नमस्कार दोस्तों, मैं Thor अपनी एक नई हिंदी चुदाई कहानी आप सब के सामने लेके आया हूं। उम्मीद है मेरी बाकी कहानियों की तरह ये कहानी भी आपको पसंद आएगी। ये कहानी उत्तर प्रदेश के करण और दिव्या की है। तो चलिए कहानी शुरू करते है, करण की जुबानी-
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम करण है, और मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं। मेरी उमर 26 साल है, और मैं दिखने में अच्छा-खासा और हट्टा-कट्टा हूं। मेरी ऊंचाई 5 फुट 10 इंच है, और लंड का साइज 6.5 इंच है। मेरी एक राशन की दुकान है, जिसका काम काफी अच्छा है।
मेरी दुकान से थोड़ी दूर कॉलेज है। जब कॉलेज की छुट्टी होती है, तो बहुत सारे स्टूडेंस मेरी दुकान के सामने से निकलते है। अब उन स्टूडेंट्स में बहुत सारी लड़कियां भी होती है, और उन लड़कियों पर मेरे जैसे लड़के की नज़र ना जाए, ये तो हो ही नहीं सकता।
उन्हीं में से एक लड़की, जिसका नाम पूजा है, उससे मेरा नैन-मटक्का शुरू हो गया। पूजा भी मुझे लाइन देने लगी। फिर हमारे नंबर एक-दूसरे के पास गए, और फिर प्यार और सेक्स हो गया। पूजा मुझे पसंद भी थी, तो उसके परिवार से शादी की बात करने के लिए मैंने अपने घर पे बोल दिया।
फिर दोनों परिवारों के मिलने का दिन तय हुआ, और हम सब एक होटल में मिले। मुझे पूजा की सारी फैमिली के बारे में पता तो था, लेकिन मैं कभी किसी से मिला नहीं था। वो अक्सर अपनी भाभी के बारे में जिक्र करती थी, जिनको उसने पहले दिन से हमारे बारे में बता कर रखा था। और उसकी भाभी का नाम है दिव्या। वो अपनी भाभी की इतनी तारीफें करती थी, कि मैं सुन-सुन कर पक जाता था, और कहता था पता नहीं कब दर्शन होंगे उनके।
जिस दिन दोनों परिवार मिले, उसी दिन मैंने पहली बार दिव्या भाभी को देखा। और जैसे ही मैंने उनको देखा, तो बस देखता ही रह गया। पूजा खूबसूरत थी, लेकिन उसकी भाभी किसी परी जैसी थी। ऐसा लगता था कि अगर कोई हाथ लगा देगा, तो भी मैली हो जाएगी। उसकी भाभी ने जींस और पिंक टॉप पहना हुआ था, जिसमें वो बहुत सेक्सी लग रही थी, और उसके शरीर का हर उभार नज़र आ रहा था।
दिव्या भाभी का रंग गोरा, शरीर भरा हुआ, बाल लम्बे, होंठ रसीले, और आँखें नीली थी। फिर मेरी नज़र उनके पति, यानी कि पूजा के भाई पर पड़ी। उसका भाई किसी एंगल से दिव्या का पति बनने के लायक नहीं था। ये तो उसके बाप ने अच्छा काम जमा रखा था, तो दिव्या भाभी के घर वालों ने उसकी शादी उस चपड़गंजू से करवा दी।
क्योंकि मैं भी हैंडसम हूं, तो भाभी भी मेरी तरफ देख रही थी। फिर हमारा रिश्ता पक्का हो गया, और शादी की तारीख तय हो गई। हम घर तो आ गए, लेकिन दिव्या भाभी का खयाल मेरे दिमाग से जा ही नहीं रहा था। जब मैंने उनके बारे में सोच कर मुठ मारी, तब जाके मुझे थोड़ा चैन आया। मैं सोच रहा था कि मुझे कभी उनको प्यार करने का मौका मिलेगा भी के नहीं?
लेकिन किस्मत साथ दे तो कुछ भी हो सकता है। और ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ। एक दिन मैं मॉल में एक दोस्त के साथ शॉपिंग करने लगा। वहां मुझे अचानक से दिव्या भाभी दिख गई। उसका ध्यान दूसरी तरफ था, तो मैं जान-बूझ कर उसके इर्द-गिर्द घूमने लगा, ताकि उसकी नज़र मुझ पर पड़े। तभी भाभी ने मुझे बुलाया-
भाभी: करण, क्या हाल है?
मैं: ओह, भाभी आप! मैं बढ़िया हूं, आप बताओ?
भाभी: मैं भी बढ़िया।
भाभी उस दिन भी बहुत खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी। भाभी ने लेगिंग्स के साथ लंबी टीशर्ट पहनी हुई थी, जो उनकी जांघों तक थी। पूरा तन ढके हुए होने के बावजूद भी भाभी के हर एक अंग की शेप दिख रही थी, क्योंकि उनके कपड़े टाइट थे एक-दम। मुझसे रुका नहीं गया, और मैंने बोल दिया-
मैं: भाभी आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।
भाभी मुस्कुराई और बोली: तभी उस दिन मुझे ताड़ रहे थे?
उनका जवाब सुन कर मैं हैरान हो गया। मैं समझ गया कि भाभी जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही तेज थी।
फिर मैंने भी बोला: हां बिल्कुल। मेरी नज़र तो आप से हट ही नहीं रही थी। अगर आप मुझे पहले मिली होती, तो पूजा को मैं देखता भी नहीं।
भाभी मेरी बात सुन कर हंसने लगी। मैं भी हंसने लगा। वो भी समझ गई थी कि मैं ठरकी हूं। फिर वो बोली-।
भाभी: कॉफी पसंद करते हो?
मैं: जी करता हूं। क्यों?।
भाभी: मैंने सोचा अगर कॉफी पसंद नहीं है तो चाय पीला दो मुझे।
मैं (मन में): वाह, ये तो सीधे-सीधे कॉफी के लिए पूछ रही है। करण बेटे, इसको हाथ से जाने मत देना, आज खा जा बस इसको।
फिर मैंने कहा: जरूर भाभी, चलिए कॉफी पीते है।
फिर हम दोनों कॉफी पीने के लिए बैठे। मेरी नज़र तो बस भाभी के जिस्म पर घूम रही थी। तभी मेरे दोस्त का फोन आ गया, और उसने मुझे पूछा कि मैं कहां था।
मैंने उसको बोला: भाई मुझे काम आ गया है, तो मैं निकल गया हूं। तू भी चला जा शॉपिंग करके। हम शाम में मिलते है।
भाभी मेरा झूठ सुन कर मुस्कुरा रही थी। फिर जब कॉल खत्म हुई, तो वो बोली-
भाभी: अरे ये क्या किया। अपने दोस्त को झूठ बोल दिया।
मैं: अरे इससे तो मैं बाद में भी मिल लूंगा। लेकिन आपके साथ कॉफी पीने का मौका मुझे कहां बार-बार मिलने वाला है।
भाभी फिर से मुझे एक शरारती मुकुराहट देते हुए देखने लगी। फिर वो बोली-
भाभी: और बताओ क्या चल रहा है। शादी होने वाली है तुम्हारी। मजा आ रहा है?
मैंने कहा: भाभी मजे तो पहले ही ले लिए सारे। अब तो सिर्फ शादी की फॉर्मेलिटी बाकी है।
भाभी: हां वो तो है। शादी के बाद तो कहां ही मजे होते है। असली मजे तो शादी के पहले होते है।
ये बात बोल कर भाभी ने मुझे आंख मार दी।
मैं बोला: क्यों भाभी, भाई साहब आपको मजे नहीं देते?
दोस्तों अभी इस कहानी को यहीं रोक रहा हूं। इससे आगे की सेक्स कहानी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी। यहां तक की कहानी की फीडबैक आप [email protected] पर दे सकते है।