नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम प्रितंका गुप्ता है। मैं 23 साल की हूं, और पंजाब के लुधियाना शहर में रहती हूं। मेरी ग्रेजुएशन पूरी हो चुकी है, और अब मैं नौकरी कर रही हूं। मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरे पापा, मम्मी, मेरा छोटा भाई, दादा, और दादी रहते है। मेरी ऊंचाई 5 फुट 6 इंच है, और रंग मेरा गोरा है। फिगर मेरा 34-29-36 है। मोहल्ले के सारे लड़के मुझे घूर-घूर कर देखते है, लेकिन अभी तक मुझसे किसी ने दोस्ती करने के लिए पूछा नहीं है। शायद इसकी वजह मेरे पापा है, क्योंकि मेरे पापा पुलिस में है।
दोस्तों मैं ज्यादातर जींस और टीशर्ट ही पहनती हूं। आप तो जानते ही होंगे कि मुझ जैसी सेक्सी लड़की का फिगर जींस और टीशर्ट में कितना कमाल का लगता होगा। जवान होते ही मेरी चूत में लंड लेने की खुजली मच गई थी। लेकिन घर वालों के डर से मैं हमेशा शरीफ लड़की बन कर रहती हूं। अपनी चूत की प्यास बुझाने लिए मैं पोर्न वीडियो का सहारा लेती थी, और अपनी चूत में उंगली डाल कर खुद को शांत करती थी।
फिर एक दिन मुझे सेक्स कहानियों के बारे में पता चला, और उनको पढ़ कर मुझे पॉर्न देखने से ज्यादा मजा आने लगा। कहानियां पढ़-पढ़ कर मेरी बहुत सारी फैंटसीज हो गई, और मैं वहीं सोच-सोच कर अपनी तड़पती चूत को ठंडा करती हूं। वैसे मैं अभी कुंवारी हूं। लेकिन मैं चाहती हूं कि कोई मुझे मसल-मसल कर चोदे, मेरे बूब्स को दबाए, उनको खा जाए, मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, मेरे होंठों का रस पीए, मेरी गांड में लंड पेले।
पर घर में सख्ती की वजह से मैं ये सब नहीं कर सकती हूं। फिर मैंने सोचा कि मेरे पास फोन है, और मैं कम से कम अपनी इच्छाएं यहां के हरामी लड़कों और बुड्ढों को तो बता सकती हूं, और फिर मेरे बारे में उनके गंदे खयाल पढ़ सकती हूं। यहीं सोच कर अब मैं जो-जो चाहती हूं कि मेरे साथ हो, वो मैं आपको कहानी लिख कर बताऊंगी। उम्मीद है मेरी इच्छाएं आपको मजा देंगी। तो चलिए शुरू करती हूं Xahani पर अपनी पहली कहानी।
मेरे भाई का नाम दीपक है, और वो मुझसे 3 साल छोटा है। वो कॉलेज में पढ़ता है। हम दोनों में अच्छी बनती थी शुरू से ही। लेकिन फिर धीरे-धीरे हमारा रिश्ता बदलना शुरू हो गया।
मैं और मेरा भाई बचपन से ही एक कमरे में सोते है। वक्त बीतने के साथ जब हम जवान होने लगे, तो परिवार वालों ने हमारे बिस्तर अलग-अलग कर दिए। लेकिन हमारे कमरे अलग नहीं किए गए। अब एक ही कमरे में जवान बहन और भाई जब सोएंगे, तो दिक्कत तो आयेगी ना। अब आप ही सोचो कि अगर रात को पैड बदलना पड़े, और आपका भाई आपके पास ही दूसरे बिस्तर पर सोया हो, तो कितनी दिक्कत होती है।
मेरी अपने भाई के बारे में कभी कोई गलत सोच नहीं थी। ये सोच शुरू ही उसकी एक हरकत से। एक दिन मैं अपने बिस्तर पर चादर बिछा रही थी। रविवार का दिन था, और भाई अपने बिस्तर पर बैठा मोबाइल चला रहा था। मैंने पिंक रंग की टाइट लेगिंग्स, और व्हाइट रंग की ढीली टीशर्ट पहनी हुई थी।
अगर आपने कभी अपनी मां, बहन, बीवी, या किसी भी औरत को चादर बिछाते हुए देखा हो, तो आप अच्छे से जानते होंगे कि चादर बिछाते हुए बेड के ऊपर चढ़ कर, घुटनों के बल बैठ कर, हाथ आगे रख कर चादर ठीक करनी पड़ती है। ऐसा ही कुछ मैं भी कर रही थी। जब मैं ये कर रही थी, तो मेरी गांड मेरे भाई के बिस्तर की तरफ थी।
चादर ठीक करते हुए अचानक मेरी नज़र मेरे भाई की तरफ गई। मेरा भाई मेरी गांड को घूर-घूर कर देख रहा था। उमर से उससे बड़ी होने के कारण लड़के-लड़कियों में एक-दूसरे के प्रति उत्तेजना की भावना से मैं पहले से परिचित थी। भाई को मेरी गांड घूरते देख कर मैं समझ गई थी, कि वो मेरी गांड को किन नजरों से देख रहा था। मेरा अंदाजा तब पक्का हो गया, जब मैंने उसकी पेंट में अकड़ा हुआ लंड देखा।
ये देख कर मुझे भी थोड़ी उत्तेजना होने लगी, कि कैसे मेरा भाई मुझे वासना भरी नज़रों से देख रहा था। मुझे इसने मजा आने लगा, तो मैं जान-बूझ कर उसके सामने अपनी गांड हिलाने लगी। फिर मैं घूम गई, और झुक कर अपनी ढीली टीशर्ट में लटकते हुए बूब्स उसको दिखाने लगी। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी, तो आप लोग समझ सकते होंगे कि मेरे बूब्स टीशर्ट के गले में से बाहर कैसे दिखते होंगे। फिर थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैं सीधी हो गई, और कमरे से बाहर आ गई।
अपने भाई की अपने लिए गंदी नज़र के बारे में जान कर मेरी चूत में सुरसुरी सी दौड़ रही थी। फिर मैं सीधे बाथरूम में गई, और वहां जाके अपनी लेगिंग्स और पैंटी नीचे करके अपनी चूत पर हाथ फेरने लगी। मेरी चूत गीली हुई पड़ी थी। पहले तो मैंने फिंगरिंग करने का सोचा। लेकिन फिर मैंने सोचा कि मैं भाई के नाम की फिंगरिंग कैसे कर सकती थी। ये सोच कर मैं बाहर आ गई।
फिर मैं अपने कमरे की तरफ चल पड़ी। जैसे ही मैं अंदर जाने लगी, मेरी नज़र अपने भाई पर पड़ी, और मेरे अंदर की तरफ जाते हुए कदम वहीं रुक गए। मैंने देखा मेरा भाई मेरे बिस्तर पर उल्टा लेटा हुआ था, और ऐसे अपनी कमर हिला रहा था जैसे मुझे चोद रहा हो। उसके हाथ में मेरी पैंटी थी, जिसको उसने अपनी नाक पर लगाया हुआ था। वो बेड पर अपना लंड घिसता गया, और फिर आह आह करने लगा। मैं समझ गई कि वो झड़ गया होगा।
उसको ऐसा करते देख मुझसे भी रुक नहीं गया। मैं जल्दी से वापस बाथरूम में गई, और नीचे से नंगी हो कर टॉयलेट सीट पर बैठ गई। फिर मैंने अपनी चूत को तेजी से रगड़ना शुरू कर दिया। मैं अपने भाई के बारे में सोच कर ये कर रही थी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। एक हाथ से मैं अपना एक चूचा दबाने लगी। 4-5 मिनट मैं लगातार अपनी चूत रगड़ती रही, और चूचा दबाती रही। फिर मेरे चूत से पानी की धारा निकल कर टॉयलेट में बह गई।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। अगर आपको मेरी सेक्स कहानी पढ़ कर मजा आया हो, तो [email protected] पर मेल करे।
अगला भाग पढ़े:- भाई-बहन की वासना-2