मामा के घर जाके श्रेया के साथ पहला सेक्स-1

दोस्तों नमस्कार, आपके प्यार भरे मेल मिलते हैं तो दिल को सुकून मिलता है कि आपको मेरी स्टोरी हद से ज्यादा पसंद आ रही हैं। मेरी इच्छा होती है कि और लिखूं आपके लिये। आइए आज मैं अपनी और एक सच्ची घटना से आप सब को रूबरू कराने जा रहा हूं।

ये बात उन दिनों की है जब गर्मियो में मैं छुट्टियां बिताने नानी के घर जाया करता था। हमारे नानी के घर से सटे हुए मुस्लिम घर हैं जिनका सबसे अच्छा मेल-जोल है। घर पे बस मामा-मामी थे, और नानी-नाना काफी पहले गुजर चुके थे।

मामा सुबह ड्यूटी चले जाते थे, तो मैं अकेले बोर होने लगता था। फिर मैं छत पे चला जाता था। दोस्तों यू ही मैं नहीं जाता था छत पे, वहां जाने की कुछ वजह भी थी।

छत पे एक कमरा बना था जिसमें एक खिडकी लगी थी, जिसमें से बगल के एक परिवार का पूरा घर दिखता था। उस परिवार में 3 लड़कियां थी। दोपहर को वो अपने आंगन में नल के पास खुले में नहाती थी। उन्हें ही देखने मैं रोज समय से छत पे जाके दरवाजा बंद करके बस खिड़की के पास कुर्सी लगा के बैठ जाता था।

वो सब ऊपर नहीं देख पाती थी, कि कोई उन्हें रोज देखता था नहाते हुए। वो लड़कियां सच में बड़ी बेशरम थी। जवान और गोरी-गोरी लड़कियां थी, और ऊपर की ब्रा निकाल के नहाती थी। कभी कभी तो वो नहाने के बाद बिना टॉवल लगाए जल्दी से चड्डी भी उतार के बदल लेती थी।  मैं यही सब रोज देखता था। मेरा देख के लिंग टाइट हो जाता था सच में।

ऐसे होते करते एक हफ्ता बीत गया। फिर मेरे बड़े नाना के घर एक लड़की आई जो 19-20 साल की जवान हो चुकी लड़की थी एक-दम गोरी-गोरी सी। मैं मामी से पता किया तो पता चला कि वो भी अपने नाना के घर आई थी। मैं तो हैरान रह गया कि इससे मैं कभी मिला ही नहीं, तो पता चला कि वो सब बाहर रहती थी, काफी दिन बाद आई थी यहां।

वो अकेले आई थी, इसलिए मैं पहचान नहीं पाया, वरना उसकी मम्मी को मैं जानता था, मेरी मौसी लगती थी वो। वो भी मुझे पहली बार देखी थी। जिस दिन वो आई, उसी दिन मेरे घर आई तो मैं खाना का रहा था। वो मामी के पास किचन में गई। फिर वो मेरे लिए रोटी लाई, क्योंकि मामी ने बोला कि दे आओ।

खैर वो काफी देर रुकी मामी के पास, और बाद में जब मामी और वो मेरे पास आई, तब वो मेरा उससे परिचय करवाई। वो मुझे भइया बोलने लगी, तो मुझे अजीब सा लगा, क्योंकि मैं उसे बहन के रूप में नहीं देख पा रहा था। वो भी अपने घर अकेली रहती थी, तो अक्सर अब आती दोपहर को, और हम 3 लोग लूडो खेलते। फिर मन हुआ तो वो वहीं मामी के पास सो जाती।

बड़े नाना के घर में भी बस एक भाभी थी, और एक मामा, बाकी कोई नहीं। बाकी सब बाहर रहते थे। 2-3 दिन मैं भी उसके घर गया लूडो खेलने भाभी के साथ में। दोस्तों उसका नाम श्रेया था। वो 12th का पेपर देके आई थी, जिसका रिजल्ट नहीं आया था। श्रेया 19 साल की थी, और देखने में लम्बी थी। उसके स्तन काफी टाइट थे और बड़े थे। वो ब्रा पहनती थी।

उसकी पतली कमर थी दोस्तों, और कमर के नीचे का हिस्सा काफी सेक्सी लगता था आगे-पीछे से। उसकी गांड भी काफी टाइट और गोल-गोल दिखती थी जब उसे जाते देखता था। कुल मिला के ऐसी लड़की जिसे हर कोई पाना चाहे।

एक दिन लूडो खेलते-खेलते मैं डिब्बी हिला के जब डाइस नीचे गिराया, तो वो सरक के उसकी स्कर्ट में चला गया। वो शरमा गई, और उठ के निकाल दी।

भाभी तो हंस पड़ी और बोली: देखो लूडो की गोटी कहां घुस गई।

तो वो बोली: भाभी आप चुप भी करो।

ऐसे ही समय बीतता चला जा रहा था रोज। दोपहर को छत पे जाके लड़कियों को नंगा नहाते देखता, और फिर श्रेया के साथ लूडो।

एक दिन की बात है, मामी को सुबह मामा के साथ प्रयागराज जाना था अपनी बहन के घर। उनके घर में कुछ प्रोग्राम था, तो वो सुबह खाना बना के रख दी और बोली कि उनको आने में देर रात हो जाएगी, तो बचा रहेगा तो खा लेना, नहीं तो श्रेया के घर खा लेना रात में।

मैं बोला ठीक है, तो वो सुबह ही 8 बजे चली गई। अब हम बस अकेले थे घर में। हम टी.वी. देख रहे थे। तभी अचानक से श्रेया आई और मामी कहां गई पूछने लगी। तो मैं बताया उसे। उसको बैठने को बोला तो वो बेड पे बैठ गई।

मैं खाना पूंछा तो बोली: खा चुकी भाभी के साथ।

तो वो टी.वी. का रिमोट लेके लेटेस्ट वाले गाने के चेनल लगा दी। छोटे-छोटे कपड़ों वाली लड़कियों के गाने आने लगे। मैं कुछ नहीं बोला, बस देखने लगा।

वो मुझसे पूंछी: चैनल बदल दू क्या?

तो मैं बोला: नहीं चलने दो।

10 मिनट बाद मैं बोला: लूडो निकाले क्या?

तो बोली: नहीं मन ऊब गया लूडो से।

पर मेरी समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलूं और क्या करूं आज वो अकेली मिली थी मुझे। ये भी नहीं चाहता था कि कुछ मेरी तरफ से ऐसा ना हो जाए कि गुस्सा होक भाग जाए। दोस्तों मैं चोरी से उसे देख रहा था, और वो गाने देख रही थी। काफी सेक्सी दिख रही थी।

वो ब्लैक कलर की लेगी और रेड कलर की टी-शर्ट पहनी थी। जिसमें उसका पूरा शरीर उभर के आ रहा था, क्योंकि काफी चुस्त पहनी थी। मेरे मुंह से अचानक निकला कि, “लड़कियां कितनी गन्दी होती हैं।”

ये सुन के वो टी.वी. धीमा करते हुए बोली: क्यों क्या हो गया?

मैं बोला: बस ऐसे ही।

तो वो बोली: कुछ तो हुआ है जो ऐसा बोला।

तो मैं बोला: हां कुछ है।

तो जिद करने लगी: बताओ-बताओ!

फिर मैंने उससे पहले प्रॉमिस कराया: कुछ दिखाऊं तुम्हे तो किसी से बताना मत।

तो वो मान गई।

मैं बोला: चलो छत पे।

तो वो मेरे साथ आई बिना डरे।

मैं रुका और बोला: श्रेया रुको, मैं बाहर का दरवाजा बंद करके आता हूं।

वो वहीं रुकी रही सीढ़ी पे। मैं दरवाजा बंद करके आया तो साथ में गये ऊपर कमरे में।

आगे क्या हुआ, वो अगले पार्ट में।

अगला भाग पढ़े:- मामा के घर जाके श्रेया के साथ पहला सेक्स-2