पिछला भाग पढ़े:- मां की चूत चूदाई-1
मां की चुदाई कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे बारिश की वजह से मां मेरे साथ सोई, और मैं उसके जिस्म के साथ खेलने लगा। फिर जब मैं रुका, तो मां बोली-
मां: रुक क्यों गए बेटा? अभी तो शुरु हुआ है।
अब आगे की कहानी-
फिर मैं मां की तरफ देखा और कहा: क्या शुरु हुआ?
तो उन्होंने मेरे लंड को सहलाते हुए कहा: चुदाई का खेल।
फिर वो मेरे उपर से कंबल हटा दी, और मेरे होंठों पर अपना होंठ रख दिये और मुझे किस्स करने लगी।
फिर मैंने मां से कहा: यह सब गलत है। आप मेरी मां हो, और मैं आपके साथ ये सब नहीं कर सकता।
तो मां ने कहा: मैं नहीं चाहती कि मेरा बेटा अपनी जवानी हिला-हिला के पूरी करे। मैंने थोड़ी देर पहले सब कुछ देख लिया था, और इसलिए तुम्हारे कमरे में आई हूं। मैं शुरु से ही जागी हुई थी, जब तुम मेरे मम्मे दबा रहे थे।
फिर मैं चुप रहा और मन में सोचने लगा जब घर में ही चूत मिल रही थी, वो भी सामने से, तो देर क्यूं ना लूं? फिर मैंने मां को अपनी तरफ खींचा, और उनको होंठों को चूसने लगा। करीब 10 मिनट तक हम एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। और फिर मां उठी और कमरे को अंदर से लॉक कर आई।
मां ने कहा: चल दिखा अपना जलवा। मैं भी तो देखूं, तेरे में कितना दम है।
फिर वो बेड पर आकर मेरे औजार को सहलाने लगी। उनके हाथ लगाते ही मेरा लंड खड़ा हो गया पूरी तरह। फिर मेरी मां ने लंड पर किस्स करते हुए कहा-
मां: वाह बेटे, तू तो सच में जवान हो गया। तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है। तेरे पापा का तो इससे आधा ही है, और उनसे मोटा भी बहुत है।
फिर मैं उनके मम्मों को दबाने लगा, और उनका ब्लाउज खोल दिया। मां ने अंदर काले कलर की ब्रा पहनी हुई थी, जो उनके बूबे को आधा ही ढक रही थी। क्योंकि मां के बूबों का साइज ज्यादा था। फिर मैं मां के बोबों को जोर-जोर से दबाने लगा, और मां के मुंह से सिसकियां निकलने लगी आह आह आह आई ई ई।
वो कहने लगी: बेटे आराम से दबाओ, दर्द होता है।
फिर मैंने कहा: क्यों पापा नहीं दबाते क्या?
उन्होंने कहा: कहां, उनको तो बस चोदने की जल्दी रहती है।
फिर मां आह आह आह की आवाजें निकालने लगी। मैंने उनको अपने नीचे लिटा दिया, और उनके मम्मों को ब्रा के अंदर से दबाने लगा, और किस्स करने लगा। मां गर्म होने लगी थी, और बार-बार मेरे सर पर हाथ रख कर मेरे बालो में अंगुली कर रही थी।
फिर मैं नीचे आता गया, और उनके पेट को किस्स करने लगा। वो तड़पने लगी, और बेड पर पैर माने लगी। मैं भी अपना एक हाथ मां के जांघों पर रख कर फेरने लगा, और दूसरे हाथ से उनके बूबे दबाने लगा। फिर मैं अपने नीचे वाले हाथ सै उनकी चूत ढूंढने लगा, तो मां ने कहा-
मां: रुको मेरे राजा बेटे। मैं पेटीकोट निकाल देती हूं।
उन्होंने अपना पेटीकोट निकाल दिया। उन्होंने अंदर काले रंग की पेंटी पहनी हुई थी, जिसमें वो और भी सेक्सी लग रही थी। फिर मैं मां के पेंटी के उपर से हाथ फेरने लगा, तो मां ने कहा-
मां: बेटे इतना मत तड़पाओ। फिर कभी तड़पा लेना, बस अपना लोड़ा मेरी चूत में डाल दो। अब से मैं सिर्फ तेरी ही हूं, जब चाहे ठोक देना।
मैंने कहा: मेरी मां, टेंशन ना लो। आज पूरी रात हमारी ही है।
और फिर मैंने उनकी ब्रा-पेंटी निकाल दी, और मेरे भी सारे कपड़े निकाल दिए। अब मेरी मां मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी। फिर मैंने उनके टांगे अलग करके देखा, तो देखता ही रह गया। क्या चूत थी, बिल्कुल साफ की हुई। एक भी बाल नहीं था। मैंने सिर नीचे करके देखा, तो उनकी चूत बिल्कुल गुलाबी थी।
फिर मां ने कहा: देख ले मेरे राजा बेटे, तू इसी से निकला था। आराम से देख ले बेटे।
फिर मैंने गुलाबी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी, और अंदर-बाहर करने लगा। उपर उनके होंठों को मैं किस्स करने लगा। फिर उनके बूब्स को पीने लगा, जिससे मां और गर्म होने लगी, और आह आह सी सी सी की आवाजें निकालने लगी। मैंने अपनी दो उंगलियां उनकी चूत में डाल दी, और जोर-जोर से अंदर बाहर करने लगा। बीच-बीच में उनके भूरे निपल्स को काट लेता था, जिससे मां सिसक उठती।
लेकिन मैंने उनकी एक ना सुनी और अपने काम में लगा रहा। फिर मैंने अपनी तीसरी अंगुली भी अंदर डाल दी, और जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा। फिर अंगुली बाहर निकाल कर मां के मुंह में दे दी, जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैं फिर नीचे गया और उनकी गुलाबी चूत को किस्स किया और कहा-
मैं: वाह मेरी रंडी, क्या चूत है तेरी!
और फिर अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा, जिससे वो ज्यादा गर्म होने लगी और सेक्सी आवाजें निकालने लगी-
मां: आह आह आह, ओह मेरे राजा बेटे, पी जा अपनी मां की चूत को आह आह आह सी सी सी। हां बेटे, पियो, और जोर से, बहुत मजा आ रहा है।
ऐसे करते-करते उन्होंने एक लंबी सांस ली, और अपना सारा शरीर कड़क कर लिया। उनकी चूत से नमकीन पानी छोड़ दिया, जिसे मैंने पी कर उनकी चूत को साफ कर दिया।
लेकिन अभी मेरा नहीं हुआ था, इसलिए मैंने कहा: चल रंडी, अब तेरी बारी है। चूस मेरा लोड़ा, और निकाल दे इसका भी पानी।
तब वो मना करने लगी और कहा: नहीं, मुझे मुंह में लेना अच्छा नहीं लगता।
लेकिन मैं कहां मानने वाला था? फिर जैसे-तैसे करके उनको राजी कर लिया।
मेरा लोड़ा हाथ में लेकर मां ने कहा: बेटे तेरा लोड़ा तो बहुत बड़ा है। मेरे मुंह में नही जायेगा।
मैंने कहा: एक बार ट्राई तो करो।
फिर वो हाथ से हिला कर मुंह में लेने लगी। लेकिन सिर्फ आगे वाला ही हिस्सा ही अपने मुंह में ले रही थी। इसलिए मैंने उनका सर पकड़ कर अंदर डाल दिया। थोड़े टाइम बाद खुद ब खुद लोड़ा अच्छी तरह से अंदर-बाहर करने लगी। फिर 7-8 मिनट चूसने की बाद मेरा निकलने वाला हुआ, तो मां से कहा मेरे होने वाला था।
उन्होंने कहा: निकलने दो मेरे राजा बेटे। मुझे तुम्हारा रस पीना है।
और 8-10 झटकों के बाद मेरा निकल गया और मेरी रंडी मां मेरा पूरा रस पी गई। मां ने लंड को बिल्कुल साफ कर दिया। थोड़ी देर मैं उनके उपर वैसे ही पड़ा रहा। हम फिर से एक-दूसरे को गर्म करने लग गए। मैं मां के होंठो को किस्स कर रहा था, और अपने हाथो से उनके बड़े-बड़े मम्मे दबा रहा था। मां मेरे लंड को पकड़ कर हिला रही थी, और बोल रही थी-
मां: मेरे राजा बेटे, तेरा लोड़ा तो बहुत अच्छा है। काश ये मुझे पहले मिला होता। आज के बाद तुझे कभी हिलाने नही दूंगी। जब भी तेरा मन करे, मेरे को चोद लेना। तुम मेरी प्यास बुझाना मैं तेरी।
मैंने कहा: मां घर में दीदी रहती है। उनके सामने कैसे करूंगा?
तो मां ने कहा: तू टेंशन ना ले मेरे चांद। मैं उसको भी पटा लूंगी। पहले मुझे शांत कर दे मेरे बेटे।
इतना सुनते ही मैंने मां को नीचे लिटाया, और उनकी चूत पर अपना लोड़ा रगड़ने लगा। तो मां के मुंह से गर्म-गर्म सिसकियां निकलने लगी और वो कहने लगी-
मां: बेटे बस बेटे, इतना मत तड़पा, अब चोद दे अपनी मां को, और बन जा मादरचोद।
इतना सुनते ही मैंने अपना लोड़ा उनकी चूत में डाल दिया। अभी लोड़े का सुपारा ही गया था कि मां सिसकियां भरने लगी-
मां: आह आह आह सी सीई सीई ई इ ई ई आह आह ओह बहुत मोटा है तेरा। बाप रे!
उन्होंने कहा: बेटे आराम से डाल। तेरा बहुत मोटा है।
मैं उनके बूब्स दबाने लगा और होंठो को चूसने लगा। फिर वो जैसे ही नॉर्मल हुई, मैंने एक झटका मारा और मेरा लोड़ा पूरा उनकी चूत मैं समा गया। मां जोर-जोर से सिसकियां लेने लगी। वो कहने लगी-
मां: निकाल मादरचोद बाहर, मार डाला। जल्दी बाहर निकाल। मैं मर जाऊंगी।
लेकिन मैंने उनकी एक ना सुनी, और उनके होंठों को किस्स करने लगा, और चुदाई करने लगा। मेरी मां की आंखों से आंसू निकल रहे थे। लेकिन मुझे कोई परवाह नहीं थी। मैं लगा और उनके बूब्स दबाने लगा। धीरे-धीरे मां को भी मजा आने लगा, और वो भी अपनी गांड उठा कर चुदाने लगी, और गंदी-गंदी गालियां देने लगी-
मां: चोद भोंसड़ी के, और तेज, और तेज, आह आह आह और तेज। मेरे राजा बेटे फाड़ दे। अपनी मां की चूत को दिखा दे कितना दम है तेरे में। (और जोर-जोर से सिसकियां भरने लगी) आह आह आह चोद मादरचोद।
उनके मुंह से ये सब सुन कर मैं भी जोश में आ गया और जोर-जोर ठोकने लगा: ले मेरी रंडी मां, तूने आज तक पापा से चुदवाया है। आज मैं भी तो देखूं कितना चुद सकती है। ये ले मेरी रंडी।
और जोर-जोर से पूरे जोश में उनको चोदने लगा। कमरे में सिर्फ मां की सिसकियों की आवाज आ रही थी, और पूरे कमरे में पच-पच की आवाज गूंज रही थी। मैं मां को तेजी से चोदने लगा। वो ‘आहहह आहहह उईई उईई’ करती रही। कुछ ही देर में मेरा लौड़ा मां की चूत में आसानी से अन्दर-बाहर होने लगा।
वो बोली: हरामी, थोड़ा आराम से चोद ले। साले मादरचोद, मैं कोई बाजारू रंडी नहीं हूं। तेरी सगी मां हूं।
मैंने कहा: रोज तो पापा से चुदवाती थी। तब तो इतना नहीं चिल्लाती थी मेरे लंड में क्या कांटे लगे हैं साली रंडी?
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और सटासट-सटासट लंड अन्दर-बाहर करने लगा। अब मां भी अपनी कमर उठा-उठा कर चुदाई में भरपूर साथ देने लगी थी। मैंने मां को इशारा किया, तो वो घोड़ी बन गई, और मुझे अपने ऊपर चढ़ा कर लंड को चूत में ले लिया
चूत में लंड सैट होते ही मैंने झटका मारा और मां की ‘ऊईई ऊईई’ की आवाज के साथ अन्दर घुसता चला गया। मैं अपनी घोड़ी बनी मां की सवारी करने लगा, और उसे घोड़ी के जैसे चोदने लगा। वो भी अपनी रफ़्तार से गांड आगे-पीछे करके पूरी मस्ती में आकर साथ देने लगी थी। हमारी ताबड़तोड़ चुदाई के बीच में मां की चूत ने रस की धारा छोड़ दी।
अब लंड और आसानी से अन्दर-बाहर आने-जाने लगा। मेरी जांघें मां के चूतड़ों से टकरा कर ‘थप थप’ का मधुर संगीत बिखेरने लगी। चूत में से फच्च-फच्च की आवाज आने लगी। मैंने लंड चूत से निकाला, और मां को चुसवाने लगा। मां एक पोर्नस्टार की तरह मजे से लंड को चूस रही थी। फिर मैंने मां को लिटा कर उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया, और लंड चूत में घुसा कर धबा-धब चोदने लगा।
मां चिल्लाने लगी: आह, चोद मुझे, और फास्ट चोद बेटे, और तेज पेल।
मैं भी अपनी पूरी रफ्तार से मां को चोदने लगा। मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को चूसने लगा और काटने लगा। मां उत्तेजना से कमर को ऊपर उठा देती, और मेरे लौड़े की मार से फिर नीचे हो जाती। मैं ऐसे ही चोदता रहा।
अब मेरा लंड सीधा बच्चेदानी में टकराने लगा, और मां की सिसकारियां मधुर संगीत बन कर निकलने लगी। करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद मेरा निकलने वाला हुआ, तो मां ने कहा बेटे अंदर ही डाल दे अपना रस। फिर 15-20 झटकों के बाद उनकी चूत में ही निकल गया, और उनके उपर लेट गया।
30 मिनट बाद दोनों फिर से गर्म हो गए, और चुदाई करने लगे। हम दोनों ने सुबह 4 बजे तक चुदाई की, और फिर सो गए। उसके बाद तो जब भी मौका मिलता, मैं मां को चोद देता हूं। अब मुझे हिलाने की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि अब मुझे घर में चूत मिल रही थी।
आपको कहानी कैसी लगी,फीडबैक कमेंट करके बताए।