कॉलेज टाइम के कांड-1

नमस्कार दोस्तों, मैं प्रितंका गुप्ता आपके लिए नई हिंदी सेक्स कहानी लेके आई हूं। उम्मीद है मेरी पिछली कहानियों की तरह इस कहानी को भी आप उतना ही प्यार देंगे।

कहानी शुरू करने से पहले मैं ज़रा अपने बारे में बता दूं। मैं पंजाब के लुधियाना शहर में रहती हूं, और मेरी उमर 23 साल है और फिगर 34-29-36, है। रंग मेरा गोरा है, और मेरी लेने के लिए लड़कों के मुंह से लार टपकती है। लेकिन मैं इतनी आसानी से किसी के हाथ नहीं आती। अब मैं सीधे कहानी पर आती हूं।

ये कहानी तब की है, जब मैं नई-नई कॉलेज में हुई थी। उस वक्त भी मैं इतनी ही खूबसूरत थी, बस मेरा साइज हर जगह से 2-2 इंच छोटा था। मैं ज्यादातर जींस और टीशर्ट ही पहनती थी, लेकिन कभी-कभी लेगिंग्स सूट भी पहन लेती थी। ऐसे टाइट कपड़ों में मेरा फिगर उभर कर दिखता था, और मुझे ऐसे अपने जिस्म की नुमाइश करने में मजा आता था।

अभी कुछ ही दिन हुए थे मुझे कॉलेज जाते, कि एक दिन मैंने कुछ ऐसा देख लिया, जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी। चलिए बताती हूं क्या देखा मैंने।

हमारा इंग्लिश का लेक्चर आखिरी होता था, और इंग्लिश के प्रोफेसर हमें काफी नोट्स बनवाते थे। उस दिन भी सर ने काफी मटेरियल बोर्ड पर लिख दिया, जिसको हमे लिखना था अपनी नोटबुक्स पर। मेरा बीच में पेन खत्म हो गया, तो मुझे थोड़ा टाइम लग गया। अभी मैं लिख ही रही थी, की छुट्टी की बेल बज गई।

मेरी सहेलियों ने सब नोट कर लिया था, इसलिए मैंने उनको जाने को कहा। मैंने कहा कि मैं काम खत्म करे बगैर नहीं जाऊंगी। फिर वो सब चली गई। बाकी पूरी क्लास भी खाली हो गई। अब मैं क्लास में अकेली बैठी नोट्स बना रही थी। मुझे तकरीबन 15 मिनट लगे अपना काम खत्म करने में। फिर मैंने जल्दी से अपनी किताबें पैक करी, और क्लास से बाहर आ गई।

मैं कॉरिडोर से होती हुई कॉलेज के गेट की तरफ जा रही थी, कि तभी मुझे रास्ते में पड़ते एक क्लासरूम से किसी लड़की की आहें भरने की आवाज आई। वो आवाज सुन कर मेरे बढ़ते कदम अपने आप रुक गए, और मेरे मन में सवाल आया कि ये किसकी आवाज थी?

फिर मैंने क्लासरूम की खिड़की से अंदर झांक कर देखा, तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। हमारे गणित के प्रोफेसर अंदर हमारी ही क्लास की समीक्षा को चोद रहे थे। ये देख कर मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। लेकिन ये सच में हो रहा था।

आगे बढ़ने से पहले मैं आपको प्रोफेसर और समीक्षा के बारे में बता देती हूं। गणित के प्रोफेसर का नाम अतुल था। वो 29-30 साल के होंगे उस वक्त। और अभी उनकी शादी नहीं हुई थी। दिखने में वो अच्छे-खासे और खूबसूरत नौजवान थे, और क्लास की बहुत सी लड़कियां उन पर मरती थी। उनको पसंद करने वाली लड़कियों की लिस्ट में मैं भी शामिल थी।

समीक्षा हमारी क्लास की टॉपर लड़की थी। उसका रंग गोरा था, और शरीर थोड़ा भारी था। वो पजामी सूट ही पहनती थी हमेशा, और उसकी आंखों पर चश्मा लगा रहता था। वो सबसे अच्छे से बात करती थी, और हम उसको मजाक में पढ़ाकू चश्मिश बुलाते थे। लेकिन ये समझ नहीं आ रहा था कि समीक्षा और अतुल सर दोनों ऐसे कैसे कर सकते थे?

अब चुदाई के हाल पर वापस आते है। समीक्षा एक स्टूडेंट डेस्क पर लेटी हुई थी, और उसकी पजामी और पैंटी साइड में जमीन पर गिरे नजर आ रहे थे। थोड़ा और आगे सर की पैंट पड़ी थी। समीक्षा ने अपनी गोरी जांघें सिर की कमर पर लपेट रखी थी। सर का लंड समीक्षा की चूत में था, और सर उसकी चूत में धक्के लगा रहे थे। वो बोल रहे थे-

अतुल: साली रंडी, बहन की लौड़ी, छिनाल, कुटिया, चूत चुदवा कर अपने नंबर बढ़वाती है, और क्लास में टॉपर बनी फिरती है।

समीक्षा: सर ये तो बस आप लोगों की मेहरबानी है मुझ पर आह आह। वरना मैं आह छिनाल किस काम की हूं। अपने मोटे लंड से चोदिए मुझे सर आह। निकाल दीजिए अपना माल मेरी चूत में आह।

अतुल: जरा ये कपड़े तो निकाल हरामजादी, तेरे चूचे चूसने का मजा लेना चाहता हूं।

ये बोल कर सर ने समीक्षा का शर्ट उतारना शुरू किया। समीक्षा ने भी अपनी दोनों बाजुएं उठा कर सर को शर्ट उतारने में मदद की। अब समीक्षा सिर्फ ब्रा में थी, और उसके चूचे ब्रा में कसे हुए काफी कामुक लग रहे थे। आप तो जानते ही होंगे दोस्तों, जो लड़कियां शरीर से भारी होती है, उनके चूचे ब्रा में पूरे कसे हुए होते है, और उनकी जबरदस्त सेक्सी क्लीवेज बनती है। और लड़के और मर्द तो वैसे ही क्लीवेज देखने के दीवाने होते है।

फिर सर समीक्षा की गर्दन चूमने लगे, और उसकी क्लीवेज में मुंह डाल कर चाटने लगें समीक्षा अपना हाथ सर के बालों में डाल कर उनके सर को अपने चूचों में दबा रही थी। उनको ये सब करते देख मेरी पैंटी भी गीली हो रही थी। फिर सर ने समीक्षा की ब्रा को खींच कर उसके चूचों से नीचे किया, और उसके निप्पलों को एक-एक करके चूसने लगे। फिर वो बोले-

अतुल: आह रंडी, क्या मस्त स्वाद है तेरे चूचों का। मजा ही आ जाता है तेरे चूचे चूस कर आह।

समीक्षा: आह ये तो सर आह आपके लिए ही है। जितना चाहे पी लो मेरे इन चूचों को सर। ये मेरी तरफ से आपके लिए गुरुदक्षिणा है सर। खा जाओ अपनी इस रंडी को।

कुछ देर उसी पोजीशन में चुदाई करने के बाद सर ने अपना लंड समीक्षा की चूत से निकाला, और उसको डेस्क से उतार कर खड़ा कर लिया। समीक्षा पूरी नंगी थी, उसके चूचे लाल हुए पड़े थे, बदन पर जगह-जगह काटने के निशान थे। बाल बिखरे पड़े थे। उसकी चूत से निकला हुआ पानी उसकी जांघों पर बहता हुआ साफ दिखाई दे रहा था। फिर सर ने अपनी भी शर्ट उतार दी, और पूरे नंगे हो गए।

इसके आगे क्या हुआ, वो आपको इस कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक की कहानी ने आपका लंड खड़ा कर दिया हो, तो फीडबैक pritankagupta3@gmail.com पर दें।