एक अजनबी हसीना से मुलाकात-3

दोस्तों, मेरी हिंदी चुदाई कहानी का अगला पार्ट शुरू करने जा रहा हूं। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मैं बीवी से झूठ बोल कर स्मिता के घर रुक गया। फिर हमने खाना खाया, और फिर हमारा रोमांस शुरू हुआ। उसने मेरा लंड चूस कर मुझे मजा दिया, और सारा पानी पी गई। फिर मैं वहीं सोफे पर लेट गया। अब आगे-

स्मिता मुझसे चिपक कर लेटी हुई थी। झड़ा मैं था, और उसके चेहरे की चमक देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत झड़ी हो। करीब पंद्रह मिनट हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे। फिर मैं उठा, पानी पिया, और फिर से स्मिता से चिपक कर लेट गया। हम दोनों की धड़कने और सांसे अब नार्मल हो चुकी थी।

स्मिता ने फिर मेरे गाल पे किस्स किया और कहा: अब बैडरूम में चलते हैं।

मैं बाथरूम गया, और अपना लंड पानी से साफ़ करके आया। फिर स्मिता को गोद में उठाया और बैडरूम में ले गया। उसे बेड पे लिटा के मैं भी उसके साइड में लेट गया।

मैंने उसके गाल पे किस्स करते हुए कहा: थैंक यू। ये मेरी लाइफ का पहला ब्लोजॉब है। इतना मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया।

फिर मैंने स्मिता को अपने और बीवी की सेक्स लाइफ के बारे में बताया। उसने मेरे गाल पे एक किस्स किया और मेरी छाती पर सर रख के लेट गयी। मेरा एक हाथ स्मिता की गर्दन के नीचे था। मैंने उस हाथ को एडजस्ट करके उसकी मैक्सी में घुसा दिया, और उसकी बायीं चूची पकड़ कर सहलाने लगा।

स्मिता भी सही जगह बना कर ऐसे चिपक गयी, कि उसकी पीठ मेरी छाती से बिलकुल चिपक गयी थी। उसकी गांड मेरे लंड से टकरा रही थी। उसने अपनी दोनों टांगे मोड़ कर पीछे मेरी टांगो के बीच में घुसा रखी थी।

मेरा बायां हाथ उसकी गर्दन से होते हुए उसकी दायीं चूची को दबा रहा था, और मेरा दायां हाथ मैक्सी के नीचे से घुस के उसकी बायीं चूची को दबा रहा था। स्मिता अब उत्तेजना में सिसकारियां भरने लगी थी।

मैं उसके गाल पर गाल रख के कभी उसके होंठ चूस रहा था, तो कभी उसके गाल चूस रहा था, और साथ ही दोनों चूचियां निचोड़ रहा था। ‌नीचे से स्मिता अपनी गांड को मेरे लौड़े से रगड़ रही थी। इतनी गर्माहट से लौड़े ने फिर से उठना शुरू कर दिया।

जब लौड़ा पूरी तरह से खड़ा हो गया, तो स्मिता ने अपने एक हाथ से लौड़े को अपने चूतड़ों के बीच ऐसे फसा कर एडजस्ट किया, कि जब वो रगड़ती तो पहले मेरा लंड उसकी गांड से टकराता, और फिर उसकी पानी छोड़ रही चूत को छू कर वापिस आता।

अब मेरा लंड पूर्ण आकार में आ चूका था, और मुझे भी आगे बढ़ना था। मैंने स्मिता को सीधा किया, और उसकी चूचियां चूसना शुरू ही किया था, कि स्मिता ने कहा-

स्मिता: ऊपर आ जाओ। चूसना-चुसाना बाद में करेंगे। अभी तो बस घुसा दो, और रगड़ दो ढंग से।

मैं मुस्कुराया और उसके ऊपर आया। स्मिता ने अपने पैर फैला कर खुद ही जगह बना ली। मेरे लंड को पकड़ के वो अपनी चूत की लाइन पर धीरे-धीरे घिस रही थी। उसकी चूत भी पानी छोड़ रही थी, और मेरा लंड घुसने को तड़पा रहा था।

चूत की लाइन पर घिसते-घिसते उसने लंड को चूत के छेद से टच करना शुरू किया। वो लंड को थोड़ा सा छेद से टच करवाती, और फिर चूत की लाइन पे रगड़ती। बार-बार ऐसा करने से उसकी चूत इतना पानी छोड़ रही थी, कि मुझे अपने पैरों पे गीला लगने लगा था। लेकिन हम दोनों ही को मज़ा बहुत आ रहा था।

फिर एक पल आया, जब स्मिता ने मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर लगाया, और लंड ने रुकने से मना कर दिया। मेरा लंड सरसराता हुआ स्मिता की चूत में आधा घुस चूका था।‌ उसकी चूत में जाने के बाद मेरे लंड ने जो गर्माहट महसूस की, वो काफी सालों के बाद मिली थी। मैं इस अनुभूति को कुछ पल और महसूस करना चाहता था। तो मैं ऐसी ही पोजीशन में थोड़ी देर के लिए रुक गया। अब हम दोनों एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे। उसने आँखों से पूछा “क्या हुआ।”

मैंने कहा: एन्जॉय कर रहा हूं।

हम दोनों हंस पड़े। अब मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। स्मिता मज़े ले रही थी। लेकिन अभी मेरा पूरा लंड अंदर नहीं गया था। स्मिता की सिसकारियां तेज़ हो रही थी, और वो मेरी तरफ देख रही थी कि तेज़-तेज़ करो।‌ मैंने धक्के मारते हुए उसके कान में पूछा-

मैं: तुम्हे थोड़ा दर्द हो सकता है। पूरा अंदर डाल दूं?

उसने कहा: चाहो तो फाड़ दो, पर जल्दी करो, तेज़-तेज़ करो।

मैंने धक्का दिया, और स्मिता के मुंह से चीख निकली, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। मैंने धीरे-धीरे आगे-पीछे किया, और फिर आया मैं अपनी स्पीड में।

अब मैं अपना आधे से ज़्यादा लंड बाहर निकालता, और फिर अंदर डालता। ऐसे ही करीब तीन से चार मिनट तक मैं ज़ोर-ज़ोर से रगड़े वाले धक्के मारता, और फिर स्मिता के ऊपर पूरा लेट कर गाड़ी के पिस्टन की तरह एक चौथाई लंड बाहर खींच के तेज़-तेज़ स्मूथ धक्के लगाता।

ऐसा करते हुए मुझे पांच से सात मिनट ही हुए होंगे कि स्मिता अकड़ने लगी, और नीचे से ऊपर उठ के मुझसे लिपट कर चूत टाइट करने लगी। और फिर तेज़ धार के साथ स्मिता ने पानी छोड़ दिया।

स्मिता झड़ चुकी थी, और मेरे धक्के चल रहे थे। मेरा अभी हुआ नहीं था। मैंने धक्कों की स्पीड कम की, और उसको स्मूच करने लगा। उसके होंठ सूखने लगे थे। वो मेरा साथ ऐसे दे रही थी जैसे मेरी जीभ से पानी पी रही हो। वो थोड़ी नार्मल हुई तो मैंने कहा पोजीशन चेंज करें? ‌वो घोड़ी बन गयी और मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड घुसा के धीरे-धीरे धक्के देना शुरू किया। और फिर अपने रगड़े वाले स्टाइल में उसकी चूत मारने लगा।

इस बार भी करीब 10-12 मिनट में स्मिता फिर से अकड़ने लगी, और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी। अब चूत इतनी ढीली और गीली हो गयी थी कि फच-फच की आवाज़ आ रही थी, और धक्के चल रहे थे। मैंने सोचा कि अब इस पोजीशन के तो झड़ना मुश्किल था। तो मैंने कहा पोजीशन चेंज करते हैं।

अब मैं निचे लेट गया, और स्मिता को ऊपर आने के लिए कहा। स्मिता ने अपनी चूत को अपनी मैक्सी से साफ़ किया, तो चूत में फिर से थोड़ी कसावट आयी। अब स्मिता ऊपर से धक्के मार रही थी, और मैं नीचे से। धक्कों के इस दौर में कभी हम किस्स करते, तो कभी वो अपनी चूचियां चुसवाती।

स्मिता ऊपर से कूदते-कूदते टाइट होने लगी और अब समय आ गया था कि इस बार जब हम दोनों का जोश अनंत पे होगा, तब मुझे भी अपना स्पर्म निकालना था। स्मिता फिर से गर्म हो चुकी थी। उसकी चूत अब कस के मेरे लौड़े पे दबाव बना रही थी, और स्मिता अब आह आह करके धक्के लगा रही थी।

अब मैंने मौका देख कर स्मिता की कमर पकड़ी, और उसको नीचे ले आया। मैंने उसके दोनों पैर हवा में उठा के अपनी जांघों के ऊपर से निकाल के पोजीशन बनायी। अब मेरा लंड स्मिता की चूत में था। मैंने दोनों हाथों से उसके हाथ दबा लिए,‌ और शुरू हुई फाइनल चुदाई।

इस बार मैं पूरा लंड निकाल के फिर बार-बार अंदर-बाहर करने लगा। रगड़े पूरे ज़ोर से लग रहे थे। स्मिता भी नीचे गांड उठा-उठा के पूरे जोश में साथ चुद रही थी। मैंने उसकी आँखों में देखा, और एक मौन स्वीकृति के साथ तेज़ झटके अपने चरम पर पहुंचे, और हम दोनों एक साथ अनंत से महानन्त तक पहुंचे।

करीब तीस से पैंतीस मिनट चली चुदाई के बाद मैं स्मिता की छाती पे लेट गया। उसने भी मुझे कस के पकड़ लिया। हम दोनों ही शांत पड़े थे। चिपके हुए अपनी सांसे नियंत्रित कर रहे थे। नार्मल हुए तो मैं साइड में लेट गया। स्मिता मुझसे लिपट कर लेट गयी। एक-दूसरे को सहलाते हुए पता नहीं कब हम दोनों सो गए।

रात में पेशाब से मेरी आँख खुली तो देखा कि स्मिता जगी हुई थी। मेरा सर उसके हाथ पर रखा था, और वो बस मुझे देख रही थी।

मैंने पूछा: सोई नहीं?

उसने कहा: अभी जगी तो सोचा तुम्हे जी भर के देख लूं।

मैंने कहा: बाथरूम हो कर आता हूं। फिर उजाला करके ताड़ लेना।

वो बस मुस्कुरायी। मेरे बाथरूम से आने के बाद ताड़ने का सिलसिला सहलाने पर गया, और फिर एक और दमदार चुदाई का सेशन हुआ। उसके बाद मैं तो सो गया। स्मिता सोई या नहीं सोई मुझे नहीं पता चला।

सुबह मेरी आँख खुली तो मैंने देखा स्मिता बेड पर नहीं थी। ‌टाइम देखने के लिए पास रखी मेज़ से मैंने फ़ोन उठाया तो उसके नीचे एक पेपर और एक लिफाफा रखा था। मैंने पेपर खोला तो उसमे स्मिता का एक मैसेज लिखा हुआ था।

स्मिता का मैसेज: राघव, तुमसे मिल कर मुझे बेहद ख़ुशी मिली। मुझे नहीं पता तुम मुझसे फिर मिलना चाहोगे या नहीं। मैं तुमसे मिलना ज़रूर चाहूंगी। लेकिन तुम्हारी सहमति से।‌ इस पेपर के नीचे एक लिफाफा है। उसमें तुम्हारे लिए कुछ पैसे रखे हैं। शायद तुम इन पैसों को अन्यथा समझ के ना लो। लेकिन मैं अपनी दोस्ती की वजह से दे रही हूं। दोस्त का उधार समझ के ले लो। जब तुम्हारी नौकरी लग जाए तब लौटा देना। फ्लैट की चाभी लिफाफे के पास रखी है। अपने साथ ही ले जाना। अगर तुम्हारा मन करे मिलने का तो फ्लैट पर ही आ जाना। वरना ये चाबी कहीं फेंक देना।

मैसेज पढ़ने के बाद मैंने लिफाफा खोला, तो उसमें बीस हज़ार रुपए रखे थे। मैं इस उलझन में था कि पैसे लू या नहीं। फिर घर की ज़रूरतें याद आयी, तो मैंने पैसे लिए। फिर अपार्टमेंट लॉक किया, और चाबी लेकर अपने घर चला गया।

अभी के लिए इस कहानी को यही पे एक अल्पविराम देना चाहूंगा। नयी सीरीज में बताऊंगा कि आगे मेरे जीवन में क्या नए मोड़ आये और क्या-क्या हुआ। कहानी अच्छी लगी हो तो ईमेल के द्वारा ज़रूर बताइएगा।