बुआ की चुदाई-2

पिछला भाग पढ़े:- बुआ की चुदाई

तो दोस्तों लो आ गया मैं राजू अपनी बुआ की चुदाई कहानी का अगला पार्ट लेकर। पहले भाग में पढ़े कि किस तरह मैं और मेरी बुआ एक-दूसरे की हवस मिटाते थे। किस तरह मैं अपनी बुआ को रंडियों की तरह चोदा करता था। पर बुआ की शादी के बाद वो फूफा जी के साथ बेंगलोर चली गई।

मैं भी अपने कॉलेज में चला गया। वहां कई रंडियों को अपने लंड पर झूला झुलाया। फिर 4 साल बाद मेरा भी जॉब बेंगलोर लग गया। इतने समय बाद मैं भी बुआ से मिला। काफी अच्छा लगा उनको देख कर। काफी बदल गई थी वो। बुआ के बोबे और गांड काफी बड़े हो गए थे।

बुआ ने पूरे ही शरीर पर वजन बड़ा लिया था। उनकी जांघें भी काफी मोटी हो गई थी, और उनका पेट भी थोड़ा बढ़ चुका था। साउथ की एक्ट्रेस तमन्ना से कम नहीं लग रही थी। वहां बुआ और फूफा जी अकेले ही रहते थे, और कोई परिवार वाला नहीं था। फूफा जी भी दिन भर ऑफिस चले जाते थे। उनका ऑफिस काफी दूर था, आने-जाने में ही 2 घंटा लग जाता था।

मेरा ऑफिस उनके घर के काफी पास था, और मैं वहीं आस-पास फ्लैट देख रहा था। शुरुआत का एक हफ्ता मैं बुआ के यहां ही रुक गया। बेचारे फूफा जी को क्या पता मेरे और बुआ के बारे में। जैसे ही में बेंगलोर पहुंचा, वो मुझे लेने आए और घर ले गए। शाम का समय था। हमने बैठ कर डिनर करा। फिर थोड़ी देर बात करके सोने चले गए।

बुआ मुझे मेरा कमरा दिखाने आई। कमरे में जाते ही मैंने मौका देख कर बुआ को झपट लिया। कस कर गले लगा लिया, और पहले की तरह उनकी गांड दबाने लगा।

बुआ ने मुझे धक्का देकर दूर झटका और बोली: पागल है क्या? वो देख लेंगे। सो जा चुप-चाप,‌ज्यादा उत्तेजित मत हो।

फिर बुआ फूफा जी के कमरे में चली गई। और मैं बुआ के बारे में सोचते-सोचते सो गया। अगली सुबह जब उठा तो फूफा जी ऑफिस जाने के लिए तयार हो रहे थे। वो 8:30 तक ही निकल जाते थे। मैं भी रूम में बैठ कर उनके जाने का इंतजार करने लगा।

जाते-जाते उन्होंने मुझे भी आकर बोला: मैं अभी जा रहा हू़ं। तुमको कोई भी जरूरत हो तो बुआ को बोल देना।

मैंने भी बोला: हां फूफा जी, यह भी कोई कहने की बात है। बुआ को तो मैं हक से बोल सकता हूं।

फिर फूफा जी चले गए। मैंने अंदर से ही गेट लगाने की आवाज सुनी। बुआ ने गेट बंद करके चिटकनी लगाई। मेरा खुराफाती दिमाग भी चला। मैं अपने रूम में पूरा नंगा हो गया। बुआ गेट लगा कर रसोई में काम समेटने चले गई थी। मैं भी पीछे से गया और चुपके से जा कर उनको जकड़ लिया अपनी बाहों में।

बुआ ने मेरे हात छुड़ाए और पलटते हुए बोली: ये क्या कर रहा है?

और मुझे नंगा देख चौक गई।

राजू: क्या हुआ बुआ, पहले भी तो देखा है।

बुआ: तू ये क्या कर रहा है?

राजू: क्या बुआ, आप तो ऐसे कर रही हो जैसे पहली बार चुदने वाली हो मुझसे।

बुआ: चुदने वाली कोई नई हूं मैं। अब मेरी शादी हो गई है। ये सब गलत है।

राजू: अरे देसी छिनाल शादी के जोड़े तक में चुदी है तू मुझसे। रंडी कही की।

बुआ: राजू ऐसी बाते मत कर। और तब हम नादान थे। समझ नहीं थी कि क्या कर रहे थे।

राजू: अरे मेरी नादान रांड। कोई एक बार तो करा नहीं है जो नादानी हो गई हो।

बुआ: राजू मुझसे ऐसे बदतमीजी से बात मत कर।

राजू: हां मैं भी यही सोच रहा हूं कि मैं बात में समय क्यूं बर्बाद के रहा हूं। जब मैं आपको अभी चोद सकता हूं तो।

बुआ: तू ऐसा कुछ नहीं कर सकता।

बुआ ये बोल ही रही थी इतने में मैंने उनके बाल पकड़े और उनके होंठ चूमने लगा। बुआ छूटने की कोशिश में थी, पर कर नहीं पाई।

मैं बुआ के होंठ,‌ गाल, गर्दन, कंधे सब चूमने लगा। उनके बड़े-बड़े बोबे भी मसलने लगा। फिर उस रंडी के बाल पकड़ कर उसे जमीन पर बिठा दिया, और अपना लंड उसके मुंह पर मारने लगा।

बुआ: राजू नहीं, मत कर ऐसा।

राजू: याद करो आपने कसम खाई थी कि आप मेरी रांड बने रहोगे। मैं जब चाहूं तब आपको चोद सकता हूं।

बुआ: वो पुरानी बात है।

राजू: पर बोला तो था ना, ये तो मानती हो ना?

यह बोल कर मैंने अपना लंड बुआ के मुंह में ठूंस दिया, और जोरों से चोदने लगा। 15 मिनट तक रसोई में लंड चूसने के बाद मैंने बुआ के कपड़े उतारने चालू करे, और उनको उठा कर हाल में लाकर सोफा पर पटक दिया। मैं बुआ की गोरी गांड पर चट चट करके मारने लगा। बुआ चीख रही थी।

राजू: बुआ ज्यादा आवाज मत निकालो, पड़ोसी समझेंगे कि आपका अफेयर चल रहा है।

बुआ ने ये सुन कर अपने मुंह पर हाथ रख लिया। बुआ की अभी भी हमम-हमम की आवाज आ रही थी पर पहले से काफी कम हो गई थी। बुआ की गांड लाल हो चुकी थी। उस पर मेरे हाथों के अनगिनत निशान पड़ चुके थे। मैंने बुआ के बाल खींचे और और उनकी पीठ पर हाथ रख कर उनको सोफे में दबा दिया, और पीछे से अपना मोटा लंबा लंड बुआ की चूत में डाल दिया। मेरा लंड अंदर जाते ही बुआ चीख पड़ी।

राजू: क्या बुआ, फूफा जी रोज नहीं चोदते क्या?

बुआ: चोदते तो है, पर उनका इतना बड़ा नहीं है।

राजू: कोई बात नहीं बुआ। अब तो मैं आ गया हूं ना, रोज चोदूंगा आपको।

उसके बाद मैंने बुआ को डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू कर दिया। मेरा 7 इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड बुआ की चूत को फाड़े जा रहा था। 10 मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद मैंने बुआ को पलटाया, और उनकी मुलायम मखमली चूत को अपनी गरम जुबान से चाटने लगा।

बुआ ने अपनी जांघो से मेरा मुंह पकड़ लिया था, और अपने घुटने मोड़ कर मुझे पूरी तरह अपनी टांगो से जकड़ लिया था। मेरी पुरानी बुआ वापिस आ चुकी थी। मैंने भी और जोर से उनकी चूत चाटना शुरू कर दिया था। मैंने अपने दोनों हाथों से बुआ के नरम मुलायम बड़े-बड़े बोबे दबाने शुरू कर दिए, और कुत्ते की तरह बुआ की चूत चाटे जा रहा था। बुआ ने भी मेरे बाल पकड़ लिए, और अपनी चूत जोरों से मेरे उपर रगड़ने लगी।

थोड़ी देर के लिए तो मुझे सांस ही नहीं आ रही थी। बुआ इतनी उत्तेजीत हो गई थी कि रुक ही नहीं रही थी। आखिर कार बुआ ने मुझे छोड़ा और मैंने एक गहरी सांस ली। उसके बाद मैंने बुआ की दोनों टांगे उपर करी और अपना लंड उनकी चूत में डाल कर चोदने लगा।

काफी देर सोफे पर ही चोदने के बाद मैंने बुआ को चोदते-चोदते ही अपनी गोद में उठा लिया। बुआ मेरे लंड पर लटकी हुई थी। मेरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में जा चुका था। मैंने उन्हें खड़े-खड़े ही पहले गोद में उछाल-उछाल कर चोदना चालू करा। फिर उन्हें चोदते हुए ही उनके कमरे में ले गया। वहा जाकर मैंने उन्हें बिस्तर पर पटक दिया।

बुआ शेरनी की तरह आई और मेरा लंड चूसने लगी। इतना खतरनाक तरीके से उन्होंने मेरा लंड चूसा। ऐसा लग रहा था उखड़ ही ना दे। फिर उन्होंने मुझे पकड़ कर बेड पर लेटा दिया, और मेरे मुंह पर अपनी चूत रगड़ने लगी। मैं भी अपनी जुबान से उनकी चूत चाट रहा था। करीबन 15-20 मिनट तक वो अपनी चूत मेरे मुंह पर रगड़ते रही। फिर उनकी चरम-सीमा आ गई। बुआ की जांघें कांपने लगी थी। उनकी गांड की थिरकन भी काफी बढ़ गई थी।

बुआ ने मेरे बाल पकड़े, और अपनी चूत मेरे मुंह पर लगा दी।

वो आह-आह चिल्लाते हुए बोली: मुंह खोल।

मैंने अपना मुंह पूरी तरह खोल दिया, और जुबान जितनी बाहर निकाल सकता था निकाल दी। फिर बुआ की चूत में उसे घुमाने लगा। बुआ की चूत से एक-दम से कुछ पानी छूटा, और फिर बुआ झटके मारने लगी। हर झटके में बुआ की चूत से पानी की पिचकारी आ रही थी।

बुआ की चूत के पानी से मेरा मुंह भरे जा रहा था, और बाहर निकलने की जगह भी नहीं दे रही थी। तो मैं उसे पिए जा रहा था। कम से कम 5 घूंट गटकने के बाद बुआ ने मेरे बाल छोड़े, और आखरी पिचकारी मेरे पूरे मुंह पर उड़ा दी। मैं बुआ की चूत के पानी में तरबतर था।

राजू: बुआ ये आपने केसे सीखा? पहले तो कभी ऐसा नहीं करा।

बुआ: राजू अभी तो तुझे बहुत कुछ सीखना है। अब बोल कि तू मेरा रंडवा है। और बुआ जब चाहे अपनी चूत का पानी पिला सकती है।

राजू: हां बुआ मैं आपका रंडवा हूं। आप मुझे जैसे इस्तेमाल करना चाहो कर सकती हो। मैं आपकी चूत तो क्या, गांड भी चाट लूंगा।

बुआ: तू ना होता तो मेरे बदन की ये प्यास केसे बुझती?

राजू: बुआ हम बने ही एक-दूसरे के लिए है।

फिर बुआ मेरे उपर से उठी और पलट कर बैठ गई। वो बोली-

बुआ: गांड चाटने की बात कर रहा था ना? देखू जरा तू अपनी जुबान का कितना पक्का है।

राजू: अभी बता हूं बुआ।

ये कह कर मैंने अपने दोनों हाथों से बुआ की गांड पकड़ कर दूर-दूर कर दी। इससे उनकी गांड का छेद दिखने लगा। मैंने पहले आस-पास चूमा, थोड़ा यहां-वहां चाटा, फिर अपनी जुबान बुआ की गांड के छेद पर लगा दी, और गोल-गोल घुमाने लगा। बुआ भी आहें भरने लगी और गांड का गड्ढा भी अंदर-बाहर करने लगी, जैसे कि सांस ले रहा हो।

वहां बुआ ने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया था, और अपने हाथों से मेरे गोटे मसल रही थी। मैं यहां बुआ की गांड चाट रहा था। थोड़ी देर में बुआ की गांड का गड्ढा काफी बड़ा हो गया और अंदर से वो गुलाबी बहुत ही सुंदर लग रहा था। मैंने भी दोनों हाथों से उसे खींचा और अपना मुंह चिपका कर उसमे अपनी जुबान घुसा कर चाटने लगा। बुआ की आहें बहुत बढ़ गई।

बुआ मेरे मुंह पर बैठ कर उछलने लग गई। मेरी जुबान उनकी गांड के अंदर बाहर जा रही थी। बुआ को मजा आता देख मेरा लंड और तने जा रहा था। ये देख बुआ ने अपने दोनों हाथों से मेरा लंड पकड़ लिया, और उसे हिलाने लगी।

बुआ समझ गई थी कि मेरी पिचकारी भी छूटने वाली थी। उन्होंने झट से मेरे लंड मुंह में लेकर निचोड़ना शुरू कर दिया, और मेरा स्पर्म जैसे ही निकलना शुरू हुआ। बुआ ने अपने होंठ बंद कर लिए, और मुंह के अंदर ही अपनी जुबान से मेरा लंड सहलाने लगी। मैंने अपनी पूरी पिचकारी बुआ के मुंह में निकल दी। बुआ ने भी उसका एक एक बूंद पी लिया।

फिर बुआ उठी और बाथरूम की तरफ जाने लगी। उनकी बड़ी-बड़ी गांड थिरकती हुई जा रही थी। बहुत ही सुंदर दृश्य था वो।

बाथरूम के दरवाजे पर जाकर वो बोली: नहाना नहीं है क्या तुझे? जल्दी आजा नहीं तो ऑफिस के लिए लेट हो जायेगा।

तो दोस्तों बेंगलोर की शुरुआत ऐसे हुई। फिर तो मेरा और बुआ का रोजाना यहीं रूटीन रहता था। अपना फ्लैट लेने के बाद भी ऑफिस के पहले, फिर लंच टाइम पर, और शाम को फूफा जी के ऑफिस से आने के पहले बुआ को चोदने उनके घर चला जाता था।

और जब कभी फूफा जी बाहर जाते, तो मैं भी ऑफिस से छुट्टी लेकर बुआ के घर चले जाता, और दिन रात चोदा करता। हमारी चुदाई इतनी बढ़ गई थी, कि दोनों को ही सप्लीमेंट्स लेने पड़ते।

जब फूफा जी ना होते, तब तो मैं लंड खड़ा करने की गोली लेकर जाता। दिन में 5-6 बार जो चुदाई करनी होती थी।

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