पिछला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-3
जैसा कि आपने हिंदी सेक्स कहानी के पिछले पाठ में पढ़ा, कि कैसे बुआ के घर से आते समय मैंने मम्मी के साथ कुछ हसीन पलो का आनंद लिया।
रात को हम तीनों ने मिल कर खाना खाया, और बैठ कर टी.वी. देखने लगे। मेरी नज़रे तो मम्मी पर ही थी। आज वो रोज से ज्यादा सुंदर लग रही थी, पर घर आने के बाद अब तक हमारी बात-चीत नहीं हुई थी। थोड़ी देर बाद हम लोग सोने के लिए जाने लगे। भैया रूम में चले गए। मैं भी पानी पीकर, खुशी से मम्मी के रूम की तरफ जाने लगा।
तभी मम्मी बोली: यश, आज तू अपने रूम में सो जा।
ये सुन कर तो मानो मेरा दिल ही टूट गया। मैंने आस भरी नज़रों से मम्मी को देखा, तो उन्होंने मेरी तरफ एक नज़र में देख कर कहा-
मम्मी: मुझे कुछ काम है। 2 से 3 दिन बाद सो जाना यहां।
ये कह कर वो अपने रूम में चली गई। आज के सारे सपने धरे के धरे रह गए थे। मैं बेबस होकर अपने रूम में जाकर सोने की कोशिश करने लगा। बहुत रात में जाकर नींद लगी। सुबह उठ कर ब्रश करके नीचे आया तो मम्मी रोटी बना रही थी। मैं कुर्सी पर जाकर बैठ गया। थोड़ी देर में भाई भी आ गया। फिर मम्मी ने नाश्ता दिया। हम तीनों नाश्ता करने लगे तभी भाई मम्मी से बोला-
भाई: मम्मी, ये रात में बहुत देर तक मोबाइल चल रहा था। मालूम नहीं रात में सोया भी कि नहीं।
ये सुन कर मम्मी मुझे देखने लगी, पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। फिर हम कॉलेज चले गए। 10 से 15 दिन का समय ऐसे ही कटा। इस बीच मेरी और मम्मी की ज्यादा बात-चीत नहीं हो रही थी। उनकी तरफ से कोशिश तो थी, पर मैं ही शायद अंदर से गुस्सा था, तो सिर्फ काम की बात कर रहा था।
अगली सुबह मैं जब जागा, तो पता चला कि पिता जी घर वापस आ गए थे। उन्हें वापस 15 दिन की छुट्टी मिल गई थी। इस बात से मैं खुश भी था और दुखी भी। पर तभी मुझे छोटे बच्ची के रोने की आवाज आई। मैंने पीछे कुर्सी पर देखा तो मेरी बुआ गुड़िया को गोद में लिए बैठी थी। फूफा जी भी आए थे। ये देख कर मैं खुशी से उनके पास जाकर बाते करने लगा। ऐसे ही हंसी खुशी में पूरा दिन बीत गया।
रात के खाने के बाद अब सोने की बारी आई तो परेशानी ये थी कि कूलर सिर्फ दो ही थे। और हम लोग ज्यादा हो रहे थे।
तो पापा ने कहा: क्यों ना आज आंगन में ही बिस्तर लगा कर सोया जाए? दोनों तरफ से कूलर लगा देते है, ऊपर पंखा चल ही रहा है, तो गर्मी नहीं लगेगी।
सब को ये विचार अच्छा लगा। फिर बिस्तर लगता है। एक तरफ के कूलर के सामने फूफा जी और पापा सोए। फिर बीच में पापा के बाद भैया, फिर मैं, और फिर मम्मी सोई। आखिरी दूसरी तरफ कूलर के सामने बुआ जी को सुलाया गया। और जैसा कि सोचा गया था कि गर्मी नहीं लगेगी, 2 कूलर चलने से रूम ठंडा हो गया था, तो सब लोग चादर लेकर सो गए। गुड़िया को थोड़ा सा दूर ही पालने में सुलाया गया था, ताकि बच्ची को ठंड ना लग जाए।
आंगन में पूरा अंधेरा था। बस किचन में धीमी सी लाइट जल रही थी। मुझे नींद तो नहीं आ रही थी, फिर भी मैं सो गया था। रात में 3 बजे के आस-पास मेरी नींद खुलती है, और मैं वॉशरूम से आता हूं। सभी लोग गहरी नींद में थे। मैं भी लेट जाता हूं। पर जब मैं करवट लेता हूं तो, मम्मी की हल्की झलक दिख जाती है। वो मेरी ओर पीठ करके लेती हुई थी, और गहरी नींद में लग रही थी।
उन्होंने कंधे तक चादर ओढ़ी हुई थी। मेरे मन में वापस प्यार जागने लगता है। पर इतने लोगों के होने से डर भी लग रहा था। पर मुझे ये भी मालूम था कि जब मम्मी ने उस दिन कार में मुझे अकेले होते हुए कुछ नहीं कहा, तो इतने लोगों के सामने भी नहीं कहेगी। बाकी कल जो होगा देखेंगे।
अब मैंने पूरी हिम्मत जुटाई। फिर घूम कर बाकी लोगों को देखा तो सब खर्राटे ले रहे थे। फिर मैंने बुआ को देखा तो बुआ कूलर की तरफ मुंह करके सोई थी। मैंने अब आगे बढ़ने का निश्चय किया। मैंने अपना एक हाथ धीरे से आगे बढ़ाते हुए मम्मी की पीठ के पीछे ले जाकर रख दिया। फिर हल्के से चादर को पकड़ तो उसका बॉर्डर हाथ में आ गया। फिर मैंने हल्के से बॉर्डर उठा कर, हाथ को अंदर डाल कर, मम्मी की पीठ से छुआ तो मुझे गर्मी का एहसास हुआ, और मम्मी की नाइट शर्ट का एहसास हुआ।
मैंने वैसे ही पीठ को हल्के-हल्के रगड़ना जारी रखा। कुछ समय ऐसा करते हुए मेरी हिम्मत बढ़ने लगी। आज मैं ये मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। मैंने हल्के से हाथ पीछे करते हुए बॉर्डर को पकड़ा तो पता चला कि चादर का कुछ हिस्सा मम्मी के कमर के नीचे दबा हुआ था। तो मैंने फिर हथेली को सीधा मम्मी के कमर के नीचे सरकाते हुए चादर हल्के-हल्के निकाल दी।
फिर वापस चादर के अंदर से हाथ सरका कर सीधा मम्मी के चूतड़ों के उभार तक ले गया। फिर एक गहरी सांस लेते हुए, सीधा उनके ऊपर वाले चूतड़ पर रख दिया। मम्मी के चूतड़ का स्पर्श होते ही मेरे दिल की धड़कन बहुत तेज हो गई थी। पर ऐसा होते ही मम्मी की कमर हल्की आगे हुई तो मैंने भी तुरंत हाथ को आगे सरकाते हुए हाथ हटने नहीं दिया। कुछ समय तक आगे कोई हलचल ना होने पर मेरे हाथ अब मम्मी के मुलायम चूतड़ को सहलाने लगे।
बड़ा ही मुलायम एहसास था। कुछ देर बाद मैंने हाथ सरकाते हुए ऊपर वाले चूतड़ को हाथ से पकड़ा, तो इस बार पूरा चूतड़ का उभरा भाग हाथ में समाने लगा। ऐसा होते ही मम्मी वापस आगे होने की कोशिश करती है, पर मैंने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कमर आगे नहीं जाने दी। फिर कुछ पल कोशिश के बाद मम्मी का शरीर वापस शांत हो जाता है।
मैं अब धीरे-धीरे चूतड़ दबा-दबा कर सहलाने लगा। इससे मम्मी के शरीर में भी हल-चल होने लगी थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। ऐसा करते-करते मैं अपनी कानी उंगली को चूतड़ों की दरार में दबाते हुए सहलाने लगा। इससे मम्मी का शरीर कभी-कभी हल्का हिल जाता। मैं समझ गया था कि मम्मी अब इसे महसूस करने लगी थी, मतलब वो जाग गई थी। फिर भी वो मुझे जबरदस्ती रोकने की कोशिश नहीं कर रही थी। तो मेरी हिम्मत बढ़ने लगी।
मैंने हाथ की 2 उंगलियों को सीधा दरार में रगड़ा, तो मम्मी की हल्की सी सिसक निकल गई। साथ ही उनकी कमर और आगे सरक गई। पर मैंने भी फुर्ती के साथ उंगलियों को दरार में ही चिपकाए रखा। मम्मी चाह कर भी मुझे दूर नहीं कर पाई। मैंने अब हल्के-हल्के दरार में उंगलियों को फेरा तो मैं आज के दिन मम्मी के चूत की दोनों फांकों को महसूस कर पा रहा था।
उस दिन भले ही मैंने मम्मी को पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया था, पर मुझे उनके चूत के फांकों का एहसास नहीं हुआ था। मैं उनके चूत में बढ़ती गर्मी पूरी तरह महसूस कर पा रहा था, और उनकी उखड़ी सांसे भी। मैं आज ये मौका जाने नहीं देना चाहता था। मैं इसे ही उनकी चूत को रगड़ते हुए, उंगलियों को अब गांड के छेद तक लाने लगा। ऐसा करते हुए मैं पूरी तरह दरार में उंगलियों से चूत की बनावट को महसूस कर पा रहा था, और समय के साथ उनके पायजामी में हल्का सा गीलापन भी।
ऐसा करते हुए करीब 5 से 6 मिनट होने के बाद मेरा हाथ अब दुखने लगा था। तो मैंने अपना हाथ चादर से निकाल दिया, और कुछ पल ऐसे ही रुक रहा। शायद मम्मी को भी समझ नहीं आया कि अचानक से मैं कैसे रुक गया।
मेरा पूरा ध्यान उनके चेहरे की तरफ ही था। तभी मैंने हल्के से उनके सिर को अपनी ओर घूमते देखा, पर फिर वापस उन्होंने दूसरी तरफ मुंह कर दिया। मैं अब और आगे बढ़ना चाहता था, तो मैं धीरे-धीरे आगे को सरकने लगा, और बिल्कुल उनके पीछे जाके रुक गया। फिर मैंने अपनी चादर को आगे से उठा कर उनके ऊपर भी डाल दिया।
मैंने अंदर हल्के से उनकी चादर उठाई और सीधा जाकर उनसे चिपक गया। ऐसा होते ही वो आगे सरकने लगी, पर मैं मौका ना गवाते हुआ एक हाथ को आगे पेट पर रख कर पीछे धकेलने लगा। इससे उनकी कमर मेरे अगले हिस्से से चिपक गई थी। थोड़ी देर कोशिश करने के बाद भी जब वो आगे को नहीं हो पा रही थी, तो वो मेरी तरफ पलटने की कोशिश करने लगी। पर मैंने उन्हें बिल्कुल भी हिलने का मौका नहीं दिया। करीब 2 से 3 मिनट तक उनकी कश्मकश चलती रही, पर आखिरी में वो हार मान कर वैसे ही करवट लिए लेटी रही।
जब मम्मी ने विरोध करना बंद कर दिया, तो मैं धीरे से अपने होंठों से उनकी गर्दन के पिछले हिस्से को चूमने लगा, और जीभ से चाटने लगा। उधर मेरा हाथ अब हल्के-हल्के उनके पेट को सहला रहा था। पर उनके गद्देदार चूतड़ों की गर्मी में महसूस कर पा रहा था। मेरा लंड भी पूरी तरह से तन कर उनके चूतड़ों को छेड़ने में लगा था। इससे उनका हल्का-हल्का कांपना रुका नहीं था।
मैं मम्मी को चूमते हुए उनके कनपटी के पास चाटते हुए बोला: मम्मी प्लीज, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं। आज मुझे मत रोको।
ये कहते हुए मैं उनके कान के पल्लों को जीभ से छेड़ते हुए, होंठों में भरते हुए चूसने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था। करीब 4 से 5 मिनट ऐसा होता रहा, पर अब मम्मी के कांपने की गति तेज हो रही थी। शायद वो अपने चरम को पाना चाहती थी, क्योंकि अब उनके लिए भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। मैंने ये मौका देख कर अपने हाथ को सरकाते हुए उनके पेट की नाभि से नीचे ले जाते हुए चूत के ऊपरी हिस्से तक सरका दिया। इससे मम्मी हल्की सी छटपटा गई, पर मैंने थोड़ा हाथ का दबाव बनाए रखा।
फिर मम्मी के शांत होते ही मैं वहां हाथ फेरने लगा। मुझे अब हल्के-हल्के बालों का एहसास हो रहा था। फिर मैंने जब अच्छे से हाथ फेरने शुरू किया, तो मुझे एक बात समझ आ गई कि मम्मी ने आज पेंटी नहीं पहनी थी। ये एहसास पाते ही मेरा मन उत्तेजना से भरने लगा, और मैंने मेरी कमर और कस के मम्मी से चिपका दी। उधर मैं उनके कानों के आस-पास अभी भी जीभ से खेल रहा था, और अब मेरे हाथ तेजी से उनकी चूत के ऊपरी हिस्से को सहला रहे थे।
मैं अब मम्मी के तड़पते बदन को पूरी तरह महसूस कर पा रहा था, और बीच-बीच में उनकी उखड़ती सांसों के साथ कराह की आवाज भी सुन पा रहा था। ऐसे ही कुछ ही पलों में अचानक मम्मी का शरीर झटके लेने लगा। उन्होंने जल्दी से अपना एक हाथ अपने मुंह पर रख लिया। पर झटकों के साथ में उनकी चरमसुख की मधुर आह सुन पा रहा था। करीब 10 से 15 सेकंड, मम्मी के शरीर को शान्त होने में लगे, तब जाकर उन्होंने अपने मुंह से अपना हाथ हटाया। मैं ऐसे ही मम्मी से चिपका हुआ पड़ा था।
मुझे बहुत ही मजा आ रहा था जब मम्मी तड़पते हुए मेरे बदन से चिपक रही थी। करीब 2 से 3 मिनट तक शांत रहने के बाद मैंने वापस उनके चूत के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया। पर कुछ ही पलों में मम्मी ने अपना एक हाथ मेरे हाथ पर रख कर मेरे हाथ को पकड़ लिया। इससे मेरा हाथ वहीं रुक गया। मम्मी अभी भी लंबी-लंबी सांस ले रही थी।
आगे की सेक्स कहानी अगले पार्ट में। आप इसके बारे में अपनी राय जरूर शेयर कीजिए
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एक निवेदन है आप लोगों से। ऐसे तो मैंने इस स्टोरी को 10 से 15 पार्ट्स में लिखने का प्लान किया था। पर अब मुझे लगता है कि आप लोगों का इंट्रेस्ट कम हो गया है। तो क्या मुझे अगले 2 पार्ट में इस कहानी को खत्म करके एक नई स्क्रिप्ट पर काम करना चाहिए या इसी को चलने दूं? आप लोग अपने विचार कमेंट में या मेल पर जरूर शेयर करे। आगे की कहानी में आप लोगों के हिसाब से ही आगे बढ़ाने की सोच रहा हूं।
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