पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-15
असलम के खड़े मोटे लंड ने डाक्टर मालिनी अवस्थी को मस्त कर दिया था। मालिनी की चूत में बाढ़ आयी हुई थी। मालिनी असलम से चुदाई करवाने के लिए मरी जा रही थी। असलम से चुदाई का पूरा मजा लेने के लिए मालिनी ने असलम को वियाग्रा की गोली खाने के लिए दे दी। जल्दी ही वियाग्रा ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया, और असलम का लंड सख्त खूंटा बन गया।
मैंने असलम का लंड मुंह में ले लिया, और चूसने लगी। वियाग्रा अपना असर दिखाने लगी थी। असलम पर चुदाई का पागलपन सवार हो चुका था। असलम ने मेरा सर पकड़ा कर मेरे मुंह में ही लंड के धक्के लगाने लगा। असलम के मोटे लंड से मेरा दम घुट रहा था। मगर मेरी चूत और गांड दोनों में झनझनाहट हो रही थी।
कुछ देर यही करने के बाद असलम ने लंड मेरे मुंह में से निकाल लिया। मैंने असलम की तरफ देखा। असलम की आंखें विआग्रा के असर और चुदाई के खयाल से गुलाबी हो गयी थी।
असलम मेरे सामने खड़ा हो कर बोला, “चलिए मैडम उल्टी हो कर बेड के किनारे पर लेट जाईये और अपने मुलायम चूतड़ मेरी तरफ कर दीजिये। पहले मुझे आपकी गांड चोदनी है। आज तो आपकी ऐसी गांड रगड़ाई करूंगा, कि आप कभी भूलेंगी नहीं।”
मुझे क्या एतराज होना था। असलम को विआग्रा मैंने खिलाई ही इस लिए थी कि आज मैं असलम का लंड आगे-पीछे सब जगह लेना चाहती थी।
मैंने कह दिया, “ठीक है असलम, मैं क्रीम लाती हूं।”
क्रीम उसी कमरे में रखे मेज की दराज पड़ी थी। मैंने क्रीम के टयूब असलम के हाथ में दी और बोली, “ले असलम मेरी गांड और चूत अब तेरे हवाले हैं। जैसे मर्जी चुदाई करो।”
साथ ही मैं अपना रबड़ का लंड भी ले आयी। जब असलम मेरी गांड चोद रहा होगा, तब मैं ये लंड अपनी चूत में डाल कर चूत में चुदाई का मजा लूंगी। ये पहली बार नहीं हो रहा था। मैं हमेशा ही ऐसे ही करती हूं। जब भी मैं गांड चुदवाती हूं, अपना ये रबड़ का लंड अपनी चूत में डाल लेती हूं।
जब सब तैयारी हो गयी, तो मैं उल्टी हो कर बेड के किनारे पर लेट गयी।
असलम रबड़ के लंड को देख कर बोला, “मैडम इसको तो आज रहने ही दो। गांड चुदाई से जब आपका मन भर जाये तो आप मुझे जरा सा बोल देना। फिर पीछे से ही लंड आपकी चूत में डाल दूंगा।”
मैंने कहा, “असलम ये रबड़ का लंड तो गांड चुदाई का दौरान मैं चूत में डालूंगी। असली चूत चुदाई तो तुम ही करोगे।”
मेरा इतना बोलते ही अपनी उंगली मेरी चूत में घुसेड़ दी।
असलम अपना खड़ा लंड मेरे चूतड़ों पर इधर-उधर लगा रहा था, और साथ ही बोलता जा रहा था, “क्या मस्त चूतड़ हैं आपके मैडम, बिल्कुल मेरी अम्मी के चूतड़ों की तरह चिकने और मुलायम।”
मेरे चूतड़ और चूत देख कर चुदाई के ख्याल से असलम के लंड से चिकना-चिकना पानी निकलने लग गया था। असलम जब अपना लंड मेरे चूतड़ों पर फेर रहा था, तो असलम के लंड का चिकना पानी मेरे चूतड़ों फ़ैल रहा था, और मुझे चूतड़ों पर ठंडा-ठंडा सा लग रहा था।
जैसे औरत की चूत चुदाई से पहले चिकना लेसदार पानी छोड़ती है, ऐसे ही मर्द लंड में से भी चुदाई से पहले लेसदार चिकना पानी निकलता है। फर्क सिर्फ इतना होता है कि लंड में से ये पानी बहुत कम मात्रा में से निकलता है, और दूसरा फर्क ये होता है। जहां औरत की चूत का पानी हल्का सा नमकीन होता है, लंड में से निकला पानी खट्टा और ज्यादा नमकीन होता है।
मैंने सर मोड़ कर असलम की तरफ देखा और उसकी “क्या मस्त चूतड़ हैं आपके मैडम, बिल्कुल मेरी अम्मी के चूतड़ों की तरह” वाली बात पर मुस्कुरा दी और कहा, “तो फिर देर किस बात की असलम, चोदो जैसे मस्त अपनी अम्मी को चोदते हो। आज दिखाओ अपने इस घोड़े जैसे लंड का दम – गांड में भी और चूत में भी।”
असलम बोला, ” मैडम आप बस देखते रहिये कैसी मस्त चुदाई होने वाली है आज आपकी। आप एक बार मेरे लंड की हालत देखिये। फटने वाला है ये। आज लगता है ये लौड़ा आपकी इस टाइट गांड को फुला कर ही मानेगा।”
असलम की ऐसे सेक्सी बातें मुझे मस्त कर रही थी। मेरी चूत फर्रर्र फर्रर्र पानी छोड़ रही थी। गांड का छेद झनझना रहा था। मन कर रहा था अब तो बस डाल ही दे असलम अपना लौड़ा मेरी गांड में।
असलम ने मेरे चूतड़ खोले और नीचे बैठ कर गांड का छेद चाटने लगा। मेरे मुंह से सिसकारी निकली “आअह असलम क्या कर रहे हो, बड़ा मजा आ रहा है।”
कुछ देर गांड का छेद चाटने के बाद असलम खड़ा हुआ और अपने लंड पर जैल लगा ली। फिर असलम ने उंगली से जैल मेरी गांड के छेद के ऊपर और गांड के छेद के अंदर भी लगा दी।
असलम ने पहले चार-पांच बार एक जैल क्रीम से सनी एक उंगली मेरी गांड के अंदर डाली, और फिर दो उंगलियां मेरी गांड में डाल दी। मजे के मारे मेरे मुंह से निकला, “आआआह असलम मजा आ गया।”
नसरीन ने बताया ही था, उसकी गांड चुदाई के दौरान भी असलम यही कुछ किया करता था।
एक बार गांड का छेद अच्छी तरह चिकना करने के बाद असलम ने लंड गांड के छेद पर रक्खा, और धीरे-धीरे करके पहले लंड का सुपाड़ा और फिर आधा लंड मेरी गांड के अंदर तक बिठा दिया।
आधा लंड गांड मैं बिठाने के बाद असलम रुक गया, और वही लंड को इधर-उधर, अंदर-बाहर करने लगा।
कुछ रुकने के बाद असलम ने लंड फिर से बाहर निकाल दिया, और फिर से जैल गांड के अंदर-बाहर और लंड पर लगाई। जिस तरीके से असलम जैल लगा रहा था, और जैसे उंगली घुमाते हुए गांड में डाली थी, साफ़ पता चल रहा था कि असलम गांड चोदने का उस्ताद है।
नसरीन ठीक ही कह रही थी असलम के बारे में। गांड चुदाई का खूब तजुर्बा था असलम को। और वैसे भी आगरा के गांडू तो वैसे ही मशहूर हैं। पक्की बात है लड़कियों की नहीं तो लड़कों की खूब गांड चोदता रहा होगा असलम।
एक गांड ही तो है जो लड़कों और लड़कियों की एक जैसी होती है। फर्क सिर्फ इतना होता है, जहां लड़कियों के चूतड़ चिकने और मुलायम होते हैं, वहीं लड़कों के चूतड़ खुरदरे होते हैं और चूतड़ों पर बाल होते हैं।
चूतड़ उठाये हुए मैं मन ही मन सोच रही अच्छा है आज बढ़िया चुदाई करेगा ये जवान लड़का असलम। वैसे भी बड़े दिन हो गए थे ना ढंग से चूत चुदी थी ना गांड।
कुछ देर असलम आधा लंड ही अंदर बाहर करता रहा और फिर असलम ने लंड गांड के छेद पर रक्खा, और मेरी कमर पकड़ ली।
मैंने भी बहुत गांड चुदवाई थी। जैसे ही असलम गांड का छेद मुलायम करके आधा लंड गांड में डालने के बाद रुका, और जैसे उसने मुझे कमर से पकड़ा, मैं समझ गयी अब असलम मुर्गी हलाल करने वाला था।
मैं सर बाहों में ले लिया, और इंतजार करने लगी कि कब और कैसे असलम लंड गांड के अंदर डालेगा।
तभी असलम ने एक जोरदार झटका लगाया, और पूरा लंड गांड के अंदर डाल दिया। मेरे मुंह से मजे के सिसकारी निकली “आआह असलम क्या झटका देके अंदर डाला है, मजा आ गया। फिर एक बार ऐसे ही कर।”
असलम ने फिर से पूरा लंड बाहर निकाला और एक झटके से फिर से अंदर डाल दिया। असलम ने मुझे मेरी कमर से तो पकड़ा ही हुआ था। असलम जब झटके से लंड अंदर डालता था, साथ ही मुझे कमर पीछे की तरफ खींच लेता था। असलम के लटकते हुए टट्टे मेरी चूत पर ठप्प की आवाज के साथ टकराते थे।
दस-बारह बार ऐसे ही करने के बाद असलम ने मस्त गांड चुदाई चालू कर दी। बिना रुके दस मिनट जो असलम ने गांड में धक्के लगाए, उनसे मेरी तसल्ली हो गयी।
इधर असलम का लंड मेरी गांड के अंदर था, उधर नीचे से हाथ करके मैंने अपनी चूत में में रबड़ का सात इंची लंड लेकर बटन दबा कर मैंने लंड का वाईब्रेटर चालू कर दिया।
उधर गांड की रगड़ाई, इधर रबड़ के लंड की वाइब्रेशन, जल्दी ही मेरी चूत पानी छोड़ गयी।
असलम की गांड चुदाई चालू थी। एकाएक असलम के धक्के तेज हो गए और एक जोरदार आवाज “अअअअअह आअह मैडम आआह आआह आपकी गांड आआह, गया मेरा लौड़ा आअह मैडम आपकी गांड के अंदर, यह लो मैडम और लो आआह, अअअअअह आअह मैडम क्या गांड है, क्या चूतड़ हैं आआह आअह मालिनी जी आअह आपकी गांड आआह गांड आआह मजा आ गया। मैडम लो निकला आपकी गांड में ये लीजिये।
असलम की सिसकारियों से लग रहा था कि असलम का लंड पानी छोड़ने वाला था। मगर ऐसा नहीं था। विआग्रा का असर कम से कम पौना घंटा एक घंटा, या उससे भी ज्यादा रहने वाला था।
टाइट गांड की धुआंधार लगातार वाली चुदाई रगड़ाई ने असलम को थका दिया।
उधर मुझे भी याद नहीं आ रहा था इतने ज़बरदस्त तरीके से ऐसे कभी मेरी गांड भी चुदी हो।
गांड में कुछ और लम्बे-लम्बे धक्के लगाने के बाद असलम बोला, “मैडम अब आपकी चूत में डालता हूं। आपकी गांड के टाइट छेद की रगड़ाई से तो मेरा लंड ही दुखने लग गया है।”
असलम की बात सुन कर मैंने रबड़ का लंड अपनी चूत से बाहर निकाल लिया, और चूतड़ थोड़े और उठा दिए, जिससे मेरी चूत का छेद असलम के लंड के सामने आ जाये। थोड़ी देर तो असलम लंड गांड में डाले हुए ऐसे ही खड़ा रहा जैसे दम ले रहा हो, और फिर लंड चूत में डाल कर चुदाई करने लगा।
चूत चुदाई में भी विआग्रा का असर साफ़ पता चल रहा था। चूत के अंदर असलम के लंड की सख्ती साफ़-साफ़ महसूस हो रही थी।
आधा घंटा चुदाई करने के बाद असलम रुका और बोला, “ये क्या हो रहा है मैडम, ना लंड की सख्ती कम हो रही है ना लंड पानी छोड़ रहा है। उल्टा मेरा लंड तो थोड़ा थोड़ा दर्द करने लग गया है। मैडम आपका मजा निकला या नहीं?”
मुझे तो पता नहीं कितनी बार मजा आ चुका था। मैंने कहा, “असलम मेरी बात छोड़ो, मुझे मजा नहीं मजे ही मजे आ रहे हैं। पता नहीं कितनी बार मेरे चूत पानी छोड़ चुकी है। तुम थोड़ा आराम कर लो, अभी तुम्हारा लंड ढीला पड़ने वाला नहीं। अभी तो इतनी ही चुदाई और कर सकता है। यही तो खासियत है इस विआग्रा की।”
मैंने असलम से कहा, “असलम मुझे बड़ी जोर का पेशाब लग रहा है, में बाथरूम जा कर पेशाब करके आती हूं। फिर ऐसा ही गांड चुदाई और चूत चुदाई का एक दौर और चलाते हैं।” ये बोल कर में बाथरूम चली गयी।
में बाथरूम से वापस आयी तो मैंने असलम को लंड पकड़ कर मुट्ठ मारते हुए देखा और बोली, “असलम ये क्या कर रहे हो? मेरी गांड और चूत तो अभी भी तैयार हैं, मुझे बोलो कहां डालना है।”
असलम बोला, “वो बात नहीं मैडम, ये तो मैं ऐसी ही कर रहा था। लंड खड़ा था और आपकी गांड चुदाई का ध्यान आ गया, और रुका ही नहीं गया।”
इतना बोल कर असलम खड़ा हो गया और बोला, “चलिए मैडम सीधी लेट जाईये और चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर चूत उठा दीजिये। अब चूत ही चोदूंगा, गांड चोदने का अब दम नहीं है।”
मैंने भी देर नहीं की और जाकर बिस्तर पर लेट गयी। चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर मैंने अपनी टांगें उठा कर फैला ली, और असलम से कहा, “आजा असलम ये देख मेरे चूत बुला रही है तेरे मोटे लौड़े को।”
असलम खड़े सख्त लंड के साथ आया और बिना एक सेकंड गंवाए लंड को सीधा मेरी चूत पर रक्खा और झटके के साथ लंड अंदर डाल दिया। अगले ही पल असलम ने मुझे बाहों में जकड़ लिया और चुदाई चालू कर दी।
विआग्रा का असर और जवानी का जोश, असलम चुदाई करते करते खूब सिसकारियां ले रहा था, “आआह मैडम मजा आ गया आज तो आपको चोदने का। क्या चूत है। क्या गांड है। क्या मस्त चुदाई करवाती हैं आप आआह आज की रगड़ाई तो याद रहेगी आआह, मैडम चोद-चोद कर फुला दूंगा आज आपकी चूत।”
फिर जो असलम ने चुदाई की वो यादगार चुदाई थी। मेरे से आधी उम्र का लड़का, ऊपर से कलाई जितना मोटा लौड़ा। जवान असलम के मोटे लम्बे लंड से हुई वो चुदाई सच में ही कभी ना भूलने वाली चुदाई थी।
बीस-पच्चीस मिनट चली इस चुदाई में मुझे दो बार मजा आ गया मगर असलम के लंड का पानी फिर भी नहीं निकला।
असलम अभी भी धक्के लगा रहा था। मेरी जवानी में कभी मेरी ऐसी चुदाई नहीं हुई होगी। बस मुझे इतना पता है हम दोनों के मुंह से सिसकारियां निकल रही थी उन्ह उन्ह उन्ह आअह आअह क्या चुदाई है। इसी जबरदस्त चुदाई में हम दोनों का पानी निकल गया।
ठीक ही बोला था असलम, “मैडम चोद चोद कर फुला दूंगा आज आपकी चूत।” असलम ने जिस तरह की चुदाई की थी, उसने फुला ही दी होगी मेरी चूत।
असलम ने लंड मेरी चूत से बाहर निकाला, और मेरे पास ही लेट गया। असलम के लंड का पानी निकल चुका था, मगर असलम का लंड अभी भी खड़ा ही था।
पैंतालीस मिनट पचास मिनट चली इस चुदाई ने असलम को थका दिया था। थक तो मैं भी चुकी थी। अब और चुदाई करवाने का मुंझ में भी दम नहीं था।
उधर असलम का लंड ढीला ही नहीं हो रहा था। तभी असलम ने अपना लंड पकड़ा और मुट्ठ मारने लगा। ये देख कर मैं समझ गयी की झड़ने की बाद असलम का लंड खड़ा ही था। अब असलम को एक बार और मजा आने वाल हो गया है।
मैं उठी और उलटा हो कर असलम के ऊपर लेट गयी। मेरी चूत असलम के मुंह पर थी, और मैं असलम का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी। असलम का मजा अटका ही हुआ था। अचानक से असलम ने मेरा सर पकड़ कर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। साथ-साथ ही असलम जोर से चूतड़ हिलाने लगा। तभी अचानक असलम ने एक ऊंची आवाज की सिसकारी ली, “आआआह मालिनी मैडम निकल गया, आआआह आ गया मजा ये आया असली मजा” और साथ ही मेरा मुंह अपने लंड के गर्म पानी से भर दिया।
असलम के लंड से इतना पानी निकला कि मेरी अब तक की जिंदगी में लंड का इतना पानी मुंह में निकला हो, मुझे याद नहीं पड़ता।
मैंने असलम के लंड से निकले गरम लेसदार पानी की एक एक बूंद निगल ली, और थकी हुई असलम के साथ ही लेट गयी।
जब असलम का मजा उतरा तो वो बोला, “मैडम आज की चुदाई सारी उम्र याद रहेगी। ये वियाग्रा गोली तो बड़ी करामाती चीज है।”
मेरे मुंह से भी निकल गया, “आज की चुदाई तो मैं भी भूलने वाली नहीं। वैसे असलम तुम्हारा लंड है भी बड़ा मस्त और तुम चोदते भी बड़ा मस्त हो, और ऊपर से वियग्रा का कमाल। नसरीन तुम्हारी चुदाई के बारे में ठीक ही बोल रही थी।”
कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद असलम उठा और बाथरूम जा कर फारिग होकर आया और कपड़े पहन कर क्लिनिक में चला गया। मैं भी उठी, साड़ी पहनी, और मुंह धो कर मेकअप ठीक करके क्लिनिक में चली गयी।
मैंने घंटी बजा कर प्रभा को बुलाया और दो कप चाय लाने के लिए बोल दिया।
मैंने असलम से पूछा, “असलम तुम्हारा लंड और तुम्हारी चुदाई दोनों मस्त हैं। अपनी अम्मी की भी एसी ही जोरदार चुदाई करते हो?”
असलम ने मेरी इस बात का कोइ जवाब नहीं दिया।
प्रभा चाय ले कर आ गयी। मैंने कहा, “असलम काम शुरू करें? मैं तुम्हारी अम्मी की टेप वहीं से चलाती हूं जहां पर रोकी थी।
मैंने टेप थोड़ी सी रिवाइंड की, और अपने हाथ में पकड़े रिमोट से चालू कर दी।
इसमें नसरीन और असलम की चुदाई और नसरीन का असलम को शादी के लिए मनाने वाली बातें ही थी। टेप खत्म हो गयी और मैंने टेप रिकार्डर बंद कर दिया।
उस दिन का काम खत्म हो चुका था।
असलम चुप-चाप बैठा हुआ था।
अब मुझे बस असलम को समझाना था और शादी के बारे में उसके ख्याल बदलने की कोशिश करनी थी।
अगला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-17