पिछला भाग पढ़े:- भाभी से हुआ प्यार-1
भाभी की चुदाई कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी भाभी को अपने प्यार का इजहार कर दिया। लेकिन वो गुस्से में बिना कुछ बोले चली गई। अब आगे-
मेरे मन में यहीं डर था कि कहीं वह भैया को या मम्मी को बता ना दे। इसी डर के कारण मेरी और भाभी की एक-दो दिन बात भी नहीं हुई। वो जहां भी होती थी, मैं वहां से दूर चला जाता था। लेकिन दोस्तों 2-3 दिन के बाद मैं रूम में अकेला था, और भाभी मेरे पास आई। उन्होंने कहा क्या मैंने उस दिन जो भी बोला वह सच था?
भाभी: क्या तुम सच में मुझे प्यार करते हो?
मुझमें ऐसा क्या है, जो तुम मुझे इतना प्यार करते हो? तुम्हें तो कोई भी गर्लफ्रेंड मिल सकती है। मैं शादी-शुदा औरत हूं।
मैं उठा, भाभी का हाथ पकड़ा, और मैंने भाभी को कहा: भाभी मुझे सिर्फ आप चाहिए, और कोई नहीं। मुझे सिर्फ आप पसंद हो।
और बात करते-करते मेरी आंखों में पानी आ गया। शायद भाभी को मेरी आंखों में उनके लिए प्यार दिखाई दिया।
फिर उन्होंने कहा: अगर किसी को पता चल गया तो हम मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।
लेकिन मैंने उन्हें बहुत समझाया, और आखिरकार भाभी मान गई। फिर उन्होंने मुझे किस किया मेरे गाल पर, और मैंने भी भाभी को उसके गाल पर एक किस किया। यह मेरा जिंदगी का पहला किस था, जो मेरी भाभी ने मेरे साथ किया। उस दिन के बाद मैं और भाभी धीरे-धीरे खुलने लग गए। एक दूसरे से बात करने लगे ज्यादा। वह मेरा बहुत ख्याल करने लग गई, भैया से भी ज्यादा।
एक दिन उन्होंने मुझे बोला: समीर तुम मुझे पागल करोगे।
क्योंकि भाभी को मुझसे इतना प्यार हो गया था कि रात को भैया के साथ चुदाई करते-करते अब वह मुझे सोचने लगी थी। यह सब बातें वो मुझे रोज बताते थी कि अब वह चुदाई के टाइम मेरे को सोच-सोच कर भैया से सेक्स करती थी। धीरे-धीरे उसको भी मुझे पाना था, और मुझे भी। लेकिन दोस्तों हमें मौका नहीं मिल रहा था।
एक दिन सभी घरवाले बाहर गए हुए थे किसी की शादी में। उस दिन मुझे और भाभी को पूरा मौका मिल गया, और घर वालों के जाते ही भाभी जल्दी से नहा कर, और अच्छी तरह तैयार होकर काम करने लगी। उस दिन भाभी कुछ ज्यादा ही तैयार लग रही थी। मैं भाभी के पास गया, और भाभी को किस करने लगा।
भाभी ने कहा: रुको, अभी मुझे काम है। खाना बनाना है। बाद में करेंगे। अभी हमारे पास काफी टाइम है।
लेकिन दोस्तों मेरा लंड था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। फिर मैं घुटनों पर बैठ गया, और भाभी की साड़ी को ऊपर करने लग गया। भाभी मुझे रोक रही थी,
लेकिन मैं रुक नहीं रहा था, और धीरे-धीरे मैं भाभी की पूरी साड़ी के अंदर घुस गया। भाभी ने ब्लू पैंटी पहन रखी थी। मैंने उसकी पेंटी को निकाला, और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूत पर अपनी जीभ लगा दी, और उसकी चूत को चाटने लग गया।
धीरे-धीरे मैं उसकी चूत पर चारों तरफ से अपनी जीभ घुमाने लग गया, और शायद भाभी को भी मजा आने लगा। फिर भाभी ने अपने पैर खोल दिए और मैंने उसकी पेंटी को पूरा नीचे करके उसके पैरों को अलग कर दिया। फिर मैं भाभी के पैरों के बीच में आकर उसकी चूत चाटने लगा। मैंने उसकी चूत के अंदर जीभ लगा दी, और अपनी जीभ को उसकी चूत के अंदर-बाहर करने लग गया। मैं पीछे हाथ करके उसकी गांड को दबाने लगा।
भाभी ने शायद पहली बार अपनी चूत चुसवाई थी। वह भी रसोई में, जिसे सोच कर शायद भाभी ज्यादा गर्म हो रही थी। उनकी चूत ने जल्दी पानी छोड़ दिया, और मैं उसकी चूत का सारा पानी पी गया। अब मैंने भाभी का हाथ आपने खड़े 9 इंच के लंड पर रख दिया, जिसे देख कर वह डर गई।
उन्होंने कहा: यह क्या? यह तो बहुत बड़ा है! तुम्हारे भैया का तो इससे छोटा है।
यह तो मेरी चूत फाड़ देगा। मैं यह नहीं ले सकती। यह मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा।
लेकिन दोस्तों मैंने भाभी को बहुत समझाया, और घुटनों पर बिठाया। फिर लंड उसके मुंह में डाल दिया, जिसे वह बार-बार मना कर रही थी। लेकिन मैंने कसम दे रखा थी। फिर उन्होंने लंड को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। धीरे-धीरे भाभी पूरा लंड चूसने लगी, और मैंने उनके बालों को खोल दिया। मैं उनके मुंह पर जोर-जोर से लंड मार रहा था, और भाभी भी लंड को रंडी की तरह चूस रही थी।
भाभी को देख कर लग रहा था कि शायद उन्हें लंड चूसना पसंद था। लेकिन वह बड़ा होने के कारण डर रही थी। अब भाभी ने मेरे लंड का सारा पानी निकाल कर पी लिया। फिर मैंने भाभी को उठाया, और हम एक-दूसरे को किस करने लगे। फिर मैंने भाभी को अपनी गोद में उठाया, और रूम में ले गया।
वहां पर मैंने भाभी को बेड पर लिटा दिया। अब मैं भाभी के ऊपर आ गया, और भाभी के लिप्स को अपने लिप्स पर टच किया, और किस करने लग गया। मैंने पहले भाभी का ऊपर वाला होंठ जोर-जोर से चूसा। फिर नीचे वाले को चूसा, और फिर अपनी जीभ भाभी के मुंह में डाल दी। भाभी मेरी जीभ को चूसने लग गई और धीरे-धीरे भाभी अपनी जीभ मेरे मुंह में डालने लगी।
अब अंदर-अंदर दोनों की जीभों का खेल चल रहा था। अब मैं आहिस्ता-आहिस्ता नीचे आने लग गया, और भाभी की साड़ी खोलने लग गया। मैंने साड़ी को उनके शरीर से अलग कर दिया, जिसमें भाभी ने भी मेरा पूरा साथ दिया, और मैं भाभी के ब्लाउज के ऊपर से चूची दबाने लगा और चूसने लगा, जिससे भाभी को बहुत मजा आ रहा था।
धीरे-धीरे मैं भाभी का ब्लाउज भी उतार दिया और किस करता-करता नीचे चला गया। अब मैं भाभी का पेट चाटने लग गया। अब मैं भाभी की नाभि के अंदर जीभ घुमा रहा था, जिससे भाभी को बहुत मजा आ रहा था। भाभी मछली की तरह मचल रही थी। फिर मैंने एक हाथ से भाभी की पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, और पेटीकोट निकाल कर उसे भाभी से अलग कर दिया।
अब मैं पेंटी के ऊपर से भाभी की चूत पर अपनी जीभ चलाने लगा, और उनकी चूत को चूसने लगा। काफी गीली थी उनकी चूत क्योंकि उसने पानी छोड़ दिया था। मैं आहिस्ता-आहिस्ता उनकी पेंटी निकाल दिया, और उनकी ब्रा भी अलग कर दिया।
अब भाभी मेरे सामने एक-दम नंगी लेटी हुई थी। जिस भाभी से मैं इतना प्यार करता था। अपना बनाने की कोशिश कर रहा था। आज वह भाभी मेरे सामने एक-दम नंगी मेरे पास लेटी हुई थी।
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में। भाभी की चुदाई की ये कहानी आपको कैसी लगी, जरूर बताएं।
अगला भाग पढ़े:- भाभी से हुआ प्यार-3