मेरा नाम रोहित है। मैं एक कॉल बॉय भी हूं। मेरी उम्र 26 वर्ष है, और मैं राजस्थान से हूं। दोस्तों, ये कहानी मेरे और एक दोस्त के बड़े भाई की बीवी के साथ उस रात हुई चुदाई की है। बात आज से 1 साल पहले की है। मैं और मेरा दोस्त दिलीप पड़ोस में ही रहते थे। अपनी b.a की तैयारी कर रहे थे। हमारी परीक्षा खत्म हो गयी थी, और तीन दिन बाद ही दिलीप की शादी थी।
दिलीप मुझे अपनी परीक्षा खत्म होते ही अपने साथ गांव ले गया। वहां जाकर हम दोनों मिल कर उसकी शादी की तैयारी में लग गये। बहुत सारे मेहमान आने शुरू हो गए थे। मस्त-मस्त लड़कियां और औरतों को देख कर मेरा लंड खड़ा होकर सलामी देने लगा था। पर सारी दोस्त के रिलेशन में थी तो मैं अपनी इच्छा मन में दबा कर रह जाता। मैं किसी से कुछ मजाक भी नहीं कर पाया।
लेकिन कहते है ना, कि ऊपर वाला जब भी देता है छप्पर फाड़ के देता है। यहां भी ऐसा हुआ। दरअसल मेरे दोस्त की एक भाभी मुझे जिस दिन से मैं आया था तब से घूरे जा रही थी। उसका नाम प्रिया था। और उसकी मेरी प्रति ये दिवानगी का कारण था उसकी एक गलतफहमी। हुआ ये कि दिलीप के सारे दोस्तों की शादी में दारू सिगरेट से लेकर सब तरह की सेवा करने की जिम्मेदारी मेरी थी।
तो दिलीप ने लगभग 8 से 10 हजार रुपये मुझे दे दिये, और मैं इनसे गुलछर्रे उड़ा रहा था। मेरी इस हरकत से प्रिया ने मुझे किसी अमीर घर का लड़का समझ लिया। जबकि मैं एक थोड़ा दुबला पतला था, पर यकीन मानो सारे शरीर की ताकत इस हथियार में रखता था। हल्दी की रस्म के दिन प्रिया ने दिलीप के साथ मेरे भी हल्दी लगा दी, और मुझसे कहा कि-
प्रिया: तू भी दुल्हा बन जा। हल्दी लगा कर क्या पता कोई दुल्हन तेरा भी इंतजार कर रही हो।
उसका इशारा खुद की तरफ था। मैं उसकी भावनाओ को समझ चुका था। प्रिया गोरे रंग की, कम से कम 27 से 28 वर्ष की होगी। 18 वर्ष की आयु में ही उसका विवाह कर दिया था। मैं भी प्रिया की तरफ आकर्षित हो रहा था। क्योंकि मुझे वो काम की देवी लग रही थी। पर मैं इस भय से प्रिया से ज्यादा नहीं बोल रहा था कि कहीं दिलीप को हमारे बारे पता लगा तो वो क्या कहेगा, कि जिस थाली में खाया उसी में छेद कर दिया।
लेकिन मैं खुद को ज्यादा दिन तक नहीं रोक पाया। शादी से एक दिन पहले की बात थी। मैंने और प्रिया ने उस दिन खूब सारी बातें की। उसने मुझे अपनी दुखद कहानी सुनाई कि उसकी जल्दी शादी हो गयी। पति एक नम्बर का नालायक और निकम्मा था। जब उसकी जवानी के दिन आये, तब उसका पति नशे का आदि हो गया, और अब तक था, और उसके साथ मारपीट करता था। वो रोने लगी। मुझे यह सुन कर बहुत बुरा लगा, और मैं उससे अब मित्रवत रहने लगा। उसने मुझे बताया कि-
प्रिया: रोहित! आप मुझे बहुत पसंद हो।
शाम के समय उसने सब के सामने मुझे जबरदस्ती अपने साथ नचाया, मुझे भी बड़ा मजा आया। फिर अचानक लाइट चली गयी। सब वहां से चले गये। अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ा, और सीढ़ियों की तरफ ले गयी, और एक दम से अपने होंठ मेरे होंठों पे रख कर किस करने लगी।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। अचानक ये सब हो गया था। पर मेरे अंदर का हवसी शैतान जाग उठा। मुझे कितना मजा आ रहा था। वो कभी मेरे उपर के होंठ को दबा कर चूस रही थी, कभी नीचे को। और उसकी वो लिपस्टिक की सुगंध मुझे दीवाना बनाये जा रही थी।
मैं बिल्कुल उसके शरीर से लिपट गया। मेरा 7 इंच का लंड खड़ा होकर तन गया। मैंने लहंगे के उपर से उसकी चूत पे रगाड़ना शुरू कर दिया। मेरे दोनों हाथ उसके सेब जैसे बूब्स को दबा रहे थे। 5 मिनट बाद वो अलग हुई और बोली-
प्रिया: शायद कोई आ रहा है। अपने होंठो को पोंछ लो। बताओ मजा आया आपको?
मैं बोला: बहुत, अब तुम बहुत पसंद हो मुझे। आई लव यू मेरी जान।
अगले दिन उसके पति को मुझ पर शक हो गया। मैं चौकन्ना रहने लगा। फेरे आज रात ही के समय पर थे, और बारात का स्वागत सुबह का था। इसलिए घर के सभी सदस्य तो आज शाम को ही जाने लगे दुल्हा के साथ ही। मैं भी दोस्त था तो मुझे भी तैयार होना पड़ा। पर उस प्रिया ने मेरे जूते और कपड़े कहीं छिपा दिये, और मुझे रोकने लगी। फिर मैं लेट हो गया और नहीं जा पाया।
रात हो चली थी। परिवार की सभी लुगाइयां अपने नेक-जोक और कार्य कर रही थी। मैं अकेला मर्द था। मुझे थोड़ी शर्म आ रही थी, क्योंकि हमारे यहां एक रिवाज है कि दुल्हा के जाने के बाद उसकी भाभी और सभी लुगाई आपस में दुल्हा-दुल्हन बन कर खेल खेलती है। और आज खेल में वो औरते चूत और अपने स्तन रगड़ रही थी। मैं छत पर बैठा देख रहा था।
प्रिया ने मुझे बताया: नीचे तो सभी स्त्रियां और कुछ रिश्तेदार है। तुम रात को 1 बजे छत के उपर मिलना। आज वही मिलते है।
मैं समझ गया उसकी चूत में आग लगी थी। और मुझे भी 68वीं बार चूत चोदने को मिल रही थी। वो भी सुंदर सुशील घोड़ी जैसी गांड वाली औरत की। मैं छत पर ही सो गया। वो 10 मिनट लेट आई आते ही हमने ईधर-उधर देखा। सब सोये हुए थे।
फिर वो मेरे बिस्तर के पास में लेट गयी और बोली-
प्रिया: चोदेगा या किस करेगा?
मैं: गंगा दर्शन ही नहीं नहाना भी है।
फिर हम दोनों एक-दूसरे पर लेट कर किस करने लगे। इतने में वो पलट कर मेरे उपर चढ़ गयी। प्रिया ने नीला लहंगा और उसी की मैंचिंग का नीले रंग की ओढ़नी जिसे लुगड़ी कहते है, पहन रखी थी। मैंने उसे एक तरफ हटा दिया। सफेद ब्लाउज के अंदर एक काले रंग की ब्रा पहन रखी थी, जो दूर से ही उसके ब्लाउज के उपर के दो बटन खुलने से नजर आ रही थी।
मैंने उसकी पीठ को सहलाते हुए उसकी गांड पर हाथ फेरा, और लहंगा ऊपर किया। जो यहां प्राय ढीला ही पहना जाता है। जैसे ही मैंने ऊंचा किया, उसकी मोटी गांड बिल्कुल नंगी थी। और मोटी और मुलायम थी। मैं उस पर जोर-जोर से चांटे पीटने लगा।
वो बोली: आहह उहह उम्म्म। धीरे-धीरे कर, कोई जाग जायेगा। ये कौन सा तरीका है। हमने तो आज तक गांव मैं ऐसा नहीं देखा।
मैं बोला: अंग्रेजों वाली चुदाई है।
वो अभी भी मुझे किस करने में मस्त थी।
मैं: पेंटी नहीं पहन रखी लहंगे के अंदर?
प्रिया: पहले से ही फुल मूड था। तो उंगली करके सहला रही थी। तभी तो तेरे जूते छिपा कर रोका तुझे।
अब मैंने उसके लहंगे का नाड़ा खोल कर उसको नीचे से नंगा कर दिया। उसकी चिकनी-चिकनी गोरी जांघ चूत और कुल्हे मुझे दिख रहे थे। मैं उनको मसल रहा था। अचानक उसने मेरी पेंट और अंडरवियर उतार दी। मेरा मोटा लंबा 7 इंच लंड उसके सामने था। उसने झट से अपने मुंह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया। फिर 15 मिनट बाद ही मैं उसके मुंह में ही झड़ गया। वो बोली-
प्रिया: कितना गाढ़ा वीर्य है। मजा आ गया आज।
थोड़ी देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे। फिर उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये। और उसके दोनों मोटे बूब्स मेरे सामने थे। मैं उनको बारी-बारी से चूस रहा था, और दबा रहा था। वो मेरा लंड हाथ में लेकर हिलाने लगी। फिर अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। 10 मिनट में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था।
भाभी अपनी दोनों टांग खोल कर मुझे उपर चढ़ने को कहा। फिर मैंने हाथ से पकड़ कर अपना लंड का अग्रिम हिस्सा चूत पर रखा। वो अंदर नहीं जा रहा था।
प्रिया: बहुत दिन से नहीं चुदी हूं। मैं करती हूं, रुको।
उसने अपने मुंह में लंड लेकर, उस पर थूक लगा कर, अपने हाथ से अपनी चूत पर रख कर कहा।
प्रिया: अब धक्का दे।
मैंने जोर का धक्का दिया। तो सरसराता मेरा लंड किसी सांप की तरह बिल में घुस गया। मैं जोर-जोर से धक्के दिये जा रहा था। वो नीचे से आह भर रही थी, और बोली-
प्रिया: अह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह उह्ह श्श्श! और तेज कर।
मैंने स्पीड बढ़ा दी। मुझे परम आनंद मिल रहा था। खच-खच की आवाज मेरा जोश बढ़ा रही थी। फिर वो मेरे उपर बैठ कर लंड अपनी चूत में लेकर मेरे उपर फुदकने लगी। यह मेरा सबसे ज्यादा मजेदार चुदाई का पल था। थोड़ी देर बाद मैं उसे घोड़ी बना कर चोद ने लगा। मुझे करीब 30 मिनट हो चुके थे।
मैं बोला: मेरी भाभी जान! मेरा वीर्य निकलने वाला है।
प्रिया: वापस लेट कर मेरे उपर चढ़ कर अंदर छोड़ दे।
मैंने ठीक वैसे ही किया। अपना सारा माल अंदर छोड़ कर मैं सो गया। कुछ देर बाद हमने खूब एक-दूसरे को किस किया। मैंने उस रात भाभी को 3 बार चोदा। अगले दिन मैं बारात में गया, और वहां से सीधा घर आ गया। तो कैसी लगी मेरी कहानी दोस्तो?
किसी भाभी, आंटी, लड़की को मस्त और सेफ चुदाई का मजा चाहिए, तो मुझे [email protected] पर मेल करें। धन्यवाद।