पिछला भाग पढ़े:- अजब गांडू की गजब कहानी-23
चित्रा की अंकल के साथ ज़बरदस्त चुदाई पहले ही हो चुकी थी। राज तो आधी चुदाई देख कर ही खड़े लंड के साथ अपने कमरे में आ चुका था। चित्रा और अंकल की चुदाई राज के आँखों के आगे से हट ही नहीं रही थी। राज जाग रहा था, और आधी रात के बाद अंकल से चुदाई के बाद चित्रा सीधी राज के कमरे में आ गयी। अगले दिन युग भी वापस आ गया।
अब आगे-
फार्म से थैला लेकर हम वापस चल पड़े। मैं देख रहा था, युग कुछ ज्यादा ही चुप था। कुछ देर बाद युग बोला, “राज एक बात मानेगा। तू ही मेरा एक ऐसा दोस्त है जिसको मैं ये बात बोल सकता हूं।”
— युग का राज को चित्रा की चुदाई के लिए राजी करना
मैंने कार चलाते-चलाते युग की तरफ देखा और पूछा, “क्या बात है, बोल।”
मैं सोच रहा था युग कुछ बोलेगा, मगर युग बिल्कुल चुप-चाप था। मैंने ही कहा,”बता भाई क्या बात है, चुप क्यों हो गया?”
युग कुछ रुका और बोला, “राज, आज रात चित्रा को चोदेगा?”
युग की ये बात सुन कर मेरे हाथ थोड़े से कांपे। हालांकि मैं तो चित्रा को चोद ही चुका था, फिर भी मुझे युग ऐसी बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी।
मैंने कार सड़क के साइड में लगा कर युग से कहा, “ये क्या बोल रहा है? चूतिया है क्या? पागल हो गया है क्या साले? चित्रा तेरी ब्याहता है, तेरी बीवी है। ऐसा कैसे हो सकता है?”
युग बड़ी ही शांत आवाज में बोला,”यार तू परेशान मत हो, गाड़ी चला। मैं तुझे समझाता हूं।”
परेशान से ज्यादा मैं हैरान हो रहा था। कहां तो युग समझ रहा था कि चित्रा अब तक ढंग से चुदी नहीं, और कहां चित्रा हर तरह से चुदाई के पूरे मजे ले रही थी। मैंने कार स्टार्ट की और युग से कहा, “हां बोल।”
युग बोला,”देख भाई, हर लड़की जवानी की एक उम्र के बाद चुदाई चाहती है। अब हमारे समाज में बिना शादी के चुदाई गुनाह है इसलिए असल में तो ये शादी ब्याह चुदाई का लाइसेंस होते हैं। लो जी अब शादी हो गयी, अब इस लड़की की दबा कर चुदाई करो, कोइ कुछ नहीं कहेगा। यही बात है ना”, युग मेरे हाथ पर हाथ रख कर मुझसे पूछ रहा था।
युग की बात बिल्कुल सही थी। मैं तो ऑस्ट्रेलिया में देख ही आया था। वहां लड़के-लड़की का बिना शादी के इकट्ठे रहना साधारण सी बात थी। यहां तक की सरकारी फार्म भरना हो तो उसमें भी ये पूछते हैं कि शादी हुई है या किसी के साथ बिना शादी के रहते हो।
युग ने जब कहा कि हमारे यहां तो शादी ब्याह चुदाई का लाइसेंस होते हैं। लो जी अब शादी हो गयी, अब इस लड़की की दबा कर चुदाई करो, कोइ कुछ नहीं कहेगा तो मैंने कहा, “ये बात तो सही है युग। हमारे यहां तो कायदे से चुदाई शादी के बाद ही शुरू होती है। वो बात अलग है लड़का-लड़की दोनों असल में पहले ही चूत और लंड के मजे ले चुके होते हैं।”
फिर युग बोला, “अब इसी के चलते लड़की भी इच्छा करती है कि शादी होने के अगले ही दिन से उसकी चुदाई शुरू हो जाये, और उसका पति उसकी रोज बढ़िया चुदाई करे वो भी कम से कम साल भर तक।”
“चित्रा कोइ अलग तो नहीं। वो भी तो यही चाहती होगी। अब तू बता अगर मेरे से कारण चित्र की चुदाई ढंग से नहीं हो पा रही तो इसमें चित्रा का क्या कसूर है? उसकी चूत लंड के लिए क्यों तरसती रहे। उसकी चूत की आग क्यों ठंडी ना हो?”
असल में तो युग की ये बात बिल्कुल ठीक थी, और इस बात का मेरे पास कोइ जवाब नहीं था। मेरे पास क्या किसी के पास भी कोइ जवाब नहीं था।
मैं काफी देर चुप रहा। युग ने ही पूछा, “तूने जवाब नहीं दिया?”
मैं युग की इस बात का क्या जवाब देता? फिर भी मैंने कहा, “भाई मुझे तो कुछ सूझ नहीं रहा। मगर अगर एक मिनट के लिए मान भी लें कि यही एक रास्ता है, तो क्या चित्रा मान जाएगी?”
युग ने कहा, “चित्रा से तो मैं बाद में बात करूंगा मैं। पहले तू तो हां कर कि तू चोदेगा चित्रा को।” फिर जरा सा हंस कर अपना लंड खुजलाता हुआ युग बोला, “वैसे ही जैसे तो उन लड़कियों, तबस्सुम, पारुल और वो वियतनामी लड़की किम को मस्त चोदता आया है।”
फिर युग कुछ रुक कर बोला, “राज हम दोनों बचपन के दोस्त हैं। तू ही मेरा एक ऐसा दोस्त है जिसे मैं ऐसा करने को कह सकता हूं। तू यहां था नहीं, वरना मैं तो पहले ही तुझे चित्रा की चुदाई के लिए बोल देता। इतना सा भी ना तरसने देता उसे लंड के लिए।”
मुझे सच में ही समझ नहीं आ रहा था, कि मैं युग को क्या जवाब दूं। युग की गैर मौजूदगी में चित्रा की चुदाई अलग बात थी। युग के कहने से, उसकी जानकारी में चित्रा की चुदाई अलग बात थी।
मुझे चुप देख कर युग बोला, “ठीक है घर पहुंच कर में चित्रा से बात करूंगा। अब तू प्लीज़ मना मत करना। अगर तू चित्रा की चूत की आग ठंडी नहीं करेगा, तो बता मैं और किससे चित्रा को चोदने के लिए बोलूं , क्या अपने बाप से? कोइ और मर्द भी तो नहीं है जिस पर भरोसा किया जा सके।”
मैंने मन ही मन में सोचा, “गांडू युग त्रिपाठी, मेरे दोस्त, तेरा बाप देस राज त्रिपाठी ही तो असली चुदाई कर रहा है तेरी बीवी चित्रा की। तुझे चित्रा के चेहरे का नूर और चेहरे की चमक भी नहीं दिखाई दे रही? अगर तेरे बाप के साथ चित्रा की ऐसे ही जोर-शोर से चुदाई चलती रही तो चित्रा की भोसड़ी का भोसड़ा बनने में ज्यादा वक़्त नहीं लगने वाला।”
वैसे भी इसमें अंकल का भी क्या कसूर था? अंकल ने तो पहल नहीं की थी। ये सब तो बहन-भाई के बीच की बात थी। घर की इज्जत की खातिर सुभद्रा बुआ को भी ऐसा मुश्किल फैसला लेना पड़ा। सोचा जाये तो इसके अलावा कोइ और चारा भी तो नहीं था। और इस धुआंधार चुदाई साथ-साथ और भी जो कुछ हो रहा था वो भी तो सुभद्रा बुआ के कहने से ही हो रहा था।
सीधी सी बात थी। दोनों का तलाक हो नहीं सकता था। चित्रा बिना चुदाई के रह नहीं सकती थी, युग चुदाई कर नहीं सकता था। ऐसे में कोइ तो चोदता चित्रा को। युग कह ही चुका था कि अगर मैं ऑस्ट्रेलिया में ना हो कर यहां होता तो वो चित्रा को पहले ही मुझसे चुदवा चुका होता। किसी गैर से चुदाई से तो अच्छा ही था अंकल ही चोद रहे थे चित्रा को। कम से कम घर की बात घर में तो थी।
इन्हीं ख्यालों में हम बाराबंकी पहुंच गए। युग ने थैला चित्रा को दे कर कहा, “चित्रा, पापा ने चिकन भेजा है। लक्ष्मी को बोलना बना देगी। राज एक दो दिन यहीं रुकेगा। मैं नहा कर आता हूं, तुमसे कुछ बात करनी है।”
— युग का चित्रा को राज की चुदाई के लिए मनाना
चित्रा थैला लक्ष्मी को दे कर आयी और आ कर मुझसे पूछा, “राज, क्या हुआ, क्या बात करनी है युग ने मुझसे?”
मैंने सारी बात चित्रा को बता दी। चित्रा सुन कर सोच में डूब गयी और बोली, “फिर तुमने क्या कहा राज?”
मैंने जवाब दिया, “मैं क्या कहता चित्रा। मैंने यही कहा कि ये क्या बोल रहा है? चूतिया है क्या? पागल हो गया है क्या साले? चित्रा तेरी ब्याहता है, तेरी बीवी है। ऐसा कैसे हो सकता है?”
चित्रा ने फिर पूछा, “फिर क्या कहा युग ने?”
मैंने जो युग ने कहा था बता दिया। मैंने कहा, “युग बोला, हर लड़की एक उम्र के बाद चुदाई चाहती है। हमारे समाज में बिना शादी के चुदाई गुनाह है इसलिए असल में तो ये शादी ब्याह असल में चुदाई का लाइसेंस होते हैं। अब इसी के चलते लड़की भी इच्छा करती है कि शादी होते ही उसकी चुदाई शुरू हो जाये, और उसका पति उसकी बढ़िया चुदाई करे वो भी रोज।
चित्रा कोइ अलग तो नहीं। वो भी तो यही चाहती होगी। अब तू बता अगर मेरे से ये चुदाई ढंग से नहीं हो पाती तो इसमें चित्रा का क्या कसूर। उसकी चूत लंड के लिए क्यों तरसती रहे उसकी चूत की आग क्यों ठंडी ना हो?”
चित्रा बोली, “कमाल है यहां तक सोचता है युग? राज अब क्या करें? सच पूछो तो मुझे तो ये कुछ ठीक नहीं लग रहा किसी गैर मर्द से पति की जानकारी में पत्नी की चुदाई?”
मैंने कहा, “ठीक तो मुझे भी नहीं लग रहा और मैंने हां भी नहीं की। लेकिन मुझे लग रहा है युग मानेगा नहीं, क्योंकि उसे लग रहा है अब तक तुम्हारी चुदाई हुई ही नहीं। तुम्हारी चूत अभी तक कुंवारी है, उसकी चुदाई नहीं हुई और इसके लिए कुसूरवार वो खुद को समझ रहा है। अब जो भी फैसला करना है जल्दी करो। युग आ गया तो उसके सामने बात नहीं हो पाएगी।”
चित्रा बोली, “राज मुझे तो ये बड़ा बुरा लग रहा है। तुम ही कुछ बताओ राज, तुम क्या कहते हो। मैं क्या करूं?”
मैंने कहा, “तुम कुछ मत करो। ये बात तुम युग पर छोड़ दो। देखो वो किस तरीके से तुमसे बात करता है। लेकिन मान लो अगर वो मुझसे चुदने के लिये तुमसे हां करवा ही लेता है तो दो बातों का ध्यान रखना।”
चित्रा ने पूछा, “क्या दो बातें?”
मैंने कहा, “एक तो चुदाई करवाते वक़्त खूब ऊंची-ऊंची आवाज में सिसकारियां लेना, खूब चूतड़ झटकाना जैसे तुम्हे बहुत मजा आ रहा है। और सिसकारियां लेते हुए युग का नाम लेना, जैसे मेरे साथ चुदाई के वक़्त तुम ले रही थी।”
चित्रा ने पूछा, “और दूसरी बात?”
मैने कहा, “मुझसे चुदाई से पहले या बाद में जैसा भी मौक़ा हो युग को खूब छूना चूमना चाटना, जैसे तुम उससे चुदने के लिए मरी जा रही हो। ख़ास कर उसके चूतड़ों का छेद चाटना। गांड के छेद पर जुबान जादू जैसा काम करती है। इस गांड चटाई का सीधा असर लंड पर जाता है जैसे लंड को बिजली का करंट लगा हो। हो सकता है इससे ही युग की चुदाई की असली इच्छा जाग जाए।”
चित्रा कुछ सोचने लग गयी। मैंने फिर कहा, “और एक बात। आज किसी तरह युग को थोड़ी व्हिस्की जरूर पिला देना। उससे भी चुदाई करने के इच्छा बढ़ जाती है और चुदाई में लंड जल्दी झड़ता भी नहीं है।”
चित्रा ने ‘हां’ में सर हिलाया और बोली, “हां राज ये तो मुझे भी पता है।”
तभी युग आ गया।
आते ही युग मुझसे बोला, जा भाई तू भी फ्रेश होजा। तू भी तो मेरे साथ ही घूमता रहा है।” युग ने ये मुझे वहां से हटाने के लिए कहा था। लगता था युग आज चित्रा से बात करेगा ही करेगा।
मैं बाथरूम चला गया और पंद्रह मिनट के बाद नहा कर फ्रेश हो कर ड्राइंग रूम में आया तो टेबल पर रॉयल चैलेंज व्हिस्की की बोतल, तीन गिलास, सोडे की बोतल और पेप्सी पड़े थे। युग बोला, “भाई चित्रा कह रही है राज चार साल बाद आया है, छोटा सा जशन होना चाहिए।”
मैंने चित्रा की तरफ देखा। चित्र मुस्कुरा रही थी। मैं उनके सामने सोफे पर बैठ गया। थोड़ी देर में लक्ष्मी भी चिकन बना कर चली गयी।
युग बोला, “राज मैंने तुझसे वो बात की थी ना चित्रा के बारे में। चित्रा मान गयी है।”
मैंने नकली हैरानी से कहा, “कौन सी बात युग?” मैंने अनजान बन कर पूछा।
युग बोला, “अरे वही बात जो मैंने तेरे साथ कार में में थी। तेरी और चित्रा की? युग ने बात अधूरी छोड़ दी।
मैंने बनावटी हैरानी से कहा, क्या? चित्रा मान गयी है?” मैंने एक सरसरी नजर चित्रा पर डाली। चित्रा ने हां में हल्का सा सर हिला दिया।
युग ने फिर साफ़ ही कहा, “हां राज चित्रा तुझसे चुदाई के लिए मान गयी है। मगर चित्रा की शर्त है कि मैं भी तुम दोनों की चुदाई में यहीं रहूं और चुदाई में बराबर का भाग लूं।” मैंने सोचा, ये तो चित्रा बिल्कुल ही ठीक किया। मगर मैं बोला कुछ नहीं।
युग के इतना कहने भर की देर थी कि मेरा लंड खड़ा होने लगा।
मैं नहीं चाहता था कि युग देखे जाने की चित्रा को चोदने के लिए मैं कितना उतावला हुआ पड़ा था। मैं थोड़ा कसमसाया और खड़ा होता लंड छुपा लिया। चित्रा ने कनखियों से मेरे खड़े होते हुए लंड पर एक नजर डाली और मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा, जैसे कह रही हो, “साले राज लंगोट का कितना कच्चा है तू?”
युग ने व्हिस्की गिलासों में डाल दी। दो गिलासों में डालने के बाद युग चित्रा से बोला, “चित्रा आज तो तुम भी दो घूंट लगा ही लो। मजा आ जाएगा चुदाई का।”
चित्रा गुस्से से बोली, “पागल हो क्या?” फिर युग ने दुबारा चित्रा को पीने के लिए नहीं कहा। चित्रा ने अपने गिलास में पेप्सी डाल ली।
चित्रा की युग हुए राज से चुदाई
दो पेग के बाद मुझे और युग दोनों को सुरूर हो गया। तीसरा पेग बना कर युग चित्रा की तरफ देखता हुआ बोला, “चलो चित्रा अब किस बात की देरी है?”
चित्रा बोली, “`मैं क्या करूं युग?”
युग बोला, “अरे चित्रा क्या हुआ? अभी तो तुम्हें सब समझाया था। चलो कपड़े उतारो। ऐसे चुदाई कैसे हो पाएगी?”
इतनी सारी चुदाई करवा चुकी चित्रा के चेहरे की रंगत शर्म से लाल हो गयी। पति के सामने गैर मर्द से चुदाई? कोई और भी होती तो उसे भी शर्म आ जाती। वो बोली, “क्या करने के लिए कह रहे हो युग? मुझे शर्म आ रही है। मुझसे नहीं होगा ये सब।”
फिर युग बोला, “चित्रा क्यों शर्म आ रही है और किससे? कौन पराया है यहां? राज को तो तुम बचपन से ही जानती हो। इससे क्या शर्माना। चलो उतारो कपड़े।” फिर युग मुझसे बोला, “चल भाई राज तू भी उतार कपड़े।”
मैंने कहा, “युग यार तू भी कैसी बातें कर रहा है। पहले तुम लोग कपड़े उतारो, मैं बाद में उतरूंगा। मुझे भी शर्म आ रही है।”
युग ने कहा, “कमाल हो यार तुम लोग तो। अगर ये बात है तो ठीक है, मैं ही उतारता हूं पहले।”
और युग नंगा हो गया। फिर वो चित्रा के पास गया और चित्रा की कमीज उतारने की कोशिश करने लगा। चित्रा ने एक नजर मेरी और देखा और कमीज उतार दी।
चित्रा की ब्रा में से खड़ी चूचियों ने मेरे लंड में हलचल मचा दी। युग ने चित्रा की ब्रा भी उतार दी। चित्रा ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियां ढक ली।
फिर युग ने चित्रा की सलवार का नाड़ा खोल दिया। नाड़ा खुलते ही सलवार नीचे ढलक गयी और युग ने चित्रा की चड्ढी भी नीचे कर दी। चित्रा ने एक हाथ से अपनी चूत ढंक ली।
चित्रा का एक हाथ चूत पर था और दूसरा हाथ चूचियों पर था ही। ना चूचियां ही ढकी जा रही थी ना चूत ही।
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