दोस्त की बहन प्यासी थी

नमस्कार मेरे दोस्तों, मेरा नाम हर्ष चौधरी है, और मैं जयपुर, राजस्थान का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 20 वर्ष की है। आज मैं यहां अपने जीवन की एक कहानी आप लोगों को बताने जा रहा हूं, जिसमें मैंने अपने खास और जिगरी दोस्त की बहन को चोदा, और उससे मुझे प्यार हुआ। ज्यादा बोर नहीं करता हूं। सीधा कहानी पर आता हूं।

तो बात 4 महीने पहले की है। मेरा एक दोस्त है विशाल।‌ हम दोनों साथ में ही कॉलेज में पढ़ते थे। हमारी दोस्ती काफी गहरी थी। उसकी दो बहनें थी। बड़ी वाली का नाम पूनम था, और छोटी वाली का नाम खुशी था। मेरी यह पूरी कहानी खुशी से संबंधित हैं।

उसकी दोनों बहन दिखने में काफी सुंदर है।

लेकिन मेरा आकर्षण खुशी की तरफ ज्यादा था। वो 19 साल की थी। उसका बदन काफी आकर्षक था। उसका 32-24-36 का बदन देख कर अच्छे-अच्छे लड़कों का पानी निकाल जाता था। मैं तो कई बार ऐसे मौके की तलाश में रहता था कि कब उससे चोद सकूं। खुशी मुझसे काफी घुली-मिली थी। हम दोनों की काफी अच्छी बनती थी। अब सीधा चलते है कहानी की तरफ।

बात आज से 4 महीने पहले की है, जब खुशी और मैं हमारे एक कॉमन दोस्त की बर्थडे पार्टी में गए थे। इस दिन खुशी काफी सुंदर और कामुक लग रही थी। उसने गोल्डन रंग का टॉप पहना, और ब्लैक हाई वेस्ट जीन्स पहनी। इन कपड़ो में एक-दम ऐसी लग रही थी, कि मन किया पार्टी की बजाय इसे अभी कहीं चोदने ले जाऊं।

मैंने उसे अपनी बाइक पर बिठाया, और हम चल पड़े। रास्ते में कई बार मैंने जान-बूझ कर ब्रेक लगाया, तांकि मैं उसके बड़े-बड़े बूब्स को महसूस के सकूं, और उसे भी इसमें बहुत मजा आता। वो मुझे कस के पकड़ कर बैठ जाती, और जब मैं ब्रेक लगाता, तब वो मेरे लंड को छूकर महसूस करती (आपको एक बात बताता हूं, कि वो भी मुझे काफी पसंद करती थी, और मुझसे चुदवाने का मौका ढूंढती थी)।

आखिर हम रेस्टोरेंट पर पहुंच गए जहां पर पार्टी थी। सब लोगों ने नाचा-गाया खाया-पिया, बहुत मज़े किए। हमारे एक दोस्त ने हमें शराब के लिए पूछा। हालांकि मैं तो पीता हूं, लेकिन उस वक़्त मैंने मना कर दिया। क्यूंकी मुझे खुशी को भी वापस घर छोड़ना था।

लेकिन ख़ुशी के हां बोलने पर मैं अचंभित हो गया (लेकिन मुझे अच्छा नहीं लगा)। मैंने उसे शराब के लिए मना किया, लेकिन उसने मुझे बोला कि थोड़ी-थोड़ी ही पिएंगे। फिर मैंने 2 ग्लास मंगवा कर पेग बनाया, और हम सब पीने लगे। धीरे-धीरे हम सब पीते गए और बहुत ज्यादा शराब पी चुके थे।

खुशी भी नशे में आ चुकी थी, और इस बात का पता मुझे तब चला जब वो धीरे-धीरे से टेबल के नीचे से मेरे लंड पर हाथ फिरा रही थी। उसकी इस हरकत से मेरा लंड खड़ा होने लगा, और वो इसे महसूस कर रही थी, और काफी खुश हुई।

थोड़ी देर बाद उसने मुझे कहा: हर्ष तू यहीं रुक में वॉशरूम होकर आती हूं।

मैंने कहा: ठीक है।

लेकिन मुझे उसकी चिंता होने लगी क्यूंकी वो काफी नशे में थी। मैंने अपना पेग ख़तम किया, और एक सिगरेट लगाई। तभी मेरा फोन बजा, और ये खुशी का मैसेज था।

उसमें लिखा था: जल्दी से वॉशरूम में आओ मैं तकलीफ में हूं।

मैं चिंतित हो गया था और वाशरूम की तरफ चल पड़ा। इस रेस्टोरेंट में जो वॉशरूम था, वहां कोई नहीं जाता। मैं वहां पहुंचा और देखा कि वो वहां नहीं थी। तो मैं थोड़ा सा डर गया था। लेकिन मैंने उसको वापस मैसेज किया और पूछा कि वो कहा थी। उसने कहा कि वो दूसरी मंज़िल पर थी। मैं हैरान था क्यूंकी दूसरी मंज़िल पर कोई नहीं रहता था, और वो हिस्सा बंद था।

मैं दूसरी मंज़िल वाले वॉशरूम में पहुंचा तो मैं हैरान हो गया जो मैंने देखा। खुशी टॉयलेट सीट पर आधी नंगी बैठी हुई थी सिर्फ ब्रा और पैंटी में। काले रंग की ब्रा के अंदर उसके गोरे-गोरे बूब्स क्या लग रहे थे, और वो बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे। फिर मैंने अपनी नज़र उसके बूब्स पर से हटाई, और उससे पूछा कि-

मैं: ये क्या हालत बनाई है तुमने खुशी?

वो बोली: यार हर्ष मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं, और तुम्हे अपना ये जिस्म देना चाहती हूं। मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है।

मुझे समझ आ गया था कि ये खुशी नहीं उसका नशा बोल रहा था। मैंने उसे कपड़े पहनाने की कोशिश की। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उसके उपर सेक्स करने की भावना हावी हो चुकी थी। फिर मैंने भी अपना मन बना लिया और उसको चोदने की ठान ली। क्योंकि वैसे भी उस मंज़िल पर कोई आता-जाता नहीं था, तो हमें किसी तरह की दिक्कत नहीं होती।

मैंने खुशी को खड़ा होने को बोला, और उसके माथे पर एक किस्स कर दी। मेरा सकारात्मक जवाब देख कर खुशी की आंखों में चमक आ गई थी। फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए, और मुझे चूमना शुरु कर दिया। मैं भी उसके होठ धीरे-धीरे चूसे जा रहा था। उसके नरम मुलायम होंठो के रस को चूसे जा रहा था।

फिर धीरे से मैंने अपना हाथ उसकी छाती की ओर बढ़ाया, और उसके सुनहरे रंग के टॉप के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबाए जा रहा था। वो भी मेरा लंड मेरी जीन्स के उपर से सहलाए जा रही थी। उसके ऐसा करने से मेरा लंड काफी उत्तेजित हो चुका था। उसने मुझे किस्स करते हुए मेरे कानों में फुसफुसाते हुए कहा-

खुशी: हमारे पास ज्यादा वक़्त नहीं है हर्ष। जो भी करना है हमें जल्दी करना होगा।

ये सब सुनते ही मैंने अपनी तेजी बढ़ा दी, और जोर-जोर से उसके बूब्स दबाने लगा। इससे वो काफी गरम हो चुकी थी, और उसकी चूत गीली हो गई थी। मैंने ज्यादा समय गवाए बिना उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया और उसकी चूत सहलाने लगा। मेरी उंगलियों के स्पर्श से वह सिसकियां लेने लगी।

इसके कारण मेरा जोश और बढ़ गया। अब धीरे से मैंने उसका टॉप और जींस उतार दी। अब वह मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी।‌ मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी। अब उसके 2 बड़े-बड़े कबूतर मेरे सामने आजाद हो चुके थे। अब मैं अपने एक हाथ से उसकी चूत में उंगली कर रहा था, और दूसरे हाथ से उसके मम्मे दबा रहा था। उसकी चूत बहने लगी।

मैं अपनी उंगली बाहर निकाल कर उसके काम रस को चाटने लगा, और मुझे ऐसा करते देख वह भी उत्साहित हो गई थी। ‌फिर उसने मेरी पेंट में से मेरा लंड बाहर निकाला, और जोर-जोर से हिलाने लगी। अब वह नीचे घुटनों पर बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी। वह अपने हाथों को उपर-नीचे करके मेरे लंड को मुंह में अन्दर-बाहर कर रही थी, और मुझे इसमें काफी मजा आता था। मुझे उस वक़्त जन्नत का एहसास हो रहा था।

करीब 10 मिनट तक उसने मेरा लंड चूसा। फिर मैंने उसे टॉयलेट सीट पर बैठने को कहा। उसके पैरों को फैला दिया, और उसकी चूत में उंगलियां डालते हुए उसकी चूत को चूसे जा रहा था। सच्ची में मुझे बहुत मजा आ रहा था, और मैं उसके मम्मे को भी दबा रहा था। साथ ही उसके बड़े-बड़े निप्पलों को हाथ से निचोड़ रहा था, और वो इन सब चीजों से काफी उत्साहित हो चुकी थी।

अब मैंने अपना लंड उसकी चूत के द्वार पर टिकाया, और धीरे-धीरे उसकी चूत पर रगड़ने लगा। मेरी इस हरकत से वो तड़प उठी, और मुझे गुस्से में बोली-

खुशी: कुत्ते के बच्चे, अब डाल भी दे अपना लंड। क्यों तड़प रहा है इस मासूम सी चूत को? डाल दे अपना हथियार मेरी चूत में।

यह सुन कर मैंने अपने लंड को अपने थूक से थोड़ा गीला किया, और एक जोरदार झटका लगाया। मेरा आधा लंड उसकी चूत में समा गया था और वो दर्द के मारे पागल सी हो गई थी, और जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी।

खुशी: आह उह हाय हर्ष मार डाला रे, थोड़ा धीरे कर आह आह आह हर्ष धीरे रेरर।

अब मुझे उसको होने वाले दर्द का अंदाज़ा हो चुका था, तो अब मैं धीरे-धीरे झटके लगाए जा रहा था। थोड़ी देर तक तो वह चिल्ला रही थी। लेकिन करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद उसे मजा आने लगा, और वह अपनी कमर को उठा कर चुदवाने लगी। थोड़ी देर तक धक्के लगाने के बाद मैंने उसे उठने को बोला, और मैं टॉयलेट सीट पर बैठ गया।

फिर उसको मैंने मेरे ऊपर बिठा दिया, और अब वह मेरे लंड पर बैठी थी। मेरे ऊपर बैठने के बाद वह मेरे लंड पर उछलने लगी, और उसके बड़े-बड़े गोल-गोल मम्मे मेरे मुंह के ऊपर-नीचे होने लगे। मैं उसको चोद रहा था और उसके बूब्स को भी चूसे जा रहा था, और ये इस चुदाई का अंतिम चरण था।

वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी: जोर-जोर से हर्ष!

मैं भी अपनी तेजी धीरे-धीरे बढ़ाए जा रहा था। आप वो झड़ने वाले थी और कुछ देर की चुदाई के बाद वो मेरे लंड पर जड़ गई, और निढाल होकर मेरे ऊपर गिर गई। लेकिन मैं धक्के लगाए जा रहा था, और अब मैं भी जड़ने वाला था। मैंने उसको घुटनों पर बैठने को बोला और अपना लंड हिलाने को बोला।

वो मेरा लंड जोर-जोर से हिलाने लगी। मेरा सारा वीर्य उसके बूब्स पर गिर आया, और वह उसे चाटने लगी। फिर उसने खड़े होकर मुझे किस्स किया और मुझे कान में कहा-

खुशी: आज से ये चूत तुम्हारी है मेरे राजा।

आज से पहले इतना मजा कभी नहीं आया था। अब जब भी मन हो चुदाई करने का तो मुझे याद करना मेरी जान।

यह सुन‌ के मैं बहुत खुश हुआ, और उसको किस्स करने लगा। फिर हम दोनों अपने आप को साफ किया, और कपड़े पहन कर बाहर आ गए। बाहर देखा तो सब लोग जा चुके थे। फिर हम दोनों भी घर की ओर चल पड़े। उस दिन के बाद हम दोनों का जब भी मन होता है चुदाई कर लिया करते है।

तो यह थी मेरी और दोस्त की बहन की चुदाई कहानी। आशा करता हूं आपको मेरी यह कहानी पसंद आई होगी।