मेरे पति एक कंपनी में नौकरी करते हैं गुजरात में, और 2-3 महीने में घर आते हैं। हमने अपने लिए एक घर बनवाया था, पर अंदर टाईल का काम रह गया था। तो मेरे पति ने मुझे फोन करके बोल दिया था कि कोई टाईल वाला देख कर काम करवा लो।
मैंने अपने रिश्तेदारों को मिस्री के लिए बोल रखा था, पर किसी ने नहीं बताया। एक दिन एक मिस्री खुद ही हमारे घर आया। वो बिहारी था और टाईल का काम भी करता था। तो मैंने उसको काम करने के लिए बोल दिया।
मैं घर में अकेली रहती थी, तो कभी बिना ब्रा के भी कमीज पहन रखती थी, और कमीज का गला भी कुछ ज्यादा खुला पहनना पसंद करती हूं। पर मैं ज्यादा इसके बारे में नहीं सोचती थी। जो कि मेरी सब से बड़ी भूल थी।
मैं रोज सुबह शाम उन बिहारियों को चाय देने जाती थी, तो वो दोनों हमेशा बैठ कर ही मेरे से चाय लेते थे। मैं सोचती थी शायद बैठ कर ही इनको आराम मिलता हो चाय पीने में। पर एक दिन मुझे ऐसा झटका लगा, जो मैं सोच भी नहीं सकती थी। एक दिन मैं जल्दी ही उनको चाय देने के लिए चली गई। मैं अभी बाहर ही पहुंची थी, कि दोनों की बात करने की आवाज़ आने लगी।
पहला: यार साली के चूचे क्या बड़े-बड़े है। दिल करता है पकड़ कर चूस लूं।
दूसरा: मेरा तो लंड उसको देख कर ही खड़ा हो जाता है। फिर मुठ मार कर शांत करता हूं।
पहला: मैं भी बहुत लंड हिला चुका हूं उसको देख कर।
दूसरा: साली चाय लेकर आती है तो दिल करता है साली के चूचों के दुध की चाय पियूं।
दोनों और पता नहीं मेरे बारे में अपनी भाषा में क्या-क्या बोले जा रहे थे। उन दोनों की बात सुन कर पता नहीं क्या हुआ, और मेरी चूत गीली हो गई। फिर मैंने अपने आप पर काबू किया, और चाय देकर घर आ गई।
दूसरे दिन मैंने सुबह अपनी चूत को साफ किया। फिर अच्छे से नहाई, और तैयार हो गई। आज मैंने ब्रा-पेंटी नहीं पहनी और एक फ्राक के जैसे कपड़े पहन लिए।
मैंने फिर चाय बनाई और चाय देने चली गई। मैंने देखा दोनों काम कर रहे थे। मैंने चाय गिलास में डाली, और जैसे ही एक को देने के लिए झुकी, मेरा एक चूचा भी बाहर आ गया। वो चाय का गिलास पकड़ने लगा पर उसने दूसरे हाथ से मेरा बाहर निकला हुआ चूचा पकड़ लिया।
उसने इतने जोर से पकड़ा कि मेरी हल्की चीख निकल गई। इतने में दूसरा भी मेरी चीख सुन कर हमारे पास आ गया। उसने भी उसको मेरा चूचा पकड़े हुए देख कर कमीज के ऊपर से ही मेरा दूसरा चूचा पकड़ लिया।
अब दोनों के हाथ मेरे दोनों चूचों पर थे। मैं कुछ बोल सकती उससे पहले ही दूसरे ने अपने गंदे हाथ से मेरा मुंह बन्द कर दिया। अब दोनों मुझे उठा कर अंदर के कमरे में ले गए। दोनों की नज़रों में हवस साफ दिखाई दे रही थी। एक ने अब मेरी कमीज के ऊपर से ही मेरे दूसरे चूचे को भी बाहर निकल दिया। अब दोनों बच्चे की तरह मेरे चूचों पर टूट पड़े। दोनों मेरे चूचों को मुंह में लेकर चूसने लगे, तो कभी दांतों से काट भी लेते।
मैं उनके ऐसा करने से गर्म हो गई थी। मैंने अपने हाथ दोनों के सर पर रख दिए, और उनके सर को सहलाने लगे। फिर एक ने मेरी कमीज अपने हाथ से ऊपर कर दी।
मेरी नंगी चूत उनके सामने आ गई। अब एक मेरी चूत पर आ गया, और जीभ डाल कर मेरी चूत को चाटने लगा। मेरी चूत ने एक बार पानी छोड़ दिया जो वो चाट कर पी गया। अब मैं शांत हो गई तो सब अलग हुए।
फिर मैं अपने आप ही दोनों के सामने नंगी हो गई, और वो दोनों भी नंगे हो गए। दोनों के लंड लम्बे और मोटे थे। मैं नीचे बैठ गई ओर दोनों के एक-एक करके लंड चूसने लगी। दोनों के लंड मैंने अच्छे से खड़े कर दिये। अब दोनों मुझे एक साथ चोदने की सोचने लगे, तो मैं पहले ही बोल पड़ी।
मैं: एक-एक करके करना होगा। अगर दोनों ने एक साथ किया तो शोर मचा दूंगी।
दोनों मान गए। फिर मैं घोड़ी बन गई। अब एक मेरी चूत पर लंड डालने लगा, और दूसरे ने मेरे मुंह में लंड भर दिया। अब दोनों तरफ से मैं चुदाई का मजा ले रही थी। काफी देर के बाद दोनों ने अपनी जगह बदल ली। दोनों मेरी चूत को बजाने में पूरी जान लगा रहे थे। मैं इस चुदाई के दौरान 2 बार झड़ चुकी थी।
फिर मेरे मुंह वाले ने अपने लंड का पानी मेरे मुंह में छोड़ दिया। मैं पी गई और लंड चाट कर साफ कर दी। फिर दूसरे ने भी मेरी चूत से लंड बाहर निकाल कर मेरे मुंह में डाल दिया और झड़ गया।
मैं उसका पानी भी पी गई, और लंड को चाट कर साफ कर दी। हम फिर थोड़ी देर नंगे ही बैठे रहे। दोनों मेरे चूचों और चूत से खेलते रहे। मैं भी उनके लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी।
एक का लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया, और मुझे अपने ऊपर बिठा लिया। मैंने भी उसका लंड हाथ में लेकर अपनी चूत में फसा लिया, और लंड पर बैठ गई। लंड चूत के अन्दर चला गया।
मैं लंड को अपनी गांड उठा कर अंदर लेने लगी। दूसरे का लंड मैं हाथ से हिलाने लगी।
दूसरा मुझे बोलने लगा: मेम साहब, आज तक ऐसी चूत फ़िल्मों में देखी थी, और आज ऐसी चूत चोदने का सपना पूरा हो गया हमारा।
मैं उसकी बात सुन कर अंदर से बहुत खुश हो रही थी, और जोर-जोर से उसके लंड पर कूदने लगी। अब दूसरा मेरी गांड के छेद को चाटने लगा। मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी। अब मैं उसके ऊपर पूरी झुक गई। मेरे चूचे उसके मुंह पर आ गए। वो मेरे एक चूचे को मुंह में लेकर चूसने लगा, और दूसरे को मेरी गांड का छेद अब साफ नज़र आ रहा था, तो वो मेरी गांड के छेद को चाटने लगा।
मैं चटाई के दौरान झड़ गई, और ढीली पड़ गई, तो वो मेरी गांड को हाथ में लेकर ऊपर नीचे करके लंड चूत में डालने लगा। कुछ देर के बाद उसने मुझे अपने ऊपर से नीचे उतार दिया। दोनों मेरे आगे खड़े हो गए, और मेरे मुंह के ऊपर लंड हिलाने लगे।
मैंने भी अपना मुंह खोल दिया। दोनों बहुत जल्दी-जल्दी लंड हिला रहे थे, और कुछ ही देर में उनके पानी की धार मेरे मुंह में आकर गिरने लगी। कुछ पानी मेरे चेहरे पर गिरा, जो कि मेरे मुंह से गिर कर मेरे चूचों पर गिरने लगा।
मैंने उन दोनों का मुंह में गया हुआ पानी पी लिया, और मुंह पर गिरे हुए पानी को हाथ से मुंह में डाल लिया। फिर मैंने उन दोनों के लंड चाट कर साफ कर दिये, और खड़ी हो कर चूचों पर गिरे हुए पानी से चूचों पर मालिश करने लगी। फिर मुझे दोनों ने साफ किया। मैंने कपड़े पहने और बाल ठीक करके घर की तरफ चली गई।
अगली कहानी में बताऊंगी कैसे मैं रोज उन दोनों से चुदवाने लगी, और कैसे उनसे अपनी गांड भी मरवाई। कैसी लगी मेरी कहानी ज़रूर बताना।