हैलो दोस्तों। मेरा नाम राज है, और मैं आपका मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी में स्वागत करता हूं। मैं यूपी के एक कस्बे का रहने वाला हूं। मेरी फैमिली में मैं, मेरी ब्यूटी मां, मेरी मां का पति, और मेरा बड़ा भाई है। मेरी मां हमेशा से एक बच्चा चाहती थी, पर मेरे बाप ने जबरदस्ती मुझे पैदा करा दिया। इसीलिए मेरी मां हमेशा से मुझे प्यार के नाम पर मेरी एक्सपेक्टेशन से बहुत कम ही देती थी।
मुझे मेरे भाई के बचे हुए खिलौने, उसके पहने कपड़े, उसकी यूज्ड चीजे ही मिलती थी। मेरे मन में मेरी मां के प्रति इस वजह से गुस्सा भर गया था। फिर मेरा नवोदय विद्यालय में 5th क्लास में सिलेक्शन हो गया था, तो मैं वहीं चला गया इस गुस्से की वजह से। 12th के बाद भी जब मैं एक बार कुछ दिन के लिए वापस आया तब भी वहीं सब था।
मेरी मां के प्यार को मैं तरस रहा था, तो मैं ग्रेजुएशन के लिए फिर से बाहर ही चला गया। मैं दिल्ली रह कर पढ़ाई करने लगा। वहीं पर बाद में कंप्यूटर साइंस का कोर्स एमसीए करके एक सॉफ्टवेयर डेवलपर बन गया। इस बीच बहुत बार मुझे घर की याद आती, लेकिन बहुत ज्यादा जरूरी होने पर ही मैं एक दो दिन के लिए घर जाता था।
एक बार ऐसा हुआ कि हम सब को किसी शादी में जाना था। मेरा मन था, लेकिन मैं मेरी मां के कहने के कारण गुस्से में नहीं तैयार हुआ, और घर से थोड़ी देर के लिए बाहर निकल गया। वापस आया तो मैं अपने रूम में घुस गया। वहां जो नजारा देखने मिला, वो मेरे लिए एक बहुत गजब सरप्राइज़ था। सौम्या पूरी नंगी थी और टॉवल से अपने बाल सुखा रही थी। सौम्या ने हालांकि जल्दी से अपने आप को ढक लिया, और मैं भी जल्दी से बाहर आ गया रूम से। लेकिन वो कुछ सेकेंड्स जन्नत ही थे।
सौम्या सच में बड़ी सौम्य (सॉफ्ट) थी। उसके निपल्स इतने बड़े और इतने आकर्षक थे, कि बस उनका रस चूसते रहने का मन करने लगे। सौम्या की जांघें बड़ी ही मस्त थी चिकनी-चिकनी। उसकी जांघों के बीच में मस्त सी थोड़ी मैच्योर ब्लैक कलर्ड चूत, लेकिन बहुत अट्रैक्टिव।
मैंने पहली बार ये नजारा देखा, तो मैं बस सौम्या का प्यार पाने के लिए तड़प उठा। मेरे मन में आने लगा कि कोई बात नहीं सौम्या का बचपन में प्यार नहीं मिला। लेकिन अब जरूर लेके रहूंगा। मैं इसका प्यार पाके ही रहूंगा
फिर मैं सौम्या के लिए बहुत ही ज्यादा अच्छा बिहेवियर करने लगा। उसका अटेंशन सीकर हो गया। मैंने बहुत ही अच्छा बिहेवियर करना स्टार्ट कर दिया सौम्या के साथ, लेकिन सौम्या को मैं फिर भी पसंद नहीं आया। सौम्या का बिहेवियर मेरे लिए वैसा ही रहा, रुड। धीरे-धीरे मुझे समझ आ गया कि सौम्या मुझसे कभी खुश नहीं होगी। तो मैंने फिर से घर छोड़ दिया।
अब मैं 2 साल बाहर रहा। घर पर बहुत कम बात होती थी। 2-3 हफ्ते में एक-दो मिनट्स, तो मुझे घर पर क्या चल रहा था, पता नहीं चल पाता था। इस बीच मेरे भाई की शादी तय हो गई। मुझे घर से पता नहीं चला। एक दिन मामी की कॉल आई। मामी भी बड़ी माल है मेरी, और मामी मुझसे बड़े प्यार से बात करती है रोहित जी कह कर।
मामी को पटाने का भी बहुत बार खयाल आया मन में। मामी को तो मैं हिंट भी दे दिया करता था। जैसे बोलता कि इतनी इज्जत से बोलोगी तो आपसे प्यार हो जाएगा कसम से। तो मामी बोलती अच्छा और प्यार होके क्या होगा? तो मैं बोल देता कि प्यार होके तो बेबी ही होता है। अच्छा जी, तुम्हारे मामा से तो हुआ नहीं।
मै: क्या प्यार या बेबी?
मामी: दोनों।
मैं: अरे तो मैं करूंगा ना प्यार भी, और बेबी भी।
मामी: कभी घर आते भी हो?
मैं: इस बार आ जाऊंगा।
मामी: हुह! अब तो मैं ही आ रही हूं तुम्हारे घर, तुम्हारे भाई की शादी में। तब करेंगे मिल कर प्यार भी और बेबी भी।
मैं: क्या, मेरे भाई की शादी? कब?
मामी: तुमको नहीं पता क्या?
मैं: नहीं तो।
कब है?
मामी: अरे अभी 2 हफ्ते बाद ही तो है।
मैं: अच्छा चलो ठीक है। फिर आओगी तो जम के प्यार करेंगे
मैंने यह बोल कर फोन काट दिया।
उसके तुरंत बाद मैंने भाई से पूछा मैसेज पर, तो उसने बोला कि हां हो गई है तय।
मैंने पूछा: मुझे कब बताने वाले थे?
तो भाई ने बोला: मम्मी ने मना किया था तुझे बताने को। बोला था कि चिट्ठी भेज देना, एक-दो दिन पहले आ जाएगा।
यह बात सुनते ही मेरी नफरत सौम्या के लिए बहुत बढ़ गई। चिट्ठी तो आ गई लेकिन मेरा मन नहीं था जाने को। पर मामी को चोदने को मिल रहा था, तो मैं चला आया शादी वाले दिन से सिर्फ दो दिन पहले ही। मामी आई हुई थी तो मुझे देखते ही खिल उठी।
मैं जिस दिन पहुंचा उसी रात को मामी का मैसेज आ गया कि वो रूम में अकेली थी। मामा तो पीने गए थे, तो मौका देख के मैं पहुंच गया मामी के रूम में। मामी का नाम रेखा है।
रेखा: बड़ी देर लगा दी रोहित जी। मामी को प्यार करने का मन नहीं था क्या?
मैं: सिर्फ आपको प्यार करने ही आया हूं। नहीं तो मैं आने भी नहीं वाला था।
मामी: अच्छा जी, पागल समझते हो हमें तो। मन होता तो एक हफ्ते पहले ही आ गए होते हमें प्यार करने।
मैं रेखा को गोद में उठा कर: अरे अभी कौन सा देर हो गई है रेखा डार्लिंग। इन 2 दिन में तो इतना प्यार कर दूंगा तुमको, कि दो बच्चो की मां बन जाओ।
इतना कह कर मैंने रेखा के होठों को चूमना स्टार्ट कर दिया। रेखा ने भी मेरा भरपूर साथ देना शुरू कर दिया। दोनों एक-दूसरे के होंठ चूम रहे थे।साथ में जीभ से जीभ टकरा रहे थे। मैंने रेखा के कपड़े उतारना स्टार्ट कर दिया। रेखा मॉडर्न थी, तो रात को टी-शर्ट और लोअर पहन रखा था उसने। मैंने उसके मीठे-मीठे होठों का रस चूसते हुए उसकी टी-शर्ट उतार कर फेंक दी, और उसके निपल्स को हाथों में लेकर दबाने लगा।
रेखा मचलने लगी। उसके मुंह से सिसकारियां फ़ूटने लगी। उनको सुन कर मैं उत्तेजित होने लगा। मैं और जोर से रेखा के होठों को काटने की कोशिश करने लगा। साथ ही उसके निपल्स को और जोर से दबाने लगा। रेखा ने भी मेरे ट्रेक में हाथ डाल कर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया, और उसे अपने कोमल-कोमल हाथों से छेड़ने लगी। कभी मेरे लिंग की स्किन को आगे-पीछे करती, कभी उसे शेक करती।
ऐसे करते हुए हमें 5 मिनट से ज्यादा हो गये। अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था। मैंने रेखा के होठों को अपने होठों की कैद से आजाद किया, और रेखा को बेड पर पटक दिया। बेड स्प्रिंग का था। रेखा पूरे दो बार उछल कर वापस बेड पर गिर गई। मैं खुद भी बेड पर कूद गया, और रेखा को पकड़ कर लगभग घोड़ी के पोज में ले आया, और उसका लोअर खीच कर नीचे कर दिया।
अब रेखा की प्यारी सी चूत को चाटने लगा। रेखा को मजा आने लगा। रेखा मुझसे कहने लगी “आह राजा, ये नहीं करना चाहिए था तुम्हें। अब पूरा अच्छे से चाटना पड़ेगा मेरी कोमल चूत को, आह आह।”
मैंने बिना कुछ बोले रेखा की चूत को जी-स्पॉट पर चाटना जारी रखा। कुछ देर चाटने के बाद रेखा की चूत में से एक गाढ़ा सा लिक्विड निकलने लगा। मैंने रेखा को वो दिखाते हुए पूछा कि तुम झड़ गई हो क्या?
तो वो बोली: बुद्धू ये मेरी चूत के गरम होने की निशानी है। चलो मेले लाजा, अब अच्छे से चोदो मुझे। अपने जैशे प्याले-प्याले दो बच्चे पैदा करने है तुम्हें मेले साथ।
रेखा के इतने प्यार से इनवाइट करते ही मैंने अपना लिंग रेखा की चूत के ऊपर रख कर इतनी जोर से झटका मारा, कि आधे से ज्यादा लिंग रेखा की चूत में रेखा की चूत को फैला कर अपना रास्ता बनाता हुआ घुस गया। रेखा की चूत को इतना मोटा और इतना शक्तिशाली लिंग का प्रहार अपनी चूत में पहली बार मिला था, तो
उसकी हल्की सी चीख निकल गई। लेकिन रेखा ने रुकने को नहीं बोला।
मैं खुद ही रुक कर पूछने लगा तो बोली: रोहित जी, तुम्हारे जैसे मर्द के मर्दाना थपेड़े सहने में थोड़ा तो दर्द होगा ही। तुम रुक क्यों गए? चलो अच्छे से चोदो मुझे।
रेखा की बात सुनते ही मैंने फुल स्पीड से रेखा की प्यारी सी खाई में अपना घोड़ा दौड़ाना शुरू कर दिया। रेखा की सिसकारियों से कमरा भर गया। लगभग आधे घंटे बाद रेखा पूरी तरह से झड़ गई। अब रेखा का मन उतर गया था जैसा कि अक्सर सेक्स के टाइम पर झड़ने के बाद हो ही जाता है। उसकी चूत से निकले पानी से बेड शीट गीली हो गई।
रेखा से मैंने बोला और सेक्स को तो उसने बोला: कल कर लेना, मेरा मन नहीं है अब।
मुझे रेखा पर गुस्सा तो आया, लेकिन मैंने सोचा कि कल जब ये फिर से एक्साइटेड होगी, तब देख लूंगा इसको तो मैं। मैंने कपड़े पहन लिए।
रेखा ने पूछा: गुस्सा हो गए क्या?
मैंने अनमने मन से बोला: नहीं तो।
रेखा ने मुझसे बोला: यार कल अच्छे से चोद लेना मुझे। आज मैंने ज्यादा कुछ खाया भी नहीं था, और इस टाइम के लिए एनर्जी के लिए भी नहीं रकखा। कल पक्का रात भर प्यार करेंगे दोनों, प्रोमिस।
मैंने सोचा चलो कल ही सही।
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में। मेरी मामी की चुदाई कहानी आपको कैसी लगी जरूर बताना।
अगला भाग पढ़े:- भाई की शादी में मां और मामी की चुदाई-2