मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-7

पिछला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-6

जैसा कि आपने हिंदी फैमिली सेक्स स्टोरी के पिछले पाठ में पढ़ा, कि कैसे रात में हुए हादसे के बाद मम्मी-पापा का अचानक गांव जाने का प्लान बन गया, और मैं बुआ के घर रहने चला गया। अब आगे-

बुआ का घर शहर के बाहर, एक बहुत बड़े कॉलोनी में था। एक तरीके से कहे तो, बुआ बहुत ही अमीर थी। पर बुआ में घमंड बिल्कुल भी नहीं था। हम दोनों बच्चों को वो अपने बच्चों की तरह ही मानती थी। हम लोग घर पहुंचने के बाद फ्रेश हो कर टीवी देखते हुए बातें करने लगते हैं। तभी फूफा जी कहते हैं कि वो सुबह ही निकलने वाले थे‌ टूर के लिए। फिर सोने की तैयारी होने लगती है। बुआ और फूफा जी अपने कमरे में सोने चले जाते हैं। मैं दूसरे कमरे में सोने चला जाता हूं।

रूम में ऐ.सी. की वजह से मुझे बहुत जल्दी नींद आ जाती है, और मैं सीधा-सुबह ही होता हूं। उठ कर, फ्रेश हो कर, जब मैं रूम का दरवाजा खोल कर बाहर निकलता हूं, तो मेरी नज़र सामने लगे सोफे पर जाती है जहां बुआ सोफे पर बैठी हुई गुड़िया को दूध पिला रही थी।

उन्होंने गुलाबी रंग का नाइट वाला कोट पहना हुआ था। जिसमें से उनका एक स्तन बाहर निकला हुआ था, जिससे गुड़िया दूध पी रही थी। मैं उनके उभरे स्तन को देख कर हड़बड़ा सा जाता हूं, और तुरंत सोफे की तरफ से घूम कर किचन में चला जाता हूं। वहां काम वाली आंटी मीना नाश्ता बना रही थी।

मीना के बारे में बताऊं, तो वो 29 या 30 साल की औरत थी। 3 साल पहले ही शादी हुई थी, पर अभी तक कोई संतान नहीं थी। मियां-बीवी दोनों काम की तलाश में शहर में रहते थे। इनका पति बुआ के घर ही माली था, और मीना आंटी किचन का काम देखती थी और गुड़िया को संभालने का काम देख रही थी।

मीना का कद 5 फिट से थोड़ा कम ही था। हल्का सांवला स्वरूप, पतली सी काया। कमर और स्तन शरीर के हिसाब से ही थे, बहुत ज्यादा सुडौल नहीं, पर बाल एक-दम कमर पर लटकते नागिन की तरह। बालों को हमेशा वो चुटिया बना कर रखती थी। वो हमेशा सूट ही पहनती थी।

तो वापस कहानी पर आते हैं। मैं किचन में जाकर फ्रिज से पानी निकाल कर पीने लगा। तभी मीना दीदी ने मुड़ कर पीछे देखा, और मुझे देख कर मुस्करा के बोली, “यश बेटा, मुझे कह देते तो मैं ही पानी ले आती। आपने क्यों तकलीफ की?” मैंने ये सुन कर उन्हें मुस्करा कर देखा। अब उन्हें कौन बताए कि मुझे अचानक से प्यास कैसे लग गई थी?।

फिर मैंने किचन से ही बुआ को आवाज देकर पूछा कि पानी पीना है क्या? पर असल में मैं उन्हें बताना चाहता था कि वो जान जाए कि मैं उठ गया था। उन्होंने जवाब दिया, “नहीं पीना है बेटा, तुम यहां आ जाओ। कुछ चाहिए तो मीना ले आएगी।” ये सुन कर मैं किचन से बाहर आने लगा। मैंने तिरछी नजर से देखा, तो बुआ गुड़िया को दूध पिला चुकी थी, और गुड़िया उनकी गोद में सो रही थी।

उन्होंने अपने कपड़े को भी ठीक कर लिया था। मैं सुकून की सांस लेते हुए सोफे के पास गया और बगल वाले सोफे पर बैठ गया। तभी बुआ का फोन आ गया और वो फूफा जी से बात करने लगी। मैं चुपके से उनके उभरे स्तनों को घूर रहा था। बुआ ने ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि उनके स्तन हल्के से लटके से महसूस हो रहे थे। उनके निप्पल को भी हल्का सा महसूस किया जा सकता था।

मैं निप्पल के हिस्से को ध्यान से देख रहा था, क्योंकि उस हिस्से पर मालूम नहीं क्यों कपड़ा पारदर्शी सा लग रहा था। मैं काफी देर इसे ध्यान से देखते ही रहा। पर जब मेरा ध्यान उनके निप्पल से ऊपर गया तो मेरी तो जान ही निकल गई। मालूम नहीं कब बुआ ने फोन रख दिया था, और वो मेरी तरफ ही देख कर मुस्करा रही थी।

बुआ की नजरों से नज़र मिलते ही मैंने नजरे झुका ली। तभी बुआ बोली, “क्यों बेटा जी, क्या देखा जा रहा था?” मैं हड़बड़ा कर शांति से बैठा रहा। बुआ ने थोड़ी देर इंतजार करके वापस पूछा, “बोल ना मेरे कपड़े में क्या देख रहा था इतना ध्यान से? क्या मैं इन कपड़ों में अच्छी नहीं लग रही?”

ये सुन कर मैंने झट से कहा, “नहीं बुआ आप बहुत सुंदर लग रही हो।” तो उन्होंने कहा, “फिर क्या देख रहा था?” ये सुन कर मैं हल्का हकलाते हुए बोला, “बुआ वो, वो आपका कोट गीला हो गया है शायद।” ये सुन कर बुआ का ध्यान अपने स्तनों की तरफ हुआ, तो वो निप्पलों के हिस्से को देख कर बोली, “अच्छा ठीक है, मैं कपड़े बदल कर आती हूं।”

फिर उन्होंने मीना को आवाज देकर मुझे नाश्ता देने को कहा, और खुद उठ कर अंदर चली गई। करीब आधे घंटे बाद बुआ वापस आती है। उन्होंने नहा कर साड़ी पहन ली थी। फिर वो नाश्ता करती है। जैसा कि मैंने बताया कि इसी कॉलोनी में बुआ का खुद का बड़ा सा ब्यूटी पार्लर था, सिर्फ औरतों के लिए। फिर वो वहां जाने के लिए निकलने लगती है।

मैं सोफे पर बैठ कर टीवी देख रहा था। वो घर के गेट के पास जा कर मीना को आवाज देती है, तो मीना आंटी जो गुड़िया को लेकर बैठी थी, उसे सोफे पर रख कर गेट के पास चली गई। पर उनके जाने के बाद भी ना गेट खुलने की आवाज आई, ना ही मीना आंटी वापस आई। तो मेरा ध्यान गेट की तरफ चला गया।

गेट के पहले गली बनी थी, तो सोफे से कुछ दिख नहीं रहा था। पर तभी मेरी नज़र गली के कोने में बने वाशबेसिन के बड़े से आईने पर गई। मेरी आँखें फटी रह गई। बुआ ने मीना को दीवार के सहारे चिपका कर खड़ा किया था, और मीना की चुटिया को पकड़ कर पीछे खींच रखा था। इससे मीना का सिर हल्का पीछे होने से बुआ उनके गले को चाट रही थी। वो दूसरे हाथ से मीना के स्तनों को सूट के ऊपर से ही रगड़ रही थी।

मीना ने आंखे बंद कर ली थी। बुआ मीना के गले को चाटते हुए ऊपर उसकी ठुड्ढी को होंठों में भर के चूसने लगी। कुछ पल के बाद उन्होंने चुटिया को हल्का सा पीछे झटका दिया, तो मीना की हल्के से आह निकल गई। तभी बुआ ने अपनी जीभ को निकाल कर मीना के मुंह में डाल दिया, और उनके होंठों को अपने होंठों से भींच लिया।

अब बुआ मीना के मुंह में जीभ अंदर-बाहर कर रही थी। मैंने गौर किया कि बुआ की जीभ नॉर्मल औरतों से ज्यादा लंबी लग रही थी। कुछ देर ऐसा करने के बाद उन्होंने मीना की चुटिया को छोड़ कर, अपना एक हाथ उनके पीछे ले जाते हुए, मीना के चूतड़ पर सहलाने लगी। वो दूसरे हाथ से मीना के स्तन को तेज-तेज भींचने लगी।

मीना अब हल्के-हल्के सिसकारी ले रही थी। तभी अचानक से मीना सिसक उठी और आगे की तरफ बढ़ गई। बुआ मुस्करा उठी। शायद बुआ ने मीना के चूतड़ मसल दिए होंगे। बुआ मीना के मुंह से अपना मुंह अलग करती है, और नीच बैठ जाती है। मीना वापस अपनी आँखें बंद के लेती है।

बुआ मीना के जांघों के बीच में हाथ रखती है, तो मीना हल्की सी उछल सी पड़ती है। बुआ ये देख कर हंसने लगती है। फिर खड़े हो कर वापस मीना के निचले होंठ अपने होंठों में भर लेती है। पर तभी मीना की हल्की सिसक निकल पड़ती है। ये सुन कर बुआ वापस मीना के होंठ आजाद कर देती है। फिर मीना के चूतड़ पर हल्के से थपकी देती हैं। फिर अपने पर्स से रुमाल निकाल कर अपने पसीने को पोंछती हैं। फिर उसी रुमाल से मीना के चेहरे को साफ करती हैं।

उसके बाद वो दरवाजा खोल कर बाहर चली जाती है। दरवाजा बंद होने के बाद मैं देखता हूं कि मीना वही नीचे बैठ कर लंबी लंबी सांस ले रही थी। करीब 2 से 3 मिनट बाद मीना उठ कर आने लगती है, तो मैं झट से आके टीवी देखने लगता हूं। तभी मैं हल्के से पानी गिरने की आवाज महसूस करता हूं। शायद मीना ने वाशबेसिन में मुंह धोया था। कुछ पलों के बाद मीना आकर सामने के सोफे पर बैठ जाती है, और टीवी देखने लगती है।

इसके आगे क्या होता है, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। फीडबैक के लिए pariwarkikahani@gmail.com पर मेल करें।

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