पड़ोस की भाभी संग रंगरलियां-2

पिछला भाग पढ़े:- पड़ोस की भाभी संग रंगरलियां-1

10 मिनट बाद मैंने उनसे कहा: अब तुम चोदो।

तो मैं बेड पर लेट गया, और वो मेरे लंड पर अपनी चूत सेट करके बैठ गई, और अपनी कमर हिलाने लगी। जैसे ही मुझे लगता कि मैं झड़ने वाला था, मैं कुछ देर का ब्रेक ले लेता, और उन्हें रुकने को बोल देता। इस पोजीशन में भी लगभग हमें चुदाई करते हुए 7-8 मिनट हो गए थे, और वो कहने लगी-

भाभी: अब मुझसे नहीं होगा, मैं झड़ने वाली हूं।

तो फिर से मैंने उन्हें नीचे किया, और जोर-जोर से अपना लंड उनकी चूत में पेलने लगा। इससे वो 10-15 शॉट में ही झड़ गई, और उनकी चूत से गर्म पानी रिसने लगा। तो मेरा लंड भी गर्मी और चिकनेपन के कारण ज्यादा देर टिक नहीं पाया, और मैं भी 8-10 बार में ही झड़ गया।

अब तक हम दोनों दो-दो बार झड़ चुके थे। पर मेरा मन नहीं भरा था। तो हम दोनों ने कुछ देर आराम करने की सोची। पर जब इतना जबरदस्त माल बगल में नंगा पड़ा हो, तो आराम करने का मन कहा करता है। इसी बीच आयशा डार्लिंग ने कहा कि उसको प्यास लगी थी। मैंने पास में रखा पानी का एक गिलास उन्हें पकड़ा दिया, और साथ में मिठाई भी खिलाई जो मैं 1 दिन पहले ही लाया था।

इससे उन्हें कुछ आराम मिला और मैं कुर्सी पर बैठ कर उनके जिस्म को निहारने लगा। मैं सोच रहा था कितना मस्त माल था। इतने दिनों से पता नहीं कहां छुपा था, अब जाकर मिला है। इतने में ही मेरी नज़र उनकी कसी हुई मोटी गांड पर पड़ी, जिसे देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया, और मेरा लंड फिर से आकार लेने लगा। मैंने देखा वो आंखे बंद करके लेटी हुई थी।

मैंने सोचा इस बार इनकी गांड मारता हूं। मैं फिर कुर्सी से उठा,‌ और बेड पर फिर से उनके ऊपर लेट कर उनके कान के पास चूमने लगा। इससे वो एक-दम सिहर गई (मैंने इसी वेबसाइट पर किसी कहानी में पढ़ा था कि कान के पास हर किसी को बहुत गुदगुदी होती है)।

वो फिर से सिसकारी भरने लगी। इस आह हाय आह, और उनकी सांसे तेज हो गई। मैंने एक बार उनके होठों को चूमा, और दांत से पकड़ कर खींचा। मैंने उनकी दोनों चूचियों को जो बहुत टाइट हो गई थी, पकड़ कर एक साथ मिलाया, और बीच की दरार में अपना लंड डाल कर उनकी चूचियों को चोदने लगा।

मेरा लंड उनकी चूचियों के बीच से होकर उनके मुंह के पास जा रहा था,‌‌ जिसे देख कर हम दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था। कुछ देर उनकी चूचियों को चोदने के बाद मैं अपना लंड उनके मुंह में डाल कर उनका मुंह चोदने लगा। मैं उनके मुंह पर बैठा था और उनके मुंह से गों-गों की आवाज़ आ रही थी।

कुछ ही देर में उसने मुझे धकेल दिया, और खुद मुझे लिटा कर मेरे मुंह पर बैठ गई। जिसका साफ-साफ मतलब था अब तू मेरी चूत चूस साले।

मैं उसे गालियां देकर चोदना चाहता था, पर गलियां तो धीरे-धीरे निकालने में मजा नहीं था, और तेज हम बोल नहीं सकते थे। क्योंकि बाकी लोगों के जागने का डर था। तो मैं उसकी चूत चाटने लगा, और वो मादरचोद मेरे मुंह पर ही कूदने लगी, जिससे मुझे सांस लेने में परेशानी होने लगी।

फिर मैंने उसे नीचे उतरने को कहा, और मैंने बगल में मेज पर रखी वैसलीन उठा कर अपने लंड पर लगाई, जो कि उसके चूसने की वजह से पहले ही बहुत गीला था। फिर बहुत सारी वैसलिन निकाल कर उसकी गांड पर लगाने लगा, तो उसने कहा-

भाभी: मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई है। बहुत दर्द होगा, रहने दो।

तो मैंने कहा: मादरचोद मैं तुझे पूरा वर्जिन मिला हूं। तू मुझे अपनी वर्जिन गांड भी नहीं दे सकती?

बहुत देर ना-नुकुर करने के बाद मैंने आखिर उसे उसकी गांड मरवाने के लिए मना ही लिया। फिर मैंने उसकी गांड में वैसलिन लगा कर अपनी दो उंगलियां उसकी गांड में डाली, तो कहने लगी आराम से बाबू।

जब भी वो मुझे बाबू कहती, मुझे उस पर बहुत प्यार आने लगता।

मैं अपनी दोनों उंगलियां अंदर-बाहर करने लगा। इससे उसकी गांड कुछ ढीली, और चिकनी हो गई। फिर मैं अपना लंड जो बहुत देर से खड़ा था, उसकी गांड पर रगड़ने लगा। उसने फिर से सिरकारियां लेना शुरू कर दिया। मैंने इशारा किया तो उसने अपने मुंह में कपड़ा डाल लिया।

फिर मैंने मौका देख कर अपना लंड उसकी गांड के छेद पर जो काफी चिकना हो गया था डालने लगा, तो वो फिसल गया। मैंने फिर से कोशिश की, पर फिर से सफलता हाथ नहीं लगी। इस बार मैंने उसकी गांड पर थूक कर लंड सेट किया, और जोर से झटका लगाया।

इस बार मेरा टोपा उसकी गांड में फस गया। मेरा लंड भी दर्द करने लगा, पर शुरुआत कर दी थी, तो पीछे हटना ठीक नहीं समझा। थोड़ा आराम करके मैं उसकी चूचियों को पीने लगा।

जैसे ही मुझे सहज महसूस हुआ, मैंने फिर से झटका लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी गांड में उतर चुका था, और आयशा की आंखे फिर भर आई। मैंने फिर से उसकी चूचियां पी और फिर 1 मिनट रूकने के बाद उसकी गांड में अपना गर्म लंड आगे-पीछे करने लगा।

जैसे ही उसकी गांड में मेरा लंड आराम से आने-जाने लगा, मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा। फिर मैंने उसे बेड से नीचे जमीन पर खड़ा किया, और बेड पर हाथ रखवाए। उसके बाद मैं पीछे से उसकी गांड में अपना लंड डाल कर उसकी गांड मारने लगा

करीब दस मिनट गांड मारने के बाद मैं फिर से उसकी चूत में अपना लंड डाल कर चोदने लगा। वो बर्बर आवाजें निकाल रही थी। मुझे डर था कि कही कोई आ ना जाए, तो मैं उसकी चूत चोदने के साथ साथ ये भी ध्यान दे रहा था कि किसी का दरवाजा खुलने की आवाज़ तो नहीं आ रही है।

इतने में ही वो एक बार और झड़ गई तो मैंने उसकी चूत से अपना लंड निकाल कर उसको जमीन पर बिठा दिया। फिर उसके मुंह में लंड डाल कर उसको चोदने लगा। कुछ ही देर में मैं भी झड़ गया। इतनी ताबड़-तोड़ चुदाई के बाद दोनों थक गए थे। तो हम दोनों बिस्तर पर गिर पड़े। कुछ ही देर में मुझे नींद आने लगी।

तभी अचानक मुझे उसे यहां से भेजने का विचार आया। तो मैंने उसे कपड़े पहनने को कहा। उसने एक-एक करके कपड़े पहन लिए। मैंने एक टी-शर्ट पहन ली और नीचे एक तौलिया लपेट लिया। हम दोनों एक-दूसरे को फिर से चूमने चाटने लगे। वो मुझे ऐसे चूम रही थी जैसे मैं उसका वो प्यार हूं जो वर्षो बाद उसे मिला हूं ।

कुछ देर बाद उसने जाने को कहा तो मैंने पूछा: मजा आया की नहीं?

तो उसने कहा: इतना मजा आज तक कभी नहीं आया।

मेरे पति ने भी मुझे कभी ऐसा सुख नही दिया है। तुमने आज मुझे जन्नत की सैर करा दी है। बहुत मजा आया है। जल्दी ही फिर से कार्यक्रम होगा।

मैंने भी हामी भर दी। अब वो जाने लगी तो मैं उसे नीचे गेट तक छोड़ने गया, और वहां भी जाते समय उसने मुझे फिर से बहुत चूमा और मैंने भी उसे। फिर वो चली गई। फिर जब भी हमें मौका मिलता हम दोनों चुदाई करने लगे। आगे फिर एक नई कहानी में बताऊंगा कि कैसे मैंने उसकी बहन की चुदाई भी की, और दोनों को एक साथ भी चोदा, जब पूरे होस्टल में कोई नहीं था।

कहानी आपको कैसी लगी जरूर बताएं। तब तक के लिए धन्यवाद। नमस्कार।