एक बेटी की दास्तां-3

पिछला भाग पढ़े:- एक बेटी की दास्तां-2

मां की xxx चुदाई कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, कि ट्यूशन वाले अंकल मां को चोदे जा रहे थे, और उनको देख कर मैं तेज़-तेज़ अपनी चूत में उंगली कर रही थी। अब आगे बढ़ते है-

अंकल घपा-घप मां को चोदे जा रहे थे। मां जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी।

मां: आह आह आह ओह मां मर गई आह। कितना तेज़ चोद रहे हो, आह उफ़ आ आ आ आ आ आह। चोदो और तेज, जितनी तेज कर सकते हो। फाड़ दो मेरी चूत। मेरे पति का छोटा है तेरे सामने। मुझे वो मजा नहीं देता। इसीलिए तो तुझसे चुदवाने का प्लान बनाया था। अब जोर-जोर से मार मेरी चूत।

इधर मैं भी उंगली करते झड़ गई थी, पर फिर भी उंगली किए जा रही थी। अंदर का सीन और उनकी बातें सुन कर मुझे बहुत जोश चढ़ रह था। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि संस्कारी दिखने वाली मेरी मां के अंदर इतनी वासना भरी है।

तभी मां की चीखें निकल लगी और वो आह आह गई गई गई और तेज करते हुए झड़ गई। उनका पानी उनकी जांघो से बह रहा था। अंकल घचा-घच चोदे जा रहे थे। कमरे में फच-फच की आवाज़ आ रही थी। मां निढाल पड़ी अपनी चूत चुदवाए जा रही थी। ये देख कर मेरा दूसरी बार पानी निकल गया, और मेरी पेंटी और लोवर गीले हो गए।

अंकल भी अब जोर-जोर से झटके देकर चिल्लाने लगे: आह आह ओह मेरा निकलने वाला है। जल्दी से मुंह में लो।

तब मां बोली: नहीं, अब तुम अंदर ही डालना। मुझे तुम्हारा बच्चा चाहिए। अब से हर बार तुम मेरे अंदर ही अपना बीज डालोगे, जब तक मेरे पेट में तुम्हारा बच्चा ना आ जाए।

ये सुनते ही अंकल ने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी, और लगभग 30 मिनट की घमासान चुदाई के बाद अपना माल मां की चूत में भर दिया। माल की आखिरी बूंद चूत में निकाल कर अंकल मां के ऊपर लेट गए। अंकल मां के ऊपर लेटे-लेटे धीरे-धीरे हिल रहे थे, और मां के होंठो को चूस और काटते हुए मां के दूध दबा रहे थे। मां कसमसा रही थी। एक हाथ से अंकल के बालों से खेल रही थी। दूसरे हाथ से अंकल की गांड सहला रही थी।

मां अंकल से कह रही थी: जान मजा आ गया, क्या गजब चुदाई करते हो। पूरा बदन कांप जाता है।

अंकल: तू और तेरी चूत है ही इतनी कमाल। जिस दिन से देखा है तुझे, तब से तेरा दीवाना हूं। कितना भी चोदूं तुझे लेकिन दिल नहीं भरता।

मां: हां वो तो मुझे पता चल रहा है। तुम्हारा लंड फिर मेरी चूत फाड़ने खड़ा हो रहा है चूत के अंदर ही।

अंकल: हां जान, चल फिर से लेले मुंह में और तैयार कर इसे।

मां: अब खड़ा करके क्या करोगे? मेरी चूत थक गई है। अब नहीं बर्दाश्त कर पाऊंगी इसे अंदर।

तब अंकल बोले: अब तेरी चूत मारनी भी नहीं है।

अंकल के चहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी, जिसे शायद मां नहीं समझ पा रही थी

मां: मतलब? फिर लंड खड़ा करके हाथ से हिलाओगे क्या?

अंकल: तू खड़ा तो कर। आज तेरा उद्घाटन करना है मुझे।

मां: मैं समझी नहीं।

अंकल: अभी समझ जाएगी। मुंह में तो लो पहले।

अंकल ने अपना आधा खड़ा लंड मां की चूत से निकाला तो पक की आवाज से लंड बाहर निकला, जिससे मां की चूत का रस और अंकल का गाढ़ा पानी टपक रहा था। अंकल ने लंड मां के मुंह में घुसा दिया। मां बड़े चाव से लंड चाट कर चूसने लगी। 2 मिनट में लंड पूरे शबाब पर आ गया।

अंकल: चल जल्दी से घोड़ी बन जा।

मां: क्यों? अभी पीछे से ही तो चूत फाड़ी है मेरी।

अंकल ने उनका कोई जवाब नहीं दिया, और खुद ही मां को पलट कर उल्टा कर दिया। मां कुछ समझ पाती, उससे पहले अंकल ने मां को बेड के किनारे खींचा, और पैर मोड़ दिए, और लंड उनकी गांड के छेद पर टिका दिया। मां एक-दम हड़बड़ा गई।

मां: नहीं नहीं नहीं मेरी गांड नहीं। प्लीज गांड नहीं।

अंकल ने इन पर ध्यान ना दिया, और एक झटके में 6 इंच लौड़ा अंदर कर दिया। मां की गांड फट गई। गांड से खून निकलने लगा। मां बेहोश सी होने लगी। अंकल वैसे ही उनके ऊपर लेट गए और उनकी चूची मसलने लगे। मां को कुछ हल्का महसूस हुआ।

मां: बहुत कमीने हो। एक तो मेरी कुंवारी गांड, तुम्हारा इतना बड़ा लंड, और तुमने एक बार में पूरा डाल दिया। मेरी जान ही निकल गई।

अंकल: अरे मेरी जान, अभी तो थोड़ा बाकी है। एक बार और बर्दाश्त कर ले, फिर मजे ही मजे है।

मां: अभी और है? नहीं, नहीं। अब नहीं ले पाऊंगी। मर जाऊंगी मैं।

अंकल ने एक दम से पूरा लंड अंदर कर दिया और जोर-जोर झटके देना शुरू कर दिया। मां चिल्लाए जा रही थी। आंसू बह रहे थे। पर अंकल दना-दन गांड मारने में लगे हुए थे। थोड़ी देर में मां को भी मजा आने लगा और वो घोड़ी बन गई और अपनी गांड चौड़ी कर ली। अब दोनों एक दूसरे का साथ दे रहे थे। अंकल ताबड़तोड़ झटके दे रहे थे। मां सब कुछ भूल गई थी कि बाहर उनके बच्चे थे। वो जोर-जोर से चिल्लाए जा रही थी।

मां: आ आ आ आ आह आह आह उह उह मां, मारो, और तेज़, और तेज़।

मां चिल्लाए जा रही थी। अंकल चोदे जा रहे थे। 20 मिनट में मां ने 2 बार पानी छोड़ दिया। अंकल का भी काम होने वाला था। उन्होंने एक दम से लंड गांड से निकाला और चूत में एक-दम घुसा दिया। एक-दम से हुए इस हमले से मां संभल नहीं पाई, और बिस्तर पर गिर गई। अंकल ने करीब 25-30 जोर के झटके मारे, और पूरा पानी चूत में भर दिया, और पड़े रहे मां के ऊपर।

मैं तुरंत वहां से निकल कर अपने रूम में गई और बाथरूम में जा कर अपनी चूत साफ की, और पेंटी लोअर चेंज करके पढ़ने बैठ गई। थोड़ी देर में अंकल रूम से बाहर आए और उनके पीछे मां भी बाहर आई। मैंने गौर किया तो मां गाउन में बाहर आई थी। फिर अंकल ने हमें पढ़ाया और फिर वो घर चले गए।

वरुण मैं इतने दिनो से अंदर ही अंदर घुट रही थी। समझ नहीं आ रहा था क्या करूं, किस्से कहूं? फिर मैंने तुम्हें बताना ही ठीक समझा, क्योंकि मुझे पता है तुम्हीं मुझे समझ सकते हो।

दोस्तों, उसने मुझे जिस तरह ये बात बताई, मेरा लंड खड़ा हो चुका था। और वो बताते हुए बार-बार पेंट पर नोटिस कर रही थी। उसकी बात जब खत्म हुई तब तो 8:30 बजे चुके थे, और लगभग सभी लोग जा चुके थे, और कुछ लाइट्स भी ऑफ हो रही थी। फिर निधि ने अचानक से मेरे लंड पर हाथ रख दिया।

इसके बाद क्या हुआ दोस्तों, ये मैं फिर किसी कहानी में आपको बताऊंगा। तब तक के लिए बाए। मां की चुदाई की इस कहानी पर अपनी फीडबैक जरूर दीजिएगा।