पिछला भाग पढ़े:- पड़ोसी भाभी संग पहली चुदाई
फ्रेंड्स, मैं विक्रम सिंह एक बार पुनः अपनी भाभी की चुदाई कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूं।
अब तक आपने पढ़ा था कि मैं भाभी की चुदाई के बाद उनकी पैंटी ले गया अपने साथ। अगले दिन मैं कॉलेज से आया। मैंने देखा रमेश भैया हमरे घर आये थे, और पापा से बात कर रहे थे, कि-
रमेश भैया: विक्रम को भेज दोगे? सरिता के साथ उसकी मां के घर पूजा है। मैं काम पर जा रह था।
मेरे पापा ने बोला: क्यों नहीं रमेश जी, बिलकुल, क्यों विक्रम चले जाओगे क्या?
मैं: हां चला जाऊंगा, कब जाना है?
रमेश भैया: आज शाम को निकलना है, बस से।
मैं बहुत खुश था कि भाभी के साथ अकेले समय मिल जायेगा। मेरे पास कॉल आयी भाभी की। वो बोल रही थी-
भाभी: 8 बजे देवर जी तैयार हो जाना। 2 दिन बाद आयेंगे। और यार मेरी पैंटी नहीं मिल रही है। पता नहीं तुमने अपना लंड साफ़ करके कहां रख दी।
मैं: अरे भाभी आपकी पैंटी मेरे पास है। वो निशानी है हमारी चुदाई की। मैं आपको दूसरी दिला दूंगा।
भाभी: ठीक है विक्रम, अब जल्दी यहां आ जाओ। और विक्रम, रास्ते में कोई मस्ती मत करना, मेरी बेटी भी जायेगी साथ में।
मैं: ठीक है भाभी, वो समय बताएगा। और मैं आ रह हूं आपके घर, जल्दी से बढ़िया सी साड़ी पहन लेना। और भाभी आनंद विहार बस अड्डे पर बहुत भीड़ होती है। हम लोग कश्मीरी गेट पर बस से चलेंगे। पैसे में दूंगा, आप फ़िक्र मत करना।
भाभी: विक्रम मेरी चूत में आग लगी है। तुमसे चुदाई करवानी है, इसलिए तुम्हें लेकर जा रही हूं।
बस 9 बजे की थी, लेकिन वो 10 बजे निकली, यात्री कम थे इसलिए। मैं तैयार हो गया। भाभी और उनकी बेटी दोनों आ गयी, और हम चल दिए कानपूर भाभी के गांव। मैंने एक लक्ज़री बस बुक करी थी, पीछे की 3 सीटें। फिर हम बस में आ गए। मैंने देखा बस में मुश्किल से 13-14 लोग होंगे। मैंने रास्ते के लिए नाश्ता भी ले लिया। भाभी की बेटी खिड़की की तरफ बैठ गयी। भाभी बीच में, और मैं साइड में बैठे। फिर बस चल दी। रास्ते में मैंने पूछा भाभी की बेटी से-
मैं: पढ़ाई कैसी चल रही है?
पायल (भाभी की बेटी): अच्छी चल रही है।
मैंने: पायल क्या आप कोई मूवी देखोगी?
पायल: नहीं गाने सुनूंगी। लेकिन मेरे पास मोबाइल नहीं है।
मैं: कोई बात नहीं, मेरा मोबाइल ले लो।
अब पायल मेरे फ़ोन में गाने सुनने लगी और मैं भी सो गया। रात के 12 बजे थोड़ा मौसम भी ठंडा हो गया। हम तीनों को थोड़ी ठंड भी लगने लगी।
पायल बोली: मम्मी चादर निकाल दो, ठंडी लग रही है।
फिर हम तीनों ने चादर ओढ़ ली। फिर पायल ने मेरा मोबाइल वापस कर दिया और बोल रही थी मुझे नींद आ रही है। भाभी भी सो गयी थी। बस वाले ने लाइट भी बंद कर राखी थी। लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी।
मैंने देखा 1 बजे के करीब सब सो गए थे। पायल भी सो गयी थी। फिर मैंने धीरे से भाभी की चूची सहलाना सुरु किया। फिर धीरे-धीरे चादर में ही भाभी कि ब्लाउज खोल दिया, और उनकी ब्रा ऊपर कर दी। अब उनकी चूची आज़ाद हो गयी थी। मैं धीरे-धीरे भाभी की चूची मसल रहा था, और उनके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया।
सरिता भाभी भी सो कर उठा गयी और धीरे से बोली: आप नहीं मानोगे।
मैं: नहीं भाभी जी।
मैंने पेटीकोट का नाड़ा खोल कर अपना हाथ उनके पेटीकोट में डाल दिया। फिर उनकी कच्छी के ऊपर से उनकी चूत पर हाथ सहलाने लगा।
भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी पैंटी में डाल दिया, और अपने हाथों से मेरी जीन्स खोल दी, और लंड बाहर निकाल दिया। मैं भाभी की चूत में उंगली कर रहा था। हम दोनों कामवासना की आग में जल रहे थे। मैं उनकी चूत में उंगली कर था, और वो मेरे लंड के टोपे की खाल को पीछे करके मस्ती में थी। जैसे-जैसे गाड़ी की स्पीड बढ़ रही थी, वैसे ही हमरी चुदाई के लिए वासना भड़क रही थी।
भाभी ने पायल की तरफ देखा। वो सो रही थी। उन्होंने अपना मुंह चादर में डाला, और मेरे लंड को चूसने लगी। दोस्तों यह बहुत बड़ी बात है, कि एक औरत की जवान बेटी पास में हो, और वो गैर मर्द का लंड चूस रही हो। आपको इसी बात अंदाज़ा लग गया होगा, कि सरिता भाभी के अंदर कितनी चुदास थी, कि वो अपनी जवान लड़की के बगल में लंड चूस रही थी।
सरिता भाभी थोड़ी देर में मेरे लंड का पानी पी गयी, और मेरे लंड को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया। अब भाभी ने अपना चेहरा चादर से निकाला, और मैं अपना चेहरा चादर मे करके भाभी के बूब्स चूसने लगा, और उनकी चूत में उंगली करने लगा। भाभी की चूत में से भी रस धीरे-धीरे निकल रहा था।
भाभी धीरे से बोली: विक्रम मेरी साड़ी ख़राब हो जायेगी।
मैंने उनकी पैंटी उतार कर उनकी चूत के नीचे लगा दी, कि उनकी चूत का रस अब रिस कर उनकी पैंटी पर रूक जायेगा। मैं अब उनके बूब्स और चूत को मसल रहा था। दोस्तों मुझे ऐसा लग रहा था कि पायल सो नहीं रही थी। वो हमारी कामवासना देख रही थी। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने आंखे बंद कर रखी थी। थोड़ी देर में भाभी की चूत ने भी अपना सारा रस छोड़ दिया, और सारा रस उनकी पैंटी में लग गया, और उनकी पैंटी पूरी गीली हो गयी।
फिर हम दोनों सो गए, और सुबह भाभी कुछ ढूंढ रही थी।
मैंने बोला: क्या हुआ?
भाभी: विक्रम मेरी पैंटी नहीं मिल रही।
मैं: हटिये मैं देखता हूं।
मुझे भी नहीं मिली, तो मैंने बोला: यार दूसरी ले लेना रास्ते में।
पायल भी जाग गयी और हमारा स्टैंड आ गया। रास्ते में हमें मार्किट मिली।
भाभी बोली: विक्रम मुझे कुछ सामान लेना है। गांव में नहीं मिलेगा।
पायल: मैं नहीं जा रही मार्किट, आप लोग जाओ।
भाभी: ठीक है पायल, तुम कुछ खा-पी लो, हम लोग थोड़ी देर मे आते है।
भाभी वहां पर लेडीज़ अंडरगारमेंट की दुकान पर गयी। मैं दूकान से बाहर ही था।
फिर भाभी ने आवाज दी: विक्रम अंदर आओ।
मैंने बोला: क्या हुआ?
सरिता भाभी बोली: विक्रम बताओ कौन सी कच्छी और बनियान सही लग रही है?
मैंने: भैया से पूछिए।
वो बोली: क्यों तुमको पसंद नहीं है?
दुकान वाली लड़की हसने लगी मुझे देख कर।
मैंने बोला: काली वाली ब्रा-पैंटी सही है।
फिर उन्होने 3 जोड़ी ब्रा-पैंटी ली। उन्होंने वो लेली, और पैसे भी मुझसे ही दिलवाये।
फिर मैंने रास्ते में पूछा भाभी: पैसे मेरे से क्यों दिलवाये?
भाभी बोली: आपको ही उतारनी है मेरी पैंटी, मुझे पता है।
आगे की चुदाई कहानी अगले भाग में। [email protected]