पिछला भाग पढ़े:- पड़ोसी भाभी संग पहली चुदाई-2
फ्रेंड्स, मैं विक्रम सिंह एक बार पुनः अपनी भाभी की चुदाई कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूं।
हम तीनों भाभी के घर आ गए। वहां पर भाभी की मम्मी, भैया, और भाभी मिले। हम लोगों ने नाश्ता किया, और वहीं पर रहे। भाभी की मम्मी सुधा 58 साल की, एक गठीले बदन वाली सवाली औरत थी। उनकी बहु आरती 29 साल की, मोटी सी औरत थी। मैं वहां पर रहा, और एक रात भाभी की चुदाई भी करी।
फिर हम वापस जाने लगे, और हमारे साथ भाभी की मम्मी सुधा आंटी भी दिल्ली आ गयी। आंटी आस-पास सिर्फ मुझे जानती थी, इसलिए वो अक्सर मुझसे हसी-मजाक करती थी। आंटी की इतनी उम्र थी, पर वो दिल से जवान थी। हम लोग बहुत बाते करते थे। मैं उनके घर भाभी के चक्कर में आता था, लेकिन बातें करती थी वो बहुत मुझसे।
एक दिन मैं भाभी के घर गया था। भाभी स्कूल गयी थी बच्चो के फंक्शन में।
मैं: आंटी जी आज तो आप अकेले हो। मन लग रह है क्या?
सुधा आंटी: विक्रम बेटा जब से अंकल ख़त्म हुए, तब से जिंदगी में अकेले रहने की आदत हो गयी।
मैं: मुझे माफ़ कर दो, आप तो बहुत सुंदर हो। आपने दूसरी शादी क्यों नहीं करी?
सुधा आंटी: विक्रम बेटा दूसरी शादी बच्चों की वजह से नहीं करी, लेकिन।
मैं: लेकिन क्या आंटी बोलिये?
सुधा आंटी: विक्रम मैंने दूसरी शादी नहीं करी। लेकिन मैं कभी अपने अंदर से जिस्म की भूख नहीं मार पायी। हर औरत की कुछ जरूरत होती है। मैंने तुमको जब अपने घर पहली बार देखा था, मैं तब से तुमको पसंद करती हूं। लेकिन बोल नहीं पायी आज तक।
मैं: आंटी आपने वहां पर क्यों नहीं बोला?
आंटी: हर औरत चाहती है कि लड़का पहल करे। वैसे भी विक्रम मुझे मौका नहीं मिला, तो आज मैं हिम्मत करके बोल दी।
विक्रम में चाहती हूं कि तुम मेरी बहु को एक बच्चा दो। उसकी शादी को 6 साल हो गए है।
मैं: आंटी मैं कैसे आपकी बहु को बच्चा दे सकता हूं? अगर किसी को पता चल गया तो आपके घर की बहुत बदनामी होगी।
आंटी: विक्रम मैंने तुमको इस लिए चुना है, कि तुम्हारा बदन बहुत चुस्त है। तुमसे जो संतान होगी वो भी बहुत अच्छी होगी।
मैं: आंटी आप किसी और से भी अपनी बहु को बच्चा कर सकते है।
आंटी: विक्रम तुम मेरे गांव के नहीं हो, और ना ही मेरी रिश्तेदारी के। तुम्हारे से बच्चा करने में कभी भी किसी को पता नहीं चलेगा।
मैं: क्या आपकी बहु इसके लिए मान जायेगी क्या?
आंटी: विक्रम तुम्हारा बदन ऐसा है, कि कोई भी औरत तुमसे जल्दी सेट हो जायगी। और वो तुम्हारा काम है, उसकी कैसे चुदाई करते हो।
फिर आंटी मेरी जीन्स के ऊपर से मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी।
मैं: आंटी आप तो बहुत बड़ी है मुझसे। मैं 25 साल का हूं, और आप तो शायद 50 के ऊपर है। मैं तो आपके बेटे की तरह हूं।
आंटी: विक्रम मेरी उम्र 58 साल है, और मैं आज तुमको एक बात बताती हूं, ध्यान से सुनो। औरत की की कमर के नीचे की कोई उम्र नहीं होती।
मैं: आंटी आप में, और मेरे में बहुत बड़ा अंतर है।
आंटी: जानती हूं विक्रम, लेकिन चूत और लंड की उम्र नहीं होती। लंड को चूत दिखती है चाहे वो किसी की भी हो। 18 साल की लड़की हो या 60 की औरत, विक्रम लंड और चूत की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जब किसी को चुदाई चढ़ती है, तो वो रिश्ते भी भूल जाता है।
फिर आंटी मेरे से चिपक गयी, और मुझे चूमने लगी। मैंने भी उनको चूमना शुरू कर दिया, और उनकी साड़ी खोल दी। फिर कुछ ही देर में उनको नंगा कर दिया। जब उनकी चूत देखी, उस बार बहुत सारे बाल थे।
मैं: आंटी इसके बाल साफ़ करो। आज मैं आपकी चूत चाटूंगा।
फिर आंटी ने सरिता भाभी के रेज़र से बाल साफ़ करे चूत के और बगल के। उन्होने अपने सारे बाल साफ़ करे। फिर खुशबू वाले साबुन से जल्दी से नहा कर बाहर निकली, और नंगी ही बाहर आ गयी।
मैं: आंटी क्या आपने अंकल के बाद किसी और से भी चुदाई करी है?
आंटी: हां विक्रम, था एक आदमी। मेरे बेटे का मालिक था। लेकिन मैंने उससे जल्दी पीछा छुड़ा लिया बदनामी के डर से। लेकिन मैं पिछले 2 साल में नहीं चुदी।
मैंने अपने सारे कपड़े उतारे, और आंटी के होंठों को चूमने लगा। लेकिन आंटी की लम्बाई काम थी, जिससे उनको खड़े होकर चूमना मुश्किल था।
मैं: आंटी आप एक काम करो। अपने पैरों को मेरी कमर में फसा लो। इससे आपका चेहरा ऊपर हो जायेगा।
फिर मैं आंटी को उठा कर, अपने से लगा कर किस्स करने लगा। थोड़ी देर में उनको भाभी के बिस्तर पर लिटा दिया, और उनकी बगल को चाटने लगा। फिर उनके बूब्स को चूसने लगा। सरिता भाभी की मम्मी की आवाज में एक आह थी। उसके बाद मैंने उनके बूब्स दबाए, और उनकी चूत चाटने लगा।
उनकी चूत ढीली थी, और पानी छोड़ रही थी। उसके बाद मैंने उनके कान, नाक, गर्दन सब चाटे, और उनकी नाभि में जीभ डाल कर घूमाई। उसके बाद मैंने उनको उल्टा करा, और उनकी गांड के छेद पर जीभ रख दी।
आंटी: विक्रम वहां पर नहीं, गन्दा होता है।
मैंने नहीं माना, और उनकी गांड चाटने लगा। वो लंड के लिए पागल हो गयी।
आंटी: विक्रम इस चूत में लंड डाल दो। आग लग रही है। अपने पानी से इस आग को शांत करो।
फिर मैंने उनकी चूत पर लंड रखा, और उन्होंने मेरी पीठ को जकड़ लिया।
आंटी: विक्रम आह मजा आह आ रह है, आह आह विक विक।
उनकी आवाज भी रूक गयी, जब उनकी चूत में मेरा लंड गया। पूरे कमरे में आवाज आ रही थी हमारी जांघों की।
आंटी बोल रही थी: विक्रम जल्दी करो, सरिता आ जायगी।
मैंने: सरिता भाभी 2 बजे तक आयेंगी।
आंटी: विक्रम तुम्हारा लंड तो मेरी बच्चेदानी तक टकरा रह है। मुझे ऐसा लग रह है तुम्हारा लंड मेरी बच्चेदानी को सुजा ना दे। विक्रम मैं छूटने वाली हूं।
मैं: आंटी मेरा भी निकलने वाला है।
मैंने और तेज चुदाई कर दी, और मैं भी झड़ गया। भाभी के आने का भी टाइम होने वाला था। इसलिए हमने अपने कपड़े सही करे और बिस्तर भी।
आंटी: विक्रम तुम तो बहुत अच्छी चुदाई करते हो। तुम तो मेरी बहु की चूत का भोंसड़ा बना दोगे।
फिर हम दोनों हसने लगे। मैंने भी सुधा आंटी को नहीं बताया कि मैं उनकी बेटी सरिता की चुदाई करता था। और ना ही सरिता को बताया कि मैं उसकी मम्मी की चुदाई करता था।
आंटी 2 महीने रही यहां, और मैंने उनकी चुदाई 25 बार करी। आगे की कहानी अगले भाग में [email protected]