रजनी की चुदाई उसी के जुबानी-12 – करनाल में क्रांति

करनाल में पहला दिन

थक कर हम तीनो एक ही बेड लेट गयी। लेटे लेटे भी हम एक दूसरी कि गांड और चूत सहलाती रही।

ऐसे ही शाम हो गयी।

दीपक आ चुका था, सरोज का देवर राकेश भी आ गया था। हमे नमस्ते करने आया। मैं और रजनी तो उसे देख कर हैरान ही रह गयी। लम्बा चौड़ा, बिलकुल खिलाड़ी लग रहा था। मेरा तो मन आया की मैं ही इससे गांड मरवा लूं। फिर सोचा की नंबर तो मेरा भी आएगा ही। आज दीपक का मोटे टोपे वाला लंड लेती हूँ। रजनी कह रही थी चूत और गांड के अंदर बाहर होते हुए स्वर्ग की अनुभूति होती है। रजनी तो राकेश को देख कर मस्त थी। सोच रही होगी, “ये चोदेगा आज मुझे ” ? उसके चेहरे पर बड़ी ही तसल्ली के भाव थे।

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