बीवी की सहेली ने लंड लिया शादी के बाद-2

पिछला भाग पढ़े:- बीवी की सहेली ने लंड लिया शादी के बाद-1

मैं बेड पर चढ़ कर प्रीति के ऊपर झुक गया और उसके होठों से अपने होंठ लगा दिए। प्रीति भी मेरे बालों में हाथ डाल कर मेरे होंठों को चूसने लगी। फिर मैं अपने हाथों से उसकी चूचियों को दबाने लगा। प्रीति अब आंख बंद करके सिसकियां लेने लगी। फिर मैं प्रीति के ब्लाउज को खोलने लगा।

तभी परी मेरे बगल मे आकर मेरे होंठों को चूमने लगी। मैंने प्रीति का ब्लाउज निकाला, और देखा कि उसने काली ब्रा पहनी हुई थी। मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स दबाने लगा, और फिर मैंने अपने होंठ परी से अलग करके प्रीति की गर्दन पर रख दिए, और प्रीति को चूसने लगा। अब परी प्रीति के कानों को चाटने और चूसने लगी, और वो प्रीति को मदहोश करने के लिए उसके कानो में बोल रही थी, “आज तेरी चूत को मोटा लंड मिलेगा। आज तू चूदाई के मजे चखेगी”।

प्रीति इस डबल अटैक से पागल हुई जा रही थी। मैंने नीचे होकर उसकी ब्रा को खोला, और उसके बूब्स पर अपने होंठ रख दिए। “आह्ह्ह्ह्ह”, प्रीति के होठों से जोर की सिसकी निकली। अब परी भी नीचे होकर प्रीति के बूब्स चूसने लगी, और बीच-बीच में मेरे होठों को चूमने लगी। फिर परी बेड के नीचे उतर गई। उसने जब प्रीति की चूत को देखा, तो मुझे पकड़ कर नीचे खींचा।

मैंने नीचे आकर देखा कि प्रीति की पैंटी गीली हो गई थी, और उसकी चूत लगातार पानी छोड़े जा रही थी। फिर मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अपनी चारों उंगलियां। रख दी। मेरे हाथ के स्पर्श से प्रीति पागल हो गई। उसके मुंह से, “आह्ह्ह उम्म्म्म आह्ह्ह्ह” की आवाजें आ रही थी, और वो गांड उठा कर मेरे हाथ पर रगड़ रही थी। मैंने उसकी पैंटी की इलास्टिक में उंगलियां डाली, तो प्रीति ने झट से अपनी गांड उठा कर पीछे खींच ली।

अब प्रीति इतनी गर्म हो चुकी थी, कि वो तो बस लंड लेने को तैयार थी। मैंने उसकी पैंटी निकाल कर फेंक दी। अब प्रीति मेरी आंखो में देख रही थी। मैंने प्रीति को देख कर मेरे होठों पर अपनी जीभ फिराई, तो प्रीति ने अपनी टांगे खोल दी। वो समझ चुकी थी और तैयार थी अपनी चूत चटवाने को।

मैं प्रीति की हल्के-हल्के बाल वाली गुलाबी चूत को देख कर, जो प्रीति के रस में तर थी, पागल हो गया। फिर मैं झुका उसकी चूत की फांकों पर अपने होंठ चिपकाने, तो प्रीति ने झट से अपने हाथों से मेरे सर को पकड़ कर, अपनी गांड को हल्का सा हवा में उठा कर, खुद से ही चूत को मेरे होठों पर लगा दिया। मैंने इतनी चुदासी लड़की कभी नहीं देखी थी। फिर मैं प्रीति का रस पीने लगा, और प्रीति में डूब चुका था।

मैं घुटनों पर बैठ कर प्रीति की चूत पर झुका हुआ था। तभी पीछे से परी ने मेरे लोवर में हाथ डाल कर उसको निकाल दिया। फिर मेरी अंडरवियर को भी उतार दिया, और मेरे नीचे आकर मेरे लंड को पकड़ कर उसपे अपनी जीभ फिराई। फिर अपने होंठ खोल कर लंड को अंदर लेने लगी। वो “गप्प-गप्प” की आवाज के साथ मेरा लंड चूस रही थी। वो लंड को अपने गले तक अंदर ले रही थी।

परी आज पहली बार इतनी उत्तेजित हो कर मेरा लंड चूस रही थी। आज तो लंड चुसाने में अलग ही मजा आ रहा था‌। लगा जैसे परी मेरी जान ही निकाल देगी। शायद अपने पति का किसी गैर औरत को चोदने का खयाल उसको वाइल्ड बना रहा था। ऊपर प्रीति की चूत मेरी जीभ पर पानी छोड़े जा रही थी। प्रीति के हाथ मेरे बालों में थे, और उसकी गांड मेरी जीभ पर मटक रही थी।

कुछ मिनट बाद मैंने अपनी उंगली मेरे मुंह मे लेकर चूसी तो प्रीति अपनी आंखे खोल कर मुझे देखने लगी। मैंने अपनी उंगली को गीला कर दिया, और उसकी चूत पर लगा दी। अब धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। “उम्म्ह्ह जीजू। आह्ह्ह्हह मरोगे क्या मुझे।” प्रीति फिर अपनी टांगे चौड़ी करके मेरी उंगली से चुदवाने लगी। परी भी अब ऊपर आकर मेरे होठों को चूसने लगी। मैं भी उसके होठों को चूसने लगा।

मैंने अपनी उंगली का प्रीति की चूत के अंदर ही हुक बनाया, और बाहर खींचने लगा। मेरे इस स्टाइल से प्रीति का पानी निकलने लगा।‌ “उम्म्ह्ह्ह आआआह्हह जीजू आआआह्हह्ह” करके प्रीति झड़ने लगी। फिर प्रीति ऊपर उठी और परी का मुंह पकड़ कर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए।

तभी मैंने देखा कि परी अभी भी बेचारी नाइटी में ही थी। तो मैंने उसकी नाइटी उतार दी। अब मेरे सामने प्रीति की सेक्सी चूत और परी की मोटी मस्त गांड थी। मैंने अपनी गीली उंगली चूत से निकली, और परी की गांड में थोड़ा सा थूक डाल कर उंगली परी की गांड में डाल दी। परी अब अपनी गांड मेरी उंगली पर फिराने लगी। कुछ देर परी को चूस के प्रीति फिर से तैयार हो गई थी।

फिर प्रीति दबी आवाज में बोली: जीजू अब डाल दो। अब नहीं रह सकती मैं।

मैं: क्या डालूँ प्रीति बेबी? नाम लेके बताओ।

प्रीति: आपका लंड।

मैं: फिर अगर ये बोला कि निकाल लो तो?

प्रीति: नहीं बोलूंगी।

फिर परी उंगली निकाल कर मेरी तरफ मुंह करके बैठ गई। मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और दुबारा चूसने लगी। परी का मुंह थूक से भरा हुआ था, जो उसने प्रीति की चूत पर अपने होंठ लगा कर खाली कर दिया।

परी: जान अब डाल दो इसकी चूत में लंड, और बना लो इसको भी अपनी दासी।

प्रीति: हम्मम, जल्दी।

मैं परी को: इसकी टांगे फैलाओ।

परी ने मेरे पीछे जाके प्रीति की दोनों टांगो को मेरी कमर के बगल से पकड़ लिया। मैंने अपना लंड प्रीति की चूत के छेद पर लगा कर धीरे से रगड़ा। प्रीति मेरी कमर में हाथ डाल कर उठी और बोली, “जीजू चोद दो ना, अब बना लो अपनी रंडी” और मेरे होठों को चूसने लगी। मैंने प्रीति की कमर को पकड़ा और एक ही सांस में उतारता चला गया अपना लंड।

प्रीति: आह्ह्ह्ह‌ मर गई। आऊऊआऊ। निकालो इसको।

परी ने मेरे कान में आकर धीरे से कहा, “खून आ गया, थोड़ा धीरे”। तो मैं कुछ देर रूक गया, और प्रीति को चूसने और चाटने लगा। प्रीति की आंखों से आंसू आ गए थे। लगभग 5-10 मिनट बाद प्रीति का दर्द खत्म हो गया था, और वो खुद अपनी गांड उठाने लगी थी। फिर मैंने भी हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरु कर दिए।

अब प्रीति सिसकियां लेने लगी थी, और मेरे हर झटके पर गांड उठा के जवाब दे रही थी। प्रीति की चूत अब पानी छोड़ने लगी थी। पानी और खून की वजह से अब पच-पच की आवाज़ आने लगी थी। फिर परी ने भी आगे आकर मेरी आंखों मे देखा। मैं प्रीति के चक्कर में परी पर ध्यान नहीं दे रहा था।

तो मैंने अपनी उंगली मेरे मुंह में लेकर चूसी, और बेड पर रख दी। फिर परी मेरी उंगली को अपनी गांड के छेद पर लगा कर धीरे-धीरे अंदर डालने लगी। वो मेरी उंगली से अपनी गांड मराने लगी। इधर प्रीति अब स्पीड से अपनी गांड उठा-उठा कर खुद से अपनी गीली चूत को मरवा रही थी।

मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। फिर कुछ देर की इस चूत और गांड चुदाई के बाद प्रीति मेरे लंड पर झड़ गई, और बोली कि, “जीजू अब निकाल लो”। तो मैंने लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया, और बेड पर लेट गया। फिर परी को इशारा किया तो परी मेरे ऊपर चढ़ी, और लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगा कर बैठ गई। उसकी चूत पहले से गीली थी, और अब परी मेरे लंड पर बैठ कर कूदने लगी।

प्रीति अब मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को चूसने लगी। तो मैंने उसे हटाया और कहा कि, “मुझे नहीं, परी को किस कर, और अपनी गांड‌ मेरे होठों पर रख कर”। तो प्रीति उठ कर मेरे मुंह पर बैठ गई और अपनी चूत मेरे होठों से चिपका दी। मैंने प्रीति के चूतड पकड़ कर खोले, और उसकी गांड और चूत को चाटने लगा। परी प्रीति की गर्दन में हाथ डाल कर उसके होठों को चूमने लगी।

परी के मम्मे उसके साथ उछल रहे थे। प्रीति ने उसके उछलते मम्मों को अपने हाथों में लिया, और निचोड़ने लगी। प्रीति अपनी चूत मेरी जीभ पर रगड़ रही थी, और अब परी भी काफी देर से मेरे लंड पर उछल रही थी। परी की चूत का पानी मेरे टट्टों से बहता हुआ बेड पर गिर रहा था।

फिर अचानक से परी बहुत जोर से अपनी गांड हिलाने लगी और “उम्म्म आह्ह्ह” की आवाजों के साथ मेरे लंड पर झड़ गई। परी को झड़ता देख प्रीति भी मेरी जीभ पर झड़ने लगी। प्रीति ने बहुत सारा पानी मेरे होठों पर छोड़ दिया था। अब मैंने दोनों को अपने ऊपर से उठाया, और प्रीति को बोला कि तू अब खेल देख। मैंने परी को घोड़ी बनाया, और उसकी गांड में मुंह डाल के चाटने लगा। जैसे-जैसे परी की गांड के छेद पर मेरी जीभ लगती, परी पागल होकर “आआआह्ह्हह ऊईईआई, जान आज गांड मारोगे?”

मैं: तू बता मरवाएगी गांड?

परी: हम्मम।

फिर मैं ड्रेसिंग टेबल से वेसलिन ले आया, और परी की गांड में लगाई, और थोड़ी मेरे लंड पर लगाई। फिर मैंने परी के हाथों को उसके चूतड़ पकडा के गांड खुलवाई। फिर लंड लेकर डाल दिया गांड में। परी पहले भी गांड मरवा चुकी थी तो लंड आसानी से अंदर चला गया। फिर मैंने लगाए धक्के परी की गांड में। परी चीख रही थी-

परी: आह्ह्ह्ह्ह बेबी, बस ऐसे ही गांड मारो मेरी।

अब मैंने परी के दोनों हाथ उसकी कमर पर लाकर पकड़ लिए। फिर मैं परी की गांड में झड़ गया।

फिर इसी तरह हमारा चुदाई का सिलसिला चलता रहता है। कई बार परी नहीं भी होती तो भी प्रीति आकर मेरा लंड खा कर जाती है।

दोस्तों, कैसी लगी आपको मेरी ये स्टोरी? अपना फीडबैक मुझे मेल करके बताएं कि मैं क्या अच्छे से कर सकता था?