ममेरे भाईयों ने मुझे गांडू बनाया-3

पिछला भाग पढ़े:- ममेरे भाईयों ने मुझे गांडू बनाया-2

हेलो दोस्तों, मेरी आगे की कहानी लिखने जा रहा हूं। आशा है आप लोगो को पसंद आ रही होगी।

रमेश भैया ने मेरे हाथों को कस कर पकड़ लिया और मुझे जोर-जोर से किस करने लगे। वो मेरे होंठो को चूसते ही जा रहे थे। मेरा अब हाल बहुत बुरा होता जा रहा था। रमेश भैया मेरे ऊपर चढ़ चुके थे। उन्होंने अब मेरी टी-शर्ट उतार दी, फिर बनियान भी उतार दी। अब हम दोनों ऊपर से बिल्कुल नंगे थे।

उनकी बॉडी स्पर्श मुझे एक अलग ही अनुभव दे रहा था। अब वो मेरे लिप्स को जोर से दांतो से काटते और हाथों से मेरे बूब्स को मसल भी रहे थे। जैसे ही उन्होंने मेरे बूब्स दबाये मेरी बॉडी सिहार उठी। मैंने अपने हाथों से उनका सर नीचे किया, और चूचियां चूसने का इशारा किया। तो वो मेरे बूब्स चूसने लगे।

मैं उछल पड़ा। वो मेरी चूचियों को अपने दांतो से काटते तो मुझे गांड में खुजली होने लगती। दोस्तों आज मुझे मेरा प्यार मिला तो एक अलग अनुभूति मिल रही थी। क्यूंकि मैं रमेश भैया को अपना दिल दे बैठा था। वो मेरी बॉडी को जोर-जोर से भींचते। अब मैं भी ये मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता था, इसलिए मैं भी उनका पूरा साथ दे रहा था।

उन्हें ऐसा प्यार देना चाहता था, कि वो मुझे जीवन भर अपनी रखैल बना कर रखे। अब मैंने भी उनकी फ्रेंची को उतार दिया, और उनके लंड को पकड़ लिया। उनका लंड तीन इंच मोटा रहा होगा। मेरे हाथों में नहीं आ पा रहा था। रमेश भैया की शादी नहीं हुई थी। वो बिल्कुल स्ट्रेट थे। उनके अनुभव से ऐसा लग रहा था।

हम बिल्कुल मोन होकर सेक्स कर रहे थे, अभी एक-दूसरे से खुले नहीं थे। अब वो मेरे हाथों को पकड़ कर अपने लंड को जोर-जोर से ऊपर-नीचे करवाने लगे। शायद जल्दी अपना पानी छोड़ना चाहते थे। पर मुझे तो अभी उनका लंड चूसना था, और अपनी गांड भी मरवानी थी। इसलिए मैंने उनका लंड छोड़ दिया, और उनको अपनी बाहों में भर लिया।

वो भी मुझे अपनी बाहों में भर लिए जिससे उनका लंड मेरे लंड से टकरा रहा था। मैं सिसकारियां ले रहा था। अंधेरे में हमारी सिसकारियों की आवाज गूंज रही थी। तब भैया ने लंड पर थूक लगाया, और मेरी जांघ के बीच में चूत बना के सेट कर लिया। फिर लंड हिलाने लगे। मुझे भी मजा आ रहा था, और मैं सोचने लगा कि ऐसे ही लंड जब गांड में घुसेगा, तो और कितना मजा आएगा। फिर ये भी डर लग रहा था कि अगर भैया जांघो के बीच झड़ गए तो मेरी गांड मराने की ख्वाइश अधूरी रह जाएगी। फिर हमारे बीच ये चुदाई दोबारा होगी भी या नहीं।

इसलिए मैंने अपनी टांगो को फैला लिया, और टांगो को उठा के भैया की कमर में लपेट लिया। फिर हाथों को उनके कूल्हों पर रख लिया। फिर मैं उनके होंठो पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा। बीच में मैं अपने हाथों से उनके कूल्हों को ऊपर की ओर खींचता, उन्हें ऊपर लाने के लिए कोशिश करता, जिससे उनका लंड मेरे मुंह तक पहुंच जाता।

मैंने उन्हें ऊपर खींचा तो उनका लंड मेरे पेट तक सरक गया। दो-तीन बार ऐसा किया तो उनका लंड मेरी छाती में आ गया। शायद अब उनको इसका एहसास हो चुका था कि मैं उनका लंड चूसना चाहता था। फिर मैं अपने हाथों से उनका लंड पकड़ कर सहलाने लगा। भैया ने भी पोजिशन ले ली। वो घुटनों को मोड़ कर लंड आगे करके बैठ चुके थे। तो झट से मैंने उनका लंड अपने होंठो से लगा लिया, और किस करने लगा।

वो अपनी उंगलियों को मेरे होठों पर फिराने लगे, और मेरे मुंह में डालने लगे। फिर उंगली से मेरा मुंह खोला और अपना लंड मेरे मुंह में घुसेड़ दिया। अब मैं अपना एक पड़ाव और पार कर चुका था। उनका लंड बहुत मोटा था कि मेरे मुंह में भी ठीक तरह से समा नहीं रहा था, और उनके लंड से प्री-कम भी निकल रहा था, जिसे मैं चाट कर मजे लेने लगा।

अब वो मेरे सर को पकड़ कर मेरा मुंह चोदने लगे। बीच में वो पूरा लंड बाहर करते और फिर डाल देते। मैं सातवे आसमान में उड़ने लगा। फिर वो अचानक से खड़े हुए और लाइट ऑन कर दी। मैंने उनका लंड देखा तो होश ही उड़ गए। पर मुझे शर्म भी आ रही थी। मैं उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था। मुझे लगा कि मैं गे हूं, और ये सोच कर डर रहा था।

पर उन्होंने मुझे उठाया और मेरी शॉर्ट्स को उतार दिया और फ्रेंची भी उतार दी। फिर उन्होंने मुझे पलंग के किनारे बैठा दिया और खुद खड़े हो गए। फिर अपना तना हुआ आठ इंच का लोड़ा मेरे मुंह में भर दिया, और मेरे दोनों हाथ अपनी कमर में रख लिए। वो अपना लोड़ा मेरे मुंह में पेले जा रहे थे, और मैं हाथों से उनको अपनी ओर खींचता, ये कहता कि पूरा लंड मेरे गले की दीवार तक डाल दो।

जब उनका लोड़ा मेरे मुंह को जाता तो मेरी सांस ही रुक जाती। ऐसा लगता जैसे उन्हें लंड चुसवाने में महारथ हासिल हो। अब मेरा मुंह लोंडा चूसते दर्द होने लगा था। फिर हम रुक गए और एक-दूसरे से लिपट गए, और पलंग पर लेट गए। अब हम रोशनी में एक-दूसरे को देखते जा रहे थे। मेरी इच्छा उनका लंड अपनी गांड में लेने की हो रही थी। तो मैं अब उनके ऊपर हो गया, और उनके गालों में अपने गाल घिसने लगा।

उनकी हल्की दाढ़ी मेरे गालों से रगड़ खा रही थी। फिर मैं उनके हल्के काले बालों से भरी छाती को चूम रहा था। उनके निप्पल को चूसता जा रहा था। हम दोनों बहुत भाव-विभोर हो रहे थे। फिर मैंने उनके अंडरआर्म को भी किस किया, तो उसकी सुगंध से मुझ में एक नशा सा छाने लगा। अब मैं देर नहीं करना चाहता था। इसलिए उनके पेट से सरकता हुआ उनके लंड पर जाकर अपनी गांड टिका दी, और गांड से ही लंड को सहलाने लगा, जिससे उनको पता चल सके कि मेरा अगला मुकाम क्या था।

फिर मैं हल्के से उठ कर उनके लंड पर बैठ गया, और गांड से दबाने लगा। उनको ये समझने में ज्यादा देर नहीं लगी कि मैं क्या चाहता था, तो उन्होंने अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया, और लंड को मेरी गांड के होल पर सेट कर लिया। फिर मुझे अपने लंड पर बिठाने लगे। मैं भी गांड को लंड पर धकेलने लगा, पर लंड घुस नहीं पा रहा था।

अचानक भैया ने मुझे अपने ऊपर से हटाया और खड़े हो गए। बाजू में ड्रेसिंग पर रखी तेल की बॉटल से तेल हाथों में लिया, और लंड पर चुपड़ लिया। मुझे भी पेट के बल लिटा कर मेरी गांड में भी तेल चुपड़ दिया। अब हम चुदाई के पड़ाव पर थे। फिर लंड को गांड के होल पर टिकाया और एक हल्का से धक्का दिया। गांड का होल खुल गया। फिर भैया मेरे ऊपर लेट गए।

दूसरा धक्का दिया उनके लंड का सुपारा मेरी गांड को चीरता हुआ घुस गया। मेरे मुंह से चीख निकल गई। मेरी आंखों से आंसू बहने लगे। हमारे बीच पहली बार चुप्पी टूटी और मैं बोल बैठा-

मैं: भैया मत करो प्लीज, दर्द हो रहा है।

तो भैया ने कहा: ठीक है नहीं करता। बस ऐसे ही पड़े रहो। अभी कुछ देर में दर्द खत्म हो जाएगा, फिर मजा आएगा।

मैं बोलता रहा: प्लीज नहीं, नहीं।

तो उन्होंने मुझसे पूछा: पहली बार चुदवा रहे हो क्या?

मैंने कहा: हां।

तो वो बोले: मैं भी पहली बार किसी लड़के को चोद रहा हूं।

अभी हम ऐसे ही पड़े रहे। फिर मुझे थोड़ा रिलेक्स लगा, तो मैं हिलने लगा। भैया समझ गए कि ये अब तैयार है मरवाने को। अब वो मुझे धीरे-धीरे चोद रहे थे। उनका लंड एक-दम पोर्न मूवी जैसा था। अब मुझे भी मजा आने लगा, तो उन्होंने मेरी गांड को थोड़ा ऊपर किया और नीचे तकिया लगा दिया। फिर शुरू हुआ उनका थ्रिलर सस्पेंस। भैया ने अब अपने झटको की स्पीड बढ़ा दी, तो चूदाई से जो छप-छप की आवाज़ निकल रही थी, वो पूरे रूम में गूंज रही थी। अब हम चुदाई का भरपूर मजा ले रहे थे।

भैया: कैसा लग रहा है आलोक?

मैं: बहुत मजा रहा है भैया। और जोर से चोदो भैया।

भैया: आज तो मैं तुझे ऐसा चोदूंगा, कि जिंदगी भर मेरी रखैल बन के रहेगा।

मैं: मेरी गांड फाड़ दो भैया, चीर दो‌। मुझे बस अब आपकी बन कर रहना है। मैं कब से आपके लंड का प्यासा था।

भैया: ले चुद मेरे भाई, तेरी गांड़ तो लड़कियों की चूत से भी टाइट है। बहुत मजे दे रही है। चल अब डॉगी बन जा आज।

मैं: हां भैया लो, आह आह आह।

फिर भैया ने मुझे डॉगी बना कर जी भर के चोदा। कुछ देर बाद उनका लंड तेजी से अकड़ने लगा। मैं समझ गया भैया झड़ने वाले थे। अगले ही पल मेरी गांड में गर्म लावे की धार फूट पड़ी। भैया हांफने लगे। मैंने तुरंत लंड को गांड से निकाला, और मुंह में ले लिया। फिर चाटने लगा। चाट के पूरा लंड साफ कर दिया। फिर हम निढाल होकर लेट गए। फिर भैया ने अचानक मुझे अपने से लिपटा लिया और सो गए।

उन्हें गहरी नींद आ गई। पर मुझे नहीं आई। मैंने सोचा कि भैया को मुझसे प्यार हो गया था। आज मैं बहुत खुश था कि जो प्यार रोशन भैया के साथ ना हो पाया वो मुझे और भी अच्छे रमेश भैया से मिल गया। मैं उम्मीद कर रहा था कि हमारे बीच सिर्फ शारीरिक संबंध नहीं बल्कि एक सच्चा प्यार रहे। फिर मैं भी सो गया।

सवेरे करीब सात बजे होंगे। भैया का हाथ मुझे मेरी चूचियों पर रगड़ते मिले। वो मुझे सहलाते हुए लगे तो मेरा भी मन डोल गया। मैं झट से उनकी तरफ पलटा और किस करने लगे। उनका लंड एक-दम टाइट था, जो मेरी जांघो पर टकरा रहा था।उन्होंने फिर से लंड पर तेल लगाया, और मेरी टांगो को कंधो पर टिकाया लंड को गांड में सटाया। एक धक्के में पूरा सुपाड़ा अंदर था।

मुझे दर्द हो रहा था फिर भी अब मुझे अच्छा लग रहा था। दूसरा धक्का पूरे आठ इंच लंड को गांड में धकेल दिया। मैं कसमसा गया। इस बार बिना रुके लगातार झटके दिए जा रहे थे। मुझे बहुत मजा रहा था। वो मुझे स्माइल दे रहे थे। मैं भी उन्हें शर्मा कर स्माइल दे रहा था। कुछ देर बाद वो झड़ने वाले थे, तो अपना लंड बाहर निकाला और मेरे होंठो पर टिका दिया। पूरा वीर्य मेरे होंठो पर और गालों पर फैल गया। मैं जीभ निकाल कर चाटने लगा। फिर कुछ देर बाद हम उठे और बाथरूम चले गए। भैया नहा-धो कर तैयार हो गए, नाश्ता किया, फिर दुकान चले गए। मैं भी अपने घर आ गया।

दोस्तों इस तरह हमारे प्यार की शुरुआत हुई। मैं बहुत खुश था। अब हम अक्सर मिलने लगे। हमारे बीच वास्तव में एक प्यार ही पनप रहा था। हम दोनों के बीच अब दोस्ती और पति-पत्नी वाला प्यार भी हो चुका था। हम ज्यादा दिन एक-दूसरे से दूर नहीं रह पाते। दिन बीतते चले गए। दो साल बाद भैया की शादी हो गई। उनके दो बच्चे भी हैं। लेकिन हमारे बीच अब भी वही रिश्ता कायम है। भैया के प्यार ने मुझे कभी और किसी के साथ जाने की इच्छा नहीं होने दी।

हमारे बीच बहुत अच्छी-अच्छी चूदाई के वाकयात हुए। उनकी स्टोरी भी आपसे फिर शेयर करूंगा।