पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-18
बातों-बातों में जब नसरीन ने डाक्टर मालिनी से फीस की बात की, तो मालिनी ने असलम के साथ हुई मस्त चुदाई के ख्यालों में बोल दिया कि फीस तो असलम दे चुका है। मालिनी की इस बात पर नसरीन हैरान हो गयी, और असलम परेशान हो गया। लेकिन डाक्टर मालिनी ने बात संभाल ली और बोली, कि असलम का शादी के लिए हां करना ही उसकी फीस है।
मैंने भी सोचा, ये मैं क्या बोल गयी। मैंने फ़ौरन बात संभालते हुए कहा, “मेरा मतलब है नसरीन, असलम की शादी के लिए हां करना ही मेरी फीस है।”
असलम को मेरी इस बात से बड़ी तसल्ली हुई। दो चार मिनट के बाद ही असलम और नसरीन दोनों वापस जाने कि लिए बाहर चले गये। अगले ही मिनट असलम वापस आ गया।
मैंने पूछा, “क्या हुआ असलम? कुछ भूल गया क्या?”
असलम कुछ हिचकिचाते हुए बोला, “मैडम आपकी वो फीस वाली बात ने तो एक मिनट कि लिए मुझे परेशानी में डाल दिया था।”
मैंने भी कहा, “असलम तुमने मेरी चुदाई ही ऐसी मस्त की थी, कि अनजाने में मेरे मुंह से वो निकल गया। तो क्या यही बताने तुम वापस आये हो?”
असलम जल्दी-जल्दी में बोला, “नहीं-नहीं मैडम ये बताने नहीं आया।”
फिर असलम नीचे कि तरफ देखता हुआ बोला, “मैडम वो वाली गोली पड़ी है आपके पास, जो आपने मुझे खिलाई थी चुदाई करवाने से पहले?”
मैंने पूछा, “वियाग्रा की बात कर रहे हो? असलम तुमने वियाग्रा का क्या करना है?”
तभी मुझे कुछ ख्याल सा आया और मैंने असलम से पूछा, “क्या बात है असलम, अपनी अम्मी के लिए चाहिए? क्या नसरीन को चोदना है वियाग्रा खा कर?
असलम नजरे झुका कर बोला, “जी मैडम।”
असलम आगे बोला, “मैडम असल बात ये है कि कल मैंने यहां से वापस जा कर अम्मी को बताया कि मैं शादी के लिए तैयार हूं तो अम्मी बेतहाशा खुश हो गयी और ख़ुशी के मारे मुझे बाहों में ले लिया।”
“अब मैडम आपको तो मालूम ही है मेरे और अम्मी के बीच किस तरह का रिश्ता बन चुका है। जैसे ही अम्मी ने मुझे बाहों में लिया तो अम्मी के खड़े सख्त मम्मे मेरी छाती पर दबने लगे। मेरा लंड बिल्कुल अम्मी कि चूत के सामने था। मेरा लंड खड़ा हो गया।”
“मैडम मेरा खड़ा लंड जैसे ही अम्मी की चूत पर लगा अम्मी ने पेंट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और कुछ देर ऐसे ही मुझे बाहों में लेकर मेरा लंड पकड़े खड़ी रही।”
“मैडम मेरा लंड एक-दम कड़क हो गया और मैंने पीछे हाथ करके अम्मी के चूतड़ दबाने शुरू कर दिए। हम दोनों ही मस्ती में आ गए।
मैं अम्मी से बोला, “अम्मी करना है?”
अम्मी भी बोली, “हां असलम मन तो कर रहा है, चलो।”
फिर अम्मी ने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख दिए और बोली, “असलम आज मैं बहुत खुश हूं। आज मेरी ऐसी चुदाई कर जो यादगार चुदाई बन जाए।”
“तभी मुझे अपनी और आपकी चुदाई का ध्यान आ गया, और साथ ही ध्यान आ गया उस जमुनी, बैंगनी रंग की गोली का जो चुदाई से पहले आपने मुझे दी थी और जिसके खाने बाद मेरा लंड ढीला ही नहीं हो रहा था।”
“उस वक़्त तो मैंने ऐसे ही अम्मी को चोद दिया मगर तभी मैंने सोच लिया था कि आज रात अम्मी की इस तरह चुदाई करूंगा जैसे आपकी की थी।”
“अब मैडम आज मैं अम्मी को ऐसे चोदना चाहता हूं कि आज की चुदाई सचमुच ही यादगार चुदाई बन जाए। उसके बाद अब वापस आगरा जा कर अम्मी को नहीं चोदूंगा। इसलिए वो गोली लेने आया हूं।”
असलम की बात सुन कर मैंने बस इतना ही कहा, “वाह असलम इतनी सी बात? रुको अभी देती हूं।”
मेरे पास तो वियग्रा का स्टॉक रहता ही है, ना जाने कब जरूरत पड़ जाए।
मैंने मेज की दराज में से वियाग्रा की चार गोलियों वाला एक पत्ता असलम के हाथ में पकड़ा दिया और बोली, “ये लो और आज मस्त यादगार वाली चुदाई करो नसरीन की।”
असलम गोलियों वाला पत्ता पकड़ते हुए बोला, मैडम चार? चार का मैं क्या करूंगा एक ही काफी है।”
“हां असलम ये चार गोलियां हैं, खानी मगर एक ही है। नहीं तो लंड की हालत ऐसे हो जाएगी, कि एम्बुलेंस बुलानी पड़ जाएगी I फिर तुम्हारे लंड का इलाज नसरीन की चूत या गांड में नहीं हस्पताल में होगा।” ये बोलते हुए मैं हंस दी।
फिर मैंने असलम से कहा, “रख लो असलम, ये तो सब कहने की बात है कि आगरा जा कर तुम्हारी और तुम्हारी अम्मी के बीच चुदाई नहीं होगी। तुम दोनों की चुदाई तो तुम्हारी शादी होने तक चलती रहेगी, हां ये हो सकता है चुदाई थोड़ी कम हो जाए।”
असलम बस मुस्कुरा दिया।
मैंने ही फिर कहा, “अब जब भी चोदना अपनी अम्मी को वियाग्रा खा कर चोदना। अब से तुम्हारी हर चुदाई यादगार चुदाई ही होने चाहिए।” ये सब बोलते हुए मेरी हंसी भी निकल गयी।
असलम ने गोलियां पकड़ी और जाने के लिए मुड़ा ही था कि मैंने कहा, “और हां असलम आगरा जाने से पहले एक बार यहां आना जरूर। यहां भी तुम्हें कुछ यादगार बनाने वाला काम करना है।” साथ ही मैंने बोल दिया, “और हां असलम आने से पहले फोन जरूर कर लेना, और ये वियाग्रा साथ लाने की जरूरत नहीं। इन्हें आगरा के लिए बचा कर रखना।”
असलम सर हिला कर जाने लगा तो मैंने फिर आवाज लगाई, “असलम एक बात और सुनो।”
असलम वापस आ गया और बोला, “जी मैडम?”
मैंने असलम के कंधे पर हाथ रख कर कहा, “असलम ये वियाग्रा इम्पोर्टेड है, यहां बहुत मंहगी मिलती है। अगर और चाहिए हों तो यहां इंडिया की बनी हुई भी ऐसी गोलियां मिलती हैं सुहाग्रा 100 या फनटाइम 100 के नाम से, वो भी इस इम्पोर्टेड वियाग्रा के चौथाई दाम में।”
असलम ने फिर हां में सर हिलाया। मैंने असलम को समझाने वाले अंदाज में कहा, “सुनो असलम अब एक सबसे जरूरी बात सुनो और गांठ बांध लो। एक तो ये वियग्रा, सुहाग्रा या फनटाइम जैसी गोलियां खा कर केवल अपनी अम्मी को ही चोदना, वो भी जब बहुत मन करे तब।”
“दूसरी बात, अपनी नयी नवेली कुंवारी बीवी को भूल कर भी ये गोलियां खा कर मत चोदना। उस उम्र की लड़की को कुदरती चुदाई ही अच्छी लगती है, ये गोलियों वाली नक़ली चुदाई नहीं। तुम्हारा लंड और तुम्हारी चुदाई वैसे ही बड़ी जबरदस्त है।”
“ये गोलियों-वोलियों के साथ तुम्हारी अम्मी नसरीन या मेरी उम्र की औरतें ही चुदाई करवाती हैं, जिनको छोटी मोटी, हल्की फुल्की चुदाई से मजा नहीं मिलता, उनकी चूत की तसल्ली नहीं होती।” ये बोलते ही मेरी जोर की हंसी छूट गयी।
असलम मेरी ज्ञान भरी बातें सुन कर मुस्कुराता हुआ सर हिलाता हुआ चला गया। अगले दो दिनों में मैं नसरीन की चुदाई की आपबीती वाली टेप दस बार सुन चुकी थी। नसरीन ने बशीर, जमाल और असलम के साथ हुई अपनी चुदाई की दास्तान इतनी बारीकी से सुनाई थी कि टेप सुनते-सुनते मुझे तो ऐसा लगता था जैसे कि बशीर जमाल और असलम नसरीन को नहीं मुझे ही चोद रहे हैं।
नसरीन के आवाज सुनते-सुनते मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उस दिन बशीर ने नसरीन की नहीं मेरी पहली चुदाई की थी। बशीर की चुदाई से मेरी चूत की सील फटी थी नसरीन की नहीं, मेरी चूत में से खून निकला था नसरीन की नहीं।
जमाल ने नसरीन की नहीं मेरी टांगें उठा कर अपने कंधों पर रखी, और आगे के तरफ हो गया। चूत नसरीन की नहीं बल्कि मेरी ऊपर उठ गयी थी। जमाल ने लंड नसरीन की नहीं मेरी चूत पर रखा और एक ही झटके से फच्च के आवाज के साथ लंड मेरी चूत में बिठा दिया।
असलम के लंड का पानी पायजामे में नसरीन के चूत के ऊपर धक्के लगाते हुए नहीं मेरी चूत ऊपर धक्के लगते हुए निकला था।
ये सब सोचते-सोचते मुझे असलम की उस दिन वाली चुदाई याद आ गयी जब असलम ने मेरी कमर पकड़ ली थी, लंड गांड के छेद पर रक्खा था और रुक गया था। मैं समझ गयी थी अब असलम मुर्गी हलाल करने वाला था। तभी असलम ने एक जोरदार झटका लगाया था, और पूरा लंड गांड के अंदर डाल कर साथ के साथ ही गांड चोदनी शुरू कर दी थी।
मुझे बार-बार ये सब याद आ रहा था। ये यादें मेरे दिमाग से निकल ही नहीं रही थी।
यादगार गांड चुदाई हुई थी मेरी। मस्त गांड चोदी थी असलम ने। अगर मैं पहले से ही गांड ना चुदवा चुकी होती तो उस दिन नसरीन की तरह असलम ने मेरी गांड भी चोद-चोद लाल कर देनी थी।
अब मुझे असलम के फोन का इंतज़ार था, वो आये और फिर से आये और अपने कलाई जैसे मोटे और आधे हाथ जितने लम्बे लंड से चोद-चोद कर मेरी चूत और गांड लाल कर दे। वैसे तो असलम जल्दी नहीं झड़ता था, मगर मैं उस दिन उससे एक लंड की प्यासी रंडी की तरह घंटों चुदाई करवाना चाहती थी। मैं खुद हैरान थी कि आखिर मुझे क्या हो गया था? चुदाई के लिए इतने बेताबी?
एक दिन बाद असलम फोन करके फिर आ गया। दोपहर ग्यारह बजे जैसे ही असलम ने कमरे में कदम रखा, उसके आते ही मेरी आंखों के आगे उसका लंड घूम गया और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और गांड में झनझनाहट मच गयी।
असलम नमस्ते करके बैठ गया और मेरी तरफ देखने लगा।
मैंने पूछा, “असलम अम्मी गयी वापस?” असलम ने जवाब दिया, “जी डाक्टर मैडम परसों ही चली गयी थी।”
मैंने पूछा, “और अब तुम्हारा क्या प्रोग्राम है?”
असलम ने कहा, “जी मैडम मेरी भी दूकान की शॉपिंग पूरी हो गयी है। मैं भी कल दोपहर की गाड़ी से जा रहा हूं।”
मैने ऐसे ही अपनी चूत खुजलाते हुए पूछा, “असलम वो गोली वियाग्रा खा कर चोदा नसरीन को? यादगार बनाई चुदाई?
असलम ने कहा, “जी हां डाक्टर मैडम, मस्त चुदाई हुई हमारी। वियाग्रा कि गोली खा कर मैंने अम्मी को चोदा। दो घंटे लगातार अम्मी की चूत और गांड की चुदाई हुई। लाल हो गयी थी अम्मी की गांड, मगर मैं ना रुका ना झड़ा यहां तक कि अम्मी ने भी मुझे चुदाई करने से मना नहीं किया। सच-मुच में ही करामती गोली है ये।”
असलम बता रहा था, “मैडम क्या बताऊं उस दिन तो अम्मी ने भी पूरा चुदाई में पूरा साथ दिया। अम्मी चीख-चीख कर, चूतड़ घुमा-घुमा कर चुदाई करवा रही थी। ऐसा लग रहा था कोइ घरेलू औरत नहीं बल्कि कोइ रंडी चुदाई करवा रही हो।”
“गोली का असर और अम्मी के चीखें और उनका नीचे से चूतड़ घुमाना। इन सब मुझे भी इतना जोश आ गया कि मैंने अपनी अम्मी को कस कर बाहों में जकड़ लिया और बांस की तरह सख्त हुए पड़े लंड के जोरदार धक्के लगाने लगा। मैंने भी अपनी अम्मी को अपनी अम्मी ना समझ कर एक रंडी की तरह चोदना शुरू कर दिया।”
“मुझे हैरानी तो इस बात पर थी कि गोली मैंने खाई थी, मगर अम्मी को क्या हो गया था, जो इस तरह से चुदाई करवा रही थी। नीचे से चूतड़ घूमते हुए अम्मी इस तरह से सिसकारियां ले रही थी कि मुझे तो डर ही लगने लगा कि साथ वाले कमरे में अम्मी की आवाज ही ना जा रही हो।”
असलम की बात सुन कर मेरी चूत पानी पानी हो गयी। मैंने असलम से कहा, “असलम आज भी वियाग्रा खा कर ही चुदाई करेंगे।”
असलम बोला, “क्या बात है डाक्टर मैडम आज फिर?”
मैंने भी कहा, “हां असलम। नसरीन की ऐसी चुदाई सुन कर मेरा भी मन वैसी ही चुदाई का होने लगा है। चीख-चीख कर, चूतड़ घुमा-घुमा कर एक रंडी की तरह चुदाई करवाने। और सुनो असलम तुम भी आज मुझे रंडी समझ कर ही चोदना।”
ये कह कर मैंने अलमारी में से जामुनी रंग की वियाग्रा निकाली और असलम को दे दी। “लो और दिखा दो आज अपने लंड का दम।”
गोली खाने के बाद आधे घंटे में वियाग्रा ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। असलम का लंड खड़ा हो गया। असल बोला, “आईये डाक्टर मैडम, चलिए आज आप कि चूत और गांड की झाग निकालता हूं।”
हम अंदर चले गए। मेरे कपड़े उतारने कि देर थी की असलम ने मुझे बेड के किनारे पर उल्टा लिटा दिया। मुझे ये ही समझ नहीं आ रहा था कि असलम गांड चोदने वाला था या चूत। मगर जैसे असलम ने जैल क्रीम नहीं मांगी थी, मुझे लगा, असलम चूत ही चोदेगा।
मगर असलम का तो कुछ और ही इरादा था। असलम ने गांड के छेद पर थूक लगाया, लंड गांड के छेद पर रखा, और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती एक ही झटके से पूरा लंड गांड के अंदर डाल दिया। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गयी और मैं चिल्लाई, “असलम साले चूतिये जैल तो लगा लेता। गांड फाड़ेगा क्या?”
मगर असलम ने नहीं सुना, और ही ही करके हंसते हुए बोला, “मैडम रंडी की गांड में ऐसे ही लंड डाला जाता है बिना क्रीम के। आज ऐसे ही सूखी ही गांड चोदूंगा आपकी – तभी तो रंडी की चुदाई की तरह की यादगार बनेगी ये चुदाई। तभी तो याद करेंगी आप इस चुदाई को।”
पौना घंटा असलम ने मेरी गांड रगड़ी। मेरी गांड दुखने लग गयी थी। मैंने ही कहा, “असलम बस कर। और दम नहीं गांड चुदवाने का बस।”
तब असलम रुका और खड़ा लंड मेरी गांड में से निकाल लिया और लेट गया। एक घंटे कि कसरत से असलम का सांस फूल रहा था।
मैं भी असलम के पास ही लेट गयी। मेरी गांड दुःख रही थी। मुझे लग रहा था कि गांड का छेद सूज गया है। पर मैं असलम को क्या बोलती। असलम को रंडी की तरह चोदने के लिए मैंने ही तो कहा था। मुझे ही शौक लगा हुआ था रंडी की तरह चुदवाने का।
पंद्रह मिनट आराम के बाद असलम का सांस ठीक हुआ और उसमें नया दम आ गया। लंड तो खड़ा ही था। असलम ने एक पलटी मारी और मेरी ऊपर आ गया। मेरी टांगें अपने कंधों पर रक्खी और आगे की तरफ हुआ। मेरी चूतड़ और चूत दोनों उठ गए।
मरे आंखों के आगे नसरीन और जमाल की चुदाई का सीन आ गया। जब जमाल ने नसरीन की टांगें उठा कर अपने कंधों पर रखी थी, और आगे की तरफ हो गया था। नसरीन की चूत ऊपर उठ गयी थी। जमाल ने लंड नसरीन की चूत पर रक्खा, और एक ही झटके से फच्च के आवाज के साथ लंड उसकी चूत में बिठा दिया था।
बिल्कुल यही असलम ने मेरी चूत के साथ किया। अगला एक घंटा मेरी चूत इतनी जोरदार तरीके से चुदी, कि मेरे मुंह से अजीबो-गरीब आवाजें निकलनी शुरू हो गयी। “आआआह आआह असलम दबा कर आआह और जोर से आआह मजा आ रहा है असलम असलम रगड़ असलम हां ऐसे ही असलम आआह आह रगड़ गांडु और रगड़ आआह घुस जा मेरी चूत में आआआह।”
असलम ने मुझे कस कर पकड़ लिया, और मेरी ऐसी चुदाई की जैसी मुझे याद नहीं कभी मेरी, मेरे जवानी के दिनों में भी हुई होगी। चौबीस साल का जवान असलम, मोटा लम्बा लंड और ऊपर से वियाग्रा। अगर मैं कहूं भुर्ता बना दिया असलम ने मेरी गांड का – और अब चूत का भुर्ता बना रहा था – तो ये सही था।
चूत भी पैंतालीस मिनट से कम क्या चुदी होगी। मेरी चूत पता नहीं कितनी बार पानी छोड़ गयी। अब तो ये हाल जो गया था मजा बंद ही नहीं हो रहा था। असलम का हर धक्का मजा दे रहा था।
मैं चुदाई करवाते-करवाते थक चुकी थी। मैंने ही असलम से कहा, “बस असलम अब और दम नहीं।” मगर असलम नहीं रुका। असलम का मजा अटका हुआ था, मगर निकल नहीं रहा था। असलम धक्के पर धक्के लगाता जा रहा था।
वियाग्रा खाने के बाद यही होता है।
मैंने फिर कहा , “असलम बस कर मेरी कमर और चूत सब दुखने लगी हैं।”
अब असलम रुका और खड़े लंड के साथ ऊपर ही लेटा रहा। कुछ देर बाद असलम ने पलटी मारी। असलम का मोटा लंड मेरी पानी से भरी चूत में से ‘बल्प’ की आवाज के साथ चूत में से बाहर निकल गया।
असलम सीधा लेटा हुआ था – उसका लंड भी बिल्कुल सीधा खड़ा था। मैं भी असलम के साथ ही लेटी थी।
मैंने असलम का लंड पकड़ा। बिल्कुल लकड़ी की तरह सख्त था। मैंने असलम से पूछा, “असलम एक बात बताओ, जब तूने ये वियाग्रा खा कर अपनी अम्मी को चोदा था, तब भी यही हुआ था? तम्हारे लंड का पानी नहीं निकला था?”
असलम ने जवाब दिया,”जी हां ऐसा ही हुआ था।”
फिर कुछ रुक कर असलम बोला, “तब अम्मी ने आखिर लंड को जोर-जोर से चूसा था और साथ ही लंड लंड की मुट्ठ मारी थी, तब जा के लंड ने गरम पानी छोड़ा था। अम्मी की तो चूत ही फिर से गरम हो गयी थी। एक हाथ से अम्मी अपनी चूत रगड़ रही थी, दूसरे हाथ से लंड की मुट्ठ मार रही थी और साथ ही लंड चूस रही थी।”
“उस दिन मैंने अम्मी की मुंह में लंड का पानी निकाला था। मेरे लंड में से इतना पानी निकला था मेरे लंड में से अम्मी का तो मुंह ही भर गया था मेरे लंड के गरम पानी से। मेरे लंड से पानी निकलता जा रहा था और अम्मी पीती जा रही थी। कम से कम आधा मिनट निकलता रहा था मेरे लंड में से पानी। इतना मजा आया था, जितना पहले कभी भी नहीं आया था। आज भी लगता है वही होने वाला है।”
असलम की बातें सुन कर मेरी चूत फिर से गरम हो गयी। मैंने भी असलम की अम्मी की तरह एक हाथ से असलम के लंड की मुट्ठ मरने लगी। दूसरे हाथ से मैंने अपनी गीली चूत का दाना रगड़ना चालू कर दिया, और असलम का लंड तो मेरे मुंह में था ही। मैं असलम का लंड जोर-जोर चूसने लगी।
अगला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-20 (अंतिम भाग)