पिछला भाग पढ़े:- अजब गांडू की गजब कहानी-21
चित्रा अंकल के कमरे में जा चुकी थी, और चुदाई का खेल शुरू हो चुका था। राज कमरे के बाहर खड़ा अंदर का नजारा देख देख कर हैरान हो रहा था। चुदाई करते हुए अंकल इतनी जोर से धक्के लगा रहे थे, कि अंकल के लटकते टट्टे चित्रा की गीली चूत के साथ टकरा ‘ठप्प ठप्प’ कर रहे थे, जो आवाजें राज तक भी पहुंच रही थी।
राज सोच रहा था अंकल दिल से चुदाई करते थे चित्रा की, और चित्रा भी चुदाई में अंकल का पूरा साथ दे रही थी। तभी तो इतनी मस्ती के साथ चित्रा ने अंकल के साथ अपनी चुदाई की कहानी राज को सुनाई थी। अब आगे:-
पौना घंटा हो चुका था चित्रा को अंदर गए, और अभी ये पहली चुदाई चल रही थी। जल्दी ही चित्रा ने चूतड़ आगे-पीछे करने शुरू कर दिए। चित्रा ऊंची आवाज में सिसकारियां ले रही थी, “आअह बड़ा मजा आ रहा है अंकल आअह्ह, कैसे चोदते हो अंकल आप आअह आआह अंकल लगाओ अंकल आआह।”
चित्रा की चूत गरम हो चुकी थी। किसी भी पल चित्रा की चूत का पानी छूट सकता था। तभी चित्रा ने एक सिसकारी ली, “आआह अंकल क्या चुदाई है। ये निकल गया मेरा आअह अंकल लगाओ, लगाओ अंकल लगाओ आआह।”
चित्रा की सिसकारियां सुन-सुन कर अंकल के धक्कों की रफ़्तार एक-दम बढ़ गयी। बिल्कुल राजधानी ट्रेन की तरह हो गयी, जो स्टेशन छोड़ते ही पूरी रफ्तार के साथ दौड़ने लगती है। और तभी चित्रा ने एक जोरदार सिसकारी ली,”आह अंकल निकल गया मेरा निकाल दिया आपने मेरा।”
इधर चित्रा ने ये जोरदार सिसकारी ली, उधर अंकल ने चित्रा की कमर छोड़ दी। चित्रा बिस्तर आगे की तरफ लुढ़क गयी।
चित्रा झड़ गयी थी। अंकल का लंड खूंटे की तरह खड़ा था। जैसे ही चित्रा मजा आने के बाद आगे की तरफ लुढ़की, अंकल का खड़ा खूंटा चित्रा की चूत से बाहर निकल गया। अंदर हुई इस चुदाई को देख कर मेरा लंड फनफनाने लगा था। बड़ी मुश्किल से अपना आप को मुट्ठ मारने से रोक रहा था। मैं हैरानी से यही सोच रहा था कि देखें अब आगे क्या होने वाला था।
चित्रा ने कहा था कि आज गोली खा कर चुदाई करने वाले हैं और ये चुदाई ढाई घंटे भी चल सकती है। अंकल बिस्तर पर उल्टा लेटी हुई चित्रा के पास ही बैठ गए, और चित्रा के चूतड़ों की दरार में हाथ फेरने लगे। तभी अंकल ने अजीब से हरकत की। अंकल ने चित्रा की टांगें चौड़े करके उसकी चूत में अपने उंगली डाली और फिर उंगली को बाहर निकाल कर चित्रा की गांड के छेद में डाल दिया। मैं समझ गया क्या हुआ था।
अंकल जानते थे चित्र की चूत उसके अपने चिकने पानी से भरी पड़ी थी। अंकल ने चित्रा की गांड के छेद में उंगली डालने से पहले अंकल ने चित्रा की चूत में अपनी उंगली डाल कर चिकने पानी से गीली की थी। इस पर चित्रा ज़रा सी चिहुंकी जरूर मगर ना कुछ बोली ना कुछ किया।
उसे भी गांड में हो रही इस उंगली बाजी में मजा आ रहा होगा। ये सिलसिला कुछ देर ऐसी ही चला, और फिर चित्रा ने हाथ पीछे करके अंकल का हाथ पकड़ लिया, और सर पीछे घुमा कर अंकल को कुछ बोली। अंकल ने हां में सर हिलाया और चित्र के चूतड़ों को चौड़ा करके अपनी जुबान चित्रा के चूतड़ों में डाल दी। जरूर ही चित्रा ने कहा होगा, “अंकल अब थोड़े चूतड़ चाटिये।”
थोड़ी देर में चित्रा सीधी होकर उठी और अंकल से कुछ बोली।
चित्रा ने “हां”, कहने की तरह सर हिलाया जैसे कह रही हो, “ठीक है अंकल।” अंकल लेट गए। खूंटे जैसा लंड सीधा खड़ा था। चित्रा ने अपने मुलायम चूतड़ अंकल के मुंह की तरफ कर दिए और खुद अंकल का लंड चूसने लगी। ये दो तरफ़ा चुसाई भी पंद्रह बीस मिनट चली। चित्रा लंड चूस रही थी साथ लंड को आगे पीछे भी कर रही थी। चित्रा के चूतड़ तो हिल ही रहे थे।
मैं समझ गया चित्रा ने पूछा होगा, “अंकल अब बताईये क्या करना है, कैसे चोदनी है”, और अंकल ने कहा होगा, “तुम मेरा लंड चूसो और मैं तुम्हारी चूत चूसता हूं, और इस पर चित्रा ने “हां” में सर हिलाया होगा। मुझे साफ़ दिखाई दिया, अंकल ने चित्रा के चूतड़ों को हल्का सा छुआ। चित्रा ने अपने चूतड़ों को अंकल के मुंह से ऊपर उठा लिया। फिर अंकल ने दुबारा चित्रा से कुछ कहा और चित्रा ने ‘हां’ में सर हिलाया।
अंकल लेटे रहे। अंकल का लंड झंडे के डंडे की तरह सीधा खड़ा था। चित्रा घूम कर अंकल के लंड के ऊपर आयी। एक हाथ से चित्रा ने अंकल का लंड पकड़ा और चूत के छेद पर रक्खा और लंड पर बैठ गयी। चित्रा ने पूरा लंड अंदर ले लिया था। चित्रा घुटनों के बल अंकल के लंड पर बैठी थी। चित्रा ने अपने हाथ अंकल की छाती पर रख दिए और लंड पर ऊपर नीचे होने लगी। चित्रा को मजा आने लग गया। आआह अंकल आआह पूरा अंदर जा रहा है अंकल बड़ा मजा आ रहा है बोल रही थी। ये चुदाई देख कर मुझे किम की याद आ गयी।
तभी चित्रा की उठक-बैठक ने रफ़्तार पकड़ ली। चित्रा आह आआआह कर रही थी। दस बारह मिनट ये चला और अंकल ने चित्रा की कमर पकड़ ली और चूतड़ ऊपर-नीचे करने शुरू कर दिए।
अंकल जोर-जोर से बोल रहे थे, “चित्रा अब मजा आएगा, मुझे रोकना मत चित्रा, आआह चित्रा आआआह चित्रा तेरी चूत आआह चित्रा निकलने वाला है मेरा। तेरी फुद्दी में चित्रा आआआह आआआह ले चित्रा” और अंकल ने जोर-जोर से दो-तीन बार चूतड़ ऊपर नीचे किये। लग रहा था अंकल का लंड पानी छोड़ गया था।
चित्रा ऊपर आंखें बंद करके बैठी थी। और आआह अंकल आआआह अंकल आआआह अंकल कर रही थी। अंकल का गर्म पानी चित्रा की चूत में गिर रहा होगा, उसी का मजा आ रहा होगा चित्रा को, जो आअह अंकल आह अंकल बोल रही थी। अंकल ढीले हो कर लेट गए। चित्रा पांच मिनट ऐसे ही लंड पर बैठी रही। फिर चित्रा थोड़ा ऊपर उठी। अंकल का लंड चित्र की चूत से बाहर निकल गया। चित्रा अंकल के ऊपर से उतरी नहीं। चित्रा बस थोड़ा सा ऊपर हुई, ऐसा लग रहा था चित्रा कुछ जोर लगा रही थी।
असल में चित्रा अंकल के लंड का पानी अपनी चूत में से निकाल रही थी। चित्रा की चूत में से बूंद-बूंद करके अंकल के लंड का पानी चूत से निकल कर अंकल के लंड पर गिर रहा था। दो-तीन मिनट में जब चित्र को लगा होगा सारा पानी चूत में से निकल चुका था, तो चित्रा उठी और अंकल का लंड चूसने चाटने लगी। चित्रा ने जुबान से सारा पानी चाट लिया, और अंकल के पास ही लेट गयी।
पहली बार मुझे लगा, ये क्या हो गया है चित्रा को। कैसे-कैसे काम कर रही है चित्रा? चूत में से निकला अंकल का लेसदार पानी अंकल के लंड पर से चाट रही है? इतनी चुदाई की प्यासी हो गयी है ये चित्रा? मैंने घड़ी देखी। ये चुदाई चलते डेढ़ घंटे से ऊपर हो चुका था। ख़ास बात ये थी कि अंकल बस एक बार ही झड़े थे। मैं सोच रहा था कि शायद चुदाई खत्म हो चुकी थी। अगर ऐसा है तो चित्रा उठ क्यों नहीं रही?
तभी चित्रा ने लेटे अंकल का लंड फिर पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी। क्या चित्रा फिर अंकल का लंड खड़ा कर रही थी? लंड थोड़ा बड़ा होने लगा। अंकल उठे और चित्रा के ऊपर आ कर चित्रा की चूचियां चूसने लगे। अंकल का लंड चित्रा के हाथ में ही था। जल्दी ही अंकल घुटनों के बल बैठे तो मैंने देखा अंकल का लंड पूरा खड़ा हो चुका था।
— चुदाई की पिक्चर का मध्यांतर
चित्रा सीधी लेटी हुए थी। अंकल उठे और पास पड़ा तकिया उठा कर चित्रा के चूतड़ों के नीचे रख दिया। चित्रा की चूत ऊपर उठ गयी। अंकल लंड चित्रा के चूत में डालने के तैयारी में थे।
मतलब चुदाई की पिक्चर अभी बाकी थी।
ये सोच-सोच कर कि तो अब एक चुदाई और होने वाली है, अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था। मेरा लंड चित्रा की पहली चुदाई के टाइम से ही खड़ा था। मेरा लंड और मेरी टांगें दोनों दुःख रहे थी। मैं अपने कमरे में चला गया और बिस्तर पर लेट कर चित्रा और अंकल की चुदाई के बारे में सोचने लगा।
ना नींद आ नहीं रह थी, ना लंड बैठ रहा था। चित्रा की चुदाई ही आंखों के आगे घूम रही थी। चित्रा तो पारुल और तबस्सुम से भी बढ़-चढ़ कर चुदाई करवा रही थी। मुट्ठ मैं मारना नहीं चाहता था। क्या पता चित्रा अंकल से चुदाई करवा के मुझसे चुदाई करवाने आ जाये।
बार-बार यही ख्याल मेरे दिमाग घूम रहा था कि अब युग अगर चित्रा को चोदने भी लग जाए तब भी चित्रा अंकल से चुदे बिना रह पाएगी? जैसी हरकतें और जैसी चुदाई अंकल चित्रा की कर रहे थे, ऐसी हरकतें और ऐसी चुदाई हर एक के बस में नहीं हो सकती थी, कम से कम युग जैसे गांडू के बस में तो नहीं।
— चित्रा अंकल से चुदाई के बाद आयी राज के पास।
इन्हीं ख्यालों में ही पौना घंटा एक घंटा निकल गया। तभी अचानक कमरे की लाइट जली। देखा तो चित्रा अपने कपड़े उठाए नंगी खड़ी थी। चित्रा आ कर मेरे पास बैठ गयी और, “राज, देखी मेरी चुदाई? ऐसी होती है अंकल के साथ मेरी चुदाई?”
मेरे खड़े लंड पर नजर पड़ते ही चित्रा बोली, ” और ये क्या है? तेरा लंड तब से खड़ा ही है?” ये कह कर चित्रा मेरे पास ही बैठ गयी और मेरा लंड पकड़ कर मुंह में ले लिया।
चित्रा के पूछने पर, “राज, देखी मेरी चुदाई”, मैंने कहा, “पूरी तो नहीं देखी। जब अंकल तुम्हें बिस्तर पर लिटा कर तुम्हारे चूतड़ों के नीचे तकिया लगा लंड तुम्हारी चूत में डालने को तैयार थे तब मैं आ गया था। मेरी टांगें और लंड दोनों दुखने लग गए थे।”
चित्रा ने लंड मुंह में से निकाला और हंस कर बोली, ” इसके बाद एक चुदाई और हुई थी, चूत के साथ साथ गांड में भी लंड का टोपा डालने वाली। उसमें अंकल ने मेरा दो बार पानी छुड़ा कर अपने लंड का पानी मेरी गांड में छुड़ाया था।” फिर चित्रा उठते हुए बोली, “मैं जरा बाथ रूम से गांड और चूत धो कर आती हूं। अंकल के लंड के पानी के कारण चिप-चिप कर रही है। पता नहीं कितना लेसदार पानी भरा पड़ा है दोनों में।” ये कह कर चित्रा बाथरूम चली गयी।
वापस आयी और आ कर मेरे साथ ही लेट गयी। फिर मेरा लंड हाथ दुबारा में ले लिया। मैंने चित्रा से कहा, “चित्रा अंकल तो बहुत मस्त चुदाई करते हैं तुम्हारी। और इतनी ज्यादा चूमा चाटी? ऐसे चूतड़ चाटना, चूतड़ चटवाना। मेरा मतलब खास कर तुम्हारा अंकल के चूतड़ चाटना, और जैसे अंकल तुम्हारे चूतड़ों में अपनी जुबान घुसेड़ते हैं? मुझे तो ये कुछ अजीब सा लग रहा था। ये सब तुम्हारी मर्जी से होता है?”
मैंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “आदमी औरत की चूतड़ चाटे, ये समझ में आता है। औरत की चूतड़ चिकने होते है मुलायम होते हैं, मगर औरत मर्द के चूतड़ चाटे? इसमें तो वैसे ही बड़ी हिम्मत और बेशर्मी की जरूरत होती है करने के लिए। पति-पत्नी में तो चलो अलग बात होती है। उनमें कोइ पर्दा होता ही नहीं। पर चित्रा यहां कुछ भी कह लो तुम्हारे और अंकल के रिश्ते वैसे तो नहीं ही हैं। मेरा मतलब हैं।”
मैंने बात अधूरी ही छोड़ दी। चित्रा कुछ सेकंड चुप रही और फिर बोली, “राज तुम बिल्कुल सही कह रहे हो। पहली बात तो ये है कि अगर युग ठीक होता और मेरी चुदाई ढंग से कर पाता तो मेरी तो अंकल के साथ भी चुदाई नहीं होनी ही थी। या फिर अगर तुम यहां होते, तो भी शायद अंकल के साथ मेरी चुदाई ना होती, तुम्हारे साथ होती।”
फिर चित्रा कुछ रुकी और बोली, “तुम्हें क्या लगता है चाची ने कैसे अंकल को मेरी चुदाई के लिए तैयार किया होगा? अपने ही बेटे की नई बियाही बीवी को चोदने के लिए बेटे के बाप को तैयार करना? इतना आसान तो नहीं रहा होगा चाची के लिए ये सब करना। और फिर भी चाची को ये सब करना पड़ा। क्यों? क्योंकि दो घरों की इज्जत दांव पर लग चुकी थी, युग की एक गंडूपने की आदत की वजह से।”
— चित्रा का चाची से किया हुआ वादा
चित्रा बता रही थी, “जिस दिन चाची ने पहले बार मुझे अंकल के पास जाने को बोला था तो चाची ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर कहा था, “चित्रा, देस तुम्हारी चुदाई के लिए बिल्कुल भी मान नहीं रहा था। कह रहा था ये गलत है, पाप है, ये नहीं हो सकता। मेरे बहुत समझाने पर, डाक्टर मालिनी से हुई बात बताने पर देस माना। जब बात चुदाई तक पहुंच ही गयी तो मैंने देस से एक वादा लिया।”
“मैंने चाची से पूछा, “कैसा वादा चाची?”
चाची बोली, “यही की तुम्हारी चुदाई के वक़्त वो भूल जाएगा कि वो अपने ही बेटे युग की नयी नवेली पत्नी को चोद रहा है, बल्कि ऐसे चोदेगा जैसे वो अपनी बीवी को चोद रहा है, जैसे एक रंडी को चोद रहा है, पूरी बेशर्मी के साथ। चुदाई के दौरान हर वो काम करेगा जो मर्द और औरत चुदाई के वक़्त करते हैं या कर सकते हैं, जिससे तुम्हें चुदाई का पूरा मजा आये।”
“उस वक़्त मेरे मुंह से बस इतना ही निकला था, “चाची? ये सब मेरे लिए करना पड़ रहा है आपको?”
“चाची बोली, “तुम्हारे लिए, युग के लिए, और दो घरों के भविष्य के लिए, जिनकी इज्जत मेरी वजह से दांव पर लग गयी है।” फिर चाची कुछ रुक कर बोली, “चित्रा तुझे भी मुझसे एक वादा करना पड़ेगा।”
“मैंने कहा, “मुझे चाची? मुझे क्या वादा करना है चाची?”
“चाची बोली, “यही कि तुझे भी ये कुछ देर के लिए ये बात भूलनी होगी कि तेरे साथ चुदाई करने वाले के साथ तेरा क्या रिश्ता है और इस रात को अपनी सुहागरात समझ कर भी देस का पूरा साथ देना होगा। पूरी बेशर्मी के साथ चुदाई करवानी होगी ये भूल कर कि वो तेरे पति युग के पापा हैं। हो सकता है तुझे कुछ ऐसा भी करना पड़े, जो तूने कभी सोचा भी नहीं होगा कि तुझे चुदाई के दौरान करना पड़ सकता है।”
“मैं हैरान थी कि ऐसा भी क्या करना पड़ सकता है मुझे अंकल से चुदाई के दौरान। चुदाई तो चुदाई ही होती है। अंकल से करवाओ या युग से। मैंने चाची से पूछा, “चाची आपकी ये बात मेरी समझ में नहीं आयी, मुझे ऐसा क्या करना पड़ सकता है? चुदाई तो चुदाई ही होती है, किसी से भी हो।”
“चाची तो मुझसे नजरें ही नहीं मिला पा रही थी। सर झुकाये नीचे की तरफ देखते हुए चाची बोली, “चित्रा मुझे वो सब नहीं पता। मैं वो सब नहीं कह सकती। बस मैं इतना ही कह सकती हूं, तू जब अंदर जाए तो जैसे श-जैसे देस करता जाए तू भी वैसे वैसे करती जाना। जल्दी तुझे सब समझ आ जायेगा।” मैं हैरान थी और सोच रही थी कि एक गांडू युग की एक आदत के कारण बात कहां तक जा पहुंची है।
मैंने बस इतना ही कहा, “चाची ठीक है, मैं वादा करती हूं, भी अंकल का पूरा साथ दूंगी।” “तब तक मैं यही समझ रही थी कि मैं आदर कमरे में जाऊंगी, अंकल मेरे कपड़े उतार कर लिटा देंगे और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर एक बार या हद हुई तो दो बार मेरी चुदाई करेंगे, खुद का पानी छुड़ाएंगे और साथ मेरी चूत का पानी छुड़ाएंगे और बस हो गयी मेरी सुहागरात। ज्यादा से ज्यादा मुझे चुदाई के वक़्त अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने होंगे।”
चित्रा कुछ रुक कर बोली, “चार घंटे मेरी चुदाई होगी, वो भी इस तरह, ये तो मैंने भी नहीं सोचा था।” और चाची के कहने का मतलब तो मुझे अंकल के साथ उन चार घंटों के बाद समझ आया।”
“चूतड़ चाटना, चूतड़ चटवाना। मुंह में निकलवाना। फिर मुठ मारते हुए, लंड का पानी चाटना, चूतड़ों में अपनी जुबान घुसेड़ना था, ये था चाची के कहने का मतलब?”
चित्रा बोली, “राज वैसे एक तरीके से तो अंकल मुझे चोद कर मुझ पर एहसान ही कर रहे हैं। एक नई ब्याहता लड़की को तो कम से कम एक साल रोज चुदाई चाहिए होती है वो भी ऐसी ज़बरदस्त चुदाई जिसमे चूत से झाग निकल जाए। इतनी चुदाई हो कि चूत फूल जाए। अंकल ने भी चुदाई के दौरान यही कोशिश की और मैंने भी चुदाई में पूरा साथ दिया।”
[email protected]
अगला भाग पढ़े:- अजब गांडू की गजब कहानी-23