पिछला भाग पढ़े:- मकान मालकिन किरायेदार से चुदी-1
आंटी सेक्स स्टोरी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरी मकान मालकिन आंटी से छत पर जाके बात हुई। फिर वो मुझे अपने घर ले गई, और कंप्यूटर ठीक कराया। उसके बाद उनकी कुंडली देख कर मैंने उनको बहुत कुछ बताया। फिर मैंने उनसे पूछा कि वो शादी के बाद कितनों से चुदी थी। अब आगे-
निर्मला आंटी: 3 से।
बस ये सुनना था। अब तो मैं पूरा नंगा होने वाला था।
मैं: तुझमें बहुत हवस और कामुकता है ना? खूब चुदाई चाहती है ना? कुंडली तो कहती है, दोस्त मानती है तो बता।
निर्मला: अब जब तुझे सब पता ही है, तो ये भी पता ही होगा देख कर। मैं क्या बोलूं?
मैं: तू सच बोल, सब तेरे मेरे बीच ही रहेगा वादा करता हूं। बोल कितनी हवस, कितना सेक्स है तुझमें? बहुत है क्या?
निर्मला: बहुत क्या होता है? बहुत ज्यादा है। बहुत मूड करता है मेरा।
मैं: अभी किसी से चल रहा है सेक्स?
निर्मला अब खुलती जा रही थी।
आंटी: अब कोई नहीं है। कई साल पहले तक एक था लास्ट, अब कोई नहीं। अब तो अपने आप ही अपना ध्यान रखती हूं बस (मतलब आंटी उंगली से काम चला रही थी )।
मैं: निर्मला अगर तुझे कोई मिल जाये जवान लौंडा जो खूब ठुकाई करें तो तू करेगी या मना करेगी?
आंटी: मना क्यों करूंगी? मैं तो खुद चाहती हूं इतने सालों की संतुष्टि पूरी हो।
मैं: तूने बोला तो है हाथ से काम चलाती है, क्या सेल्फ सर्विस।
निर्मला बोली: हाथ से ही चलाती हूं। जैसे तू रोज चलाता है। तू नहीं चलाता क्या?
मैं चौंक कर बोला: मैं तो ना चलाता हाथ से काम।
निर्मला हंस पड़ी और बोली: तू भूल गया अभी थोड़ी देर पहले तुझे छत पे क्या कहा था। सब दिखता है तेरे कमरे का। मैं तुझे कई दिन से रोज मुठ मारते हुए देखती हूं। तू अपनी खिड़कियां बन्द नहीं करता। एक-दम नंगा बैठकर हिलाता है। सब दिखता है। और मैं रोज़ छत पे इसीलिये आ रही हूं। पहले दिन तू गाली दे देकर कुछ बोल रहा था, तब मेरा ध्यान तेरे कमरे पर गया। और तब तुझे देखा तू नंगा बैठ कर हिला रहा था।
मैं बोला: आंटी तो एक दिन करने में क्या दिक्कत है?
तो वो हंस के बोली: तू रोज़ अपना हिलाता है। मैं रोज देखती हूं। सिर्फ उसी दिन की बात नहीं है, दूसरे दिन भी मेरे मन में आया कि देखूं ये आज भी कुछ कर रहा है क्या। तू तब भी नंगा हाथ में पकड़ कर लेटा था।
(दोस्तों मैं तो नंगा ही रहता हूं अपने कमरे में सिर्फ अंडरवियर में, तो तब भी ऐसे ही रहता था। अकेला कमरा था, तो नंगे रहो, जितनी मर्जी मुठ मारो अकेले। मुझे क्या पता था ये निर्मला मुझे रोज देखती थी चुपके से।)
आंटी फिर बोली: तूने दूसरे दिन भी खूब हिलाया, और मैंने सब देखा, और तभी से मैं रोज ऊपर आती हूं। उस दिन से मुझे खुद ही अपने आपको शांत करना पड़ता है। तूने सब कुछ सामने से दिखा कर दिमाग खराब कर दिया। फिर आज मैंने तुझे नीचे ही बुला लिया वरना मुझे पता था ये अंदर जाकर फिर हिलाएगा। इतना ज्यादा पसंद है क्या हिलाना, जो रोज ही करता है तू?
अब तो सब खुल चुका था।
मैं बोला: हां आंटी मेरे पास कोई औरत तो है नहीं, तो हाथ से काम चलाना पड़ता है।
आंटी तब बोली: ओह अच्छा!
मैंने पूछा: आंटी आप मुझे सोच कर, देख कर करती हो क्या अपना?
वो चुप रही।
मैंने कहा: आंटी अब तो आप मुझे पूरा नंगा देख चुकी। अब काहे की चुप्पी?
आप बताओ, सब हमारे बीच ही रहना है। आप रोज करती हो क्या मुझे सोच के?
आंटी बोली: हां, इतनी भरी पड़ी थी तुझे देख-देख कर। अब मेरे से रहा नहीं गया।
तभी मैं बोल पड़ा: आंटी आप अगर सामने से देख लोगी, फिर तो आपसे रुका नहीं जायेगा।
आंटी बोली: सामने से क्या दिखेगा।
मैं बोला: आंटी एक बात कहूं, आप बुरा मत मानना।
वो बोली: बोल।
मैं बोला: क्या मैं आपके सामने मारू मुठ, मेरा जी कर रहा है। आप तो देख ही चुकी हो सब। अब क्या शर्म। आज सामने से देख लो।
आंटी बोली: अच्छा इतनी हवस भरी पड़ी है क्या?
मैं बोला: आंटी आप रोज ही देखती हो, आज मैं करूं? आप देखो।
आंटी बोली: तेरी मर्जी।
फिर मैंने झट से बनियान उतारी और निक्कर कच्छे सहित नीचे कर दी। मैं एक-दम नंगा था, और लंड पहले से खड़ा था। मैंने देखा आंटी की सांस तेज सी हो गई। मैं मौके का फायदा उठा कर लंड हिलाने लगा। आंटी की सांस तेज होने लगी ये देखते हुए।
मैं आंटी के पास गया। वो बैड पे बैठी थी। मैं खड़ा था। मैं एक-दम मुंह के पास जाकर रुक गया और कहा-
मैं: निर्मला इसे पकड़ के देख ले।
आंटी ने उसे पकड़ लिया धीरे से, और हिलाने लगी। तेज सांस ले रही थी वो, यानि गर्म हुई पड़ी थी। अब वो तेज हिलाने लगी, तो मैं बोला-
मैं: मैं तो नंगा हूं, तू कपड़े पहन कर बैठी है।
उसने ये सुना, खड़ी हुई, और मैक्सी उतार कर अलग रख दी। फिर बिना कहे ही ब्रा-पेंटी महरून कलर की ही मैच वाली निकाल कर एक-दम नंगी होकर वापस बेड पे बैठ गई बिना कुछ बोले। फिर लंड को पकड़ कर उसकी खाल आगे-पीछे करने लगी चुप-चाप।
उस खामोशी में भी इतना शोर था। हम दोनों के अंदर ज्वालामुखी फटा पड़ा था। वो मेरा लंड पूरी खाल पीछे करके चेक कर रही थी। बस अब मैं एक-दम पागल हो चुका था। मैंने उसकी चूची दबानी शुरू कर दी, जो फुटबॉल जैसी बड़ी-बड़ी थी, एक-दम टाइट।
अब लंड और दिमाग दोनों कह रहे थे मुंह में घुसा बस, और मैंने सुन ली। फिर लंड धकेल के आंटी के मुंह में घुसाने लगा। उसने मेरी तरफ देखा और एक-दम पूरा मुंह खोल दिया। उसके बाद तो मां चुदाये सब कुछ। मैं तो सर पकड़ कर दे धक्के दे धक्के मुंह मे मारे गया। मेरी खूबसूरत रांड मेरा माल लोड़ा लपर लपर लपर लपर चूस रही थी। अब बस मेरा ध्यान सिर्फ माल झाड़ने में था।
मैं: आह ओ यस क्या मजा आ रहा था।
आंटी की जीभ मेरे लंड के टोपे पे चारों तरफ घूम रही थी। मुंह एक-दम बन्द था लंड अंदर लेकर, और मैं धक्के मारे जा रहा था। दे धक्के दे धक्के करते-करते अब मुझे झड़ना था। मैं पूरा गर्म था मैं जब निकलने वाला था। मैं खूब गालियां देने लगा और हलक तक लोड़ा पेलने लगा।
मैं: ओह मां की लौड़ी रंडी निर्मला मेरी जान। भोंसड़ी वाली, अब तुझे रोज चोदना है। भोसड़ी की जनी कुतिया, छिनार, मादरचोद, हरामजादी, बहनचोद, पी मेरा माल।
और मैं गाली देते-देते उसका सर पूरा दबा के झड़ता गया, झड़ता गया। आह क्या मज़ा था। सोच कर ही मेरे झटके लग रहे है।
वो कुतिया निर्मला सारा माल पी गई लपर लपर एक-एक बूंद, और मेरे आंड चूसने लगी। अब तो वो साली मुझे मेरी लुगाई, मेरी बीवी, प्रेमिका, सब लग रही थी।
( इसके बाद कैसे वो मुझसे चुदी और आगे तक हमने कितनी गन्दगी मचाई, सब बताऊंगा अगले पार्ट में। तब तक मुझे इजाज़त दीजिए। जिन्हें मुझसे बात करनी हो वो औरतें, लड़कियां, आंटियां, सब मेरी आंटी सेक्स स्टोरी पर कमेंट करके बताए)।