रंडी दीदी की चुदाई कहानी का अगला भाग शुरू करते है-
दीदी का पूरा मुंह मेरे स्पर्म से भर गया था। दीदी भाग कर बाथरूम में गई, और वाशबेसिन में कुल्ला करने लगी।
मैं भी पीछे से गया और दीदी को पकड़ लिया, और अपना लंड उनकी चूत पर लगा कर कहा-
मैं: अभी काम पूरा नहीं हुआ है।
दीदी कुछ कर पाती इतनी देर में मैंने एक झटका देकर लंड दीदी के अंदर डाल दिया। दीदी इतनी जोर से चिल्लाई, कि उनकी दर्द भरी चीख सुन कर मैं भी डर गया। फिर मैंने अपने हाथों से दीदी का मुंह बंद कर दिया। उसके बाद मैंने एक दो और जोर के झटके दिए।
दीदी दर्द से तिलमिला रही थी। मैं दीदी को चूत में अपना लंड अंदर-बाहर किए जा रहा था। फिर मैंने नीचे देखा तो खून दिखा। मैंने झट से अपना लंड बाहर निकाला। दीदी की चूत से खून आ रहा था। मेरी दी तो वर्जिन थी और मैं मेरे दोस्त की बात में आकर मेरी मासूम सी दीदी के साथ क्या-क्या कर बैठा। दीदी दर्द से कराह कर जमीन पर बैठ गई और रोने लगी।
मैंने झट से अपना लंड धोया, और दीदी की चूत पर पानी मारने लगा। दीदी की आखों से बस आंसू ही आंसू टपक रहे थे। फिर मैंने दीदी को शावर की तरफ खींचा, और उन्हें नहलाने लग गया। उनका पूरा खून साफ करके उन्हें तोलिए में लपेट कर बाहर कमरे में लाया, और बिस्तर पर बिठा दिया।
राजू: दीदी सॉरी, मुझे नहीं पता था कि आप वर्जिन हो।
तूलिका (मेरी तरफ गुस्से से देखती हुई): तू क्या समझता है मुझे? मैं क्या कोई गंदे काम करने वाली लड़की हूं क्या?
राजू: नहीं दीदी ऐसा नहीं है। मैं तो ऐसा कुछ सोचता भी नहीं आपके बारे में।
तूलिका: बिना सोचे ही इतना सब कर दिया। मैं कही मुंह दिखाने लायक नहीं रही।
राजू: नहीं दीदी, वो आपने लंड चूसा तो मुझे खुद पर काबू नहीं रहा, और आप हो भी इतनी सुंदर।
तूलिका: सुंदर शब्द भी नहीं सुनना है मुझे तेरी जुबान से। जब मेरा भाई ही ऐसी गन्दी नजर रखता है, तो अब समाज में तो लोग देखेंगे ही मुझे गंदी नज़रों से। मेरी तो अब शादी भी नहीं हो पाएगी
राजू: दीदी आप ऐसा मत बोलो। और किसी को क्या पता। किसी को बताने की जरूरत ही क्या है? जो हुआ भूल जाते है।
तूलिका: इतना सब कर के बोल रहा है भूल जा।
राजू: दीदी वो सब ये गोली की गलती है। उसी की वजह से मुझ पर हवास सवार हो गई थी।
तूलिका: अभी भी क्यूं नंगा खड़ा हुआ है? जा अपने कपड़े पहन और निकल जा मेरे रूम से।
राजू: दीदी वो मैं क्या कह रहा था कि इतना सब तो कर ही लिया है। और मेरी दिक्कत तो अभी भी वही है। एक बार अब कर ही लेते है ना।
तूलिका: तू कितना गिरा हुआ है। अभी भी ऐसी बात कर रहा है।
राजू: दीदी मान जाओ ना, अब तो हो ही गया ना जो होना था।
यह बोल कर मैं फिरसे दीदी की और बढ़ा और उनको बिस्तर पर लिटा कर चूमने चाटने लग गया।
तूलिका: तू मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकता। मना कर रही हूं ना मैं।
मैंने दीदी की होंठो पर उंगली रखी, और कहा-
राजू: शू… बस थोड़ी देर और की ही बात है। आप भी मजे लो।
और ये बोल कर मैं उनके कंधे पर चूमते हुए कान की तरफ बढ़ा, और फिर जुबान घुसा-घुसा कर कान चाटने लगा। अपने बाएं हाथ से दी के बाल सवारते हुए उनका सिर पकड़ा और होंठो पर चूमने लगा। फिर गले पर आकर चाटने लगा और उसके बाद मेरी भोली-भाली बहन के बड़े भारी मम्में दबा कर चूसने लगा।
दीदी की भी सिसकारियां निकल रही थी। दीदी ने भी जोर लगाना बंद कर दिया था। उन्होंने भी स्वीकार कर लिया था कि आज तो वो आपने छोटे भाई से चुदेगी ही।
राजू: दीदी आपके ये बोबे इतने बड़े कैसे हुए।
तूलिका: क्या बोल रहा है?
राजू: आपको भारी नहीं लगते? कितने बड़े है ये। एक हाथ में पूरा आ ही नहीं रहा।
फिर मैं दीदी के पेट पर चूमते हुए नीचे बढ़ने लगा। उसके बाद मैंने अपनी दीदी की मखमली चूत को निहारा, और कुत्तों की तरह चाटने लग गया। दीदी का पूरा शरीर आहें भर रहा था। उनकी चूत पर मैं इस तरह चिपक गया, जैसे गुड़ पर मक्खी। दीदी की चूत बहुत ही स्वादिष्ट थी। उसको चाटने में जो मजा आ रहा था, उसकी बात ही अलग थी।
जब तक दीदी की चरम-सीमा पार नहीं हो गई, मैं उनकी चूत चाटता रहा। फिर उनके पैरों में कपकपी आने लगी। उन्हें चरमसुख मिलने ही वाला था। यह देख कर मैं और तेज हो गया। दीदी की सासें बहुत ही तेज़ हो चुकी थी, और वो आह आह उह उह की आवाज निकाल रही थी। उनका पूरा शरीर झटके मार रहा था। फिर एक-दम दीदी ढीली पढ़ गई और धीरे-धीरे सांस लेने लगी। आखिर मैंने दीदी को वो सुख दे ही दिया।
इसके बाद मैं खड़ा हुआ। दीदी की दोनो टांगे पकड़ कर उनको पलंग के कोने पर खींचा, और अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया। इस बार दीदी को दर्द नहीं हुआ, बल्कि उन्हें काफी मजा आ रहा था। हम दोनों एक टक एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे, और मैं होले-होले दीदी की चूत में लंड अंदर-बाहर कर रहा था।
फिर कुछ देर बाद मैंने दीदी की टांगे उपर करी और उनके उपर चढ़ कर जोर-जोर से चोदने लगा। दीदी की भी आह आह आह की आवाज होने लगी। उसके बाद मैंने उनको इतने जोर से ठोकना चालू करा कि हर झटके की साथ हम थोड़ा-थोड़ा खसकते हुए पलंग के दूसरी तरफ पहुंच गए। फिर मैं उनके होंठ चूमने लगा, और उनको उठा कर पलटा दिया।
अब मेरी बहन को घोड़ी बना कर चोदना शुरू करा। पीछे से दीदी को बहुत ही मजा आ रहा था, और उनकी बड़ी-बड़ी गोल-गोल गांड देख कर मेरा लंड भी सांड की तरह और तन गया था। मैंने अपने दोनों हाथो से दीदी की गांड पकड़ ली, और चोदता रहा।
राजू: सस्सस्स आह क्या गांड है दीदी आपकी।
तूलिका: आह आह आह।
दीदी की गांड हर झटके के साथ हिल रही थी। मैंने उसे पकड़ कर दोनों तरफ से खींच दिया, और दीदी का गांड का छेद दिखने लगा। मैंने उनकी चूत चोदते हुए ही अपने मुंह से थूक दीदी की गांड के गद्दे पर टपकाई, और अपनी उंगली से सहलाने लगा। धीरे-धीरे गांड के आस-पास उंगली फेरता हुआ गड्डे में घुसा दी, और अंदर-बाहर करने लगा।
दीदी को भी मजा आ रहा था। उनके दोनों छेद चुद रहे थे। मुझसे रहा नहीं गया, और मैंने अपना लंड दीदी की चूत से बाहर निकाला, और झुक कर उनकी गांड चाटने लगा। मेरी जुबान उनके गांड के गड्ढे के अंदर तक जा रही थी। मैं उनकी गांड को खीच कर गड्ढा खोल कर उसमे थूकता, और फिर उसे चाटने लगता। काफी बार मैं ऐसा करता रहा, और उनकी गांड मेरी थूक से भर चुकी थी। अब वो चुदने लायक खुल भी गई थी और चिकनी भी ही गई थी।
बस यही मौका देख कर मैं खड़ा हुआ, और अपना लंड दीदी की गांड में घुसा दिया। लंड अंदर घुसते ही दीदी आगे बिस्तर पर गिर गई, और मैं भी अपना लंड उनकी गांड में डाल उनके उपर पूरा वजन डाल कर लेट गया। हम दोनों के शरीर सिर से पांव तक चिपके हुए थे, और मेरा मोटा लंड उनकी गांड को फाड़ रहा था।
मेरा भी पतन होने ही वाला था। मैंने जोर-जोर से दीदी की गांड में झटके मारना शुरू करे। दीदी की चीखें निकल रही थी। दीदी को चीखता देख मेरा जोश और बढ़ रहा था, और मैं और ताकत से दीदी की ठुकाई कर रहा था। बस ऐसे ही ठोकते-ठोकते मेरी भी चरम सीमा आ गई, और मैंने अपना सारा माल दीदी की गांड में निकाल दिया।
मैं दीदी की गांड में लंड डाले ही दीदी पर लेटा रहा, और दीदी को चूमने लगा। मेरा लंड इस बार छोटा हो गया और उसे आराम मिल गया।
राजू: मजा आ गया दीदी। क्या गांड है आपकी। मेरे साथ की कोई भी लड़की की गांड इतनी बड़ी नहीं है।
तूलिका: कैसी कैसी बाते करता है तू?
राजू: सच दीदी पूरे मुहल्ले में आपसे बड़ी गांड किसी की नहीं है। आप जब भी निकलती हो, मेरे दोस्त भी आपको पीछे से जाते हुए देखते है। साले सब के सब आपका सोच कर मुठ मारते है।
तूलिका: छी! मैं सब को कितना शरीफ समझती थी और सब मेरे बारे में क्या-क्या सोचते है।
राजू: सच्ची दीदी मुझे ही देख लो। रोज नहाते टाइम आपकी चड्डी में मुठ मारता हुं।
तूलिका: अच्छा इसलिए मेरी चड्डीयां गीली हो जाती है हमेशा।
राजू: कल से आपकी चड्डी गीली नहीं होगी। अब तो सीधे आपको ही गीला कर दिया करूंगा।
तूलिका: तुझे क्या लग रहा है। मैं ये बार-बार नहीं करने वाली। वो तो तूने गोली खा ली थी इसलिए।
राजू: दीदी आज से हमारा रिश्ता बदल चुका है। आज तक आप राखी पहनाती आई हो। अब कंडोम पहनाओगी।
यह कह कर मैंने बाएं हाथ से दीदी की गांड पकड़ी, दाएं हाथ से सिर, और उनको चूमना शुरू कर दिया। दीदी के दोनों हाथ मेरी छाती पर थे, पर पहले की तरह दीदी मुझे धक्का नहीं मार रही थी। मैं उनके नरम मुलायम होंठो को चूमता रहा। अपनी जुबान उनके मुंह में घुसा-घुसा कर बहुत ही धीरे-धीरे प्यार से। थोड़ी देर में दीदी हाथ भी मेरे शरीर पर रेंगने लगे, और उन्होंने भी मेरा सिर और गांड पकड़ लिया।
हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे हुए चुम्बन करे जा रहे थे, और दोनों का ही रुकने का मन नहीं हो रहा था। काफी देर तक चूमने के बाद जब रुके तो एक-दूसरे की आंखों में देखने लग गए। दोनों की आखों में और चेहरे पर अलग ही भाव था। एक-दूसरे के लिए प्यार और हवस भरी हुई थी, और हम दोनो ही समझ गए थे कि इसके बाद हमारी चुदाई कभी नहीं रुकनी है।