मां की चुदाई बस में-2

मां की चुदाई कहानी का अगला भाग-

मां बोली: नहीं बेटा तू जहां से निकला है वहां कैसे कर सकता है?

मैंने अपना हाथ चूत पर रखा, और एक उंगली अंदर कर दी, और उसकी आह निकल गई।

वो बोली: नहीं बेटा, हाथ निकाल ले।

मैं बोला: पहले गर्मी तो निकाल दू मां आपकी।

मैं बस आपकी मदद करना चाहता हूं।

वो बोली: कैसी मदद?

मैं बोला: आपका पानी निकाल कर आपको आराम से सुलाना चाहता हूं।

और‌ मैं उंगली करता रहा। उसकी आंखे बंद होने लगी। मैंने भी मौका देख कर चादर के अंदर जाके अपनी मां की टांगों को उठा कर मुंह डाल दिया। मस्त मोटी-मोटी चिकनी जांघों के बीच अपना सिर डाल कर चूसने लगा चूत का रस।

आह, मैं बता नहीं सकता दोस्तों उस रस को पहली बार चूस रहा था मैं। मेरी मां जो कि पहले से गरम थी, वो भी समझ गई थी कि अब कुछ नहीं कर सकती। अब उसका बेटा बड़ा हो गया था, और अपने पापा की जिम्मेदारी उठाने के लायक हो गया था। तो उसने अपनी मोटी भरी जांघों को उठा कर, मेरे कंधे में रख कर, अपनी चूत में दबा लिया, और मेरे बालों को हाथों से सहलाते हुए सिसकी लेने लगी।

ये सब हम बहुत धीरे-धीरे कर रहे थे। जानते थे कि हम बस में थे, तो हम पूरे नंगे नहीं हो सकते थे। लेकिन चुदाई तो कुछ भी करके हम करेंगे ही बस में। 20 मिनट तक मैंने पूरी चूत को मुंह के अंदर डाल कर चूसा-चाटा। मेरी मां का पानी निकालने को था। तो उसने अपनी गांड उठा कर पूरा पानी मेरे मुंह में डाल दिया। मैं भी पूरी चूत चूस कर आखिरी बूंद तक निकाल कर निचोड़ दिया चूत को।

मैं ऊपर आया और मां को देखा तो मां बोली: छी! तू कैसे वहां का पानी पी गया?

मैं मां के होठों को चूमने आगे बढ़ा तो उसने मना कर दिया।

वो बोली: जब मुंह धोएगा तो ही किस मिलेगी।

मैं भी जबरदस्ती नहीं करना चाहता था, तो मैं बोला: मेरा चूसोगी?

तो मां बोली: मुझे ये नहीं पसंद।

तो मैं बोला: फिर सूखा लंड डालूंगा तो चीखना मत।

वो बोली: थोड़ी देर रुक जा बेटा। अब तो तेरे बस में हूं मैं। थोड़ा वापस कर अपनी मां को प्यार।

मैं फिर मां के दूध चूसने लगा। मां के चेहरे को देख कर लगा रहा। उसको मजा आ रहा था। दूध पीते-पीते चूत को भी रगड़ कर गरम कर रहा था।‌ 15 मिन में चूत वापस गीली होने लगी। मैं देर ना करते हुए ऊपर मिशनरी पोजीशन में साड़ी ऊपर करके ही लंड डालने लगा।

मां बोली: बेटा तेरा तो मोटा है, थोड़ा आराम-आराम से करना।

मैं बोला: बिल्कुल मेरी रानी।

तो वो बोली: हट बदमाश! रानी बोलेगा अपनी मां को?

मैं बोला: जो काम मैं कर रहा हूं, वो तो राजा अपनी रानी के साथ ही करता है।

तो वो बोली: जल्दी कर बेटा। लेकिन ध्यान रखना मेरी चूत को प्यार चाहिए। अगर बेरहमी से करेगा तो ये आखिरी बार होगा।

मैं भी मन में सोचा: ये तो शुरुआत है। मेरी मां, एक बार मेरा लेके देखो, फिर तो पापा के साथ सोना भूल जाओगी।

मैं अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर टोपे को छेद पर रगड़ा, और अंदर नहीं डाला, ऊपर ऐसे ही रगड़ रहा था। मैं चाहता था कि मेरी मां मेरा लंड पकड़े खुद, और हुआ भी यही।

मेरी मां खुद बोली: बेटा मत तड़पा अब।

और लंड पकड़ के छेद में डालने लगी, अपनी गांड को उठाने लगी। फिर मैं धीरे-धीरे घुसाने लगा। टोपा अंदर घुसते ही मां ऊपर सरकने लगी।

वो बोली: नहीं बेटा बहुत मोटा है।

मैं पकड़ा हुआ था और जाने नहीं दिया।

फिर मैं बोला: बस थोड़ा सा गया है।

और मैं अपनी चड्डी मां के मुंह में डाला, जिससे उसकी आवाज ना निकले। लेकिन मैं धीरे-धीरे और अंदर डालने लगा। तभी बस में ही तेज झटका लगा, और मेरा अंधा लंड चूत के अंदर चला गया। वो तो अच्छा हुआ मैं चड्डी मां के मुंह में डाल दिया था, नहीं तो सब को पता चल जाता हमारी सुहागरात बस में हो रही थी। मां मेरे को हटाने लगी, लेकिन मैं धीरे-धीरे करके पूरा अंदर डाल दिया और लेट गया।

झटके से मुझे भी मेरे लंड में दर्द हो रहा था, लेकिन मैं निकालना नहीं चाहता था। थोड़ी देर बाद मां खुद अपने मुंह से चड्डी हटा कर बोली-

मां: बेटा कितना मोटा है तेरा।

मैं पूछा: क्यों मां, पापा का नहीं है क्या?

वो बोली: तेरे पापा का इतना मोटा नहीं है। उनका लंबा है लेकिन तेरा मोटा ज्यादा है।

में बोला: मोटा लंड आपकी इसी चूत से निकला है जिसके अंदर है।

मां फिर अपनी गांड उठा कर हिलाने लगी। तो मैंने भी चुदाई शुरू कर दी। बस के झटके इस चुदाई में और मजा बढ़ा रहे थे, और 1 घंटे तक हमारी धीरे-धीरे चुदाई चलती रही, और मेरा पानी चूत के अंदर ही निकल गया।

मां भी 2 बार अपनी चूत की मलाई मेरे लंड को खिला चुकी थी। जैसे ही मैं हटा, तो मां बोली-

मां: अब चूत साफ कौन करेगा?

मैं बोला: अरे मेरी मां तेरा बेटा है ना तेरी सेवा के लिए। तू हाथ मुंह जिससे बोल कर दूंगा।

वो बोली: टिशू से साफ कर दे।

मैंने टिशू से साफ किया, और किस भी किया।

तब मैं बगल में लेट गया और दूध सहलाता रहा।

तो मां बोली: तूने और किसके साथ किया है?

मैं बोला: मां ये मेरा पहली बार था, और मैंने तो जबसे होश संभाला है, तब से तुमको ही चाहता था। तो वो मुझे अपने गले से लगा कर लिप किस करने लगी। मैं भी चूसने लगा पूरा, तो खुश होके बोली-

मां: बेटा क्या मैं तेरा पहला प्यार हूं?

मैं बोला: हां तू ही पहला है, और शायद अब तो मुझे सब कुछ मिल गया। तो अब आखिरी भी तुम ही हो।

हम दोनों ने टाइम देख तो 10:45 हो रहे थे। 11 बजे के पास बस रुकनी थी, तो मैं कपड़े पहन कर आगे चले गया, और मां अपनी साड़ी सही करने लगी।

शुक्रिया दोस्तों। मेरी मां की चुदाई की आगे की कहानी जानने के लिए मुझे आप मेल भी कर सकते

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