहीं होती। जो संतुष्ट नहीं होती, वो तो शुरू से ही दूसरे मर्दों की तरफ देखती रहती है। या फिर मन को मार कर रहती है। लेकिन जो संतुष्ट होती है, वो जब तक उसका पति उसमें इंटरेस्ट लेता है, तब तक पूरे मजे लेती है। उसके बाद जब उसके पति का इंटरेस्ट कम हो जाता है, तो या तो वो भी बाहर मुंह मारती है, या फिर मन मार कर बैठ जाती है।
मैं: तो आपके कौन से हालात है?
दिव्या भाभी: मैं पहले टाइप की हूं। मेरे पति ने मुझे बहुत चोदा, लेकिन फिर धीरे-धीरे हमारे रिश्ते की वो गर्माहट खत्म हो गई। अब तो हफ्तों बीत जाते है कुछ किए को।
मैं: तो आपने बाहर मुंह नहीं मारा?
दिव्या भाभी: मुझे अपने घर की इज्जत बहुत प्यारी है। अगर बात बाहर निकल गई, तो मेरा घर खराब हो जाएगा।
मैं: और आपकी संतुष्टि का क्या?
दिव्या भाभी: बस ठीक है, काम चल रहा है जैसे-तैसे। और तुम्हें इतनी क्यों पड़ी है मेरी संतुष्टि की?
मैं: मैं सोच रहा था कि अगर आप चाहे तो मैं आपको संतुष्ट कर सकता हूं।
दिव्या भाभी मेरी बात सुनते ही खड़ी हो गई, और वहां से जाने लगी। उनके ऐसे करने से मेरी गांड फट गई। मुझे लगा कहीं मैंने गलती कर दी, और अब शादी भी कैंसिल हो जाएगी अगर उन्होंने घर वालों को ये बात बता दी तो।
फिर मैं जल्दी से उनके पीछे गया। वो तेजी से चल रही थी। मैंने उनको आवाज लगाई, लेकिन वो मुझे अनसुना करके चलती गई। वो बाथरूम की तरफ जा रही थी, और जल्दी से अंदर घुस गई। मैं बाहर थोड़ी दूरी पर खड़ा रह कर उनका इंतेज़ार करने लगा।
कुछ मिनटों बाद उन्होंने बाथरूम का दरवाजा खोला, और मुझे इशारा करके अपने पास बुलाया। मैं जल्दी से उनके पास गया। मुझे ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि आगे क्या होने वाला था। फिर जैसे ही मैं उनके पास पहुंचा, तो उन्होंने मुझे गले से पकड़ा, और अंदर खींच लिया। मैं अंदर चला गया, और उनसे पूछा-
मैं: भाभी आप ये क्या कर रही है?
दिव्या भाभी: क्यों, संतुष्ट नहीं करेगा? यहां कोई नहीं है, जल्दी से मेरी चूत चोद कर ठंडी कर दे।
है भगवान! मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि मैं क्या सुन रहा था। दिव्या भाभी खुद मुझे उसकी चुदाई करने के लिए बोल रही थी। फिर मैंने एक पल भी व्यर्थ नहीं किया, और भाभी को खींच कर अपनी बाहों में भर लिया। हम दोनों के होंठ मिले, और हम दोनों एक-दूसरे के होंठों का रस चूसने लगे। क्या स्वाद आ रहा था भाभी के होंठो से, एक-दम मस्त। ऐसा स्वाद तो कभी पूजा के होंठो से भी नहीं आया।
मैं होंठ चूसते हुए भाभी की पीठ पर हाथ फेर रहा था। फिर नीचे जा कर उनकी गांड सहलाने लगा। भाभी इससे और उत्तेजित हो रही थी। तभी बाहर से किसी के दरवाजा खोलने की आवाज आई, तो हम दोनों किस्स करते हुए केबिन में चले गए।
मुझे बड़ी जल्दी थी भाभी की चुदाई करने की, तो मैंने किस्स तोड़ी, और नीचे बैठ कर भाभी की लेगिंग्स नीचे खींच थी। मेरे ऐसा करते ही भाभी ने अपनी टीशर्ट ऊपर उठा ली। अब भाभी की पैंटी मेरे सामने थी, जो चूत वाली जगह से थोड़ी गीली थी। उनकी जांघें बहुत सेक्सी थी।
मैंने झट से भाभी की पैंटी नीचे की, और भाभी की चिकनी बिना बालों वाली चूत को चाटने लगा, उसके चूसने लगा। भाभी मेरे सर को अपनी चूत में दबा कर आह आह करने लगी। क्या मीठा रस निकल रहा था भाभी की चूत में से। मैं जीभ अन्दर डाल-डाल कर चूत चूसने का मजा ले रहा था। कुछ देर चूत चूसने के बाद भाभी एक बार झड़ गई। मैं उनका सारा पानी पी गया।
फिर मैं खड़ा हुआ, और नीचे से नंगा हो गया। भाभी मेरा लंड देख कर खुश हो गई। वो लंड चूसने वाली थी, लेकिन मैंने उनको रोक दिया। फिर मैंने उनको घुमाया, और दीवार पर हाथ रखवा कर थोड़ा झुका लिया। अब भाभी की चूत मेरे लंड के सामने थी। मैंने चूतड़ पर हाथ रख कर लंड चूत पर सेट किया, और एक ही धक्के में अंदर पेल दिया। भाभी की आह निकली, लेकिन उन्होंने आवाज दबा ली।
फिर मैंने भाभी की धक्का-पेल चुदाई शुरू कर दी। भाभी की चूत में बहुत गर्मी थी, जो मेरे लंड को और टाइट कर रही थी। उनकी चूत मेरे लंड को अपने अंदर खींच रही थी, और धड़ा-धड़ पानी छोड़ रही थी। थप-थप की आवाजें आ रही थी, लेकिन मुझे इसकी कोई परवान नहीं थी।
मैं फुल स्पीड पर भाभी को चोदता रहा, और 10 मिनट में वो फिर से झड़ गई। अगले 5 मिनट में मेरा भी निकलने वाला था, तो मैंने भाभी के कहने पर अपना माल उनकी चूत में ही भर दिया।
फिर हमने अपने कपड़े ठीक किए, और बाहर आ गए। तब से लेके अब तक मैं ऐसे ही भाभी को अलग-अलग जगह मिल कर उनके साथ अय्याशी करता हूं। दोस्तों कहानी की फीडबैक [email protected] पर दें।