दादी माँ की मनोहर कहानियां-1

नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सब?

ये कहानी लॉकडाउन में घटी एक सच्ची घटना है। 2020 में मैं बैंगलोर की एक छोटी सी कंपनी में काम करता था। जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा, तो शुरू के कुछ महीने तो मुझे पूरी तनख्वा मिली, और मैं खुद को काफी खुशकिस्मत मान रहा था। लेकिन जब परिस्थिति और बिगड़ी, मेरे कंपनी में से काफी लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया।

परिस्थिति ऐसी थी कि कहीं और नौकरी मिलना भी असंभव सा ही था। एक महीने तो किसी तरह बैंगलोर में ही निकले, लेकिन अब पैसे की दिक्कत महसूस होने लगी। मैंने घर पर बात कर के निर्णय लिया कि अपने घर, अपने प्रदेश वापस जाकर माता-पिता के साथ रहूं, और जब परिस्थिति ठीक हो, तो वापस आने का सोचूंगा।

जिस दिन मेरी पटना के लिए फ्लाइट थी, उसी दिन मेरे पिता जी का फ़ोन आया कि वो और माँ, दोनों कोरोना पॉजिटिव थे, और हमारा मोहल्ला कन्टेनमेंट ज़ोन बना दिया गया था। उन्होंने मुझे कहा कि मैं एयरपोर्ट पर उतर कर जहानाबाद के लिए निकल जाऊं अपनी दादी के पास। पटना से जहानाबाद 50 किलोमीटर दूर है। और मेरा गांव वहां से और 10 किलोमीटर अंदर है।

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